अटल सेतु

अटल सेतु: भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल

Published on April 21, 2025
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अटल सेतु

Quick Summary

  • अटल सेतु (Mumbai Trans Harbour Link – MTHL) मुंबई के सेवरी से न्हावा शेवा तक फैला हुआ है।
  • यह 21.8 किलोमीटर लंबा पुल भारत का सबसे लंबा समुद्री सेतु है।
  • अटल सेतु का उद्घाटन 12 जनवरी 2024 को किया गया था।
  • पुल का निर्माण मुंबई और नवी मुंबई के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है।

Table of Contents

मुंबई अटल सेतु, मुंबई में स्थित एक महत्वपूर्ण केबल-स्टे पुल है, जो शहर के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है। यह पुल 592 मीटर लंबा है और इसे 24 दिसंबर 2015 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसका नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। यह पुल मुंबई की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया है और आधुनिक इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस पुल का निर्माण सीमा सड़क संगठन, इरकॉन, इन्फिनिटी और एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया है।

अटल सेतु कहाँ है?

अटल सेतु ब्रिज नवी मुंबई को मुंबई सिटी से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण रोल निभाता है और इससे सुविधा में वृद्धि हुई है। पुल ने मुंबई और नवी मुंबई के बीच की दूरी को घटाकर केवल 20 मिनट कर दिया है, जिसमें पहले 2 घंटे लगते थे।

अटल सेतु ब्रिज मुंबई स्थान

अटल सेतु मुंबई और नवी मुंबई को जोड़ता है। यह मुंबई हार्बर के ऊपर बना हुआ है और मुंबई के दक्षिणी हिस्से को नवी मुंबई से जोड़ता है।

  • अटल सेतु ब्रिज मुंबई शहर के दक्षिणी हिस्से से शुरू होता है।
  • यह ब्रिज नवी मुंबई शहर के उत्तरी हिस्से पर खत्म होता है।
  • यह ब्रिज मुंबई हार्बर के ऊपर से गुजरता है, जो कि मुंबई का एक प्रमुख जलमार्ग है।

अटल सेतु की कुल लंबाई कितनी है?

अटल सेतु भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 21.8 किलोमीटर है। इस पुल का निर्माण मुंबई के न्हावा शेवा और चिंचपोकली को जोड़ने के लिए किया गया है। यह पुल समुद्र के ऊपर लगभग 16.5 किलोमीटर और ज़मीन पर लगभग 5.5 किलोमीटर तक फैला हुआ है। अटल सेतु छह लेन वाला है और इसका निर्माण 17,840 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है।

निर्माण और विशेषताएँ 

मापदंड      विवरण
आधिकारिक नामअटल बिहारी वाजपेयी सेवरी-न्हावा शेवा अटल सेतु
टेक्नोलॉजीकंक्रीट-स्टील प्री-कास्ट सेगमेंट वायडक्ट (Concrete-steel pre-cast segment viaduct)
लम्बाई21.8 किलोमीटर (13.5 मील)(पुल: 18,187 मीटर (59,669 फीट))
लेन6 लेन (प्रत्येक दिशा में 3)
चौड़ाई27 मीटर (89 फीट)
ऊंचाई25 मीटर (82 फीट)
पानी की गहराई47 मीटर (154 फीट)
पानी में घाट1,089
निर्माण प्रारंभ24 अप्रैल 2018
निर्माण समाप्तिदिसंबर 2023
निर्माण का समय4 वर्ष 
निर्माण कंपनीलार्सन एंड टूब्रो (L&T)
निर्माणकार्य व्यय₹17,843 करोड़ (US$2.1 बिलियन)
जनता के लिए खुला12 जनवरी 2024
सतह क्षेत्र95,200 वर्ग मीटर
भारत का सबसे लंबा समुद्र पुल
  • सुरक्षा: ब्रिज में एक विशेष सुरक्षा प्रणाली है जो भूकंप और तूफानी हवाओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।
  • अटल सेतु के निर्माण में 177,903 मीट्रिक टन स्टील और 504,253 मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है जो खराब मौसम, तेज हवाओं में भी मजबूती से काम करेगा। 

