gst kya hai

GST Kya Hai: भारत में GST के प्रकार

Published on April 16, 2025
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gst kya hai

Quick Summary

  • जीएसटी ने भारत में कई अप्रत्यक्ष करों को एकल कर में बदल दिया, जिससे कर प्रणाली सरल हो गई।
  • जीएसटी व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की सुविधा है, जिससे कारोबारियों को पहले चरण में चुकाए गए कर को बाद के चरण में छूट के रूप में मिलता है।
  • जीएसटी एक मल्टी-लेवल टैक्स है, जिसका मतलब है कि हर बार जब कोई वस्तु या सेवा का मूल्य बढ़ता है, तो उस पर जीएसटी लगता है।
  • जीएसटी की विभिन्न दरें हैं, जैसे 0%, 5%, 12%, 18% और 28%, जो वस्तुओं और सेवाओं की श्रेणी के आधार पर लागू होती हैं।

Table of Contents

GST Kya Hai? भारत में GST, यानी वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax), एक ऐसा कर प्रणाली है जिसने भारत के अप्रत्यक्ष करों के ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया है। GST के लागू होने से पहले, केंद्र और राज्य स्तर पर कई प्रकार के कर लगाए जाते थे, जैसे कि वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, इत्यादि। इस कर को एकीकृत कर पूरे देश में समान रूप से लागू कर दिया गया है ताकि वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता हो सके। इस ब्लॉग में वस्तु एवं सेवा कर, gst in hindi, sgst kya hota hai, जीएसटी(GST in Hindi) रिटर्न क्या है इन सबके बारे में पूरी जानकारी देंगे।

जीएसटी, या वस्तु एवं सेवा कर, एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। यह एक बहु-चरणीय, गंतव्य-आधारित कर प्रणाली है जो प्रत्येक मूल्य संवर्धन पर लागू होता है, और यह वैट, उत्पाद शुल्क, सेवा कर जैसे विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की जगह लेता है।

वस्तु एवं सेवा कर | Goods and Services Tax(GST)

GST kya hai यह एक व्यापक कर प्रणाली है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर एक समान कर लगाया जाता है। भारत में इसे 2017 में लागू किया गया था और इसके तहत सभी अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर दिया गया है। GST ने भारत की वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली में कई सुधार किए हैं जिससे कर का बोझ उपभोक्ताओं पर समान रूप से बनता गया है। यह उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समानता लाने के उद्देश्य से लागू किया गया था।

GST का उद्देश्य(GST kya hai)

GST के लागू होने के पीछे कई महत्वपूर्ण उद्देश्य थे, जिनमें से कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं-

  • एकीकृत कर प्रणाली लागू करना- GST के माध्यम से पूरे भारत में एकीकृत कर प्रणाली लागू की गई है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी उत्पाद पर पूरे देश में एक ही दर से कर लगाया जाए। इससे राज्यों के बीच मूल्य असमानता समाप्त हो गई है, और उपभोक्ताओं को समान मूल्य पर वस्तुएं मिल रही हैं।
  • डबल टैक्सेशन को समाप्त करना- GST ने डबल टैक्सेशन की समस्या को भी समाप्त कर दिया है। पहले एक ही उत्पाद पर विभिन्न चरणों में कर लगाया जाता था, जैसे कि वैट, एक्साइज ड्यूटी आदि। GST के लागू होने से केवल अंतिम मूल्य पर ही कर लगाया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर उत्पाद मिलते हैं और उनके ऊपर कर का बोझ कम हो जाता है।
  • व्यापारिक प्रक्रिया को सरल बनाना- GST ने व्यापारियों के लिए कर अनुपालन की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। अब व्यापारियों को विभिन्न प्रकार के करों के स्थान पर केवल GST का भुगतान करना होता है। इससे कर रिटर्न फाइलिंग, कर दरों की समझ, और कर अदायगी की प्रक्रिया में आसान हो गई है।
  • राजस्व में वृद्धि- GST के आने से टैक्स वसूलने की प्रक्रिया और भी आसान और प्रभावी हो गई है। जिससे सरकार का राजस्व बढ़ा है। इससे सरकार को विकास कार्यों के लिए अधिक वित्तीय संसाधन मिल रहे हैं और यह भी सुनिश्चित हो रहा है कि करों की चोरी को रोका जा सके।

