पंचवर्षीय योजना क्या है | Five Year Plans of India

September 16, 2024
पंचवर्षीय योजना

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भारत में आर्थिक विकास की दिशा में पंच वर्षीय योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन योजनाओं का उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देना है। भारत की स्वतंत्रता के बाद, पहली पंच वर्षीय योजना 1951 में शुरू की गई थी और तब से लेकर अब तक 12 पंच वर्षीय योजनाएं लागू की जा चुकी हैं।

इस ब्लॉग में हम पंचवर्षीय योजना क्या है, पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य, पंचवर्षीय योजनाएं पंचवर्षीय योजना नोट्स, पंचवर्षीय योजना लिस्ट और पंचवर्षीय योजना क्या है इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

पंचवर्षीय योजना क्या है?

सबसे पहले हम ये समझने की कोशिश करेंगे कि पंचवर्षीय योजना क्या है पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य क्या होता है? दरअसल पंच वर्षीय योजना एक ऐसी योजना होती है जिसमे अगले पांच वर्षो के विकास कार्यो का रोडमैप तैयार किया जाता है। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार कृषि, उद्योग, विज्ञान, तकनीकी, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में विकास के लक्ष्यों को निर्धारित करती है और उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतियाँ बनाती है।

पंचवर्षीय योजनाओं का इतिहास

पंच वर्षीय योजना के विचार को 1940 और 1950 के दशकों में पूरी दुनिया में महत्व मिला। भारत में 1944 में उद्योगपतियों के एक समूह ने ‘बॉम्बे प्लान’ तैयार किया, जिसमें भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था की स्थापना की बात की गई थी। हालाँकि भारत में पहली पंच वर्षीय योजना स्वतंत्रता के बाद 1951 में लागू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना और आधारभूत संरचना का विकास करना था। इसके बाद से अब तक कुल बारह पंच वर्षीय योजनाएं बनाई जा चुकी है।

पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य

पंच वर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना है। इन योजनाओं के कुछ मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • आर्थिक और सामाजिक विकास
    • पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना और समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाना है। इसमें रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन, और समृद्धि बढ़ाने के लिए नीतियाँ बनाई जाती हैं।
  • बुनियादी ढांचे का विकास
    • पंच वर्षीय योजनाओं के तहत सड़कों, पुलों, बांधों, रेलवे, बिजली, और पानी की सुविधाओं का विकास किया जाता है। इससे देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जाता है और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
  • विज्ञान और तकनीकी प्रगति
    • विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में प्रगति करना भी पंच वर्षीय योजनाओं का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इसके तहत अनुसंधान और विकास, नई तकनीकी का उपयोग, और विज्ञान के क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • मानव संसाधन का विकास
    • मानव संसाधन का विकास पंच वर्षीय योजनाओं का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, और कौशल विकास के कार्यक्रम चलाए जाते हैं ताकि मानव संसाधनों की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके और उन्हें राष्ट्र निर्माण में शामिल किया जा सके।

पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियाँ

योजना का नामअवधिमुख्य उद्देश्यप्रमुख उपलब्धियाँ
पहली पंच वर्षीय योजना1951-1956कृषि का विकासखाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि
दूसरी पंचवर्षीय योजना1956-1961औद्योगिक विकासभारी उद्योगों की स्थापना
तीसरी पंच वर्षीय योजना1961-1966आत्मनिर्भरताखाद्य सुरक्षा में सुधार
चौथी पंचवर्षीय योजना1969-1974गरीबी उन्मूलनहरित क्रांति की शुरुआत
पांचवीं पंच वर्षीय योजना1974-1979गरीबी उन्मूलन और आत्मनिर्भरतागरीबी रेखा से नीचे के लोगों की संख्या में कमी
छठी पंचवर्षीय योजना1980-1985रोजगार सृजनराष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम
(NREGP) की शुरुआत
सातवीं पंच वर्षीय योजना1985-1990उत्पादकता और रोजगारशिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
आठवीं पंचवर्षीय योजना1992-1997मानव संसाधन का विकासआर्थिक सुधारों की शुरुआत
नौवीं पंच वर्षीय योजना1997-2002सामाजिक न्याय और समानतासामाजिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना
दसवीं पंचवर्षीय योजना2002-2007विकास दर में वृद्धिशिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
ग्यारहवीं पंच वर्षीय योजना2007-2012समावेशी विकासरोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन
बारहवीं पंचवर्षीय योजना2012-2017तेज और समावेशी विकाससतत विकास और पर्यावरण संरक्षण

