Quick Summary
श्वेत क्रांति की शुरुआत 1970 के दशक में डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में हुई थी। श्वेत क्रांति भारत में दूध उत्पादन में हुई एक क्रांतिकारी परिवर्तन को कहते हैं। इसे ‘ऑपरेशन फ्लड’ के नाम से भी जाना जाता है। इस अभियान ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना दिया।
श्वेत क्रांति या दुग्ध क्रांति, जिसने भारत के दूध उत्पाद को पिछले 63 सालों में 11.5 गुना किया, भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाया साथ ही देश के किसानों की अर्थव्यवस्ता को बेहतर बनाया। ऐसे में एक भारतीय होने के दृष्टिकोण से आपको “श्वेत क्रांति क्या है” के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
इस ब्लॉग में आपको श्वेत क्रांति क्या है, श्वेत क्रांति के जनक कौन हैं, श्वेत क्रांति किससे संबंधित है, श्वेत क्रांति कब हुई, तथा श्वेत क्रांति के जुड़े और भी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
श्वेत क्रांति, जिसे दुग्ध क्रांति के नाम से भी जाना जाता है, भारत में डेयरी उद्योग में लाए गए क्रांतिकारी बदलावों का एक दौर था। यह 1961 में शुरू हुआ और इसका उद्देश्य दूध उत्पादन बढ़ाना, किसानों को सशक्त बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था।
डॉ. वर्गीज कुरियन को भारत में श्वेत क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है। श्वेत क्रांति के जनक के रूप में जाने जाने वाले डॉ. वर्गीज कुरियन ने 1960 और 1970 के दशक में भारत में डेयरी उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाए, जिसका परिणाम ये हुआ कि देश दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया और लाखों किसानों को इससे लाभ हुआ।
श्वेत क्रांति, दूध और डेयरी उत्पादन से संबंधित है। यह भारत में 1961 में शुरू हुआ था जिसका उद्देश्य दूध उत्पादन में वृद्धि करना, किसानों को सशक्त बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था।
यह क्रांति “ऑपरेशन फ्लड” नामक एक व्यापक कार्यक्रम के माध्यम से लागू की गई थी, जिसमें डेयरी सहकारी समितियों का गठन, बेहतर पशुधन और तकनीक प्रदान करना, चारा विकास, पशु स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और दूध खपत में सुधार शामिल था।
डेयरी सहकारी आंदोलन, जिसे आमतौर पर “श्वेत क्रांति” के नाम से भी जाना जाता है, भारत में दुग्ध उत्पादन और वितरण में एक प्रमुख बदलाव लाया। इस आंदोलन की शुरुआत 1946 के दशक में हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को एकत्रित करके एक मजबूत सहकारी प्रणाली विकसित करना था।
इसकी शुरुआत गुजरात के आणंद जिले से हुई, जहाँ किसानों ने मिलकर आनंद ब्रांड (आज अमूल ब्रांड) की स्थापना की। इससे उन्हें अपने दूध का उचित मूल्य मिलने लगा और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई। इससे न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि हुई, बल्कि लाखों किसानों की आजीविका में भी सुधार हुआ।
डेयरी सहकारी आंदोलन ने उस समय भारत को विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में से एक बना दिया है और यह आज भी किसानों के सशक्तिकरण का एक सफल मॉडल माना जाता है।
श्वेत क्रांति भारत में 1961 में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य दूध उत्पादन बढ़ाना, किसानों को सशक्त बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था। यह क्रांति पूरे भारत में लागू की गई थी, लेकिन इसका मुख्य केंद्र गुजरात था।
वर्ष | घटनाएँ |
1946 | गुजरात के आणंद जिले में अमूल की स्थापना हुई। यह सहकारी आंदोलन का प्रारंभिक बिंदु था। |
1955 | राष्ट्रीय डेयरी विकास संस्थान (NDRI), करनाल की स्थापना। |
1961 | श्वेत क्रांति की शुरुआत। |
1965 | राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना हुई, जिससे इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिला। |
1970 | “ऑपरेशन फ्लड” कार्यक्रम की शुरुआत। |
1981 | “ऑपरेशन फ्लड” का दूसरा चरण शुरू हुआ, जिसका ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी सहकारी समितियों के विकास पर केंद्रित था। |