GST kya hai? GST in hindi

GST भारत में एक विशेष प्रकार का कर है, जिसे चार मुख्य प्रकारों में विभाजित किया गया है। इनका वर्गीकरण इस आधार पर किया गया है कि कौन-सा कर किसे भुगतान करना है और किस राज्य में इसे लागू करना है।

GST kya hai? जीएसटी(GST in Hindi) कितने प्रकार के होते हैं?

भारत में GST के चार प्रमुख प्रकार होते हैं, जिन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है:

  • CGST (Central Goods and Services Tax)- CGST केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया कर है। यह तब लागू होता है जब कोई वस्तु या सेवा एक ही राज्य में उत्पादित और इस्तेमाल होती है। इसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार को राजस्व प्राप्त करना है और यह राज्य स्तर पर लागू किए गए SGST के साथ लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि दिल्ली में एक व्यवसायी एक ग्राहक को कोई वस्तु बेचता है, तो उस पर CGST के साथ-साथ SGST भी लागू होता है।
  • SGST (State Goods and Services Tax)- sgst kya hota hai? SGST राज्य सरकार द्वारा लगाया गया कर है। यह भी तब लागू होता है जब वस्तु या सेवा का उत्पादन और उपभोग एक ही राज्य में होता है। उदाहरण के लिए, अगर उत्तर प्रदेश में एक व्यापारी कोई वस्तु बेचता है, तो उस पर राज्य सरकार SGST लगाएगी। इस तरह, राज्य सरकार को अपने हिस्से का राजस्व प्राप्त होता है।
  • IGST (Integrated Goods and Services Tax)- IGST तब लागू होता है जब एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तु या सेवा भेजी जाती है। यह केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया जाता है और इसका उद्देश्य अंतरराज्यीय व्यापार को सुगम बनाना और कर असमानता को समाप्त करना है। उदाहरण के लिए, अगर महाराष्ट्र से कोई उत्पाद तमिलनाडु भेजा जाता है, तो इस पर IGST लगाया जाएगा।
  • UTGST (Union Territory Goods and Services Tax)- UTGST उन वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है जो केंद्र शासित प्रदेशों में वितरित होती हैं। यह SGST की जगह पर लागू किया जाता है क्योंकि केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य सरकार का शासन नहीं होता है। उदाहरण के लिए, अगर लक्षद्वीप में किसी वस्तु की बिक्री होती है, तो उस पर UTGST लागू किया जाएगा।

जीएसटी का इतिहास | History of GST

2000 में, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने वस्तु एवं सेवा कर की अवधारणा पेश की। उन्होंने नए अप्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति भी बनाई।

हालांकि, इसके कार्यान्वयन में 17 साल और लग गए। इस बीच, बिल कई बार पेश किया गया, संशोधन किए गए और पुनर्निर्धारित किया गया।