पंचवर्षीय योजनाओं की सूची और विशेषताएँ

प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956)

नेतृत्व- जवाहरलाल नेहरू

  • इस पहली पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य भारत आर्थिक विकास था।
  • इस योजना का मुख्य ध्यान कृषि क्षेत्र पर था, जिसमें बाँधों और सिंचाई में निवेश शामिल था।
  • भाखड़ा नंगल बाँध के लिए भारी आवंटन किया गया।
  • यह योजना हैरोड डोमर मॉडल पर आधारित था और इसने बचत बढ़ाने पर जोर दिया।
  • 1956 के अंत तक पाँच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए गए।
  • लक्षित वृद्धि दर 2.1% थी, जबकि प्राप्त विकास दर 3.6% रही।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961)

नेतृत्व- जवाहरलाल नेहरू

  • इस योजना ने तीव्र औद्योगीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र पर बल दिया।
  • इसकी रूपरेखा पी.सी. महालनोबिस के नेतृत्व में तैयार की गई।
  • त्वरित संरचनात्मक परिवर्तन पर जोर दिया गया।
  • घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात पर शुल्क लगाया गया।
  • लक्षित वृद्धि दर 4.5% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 4.27% रही।

तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-1966)

नेतृत्व- जवाहरलाल नेहरू

  • इस योजना ने कृषि और गेहूँ के उत्पादन में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। राज्यों को विकास संबंधी अतिरिक्त उत्तरदायित्व सौंपे गए।
  • ज़मीनी स्तर तक लोकतंत्र की पहुंच बढ़ाने के लिए पंचायत चुनाव की शुरुआत की गई।
  • लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी, जबकि वास्तविक विकास दर केवल 2.4% रही।
  • योजना अवकाश (1966-69) की घोषणा की गई।

चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-1974)

नेतृत्व- इंदिरा गांधी

  • इसे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया।
  • स्थिरता के साथ विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया।
  • 14 प्रमुख भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • हरित क्रांति ने कृषि को बढ़ावा दिया।
  • सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम (Drought Prone Area Programme) शुरू किया गया।
  • लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 3.6% रही।

पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-1978)

  • इस योजना ने रोजगार बढ़ाने और गरीबी उन्मूलन पर जोर दिया।
  • विद्युत आपूर्ति अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे केंद्र सरकार बिजली उत्पादन और पारेषण में प्रवेश कर सकी।
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रणाली की शुरुआत की गई। न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (Minimum Needs Programme-MNP) शुरू किया गया।
  • लक्षित विकास दर 4.4% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 4.8% रही।
  • वर्ष 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने इस योजना को खारिज कर दिया।

रोलिंग प्लान (1978-1980)

  • यह अस्थिरता का दौर था। जनता पार्टी सरकार ने पाँचवीं पंचवर्षीय योजना को खारिज कर दिया और एक नई छठी पंचवर्षीय योजना प्रस्तुत की।
  • इंदिरा गांधी के पुनः प्रधानमंत्री बनने पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया।
  • रोलिंग प्लान की प्रभावशीलता का मूल्यांकन वार्षिक रूप से किया जाता था।

छठी पंचवर्षीय योजना (1980-1985)

नेतृत्व- इंदिरा गांधी

  • इसने आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की।
  • नेहरूवादी समाजवाद का अंत हुआ।
  • परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया गया।
  • राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक- नाबार्ड की स्थापना की गई।
  • लक्षित विकास दर 5.2% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 5.7% रही।

सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)

नेतृत्व- राजीव गांधी

  • यह योजना प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान प्रस्तुत की गई।
  • प्रौद्योगिकी के उपयोग से औद्योगिक उत्पादकता में सुधार पर जोर दिया गया।
  • गरीबी-विरोधी कार्यक्रमों और आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • लक्षित वृद्धि दर 5.0% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 6.01% रही।

वार्षिक योजनाएँ (1990-1992)

  • आठवीं पंचवर्षीय योजना वर्ष 1990 में शुरू नहीं की गई।
  • आर्थिक अस्थिरता के कारण, भारत ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की शुरुआत की।

आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997)

नेतृत्व- पी.वी. नरसिम्हा राव

  • उद्योगों के आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया।
  • 1 जनवरी, 1995 को भारत WTO का सदस्य बना।
  • जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने, गरीबी कम करने, रोजगार सृजन और बुनियादी ढाँचे के विकास पर जोर दिया।
  • लक्षित वृद्धि दर 5.6% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 6.8% रही।

नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)

नेतृत्व- अटल बिहारी वाजपेयी

  • स्वतंत्रता के पचास वर्षों को चिह्नित किया गया।
  • गरीबी उन्मूलन, सामाजिक क्षेत्रों के लिए समर्थन और तीव्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • लक्षित विकास दर 7.1% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 6.8% रही।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007)

नेतृत्व- अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह

  • समावेशी और समान विकास को बढ़ावा दिया।
  • प्रति वर्ष 8% GDP विकास दर का लक्ष्य रखा।
  • गरीबी को 50% तक कम करना और रोजगार का सृजन करना था।
  • लक्षित विकास दर 8.1% थी, जबकि वास्तविक वृद्धि 7.6% रही।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)

नेतृत्व- मनमोहन सिंह

  • उच्च शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
  • तीव्र और अधिक समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई।
  • पर्यावरणीय स्थिरता और लैंगिक असमानता में कमी लाने पर जोर दिया गया।
  • लक्षित विकास दर 9% थी, जबकि वास्तविक विकास दर 8% रही।

बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017)

नेतृत्व- मनमोहन सिंह

  • तीव्र, अधिक समावेशी और धारणीय विकास” पर ध्यान केंद्रित किया।
  • बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मज़बूत करना और सभी गाँवों को बिजली आपूर्ति प्रदान करना था।
  • स्कूल में प्रवेश के संदर्भ में लैंगिक और सामाजिक अंतराल को दूर करना था।
  • लक्षित वृद्धि दर 9% थी, लेकिन राष्ट्रीय विकास परिषद ने 8% की वृद्धि दर को मंज़ूरी दी।

पंचवर्षीय योजना नोट्स

पंच वर्षीय योजनाओं ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता और असफलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। कुछ योजनाएं अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सफल रहीं, जबकि कुछ योजनाएं विभिन्न कारणों से अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाईं।

योजनाओं की सफलता और असफलताएं

पंच वर्षीय योजनाओं की सफलता और असफलता निम्न है-

सफलताएं

  1. कृषि उत्पादन में वृद्धि: पहली और दूसरी पंच वर्षीय योजनाओं के तहत कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  2. हरित क्रांति: चौथी पंच वर्षीय योजना के दौरान हरित क्रांति की शुरुआत हुई जिससे भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना।
  3. औद्योगिक विकास: दूसरी और तीसरी योजनाओं के दौरान भारी उद्योगों की स्थापना से औद्योगिक क्षेत्र में विकास हुआ।
  4. रोजगार सृजन: छठी और सातवीं योजनाओं के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (NREGP) और अन्य रोजगार सृजन योजनाएं शुरू की गईं।
  5. मानव संसाधन विकास: आठवीं और नौवीं योजनाओं के दौरान शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए।

असफलताएं

  1. वित्तीय संसाधनों की कमी: कई योजनाएं वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाईं।
  2. नीति निर्धारण में समस्याएं: नीति निर्धारण में समस्याओं के कारण कई योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावी नहीं हो पाया।
  3. भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार के कारण कई योजनाएं अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में असफल रहीं।
  4. प्राकृतिक आपदाएं: प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी कई योजनाएं अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकीं।
  5. प्रशासनिक विफलताएं: प्रशासनिक ढांचे की कमजोरियों के कारण भी कई योजनाओं का सफल कार्यान्वयन नहीं हो पाया।

पंचवर्षीय योजनाओं की चुनौतियाँ और सुधार

पंचवर्षीय योजनाओं की चुनौतियाँ कई रही हैं, जैसे कि आर्थिक अस्थिरता, राजनीतिक बाधाएँ, और योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार। सुधारों के तहत, अधिक पारदर्शिता, बेहतर योजना प्रबंधन, और नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है ताकि योजनाओं का सही और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।