महत्व

अटल सेतु मुंबई ब्रिज भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण पहलू रखता है। यह ब्रिज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस परियोजना को प्रोत्साहित किया था। यह ब्रिज जनसंख्या की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए निर्मित किया गया है और इसके माध्यम से मुंबई के अगले विकास को बढ़ावा मिलता है।

इस ब्रिज का महत्व विभिन्न पहलुओं में है:

  1. युद्ध और सुरक्षा: अटल सेतु मुंबई ब्रिज भारतीय समुद्री सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संबंध जोड़ता है, क्योंकि इसे वैश्विक युद्ध तथा भारतीय नौसेना की ताकत माना जाता है।
  2. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था: यह ब्रिज भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करता है, क्योंकि यह नाविक संचार और व्यापार को सुगम और लम्बे समय का बनाता है।
  3. पर्यावरणीय पहलू: इसके निर्माण में यह सुनिश्चित किया गया कि प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान किया जाए, जैसे कि जीवविविधता और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा।

अटल सेतु का उद्घाटन कब हुआ?

इस सेतु का उद्घाटन 12 जनवरी 2024 को किया गया, इसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी सेवरी – न्हावा शेवा अटल सेतु’ रखा गया है। इस पुल को बनाने में लगभग ₹ 17,840 करोड़ की लागत लगी है। प्रधानमंत्री जी नरेंद्र मोदी जी ने दिसंबर 2016 में इस पुल का शिलान्यास किया था।

उद्घाटन तिथि

इस सेतु का उद्घाटन 12 जनवरी 2024 को किया गया था। 

उद्घाटनकर्ता

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस सेतु का उद्घाटन किया था।

अटल सेतु मार्ग

  • अटल सेतु मार्ग 21.8 किलोमीटर लंबी सड़क पुल परियोजना है। 
  • यह सेतु मुंबई और नवी मुंबई को जोड़ती है। 
  • यह सेतु भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है। 
  • यह दुनिया का 12वां सबसे लंबा समुद्री पुल भी है। 
  • अटल सेतु ब्रिज 6 लेन का ब्रिज है। 
  • अटल सेतु यातायात जाम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • इस मार्ग का मुख्य उद्देश्य भारतीय राज्यों के बीच सम्बन्धों को मजबूत करना और राज्यों के विकास को गति देना है।

मार्ग विवरण

यह सेतु, जिसे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) भी कहा जाता है, का मार्ग 21.8 किमी लंबा है। यह सेवरी में शुरू होकर नवी मुंबई के चिरले तक जाता है। इस पुल का एक हिस्सा 16.5 किमी समुद्र के ऊपर और 5.5 किमी भूमि पर है। पुल पर एक 8.5 किमी लंबा नॉइज बैरियर भी बनाया गया है क्योंकि यह फ्लेमिंगो प्रोटेक्टेड एरिया और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पास से गुजरता है।

यात्रा का समय

अटल सेतु के माध्यम से यात्रा का समय पहले की तुलना में काफी कम हो गया है। पहले जहां यह यात्रा 45 मिनट से 1 घंटे तक लगती थी, अब यह केवल 20-25 मिनट में पूरी हो जाती है।

अटल सेतु के फायदे 

यह ब्रिज, जो कि अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित है, मुंबई का एक महत्वपूर्ण अभिकल्प है। 