  • 2000 – भारत के लिए वस्तु एवं सेवा कर कानून का मसौदा तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा समिति गठित की गई।
  • 2004 – एक टास्क फोर्स ने इस कानून को लागू करने और भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता बताई।
  • 2006 – भारत के वित्त मंत्री द्वारा 1 अप्रैल 2010 को वस्तु एवं सेवा कर की शुरूआत निर्धारित की गई।
  • 2007 – केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का निर्णय। परिणामस्वरूप, सीएसटी की दरें 4% से घटाकर 3% कर दी गईं।
  • 2008 – जीएसटी की दोहरी संरचना को अलग कानून और लेवी के लिए चुनाव आयोग द्वारा अंतिम रूप दिया गया।
  • 2010 – संरचनात्मक और कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं के कारण जीएसटी की शुरूआत स्थगित। वाणिज्यिक करों के कम्प्यूटरीकरण के लिए एक परियोजना शुरू की गई।
  • 2011 – वस्तु एवं सेवा कर कानून को सक्षम बनाने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया।
  • 2012 – स्थायी समिति द्वारा कर के बारे में चर्चा शुरू की गई; खंड 279बी के बारे में स्पष्टता की कमी के कारण रुकी हुई।
  • 2013 – स्थायी समिति द्वारा जीएसटी की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
  • 2014 – भारत के वित्त मंत्री ने वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को संसद में फिर से पेश किया।
  • 2015 – लोकसभा ने विधेयक को मंजूरी दे दी, लेकिन यह राज्यसभा में अटका रहा।
  • 2016 – वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) शुरू हुआ। कानून का संशोधित मॉडल संसद के दोनों सदनों में पारित हुआ और भारत के राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिली।
  • 2017 – कैबिनेट ने जीएसटी पर चार पूरक विधेयकों को मंजूरी दी, जिन्हें लोकसभा और राज्यसभा ने मंजूरी दी थी। वस्तु एवं सेवा कर कानून 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया।

GST भुगतान से छूट दी गई वस्तुएं

gst kya hai? इस प्रणाली में कुछ वस्तुओं को छूट प्रदान की गई है। इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कम रखना और आम लोगों को आर्थिक रूप से सहारा देना है। GST से छूट प्राप्त वस्तुओं में शामिल हैं:

  • कच्ची खाद्य सामग्री – रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं जैसे गेहूं, चावल, दालें, फल और सब्जियां GST से मुक्त रखी गई हैं। यह छूट इसलिए है ताकि आम लोगों के लिए इन आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर कोई अतिरिक्त भार न पड़े।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं- शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को GST से छूट दी गई है। इससे समाज के हर वर्ग को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो सकेंगी और उनकी कीमतें भी सामान्य रहेंगी।
  • मेडिकल उपकरण और जीवन रक्षक दवाइयाँ- कुछ मेडिकल उपकरण और जीवन रक्षक दवाइयों को GST से छूट प्राप्त है। इसका उद्देश्य है कि चिकित्सा सेवा से जुड़े उपकरण और दवाइयों की कीमतें नियंत्रित रहे ताकि आम जनता इनका लाभ ले सके।
  • कृषि से जुड़े उत्पाद- कृषि क्षेत्र से जुड़े उपकरण, खाद, बीज आदि पर GST से छूट प्रदान की गई है। इससे किसानों को आर्थिक रूप से सहायता मिलती है और कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलता है।

2024 में जीएसटी(GST in Hindi) दरें

2024 में GST दरें विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के आधार पर अलग-अलग निर्धारित की गई हैं। ये दरें सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के अनुसार तय की गई हैं। नीचे दी गई GST दरें वस्तुओं और सेवाओं पर लागू की जाती हैं:

0% जीएसटी दर पर कर लगाने वाली वस्तुओं की सूची-

उत्पादजीएसटी दर (GST in Hindi)
दूध0%
काजल0%
अंडे0%
शैक्षणिक सेवाएं0%
दही0%
लस्सी0%
स्वास्थ्य सेवाएं0%
बच्चों की ड्राइंग और भरने वाली किताबें0%
अनपैक्ड फूड0%
अनपैक्ड आटा /मैदा0%
अनपैक्ड पनीर0%
गुड़0%
बेसन0%
ताजी सब्जियां0%
बिना ब्रांड वाला प्राकृतिक शहद0%
नमक0%
प्रसाद0%
बाल्मिक गुड़0%
फूल भरी झाड़ू0%
GST kya hai