1985 | “ऑपरेशन फ्लड” का तीसरा चरण शुरू हुआ, जिसका ध्यान डेयरी उत्पादों के विपणन और प्रसंस्करण पर केंद्रित था। |
1997 | भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना और उसने संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ दिया। |
2011 | देश में दूध उत्पाद का आंकड़ा 121.8 मिलियन टन पहुंचा। |
2012 | राष्ट्रीय डेयरी नीति की शुरुआत। |
2014 | राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) शुरू हुआ। |
2021 | भारत ने 200 मिलियन टन का आंकड़ा पार करते हुए 210 मिलियन टन दूध का उत्पाद किया। |
2024 | भारत का दूध उत्पादक बढ़कर 230 मिलियन टन पहुंचा। |
1961 में शुरू हुई श्वेत क्रांति का मुख्य उद्देश्य देश में दूध की कमी को दूर करना और किसानों को सशक्त बनाना था। जहां 1961 में भारत दूध की कमी ने जूज रहा था, देश का दूध उत्पाद सिर्फ 20 मिलियन टन था और भारत को दूध के लिए दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ता था।
वर्तमान (2024) में ये स्थिति बिल्कुल विपरित है, श्वेत क्रांति के कारण आज भारत विश्व का सबसे बड़ा मिल्क प्रोड्यूसर है जो पूरे विश्व में 23% की भागेदारी रखता है। देश का दूध उत्पाद 2024 में 230 मिलियन टन से भी ज्यादा है, और भारत ने वित्तीय साल 2023 में करीब ₹22.7 अरब के दूध और दूध से बने हुए उत्पाद को बाहर के देशों तक पहुंचाया।
श्वेत क्रांति ने भारत में न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि देश के पोषण स्तर को भी बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पोषण सुधार में योगदान:
श्वेत क्रांति से ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी उद्योग के विकास से नए रोजगार के अवसर पैदा हुए, जिससे महिलाओं और युवाओं को भी लाभ मिला। श्वेत क्रांति ने न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे, जैसे सड़कों, बिजली, और ठंडे गोदाम सुविधाओं का भी विकास किया।
श्वेत क्रांति ने किसानों के लिए कई लाभ प्रदान किए। इस आंदोलन के तहत:
श्वेत क्रांति ने भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को कई तरह से लाभ पहुंचाया:
श्वेत क्रांति ने भारत के डेयरी उद्योग को एक नए आयाम पर पहुंचा दिया। 1961 में शुरू हुई इस क्रांति ने न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि की, बल्कि पूरे डेयरी क्षेत्र का विस्तार भी किया।
विस्तार के पहलू:
श्वेत क्रांति ने भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक सम्मान प्राप्त हुआ।
महिला सशक्तिकरण के पहलू:
श्वेत क्रांति ने भारत को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया और किसानों के जीवन में सुधार लाया है। यह क्रांति न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक है। जिसने किसानों और उपभोगताओं को बहुत फायदा पहुंचाया और भारत को दूध उत्पाद के मामले में आत्मनिर्भर और विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाया।
इस ब्लॉग में अपने श्वेत क्रांति क्या है, श्वेत क्रांति कब हुई, श्वेत क्रांति के जनक कौन हैं, श्वेत क्रांति किससे संबंधित है, श्वेत क्रांति के लाभ, इसके महत्व और इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से जाना।
श्वेत क्रांति के दौरान विपणन की समस्याएं, उत्पादन की गुणवत्ता बनाए रखना और तकनीकी सुधार की चुनौतियाँ आईं।
श्वेत क्रांति के मुख्य रूप से तीन चरण हैं:
1. अवस्थापन (1960-1965),
2. विकास (1965-1975),
3. विस्तार (1975-1985)
श्वेत क्रांति के कारण पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा, क्योंकि इसमें पशुपालन के लिए बेहतर प्रथाओं को अपनाया गया।
श्वेत क्रांति का मुख्य नारा “हर खेत को पानी, हर हाथ को काम” था।
नहीं, श्वेत क्रांति का उद्देश्य दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ दुग्ध उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन में भी सुधार करना था |
श्वेत क्रांति से पहले भारत में दुग्ध उत्पादन की स्थिति कैसी थी?
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