  1. यह ब्रिज महाराष्ट्र के प्रमुख व्यापारिक और वित्तीय केंद्रों में से एक है। यह ब्रिज मुंबई के संचार को बेहतर बनाने में मदद करता है, और व्यापार, नौकरियां, और अन्य सोशल और आर्थिक गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
  2. अटल सेतु सड़क यातायात को भी बढ़ावा देता है, जिससे लोगों के लिए यातायात काफी आसान होता है और दोनों मुंबई शहर और नवी मुंबई के बीच का संचार तेजी से हो सकता है। 
  3. इसका निर्माण नवीनतम इंजीनियरिंग और यांत्रिकी की तकनीकों का प्रयोग करते हुए किया गया है, जिससे इसकी स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखी गई है।
  4. अटल सेतु ब्रिज ने मुंबई के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उसके साथ ही साथ महाराष्ट्र राज्य की अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन दिया है।
  5. इस सेतु के निर्माण में आईसोलेशन बियरिंग का इस्तेमाल किया गया है जो  6.5 रिक्टर स्केल के भूकंप का झठका भी सहन कर सकता है।
  6. हर दिन 70,000 वाहनों के गुजरने की उम्मीद है जिसके बावजूद भी यह पुल मजबूती लिए खड़ा रहेगा। 
  7. अटल सेतु के द्वारा संचार और परिवहन के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होता है, जो देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  8. इससे यातायात का समय कम होता है, जिससे वाहनों का उपयोग कम होता है और वायु प्रदूषण में भी कमी आती है।
  9. इको फ्रेंडली लाइटिंग के इस्तेमाल से समुदी जीवन पर कोई बुरा असर नहीं होगा। 
  10. इलेक्ट्रोनिक टोल कलेक्शन मॉडर्न सिस्टम से ऑटोमैटिकली टोल कलेक्ट होगा।
  11. अटल सेतु ने पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है, क्योंकि इसके माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों के नए स्थान और पर्यटन स्थलों की खोज करने में आसानी हो गई है
  12. इस पुल के निर्माण से स्थानीय लोगों को नौकरी के अवसर मिले हैं और साथ ही स्थानीय उत्पादों का विपणन भी बढ़ा है

यातायात सुधार

  • यह सेतु समुद्री यातायात को सुरक्षित और आसान बनाती है, जिससे बढ़ती हुई व्यापारिक गतिविधियों से राष्ट्रीय सुरक्षा में भी सुधार हुआ है।
  • इस सेतु योजना के माध्यम से लोगों को सुरक्षित, तेजी से और आरामदायक यात्रा का अनुभव होगा।
  • अटल सेतु पुल के निर्माण से यातायात में सुधार हुआ है, क्योंकि इससे पूरे क्षेत्र की सम्बद्धता में सुधार हुआ है। 

समय की बचत

  • यह पुल मुंबई और नवी मुंबई के बीच यात्रा का समय काफी कम कर देता है, जिससे लोगों को अपने गंतव्य तक तेजी से पहुंचने में मदद मिलती है।
  • पुल के बनने से मुंबई के अन्य सड़कों पर यातायात का दबाव कम हो गया है।

आर्थिक विकास

  • इस सेतु के निर्माण से पर्यटन उद्योग में वृद्धि हुई है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है। यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है, जिससे स्थानीय व्यवसायों को भी लाभ हुआ है।
  • इस सेतु ने यातायात आर्थिक विकास को गति दी है
  • अटल सेतु ब्रिज को बनाने में लगभग 17,000 मजदूरों और 1,500 इंजीनियरों को रोजगार दिया और परिवहन व निर्माण उद्योगों में रोजगार के अवसर भी पैदा किए।
  • अच्छी सड़क संचार के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास होगा। इससे कृषि उत्पादन की पहुँच में सुधार होगा और लोगों को अधिक बाजार एवं सेवाओं का लाभ मिलेगा।
  • इस सेतु के द्वारा अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों के बीच व्यापार और व्यवसाय की सुविधा में सुधार हुआ है, जिससे राज्यों के आर्थिक विकास में तेजी आई है।

अटल सेतु ब्रिज मुंबई में इस्तेमाल की गई 10 आधुनिक तकनीकियाँ

अटल सेतु, जिसे हम गोवा समुद्री पुल के नाम से भी जानते हैं, भारत का एक बेहतरीन और अत्याधुनिक पुल है। इसका निर्माण न केवल इंजीनियरिंग के उत्कृष्ट मानकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, बल्कि यह हमारे देश में बुनियादी ढांचे की एक नई मिसाल भी प्रस्तुत करता है।

इस समुद्री पुल में उपयोग की गई उन्नत तकनीकियाँ उसकी सुरक्षा, स्थायित्व और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित करती हैं। आइए जानते हैं, अटल सेतु में इस्तेमाल की गई 10 प्रमुख तकनीकियों के बारे में:

1. सस्पेंशन ब्रिज डिजाइन अटल सेतु एक सस्पेंशन ब्रिज है, जिसमें मजबूत तारों और रॉड्स का उपयोग किया गया है। इनकी मदद से समुद्री पुल को अत्यधिक स्थिरता और सहारा मिलता है। यह डिजाइन पुल को भारी यातायात और कठोर मौसम स्थितियों में भी सुरक्षित रखता है, जिससे यह एक मजबूत और भरोसेमंद संरचना बनता है।

2. सिस्मिक और शॉक रेजिस्टेंस पुल को भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए शॉक एब्जॉर्बर और सिस्मिक रेजिस्टेंट संरचनाएँ शामिल की गई हैं। इन तकनीकों का उद्देश्य पुल की स्थिरता बनाए रखना है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में यात्री सुरक्षित रहें और पुल पर कोई असर न पड़े।

3. हाई-टेक लाइटिंग सिस्टम अटल सेतु में स्मार्ट लाइटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया है। यह प्रणाली दिन और मौसम के अनुसार अपनी चमक को स्वचालित रूप से समायोजित करती है। इससे न केवल ऊर्जा की बचत होती है, बल्कि रात के समय दृश्यता में भी वृद्धि होती है, जो यात्रा को और भी सुरक्षित बनाती है।

4. एडवांस्ड ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम अटल सेतु में स्मार्ट ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है। इस प्रणाली में सेंसर और कैमरे शामिल हैं जो ट्रैफिक की गति और घनत्व पर नजर रखते हैं। यह तकनीक ट्रैफिक जाम या दुर्घटनाओं के होने से पहले अधिकारियों को सूचित कर देती है, जिससे त्वरित कार्रवाई की जा सकती है।

5. जियो-टेक्नोलॉजी का उपयोग पुल के निर्माण में जियो-टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान है। यह तकनीक भूमि की स्थिरता और भूवैज्ञानिक संरचनाओं का विश्लेषण करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पुल का आधार मजबूत हो और भविष्य में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित रहे।

6. वाटरप्रूफ और एंटी-कोरोज़न सामग्री पुल के निर्माण में वाटरप्रूफ और एंटी-कोरोज़न सामग्री का प्रयोग किया गया है। इन सामग्रियों से पुल जल से संपर्क में आने पर भी सुरक्षित रहता है और इसमें जंग लगने की संभावना बहुत कम होती है, जिससे यह लंबी उम्र और कम रखरखाव के साथ टिकाऊ बनता है।

7. स्मार्ट ब्रिज मॉनिटरिंग सिस्टम (SBMS) सोचिए अगर पुल को एक “आंख” मिल जाए, जो हमेशा उसकी स्थिति पर नजर रखे। यही काम करता है स्मार्ट ब्रिज मॉनिटरिंग सिस्टम (SBMS)। इस सिस्टम में लगे सेंसर पुल के हर हिस्से पर नज़र रखते हैं — चाहे वह पुल का दबाव हो, उस पर पड़ने वाली ताकत हो, या फिर पुल के किसी भी हिस्से में होने वाला हल्का सा कम्पन। ये सेंसर हर छोटी से छोटी समस्या का पता लगाते हैं और तुरंत उसकी जानकारी इंजीनियरों तक भेजते हैं, ताकि वे समय रहते उस पर कार्रवाई कर सकें। इस तरह, पुल की सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित रहती है और किसी भी समस्या से पहले उसे ठीक किया जा सकता है।

8. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग अटल सेतु न केवल स्मार्ट है, बल्कि यह हरित भी है। इसमें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। यह सिस्टम पुल के सभी लाइट्स और छोटे उपकरणों को चलाने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है, और साथ ही पर्यावरण को नुकसान से भी बचाता है। यह न सिर्फ ऊर्जा बचत करता है, बल्कि इससे पुल की संचालित लागत भी कम होती है, जिससे यह एक सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।