5% जीएसटी दर पर कर लगाने वाली वस्तुओं की सूची-

उत्पादजीएसटी दर (GST in Hindi)
चीनी5%
पैक्ड पनीर5%
चाय5%
कोयला5%
खाद्य तेल5%
किशमिश5%
घरेलू एलपीजी5%
भूनी हुई कॉफी बींस5%
मलाई उतरे दूध का चूर्ण5%
काजू5%
जूते (<रू 500)5%
शिशुओं का दूध युक्त भोजन5%
परिधान (<रू 1000)5%
कपड़ा5%
कॉयर मैट5%
चटाई और फर्श कवरिंग मसाले5%
अगरबत्ती5%
जीवन रक्षक दवाइयां5%
मिठाई (भारतीय)5%
कॉफी (इंस्टेंट छोड़ कर)5%

12% जीएसटी दर पर कर योग्य वस्तुओं की सूची-

उत्पादजीएसटी दर (GST in Hindi)
मक्खन12%
घी12%
बना हुआ खाना12%
बादाम12%
फल12%
सब्जी की तैयारी12%
मोबाइल12%
फलों का रस12%
मेवे या पौधों के अन्य भाग12%
छाता12%
जेली12%
जैम12%
चटनी12%
पैक्ड नारियल पानी12%

18% जीएसटी दर पर कर योग्य वस्तुओं की सूची-

उत्पादजीएसटी दर (GST in Hindi)
साबुन18%
कपड़ा18%
बालों का तेल18%
टूथपेस्ट18%
पूंजीगत माल18%
साबुन18%
औद्योगिक मध्यस्थआईटीआई18%
भुट्टा18%
पास्ता18%
टॉयलेटरीज़18%
आइस क्रीम18%
सूप18%
प्रिंटर18%
कंप्यूटर18%
फ्रिज और वाशिंग मशीन18%

28% जीएसटी दर पर कर योग्य वस्तुओं की सूची-

उत्पादजीएसटी दर (GST in Hindi)
उच्च श्रेणी के मोटरसाइकिल (+15%उपकर)28%
छोटी कार (+1 % या 3% उपकर)28%
बीएमडब्ल्यू28%
सिगरेट28%
एयर कंडीशनर28%

3% जीएसटी दर पर कर लगाने वाली वस्तुओं की सूची-

उत्पादजीएसटी दर (GST in Hindi)
बहुमूल्य धातु से बनी वस्तुएं बहुमूल्य धातु से लिपट वस्तुएं3%
प्राकृतिक मोती या संवर्धित मोती, चाहे वे काम किए गए हों या वर्गीकृत किए गए हों या नहीं, लेकिन पिरोए, लगाए या सेट नहीं किए गए हों; या परिवहन की सुविधा के लिए अस्थायी रूप से पिरोए गए हों3%
हीरे, चाहे वे काम किए गए हों या नहीं, लेकिन जड़े या जड़े नहीं गए हों (गैर-औद्योगिक को छोड़कर)3%
बहुमूल्य पत्थर (हीरे के अलावा) और अर्द्ध-कीमती पत्थर3%
चाँदी3%
सोना3%
बहुमूल्य धातु या बहुमूल्य धातु से लिपटी धातु का अपशिष्ट और स्क्रैप3%

0.25% जीएसटी दर पर कर लगाने वाली वस्तुओं की सूची-

उत्पादजीएसटी दर (GST in Hindi)
गैर-औद्योगिक हीरे0.25%
बिना काम किए हुए कीमती/अर्द्ध कीमती पत्थर0.25%
सिंथेटिक या पुनर्निर्मित कीमती या अर्ध-कीमती पत्थर0.25%

जीएसटी रिटर्न क्या है?

