कारगिल युद्ध: इतिहास, कारण और नायक

September 16, 2024
Quick Summary

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  • कारगिल युद्ध 3 मई 1999 को भारत के कारगिल जिले में शुरू हुआ था।
  • कारगिल युद्ध में 530 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 453 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए।
  • कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा और नायब सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव परमवीर चक्र से सम्मानित हुए।
  • कारगिल युद्ध का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भारत की साख बढ़ाई और भारत-पाकिस्तान के संबंधों को परिभाषित किया।
  • भारतीय सेना ने पाकिस्तान के छुपे सैनिकों को खदेड़ा और युद्ध को जीता।

Table of Contents

कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया था। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सैनिकों और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की। भारतीय सेना ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए इन घुसपैठियों को खदेड़ दिया।

यह युद्ध लगभग दो महीने तक चला और इसमें भारतीय सेना ने ऊँचाई वाले दुर्गम क्षेत्रों में लड़ाई लड़ी। कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति का प्रतीक है। इस युद्ध में भारत ने निर्णायक विजय प्राप्त की और 26 जुलाई को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कारगिल युद्ध की कहानी न केवल सैन्य रणनीति और वीरता की है, बल्कि यह उन अनगिनत सैनिकों की भी है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। इस युद्ध ने भारतीय सेना की क्षमता और दृढ़ता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। युद्ध के दौरान, भारतीय सेना ने दुर्गम पहाड़ियों और कठिन परिस्थितियों में लड़ाई लड़ी, जिससे उनकी वीरता और साहस की मिसाल कायम हुई।

कारगिल युद्ध कब हुआ?

कारगिल युद्ध 3 मई 1999 को भारत के जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में शुरू हुआ था। याक की खोज में निकले बालटिक के ताशी ने ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों को बंकर बनाते देखा और इसकी सूचना भारतीय सेना को दी।

5 मई 1999 को भारतीय सेना के जवान गश्त के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पकड़े गए और मारे गए। भारतीय सीमा में कब्जा की गई जगहों को वापस पाने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया गया। 26 मई 1999 को भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर शुरू किया, लेकिन बंकरों के कारण यह सफल नहीं हो पाया।भारतीय सेना ने तालोलेंग और प्वॉइंट 5140 पर कब्जा किया। 11 जुलाई 1999 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने युद्ध रोकने की घोषणा की और 26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्त हो गया।

कारगिल युद्ध क्यों हुआ?

अगर बात करें कि कारगिल युद्ध कब हुआ था,तो यह युद्ध 3 मई 1999 को शुरू हुआ था। भारतीय सीमा में पाकिस्तान की घुसपैठ के साथ ही इसकी शुरूआत हो गई थी। अब बात करते हैं कि कारगिल युद्ध क्यों हुआ?

युद्ध के कारण और परिस्थितियां

  • फरवरी 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लाहौर समझौता किया था। इस समझौते के 90 दिनों के भीतर ही पाकिस्तान ने भारत के कारगिल इलाके में घुसपैठ कर दी।
  • दरअसल, पाकिस्तान यह जंग से भारत को सियाचिन से अलग-थलग करने के लिए लड़ रहा था। भारत ने 1984 में सियाचिन पर कब्जा कर लिया था। परवेज मुशर्ऱफ उस समय पाकिस्तान की कमांडो फोर्स में मेजर हुआ करते थे। 
  • पाकिस्तान का मकसद था कि सियाचिन ग्लेशियर की लाइफ लाइन एनएच 1 डी पर नियंत्रण किया जाए और उन पहाड़ियों पर कब्जा किया जाए, जहां से लद्दाख के लिए लिए जाने वाले रसद के काफिलों की आवाजाही को रोका जा सके। 
  • पाकिस्तान द्वारा इसी कब्ज़े को रोकने के लिए ही यह युद्ध लड़ा गया था। 

कारगिल युद्ध के हीरो

कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान को हराया था, और इस संघर्ष में कई भारतीय सैनिक शहीद हुए। भारतीय जवानों ने अपने खून का आखिरी कतरा देश के लिए अर्पित कर दिया। इस युद्ध के कई हीरो थे, जिनकी बहादुरी के कारण भारत ने अपने दुश्मनों को भारतीय सीमा से बाहर खदेड़ दिया। 

प्रमुख नायक और उनकी वीरता

इस युद्ध में देश के लिए जान देने वाले कारगिल युद्ध के हीरो की फेहरिस्त लंबी है। ऐसे ही कुछ कारगिल युद्ध के हीरो के बारे में बिंदुवार बताते हैं और कारगिल युद्ध की पूरी कहानी के बारे में जानते हैं ।

1. कैप्टन विक्रम बत्रा

कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम कारगिल युद्ध के हीरो में शामिल हैं जिन्होंने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे। कैप्टन विक्रम बत्रा की अगुवाई में भारतीय सेना ने प्वाइंट 5140 पर दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए थे। इसके बाद विक्रम बत्रा का अगला मिशन 17,000 हजार की फीट की ऊंचाई पर स्थित प्वाइंट 4875 पर कब्जा करना था। प्वाइंट 4875 पर कब्जा करने के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हो गए। कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

2. सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव

नायब सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव घातक प्लाटून का हिस्सा थे। योगेन्द्र सिंह यादव को टाइगर हिल पर करीब 16,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित तीन बंकरों पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था। उनकी बटालियन ने टोलोलिंग टॉप पर कब्जा किया था। इस दौरान कई गोलियां लगने के बावजूद नायब सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव ने अपना मिशन जारी रखा। उनकी इस वीरता के लिए योगेन्द्र सिंह यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

परमवीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले सैनिक

इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना के सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। कारगिल युद्ध के हीरो की बहादुरी, साहस और जुनून की कहानियां जीवन से भी बड़ी हैं। कारगिल युद्ध के वीर सैनिकों को परमवीर चक्र और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। 

  • कारगिल युद्ध के हीरो और जाबांज सैनिक कैप्टन विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
  • वहीं राइफल मैन संजय कुमार और नायाब सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
  • इसके अलावा कारगिल युद्ध के हीरो में शुमार सुल्तान सिंह नरवरिया, लायंस नायक दिनेश सिंह भदौरिया और लायंस नायक करन सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

कारगिल युद्ध की रणनीति और संचालन

कारगिल युद्ध भारत की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई में से एक है। पाकिस्तान का मानना था कि जम्मू और कश्मीर में पकड़ बनाने से दिल्ली कमजोर होगा। पाकिस्तान ने रणनीति बनाकर इस युद्ध को अंजाम दिया था लेकिन भारत ने अपनी बेहतर रणनीति और शानदार संचालन से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।

हवाई संचालन

कारगिल की लड़ाई शुरू में भारत के लिए काफी मुश्किल साबित हो रही थी। बोफोर्स और एयर फोर्स ने कारगिल युद्ध की कहानी पूरी तरह से बदलकर रख दी। बोफोर्स तोपों के हमले ने ऊंचाई पर स्थित पाकिस्तान की चौकियों को पूरी तरह से तबाह कर दिया। 

तोलोलिंग पर कब्जा

कारगिल युद्ध में भारत की रणनीति का सबसे अहम पड़ाव तोलोलिंग पर कब्जा करना रहा। तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करने के लिए भारत और पाकिस्तानी सैनिक बेहद पास से लड़ रहे थे। दोनों तरफ गोलियों के साथ-साथ एक-दूसरे को गालियां भी दे रहे थे। तोलोलिंग के लिए लड़ाई लगभग 6 दिन तक चली।

टाइगर हिल पर कब्जा

कैप्टन विक्रम बत्रा और उनकी बटालियन ने 29 जून को टाइगर हिल के नजदीक दो महत्वपूर्ण चौकियों पर कब्जा जमा लिया था। 2 जुलाई को कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ टाइगर हिल पर चढ़ाई शुरू कर दी। 4 जुलाई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया। टाइगर हिल पर भारत का कब्जा इस युद्ध में एक बड़ी जीत थी।

दुश्मन की योजनाएं और उनकी विफलता

पाकिस्तान ने इस युद्ध के लिए शानदार प्लानिंग की थी और शुरू में वे अपनी योजनाओं में सफल भी रहे। शुरूआत में भारत को उनकी घुसपैठ के बारे में अंदाजा भी नहीं लगा। उन्होंने कारगिल और लेह के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 

  • पाकिस्तान इस युद्ध के ज़रिये भारत को सियाचिन से अलग-थलग करना चाहता था। इस वजह से पाकिस्तानी सैनिक छिपकर कारगिल इलाके में छिपकर घुसे थे लेकिन भारतीय सेना ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
  • पाकिस्तान ने कारगिल की कई चोटियों पर कब्जा कर रखा था जिसमें तोलोलिंग, प्वॉइंट 5140, प्वॉइंट 4875 और टाइगर हिल भी शामिल थी। भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना इन चोटियों पर दोबारा कब्जा कर लिया।

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कारगिल युद्ध के परिणाम

भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्ध 3 मई 1999 से लेकर 26 जुलाई 1999 तक चला। इसके परिणाम भारत के हक में जरूर रहा लेकिन दोनों देशों को बड़ा नुकसान हुआ।

युद्ध के तात्कालिक और दीर्घकालिक परिणाम

कारगिल युद्ध का परिणाम भारत के वीर जवानों की पाकिस्तान पर जीत के तौर पर याद किया जाता है। यह  युद्ध 68 दिनों तक चला। इस जंग के तात्कालिक और दीर्घकालिक परिणाम भी हुए, जिनके बारे में बताते हैं।

  • कारगिल युद्ध में भारत के 530 सैनिक शहीद हुए और पाकिस्तान के 453 सैनिक कारगिल में मारे गए। वहीं पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मुताबिक, पाकिस्तान के 3000-4000 सैनिक मारे गए।

कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, जो 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की विजय का प्रतीक है। इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए दुश्मन को पराजित किया था। कारगिल विजय दिवस उन वीर जवानों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की। इस दिन पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