9. ड्रोन सर्वे और निरीक्षण पुल का निरीक्षण करना कभी आसान नहीं होता, लेकिन अब ड्रोन तकनीक ने इसे बहुत सरल बना दिया है। ड्रोन पुल के दूर-दराज हिस्सों की निगरानी करता है और वहां की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेता है। इन तस्वीरों से इंजीनियर आसानी से पुल में किसी भी तरह की दरार, टूट-फूट या खामी का पता लगा सकते हैं। यह पारंपरिक तरीके से कहीं ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित है, क्योंकि इंजीनियरों को पुल पर चढ़कर निरीक्षण करने की जरूरत नहीं पड़ती, और किसी भी खतरे से पहले समस्या का समाधान किया जा सकता है।

अटल सेतु की विशेषताएँ भारत के सबसे अत्याधुनिक पुलों में से एक हैं, जो गोवा में स्थित है। यह पुल सस्पेंशन ब्रिज डिज़ाइन पर आधारित है, जो भारी यातायात और कठोर मौसम स्थितियों के बावजूद उसकी स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

अटल सेतु की विशेषताएँ में स्मार्ट ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम, स्मार्ट लाइटिंग, और सिस्मिक रेजिस्टेंस जैसी तकनीकें शामिल हैं, जो पुल की सुरक्षा को और अधिक बढ़ाती हैं। इसके अलावा, ड्रोन तकनीक का उपयोग पुल की नियमित निगरानी के लिए किया जाता है, जिससे किसी भी खामी का पहले ही पता लगाया जा सकता है।

पुल में नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा का उपयोग भी किया गया है, जो पर्यावरण की रक्षा करता है और संचालन की लागत को कम करता है। इस प्रकार, अटल सेतु ना केवल एक स्मार्ट ब्रिज है, बल्कि यह हरित और सुरक्षित संरचना भी है, जो भविष्य में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आदर्श बन सकती है

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निष्कर्ष

अटल सेतु न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि यह उत्तर भारत के तीन प्रमुख राज्यों – पंजाब, जम्मू और कश्मीर, और हिमाचल प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी को भी सुदृढ़ करता है। इस पुल ने क्षेत्रीय विकास को गति दी है और पर्यटन को बढ़ावा दिया है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हुआ है। अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर समर्पित यह पुल उनके दृष्टिकोण और भारत के विकास में उनके योगदान का प्रतीक है। सीमा सड़क संगठन और अन्य निर्माण कंपनियों के सहयोग से निर्मित, अटल सेतु आधुनिक तकनीक और भारतीय इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता का एक उदाहरण है। यह पुल भविष्य में भी क्षेत्रीय विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत का सबसे लंबा समुद्री सेतु कौन सा है?

भारत का सबसे लंबा समुद्री सेतु मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) है, जिसे अटल सेतु भी कहा जाता है। यह 21.8 किलोमीटर लंबा पुल मुंबई के सेवरी से न्हावा शेवा तक फैला हुआ है और इसका उद्घाटन 12 जनवरी 2024 को हुआ था।

अटल पुल कौन सी नदी पर स्थित है?

अटल पुल, जिसे अटल सेतु भी कहा जाता है, रावी नदी पर स्थित है। यह पुल पठानकोट के पास बशोली (कठुआ) से दुनेरा (पठानकोट) तक फैला हुआ है।

भारत का सबसे बड़ा नदी सेतु कहाँ स्थित है?

भारत का सबसे बड़ा नदी सेतु भूपेन हजारिका सेतु है, जिसे ढोला-सदिया सेतु भी कहा जाता है। यह पुल असम में स्थित है और लोहित नदी को पार करता है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की एक मुख्य उपनदी है।

अटल सेतु कहां से शुरू और खत्म होता है?

अटल सेतु मुंबई में न्हावा शेवा और चिंचपोकली को जोड़ता है। यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है और मुंबई और नवी मुंबई के बीच यात्रा का समय कम करता है।

अटल सेतु की लंबाई कितना किलोमीटर है?

अटल सेतु लगभग 21.8 किलोमीटर लंबा है। यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.