GST रिटर्न एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें व्यापारी अपने व्यापार से जुड़े लेन-देन और कर भुगतान की जानकारी देते हैं। GST प्रणाली में रिटर्न दाखिल करना जरूरी है क्योंकि इससे सरकार को यह समझने में मदद मिलती है कि किस व्यापारी ने कितना कर चुकाया है और उसके व्यापार में क्या-क्या गतिविधियाँ हो रही हैं। रिटर्न दाखिल करने से टैक्स संग्रह की प्रक्रिया में पारदर्शिता आती है और इससे टैक्स चोरी को रोकने में भी मदद मिलती है।

आइए इन रिटर्न के प्रकारों के बारे में आसान भाषा में समझते हैं:

GSTR फॉर्म्स का विस्तृत विवरण

  • GSTR-1: आउटवर्ड सप्लाई का ब्यौरा- GSTR-1 फॉर्म में व्यापारी द्वारा की गई सभी आउटवर्ड सप्लाई यानी बेची गई वस्तुओं और सेवाओं का विस्तृत ब्यौरा दर्ज किया जाता है। यह फॉर्म मासिक आधार पर भरा जाता है GSTR-1 में दर्ज की गई जानकारी, उनके खरीददारों के GSTR-2A में भी रिफ्लेक्ट होती है, जिससे इनवॉइस और लेन-देन के रिकॉर्ड में समानता बनी रहती है।
  • GSTR-2A: इनवर्ड सप्लाई का विवरण (ऑटोमेटिक फॉर्म)- GSTR-2A एक ऑटोमेटिक रूप से जनरेट होने वाला फॉर्म है जो किसी व्यापारी के पास आने वाली वस्तुओं और सेवाओं का विवरण दिखाता है। इसमें उस व्यापारिक लेन-देन का रिकॉर्ड होता है जो विक्रेता ने GSTR-1 में भरा है और वह इनवॉइस ऑटोमेटिक तरीके से प्राप्तकर्ता के GSTR-2A में दिखता है।
  • GSTR-3B: मासिक संक्षिप्त रिटर्न- GSTR-3B एक मासिक फॉर्म है जिसमें व्यापारी को अपने आउटवर्ड और इनवर्ड सप्लाई का संक्षिप्त ब्यौरा देना होता है। इसमें कुल बिक्री, खरीद, आउटपुट टैक्स और इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का विवरण शामिल होता है। GSTR-3B को समय पर भरना और टैक्स जमा करना अनिवार्य होता है, अन्यथा पेनल्टी और ब्याज देना पड़ सकता है।
  • GSTR-9: वार्षिक रिटर्न- GSTR-9 एक वार्षिक रिटर्न फॉर्म है जिसे हर वित्तीय वर्ष के अंत में भरा जाना अनिवार्य होता है। इसमें पूरे साल के लेन-देन, टैक्स भुगतान, और इनपुट टैक्स क्रेडिट का संपूर्ण ब्यौरा शामिल होता है। GSTR-9 को दाखिल करना एक जरूरी प्रक्रिया है, जिससे व्यापारी के कर रिकॉर्ड पूरे और सही रहें और सरकार के पास सटीक सालाना आंकड़े जमा हो सकें।

इन सभी GSTR फॉर्म्स का सही और समय पर दाखिल होना आवश्यक है ताकि व्यापारी जान सकें gst kya hai और इससे जुड़े नियमों का पालन कर सकें और व्यापारिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनाए रख सकें।

GST लाभ और हानि

GST के कई लाभ हैं, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं:

GST के लाभ:

  • एकीकृत कर प्रणाली- GST ने देशभर में एक समान कर प्रणाली लागू कर दी है, जिससे सभी राज्यों में एक जैसा कर नियम लागू होता है। पहले, हर राज्य में अलग-अलग कर लागू होते थे, जिससे सामान की कीमतें हर राज्य में भिन्न होती थीं। GST ने इस समस्या का समाधान किया है, जिससे उपभोक्ताओं को देशभर में एक समान कीमत पर वस्तुएं मिलती हैं। इस कदम से व्यापारिक प्रक्रिया भी सरल और पारदर्शी हुई है।
  • डबल टैक्सेशन समाप्त- GST से पहले, किसी वस्तु या सेवा पर कई स्तरों पर कर लगाया जाता था जैसे उत्पादन, बिक्री और वितरण। इससे वस्तुओं पर डबल टैक्स का बोझ बढ़ जाता था, जो अंततः उपभोक्ता को अधिक कीमत चुकाने पर मजबूर करता था। GST ने इस व्यवस्था को सरल कर दिया है, जहां एक ही कर प्रणाली लागू होती है, जिससे उपभोक्ताओं पर से अतिरिक्त बोझ कम हुआ है।
  • काले धन पर रोक- GST लागू होने के बाद व्यापारिक गतिविधियों और लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ी है। GST पोर्टल के माध्यम से हर लेनदेन की रिकॉर्डिंग होती है, जिससे कर चुकाने में बेईमानी करना कठिन हो गया है। इस व्यवस्था ने कर चोरी और काले धन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पारदर्शिता बढ़ने से देश की आर्थिक व्यवस्था पर सकारात्मक असर हुआ है।
  • व्यवसाय में आसान प्रक्रिया- GST के कारण व्यापारियों के लिए कर अनुपालन की प्रक्रिया पहले से आसान हो गई है। पहले व्यापारियों को कई अलग-अलग करों का भुगतान करना पड़ता था और कई तरह के दस्तावेजों को संभालना पड़ता था। GST में व्यापारियों को एक ही रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है और एक ही कर का भुगतान करना होता है, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है। इसका विशेष लाभ छोटे और मध्यम उद्योगों को मिला है, जो अब अधिक सुगमता से अपने व्यापार को बढ़ा सकते हैं।

इस प्रकार, GST ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया दृष्टिकोण दिया है, जिससे न केवल उपभोक्ता बल्कि व्यापारी और सरकार सभी लाभान्वित हुए हैं।

GST की हानियाँ:

  • व्यापारियों पर अतिरिक्त बोझ- GST प्रणाली के अंतर्गत सभी व्यापारियों को प्रत्येक लेन-देन का रिकॉर्ड रखना और नियमित रूप से ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करना होता है। छोटे व्यापारियों के लिए यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली हो सकती है, क्योंकि उनके पास अक्सर तकनीकी संसाधनों और अनुभव की कमी होती है। उन्हें हर महीने जीएसटी रिटर्न दाखिल करना होता है, जो उनके लिए समय और खर्च दोनों की दृष्टि से भारी साबित हो सकता है। इस कारण कई छोटे व्यापारी इसे एक अतिरिक्त बोझ के रूप में देखते हैं।
  • कर दरों का बढ़ना- कुछ उत्पादों और सेवाओं पर GST की दरें काफी ऊंची हैं, जिससे उनकी कीमतें बढ़ गई हैं। उदाहरण के लिए, कुछ आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर 18% से 28% तक की दरें लगाई गई हैं, जिससे उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। इससे उन वस्तुओं की मांग पर भी असर पड़ता है और छोटे व्यवसायों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है। इन उच्च दरों से छोटे उद्योग और उपभोक्ता दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • नियमों का जटिल होना- GST के अंतर्गत कई अलग-अलग दरें और नियम हैं, जिन्हें समझना छोटे व्यापारियों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। इसमें विभिन्न स्लैब्स और अनुपालन की आवश्यकताएं हैं, जो जटिलता को बढ़ाती हैं। छोटे व्यापारी, जो आमतौर पर बड़ी टीम या पेशेवर सहायता के बिना काम करते हैं, इन्हें समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। नियमों के लगातार बदलने के कारण भी उन्हें अतिरिक्त मेहनत और समय देना पड़ता है, जो उनके व्यवसाय को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

GST ने भारत में कर प्रणाली को नया रूप दिया है, जिससे व्यापारिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और समानता आई है। हालांकि, GST प्रणाली को और भी सुधारने की आवश्यकता है ताकि यह सभी व्यापारियों के लिए अधिक सरल और लाभकारी हो सके। व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए यह प्रणाली अधिक प्रभावी बन सके, इसके लिए GST दरों, छूटों, और प्रक्रियाओं में सुधार की जरूरत है। इस ब्लॉग में gst kya hai, gst in hindi, sgst kya hota hai, जीएसटी रिटर्न क्या है, वस्तु एवं सेवा कर के बारे में विस्तार से जाना।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. GST का अर्थ क्या होता है?