योजनाओं की कार्यान्वयन में बाधाएँ

  1. वित्तीय संसाधनों की कमी: योजनाओं के कार्यान्वयन में वित्तीय संसाधनों की कमी एक प्रमुख बाधा होती है। वित्तीय संसाधनों का सही उपयोग और वितरण सुनिश्चित करना आवश्यक होता है।
  2. भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार भी योजनाओं के कार्यान्वयन में एक बड़ी बाधा है। इससे योजनाओं के लक्ष्यों को प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
  3. नीति निर्धारण में समस्याएं: नीति निर्धारण में समस्याओं के कारण भी योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावी नहीं हो पाता।
  4. प्रशासनिक ढांचे की कमजोरियां: प्रशासनिक ढांचे की कमजोरियों के कारण भी कई योजनाओं का सफल कार्यान्वयन नहीं हो पाता।
  5. प्राकृतिक आपदाएं: प्राकृतिक आपदाएं भी योजनाओं के कार्यान्वयन में बाधा डालती हैं।

योजनाओं का वित्तीय प्रबंधन

पंचवर्षीय योजनाओं का वित्तीय प्रबंधन एक महत्वपूर्ण चुनौती होती है। वित्तीय संसाधनों का सही उपयोग और वितरण सुनिश्चित करना आवश्यक होता है ताकि योजनाओं के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। वित्तीय प्रबंधन के तहत निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. वित्तीय निगरानी: योजनाओं के लिए वित्तीय संसाधनों की निगरानी और उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत वित्तीय निगरानी तंत्र की आवश्यकता होती है।
  2. पारदर्शिता: वित्तीय संसाधनों के उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक होता है ताकि भ्रष्टाचार को रोका जा सके।
  3. वित्तीय योजना: वित्तीय योजना बनाते समय सभी संभावित वित्तीय संसाधनों का आकलन और उनके सही उपयोग की योजना बनाई जानी चाहिए।
  4. वित्तीय संसाधनों का वितरण: वित्तीय संसाधनों का सही वितरण सुनिश्चित करना आवश्यक होता है ताकि सभी क्षेत्रों को समान रूप से विकास का लाभ मिल सके।
  5. वित्तीय प्रबंधन का प्रशिक्षण: वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में प्रशासनिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना आवश्यक होता है ताकि वे योजनाओं का सही तरीके से प्रबंधन कर सकें।

निष्कर्ष

इस ब्लॉग में हम पंचवर्षीय योजना क्या है, पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य, पंचवर्षीय योजनाएं पंचवर्षीय योजना नोट्स, पंचवर्षीय योजना लिस्ट और पंचवर्षीय योजना क्या है इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

पंचवर्षीय योजनाएं भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनके माध्यम से देश ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालांकि, इन योजनाओं की सफलता के लिए सही नीति निर्धारण, वित्तीय प्रबंधन, और निगरानी तंत्र की आवश्यकता होती है। पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर बनाने और समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने की दिशा में निरंतर प्रयास करना आवश्यक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत में पंचवर्षीय योजनाएं कितनी हैं?

भारत में अब तक कुल 12 पंच-वर्षीय योजनाएं लागू की गई हैं। जिनमें से अंतिम 2012-2017 थी।

पंच-वर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?

पंच-वर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश के आर्थिक विकास को गति देना था। इन योजनाओं के माध्यम से देश में उद्योगों का विकास, कृषि उत्पादन बढ़ाना, बेरोजगारी कम करना, गरीबी दूर करना और देश को आत्मनिर्भर बनाना जैसे लक्ष्य निर्धारित किए गए थे।

सबसे सफल पंचवर्षीय योजना कौन सी थी?

प्रथम, तीसरी और छठी पंच-वर्षीय योजनाएं अपने समय में काफी सफल मानी जाती थीं।

13वीं पंचवर्षीय योजना क्या है?

भारत में अभी तक 12 पंचव-र्षीय योजनाएं लागू की गई हैं। 13वीं पंच-वर्षीय योजना अभी तक लागू नहीं हुई है।

प्रथम पंचवर्षीय योजना के जनक कौन थे?

प्रथम भारतीय प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने भारत की संसद को पहली पंच-वर्षीय योजना प्रस्तुत की थी।

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