कारगिल युद्ध का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

कारगिल युद्ध भारत-पाकिस्तान की वो लड़ाई है जिसमें पलटी हुई बाजी को अपने नाम कर लिया था।इसके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी हुए, जिसके बारे में नीचे बताते हैं।

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव

  • कारगिल युद्ध से पहले भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने बस से लाहौर गए। दोनों के बीच शांति समझौता हुआ।
  • यह युद्ध करके पाकिस्तान ने भारत से धोखा किया। इससे दोनों देशों के बीच शांति की डोर टूट गई। 
  • दोनों देश के बीच हुऔ शांति समझौता खत्म हो गया और दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार भी बंद कर दिया गया।

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

  • इस युद्ध का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव ये रहा कि दुनिया भर में भारत की साख बढ़ गई और पाकिस्तान को एक अलग नजरिए से देखा जाने लगा। 
  • इस से पहले भारत-अमेरिका के संबंध अच्छे नहीं चल रहे थे लेकिने इस युद्ध ने दोनों देशों के संबंधों को फिर से परिभाषित कर दिया। 
  • कारगिल युद्ध के बाद अमेरिका के अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत की यात्रा की और इस युद्ध लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया गया।

युद्ध का साहित्य और फिल्में

यह युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच एक संघर्ष था। कारगिल युद्ध के बारे में दुनिया भर में चर्चा हुई। इस जंग के बारे में कई किताबें लिखी गईं और कई फिल्में भी बनीं।

कारगिल युद्ध पर किताबें

Book TitleAuthor(s)
कारगिल: युद्ध की अनकही कहानियांरचना बिष्ट रावत
विजयंत एट कारगिल: द बायोग्राफी ऑफ ए वॉर हीरोकर्नल वीएन थापर और नेहा द्विवेदी़
कारगिल युद्ध: आश्चर्य से विजय तकजनरल वी.पी. मलिक
कारगिल से संदेशश्रींजय चौधरी
कारगिल युद्धप्रवीण स्वामी
कारगिल गर्ल: एन ऑटोबायोग्राफीफ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना (सेवानिवृत्त) और किरण निर्वाण

कारगिल युद्ध पर फिल्में

  • धूप (2003)
  • एलओसी कारगिल (2003)
  • लक्ष्य (2004)
  • मौसम (2011)
  • गुंजन सक्सेना(2020)
  • शेरशाह (2021)
  • टैंगो चार्ली (2005)

निष्कर्ष 

इस लेख में कारगिल युद्ध कब हुआ और क्यों हुआ इस बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके अलावा कारगिल युद्ध, इसके परिणाम और स्मारक में बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। अब कारगिल युद्ध के निष्कर्ष की बात करें तो कारगिल युद्ध को पाकिस्तान ने अपने बुरे मंसूबों के साथ शुरू किया था। शुरूआत में पाकिस्तान को अपने मंसूबों में सफलता में मिली लेकिन लेकिन धीरे-धीरे भारतीय सैनिकों ने रणनीति और बहादुरी से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। कारगिल युद्ध को भारतीय सैनिकों के साहस, बलिदान और शौर्य के लिए जाना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कारगिल विजय दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? 

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा की गई घुसपैठ को पूरी तरह से खत्म कर कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की थी। यह दिन भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। 

कारगिल युद्ध में भारत की प्रमुख सैन्य कमान कौन थी?

कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की कमान जनरल वी.पी. मलिक के नेतृत्व में थी। उन्होंने भारतीय सेना की रणनीतिक योजना और ऑपरेशन विजय की योजना को सफलतापूर्वक लागू किया। 

कारगिल युद्ध के दौरान किस भारतीय सैन्य डिवीजन ने प्रमुख लड़ाइयाँ लड़ीं?

कारगिल युद्ध के दौरान 8वीं गोरखा राइफल्स, 11वीं गोरखा राइफल्स, और 14वीं गोरखा राइफल्स जैसी डिवीजन ने प्रमुख लड़ाइयाँ लड़ीं। ये डिवीजन ऊंचाई वाले इलाकों में विशेष युद्ध की तैयारी और अनुभव के लिए जानी जाती हैं। 

Q4. कारगिल युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कौन-कौन सी वार्ताएं और शांति प्रयास किए गए? 

कारगिल युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कई शांति प्रयास और वार्ताएं की गईं। इनमें 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन और 2004 में दिल्ली-लाहौर शांति प्रक्रिया शामिल हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच तनाव को कम करना और द्विपक्षीय संबंधों को सुधारना था। 

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने किस प्रकार के सशस्त्र वाहनों का उपयोग किया? 

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने विभिन्न प्रकार के सशस्त्र वाहनों का उपयोग किया, जिनमें मुख्य रूप से टैंक (जैसे कि टी-72 और टी-55), बख्तरबंद वाहनों (जैसे कि बीएमपी-1), और आर्टिलरी गन (जैसे कि होवित्जर) शामिल थे। 

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