जीएसटी (Goods and Services Tax) एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर लगाया जाता है। यह भारत में एक एकीकृत कर प्रणाली है जिसने पहले के कई अप्रत्यक्ष करों को बदल दिया है।

2. GST कब देना पड़ता है?

जीएसटी कब देना पड़ता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस श्रेणी में आते हैं। नीचे दिए गए पेशे में GST देना अनिवार्य होता है:

व्यापारी
उत्पादक
सेवा प्रदाता
ई-कॉमर्स विक्रेता

3. GST के कितने प्रकार हैं?

भारत में जीएसटी के चार प्रकार हैं:
– एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी),
– राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी),
– केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी),
– और केंद्र शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (यूटीजीएसटी)।

4. 18% जीएसटी में क्या आता है?

18% जीएसटी में आने वाली कुछ प्रमुख वस्तुएं और सेवाएं निम्नलिखित हैं:

इलेक्ट्रॉनिक्स: जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, टेलीविजन आदि पर 18% जीएसटी लागू होता है।
होटल: होटलों में ठहरने पर 18% जीएसटी लगता है।
पेंट: अधिकांश प्रकार के पेंट पर 18% जीएसटी लगता है।
जूते: 500 रुपये से अधिक की कीमत वाले जूतों पर 18% जीएसटी लगता है।
कपड़े: कुछ प्रकार के कपड़ों पर 18% जीएसटी लगता है।
कैपिटल गुड्स: कई तरह के औद्योगिक उपकरण और मशीनरी पर 18% जीएसटी लगता है।
कुछ खाद्य पदार्थ: पास्ता, कॉर्न फ्लैक्स, जैम, सूप, आइसक्रीम आदि पर 18% जीएसटी लगता है।
कुछ सेवाएं: कई तरह की सेवाओं जैसे कि रेस्तरां, ट्रांसपोर्ट, टूर पैकेज आदि पर 18% जीएसटी लगता है।

5. GST का जनक कौन है?

अक्सर अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत में जीएसटी का जनक माना जाता है क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान जीएसटी की नींव रखी गई थी।

GST से आपकी क्या समझ है?

GST, यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। यह एक मल्टी-स्टेज, डेस्टिनेशन-ओरिएंटेड टैक्स है, जो हर मूल्य वृद्धि पर लागू होता है। यह कई अप्रत्यक्ष करों जैसे VAT, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स आदि की जगह लेता है।

जी.एस.टी के तहत लागू नियम क्या हैं?

हर व्यक्ति जो एक वित्तीय वर्ष में 20 लाख रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति करता है (कुछ विशेष राज्यों में यह सीमा 10 लाख रुपये है), उसे अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। यह नियम तब लागू होता है जब टर्नओवर 20 लाख रुपये से अधिक हो (कुछ विशेष राज्यों में यह सीमा 10 लाख रुपये है)।

जीएसटी पंजीकरण किस राशि पर अनिवार्य है?

भारत में, उन व्यवसायों को जीएसटी के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा जिनका वार्षिक कारोबार 40 लाख रुपये (विशेष श्रेणी के राज्यों में 20 लाख रुपये) से अधिक है। जीएसटी पंजीकरण के लिए न्यूनतम टर्नओवर की सीमा वस्तुओं के लिए 40 लाख रुपये या उससे अधिक और सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये या उससे अधिक वार्षिक बिक्री है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.