Quick Summary
मुंबई अटल सेतु, मुंबई में स्थित एक महत्वपूर्ण केबल-स्टे पुल है, जो शहर के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है। यह पुल 592 मीटर लंबा है और इसे 24 दिसंबर 2015 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसका नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। यह पुल मुंबई की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया है और आधुनिक इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस पुल का निर्माण सीमा सड़क संगठन, इरकॉन, इन्फिनिटी और एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया है।
अटल सेतु ब्रिज नवी मुंबई को मुंबई सिटी से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण रोल निभाता है और इससे सुविधा में वृद्धि हुई है। पुल ने मुंबई और नवी मुंबई के बीच की दूरी को घटाकर केवल 20 मिनट कर दिया है, जिसमें पहले 2 घंटे लगते थे।
अटल सेतु मुंबई और नवी मुंबई को जोड़ता है। यह मुंबई हार्बर के ऊपर बना हुआ है और मुंबई के दक्षिणी हिस्से को नवी मुंबई से जोड़ता है।
अटल सेतु भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 21.8 किलोमीटर है। इस पुल का निर्माण मुंबई के न्हावा शेवा और चिंचपोकली को जोड़ने के लिए किया गया है। यह पुल समुद्र के ऊपर लगभग 16.5 किलोमीटर और ज़मीन पर लगभग 5.5 किलोमीटर तक फैला हुआ है। अटल सेतु छह लेन वाला है और इसका निर्माण 17,840 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है।
मापदंड | विवरण |
आधिकारिक नाम | अटल बिहारी वाजपेयी सेवरी-न्हावा शेवा अटल सेतु |
टेक्नोलॉजी | कंक्रीट-स्टील प्री-कास्ट सेगमेंट वायडक्ट (Concrete-steel pre-cast segment viaduct) |
लम्बाई | 21.8 किलोमीटर (13.5 मील)(पुल: 18,187 मीटर (59,669 फीट)) |
लेन | 6 लेन (प्रत्येक दिशा में 3) |
चौड़ाई | 27 मीटर (89 फीट) |
ऊंचाई | 25 मीटर (82 फीट) |
पानी की गहराई | 47 मीटर (154 फीट) |
पानी में घाट | 1,089 |
निर्माण प्रारंभ | 24 अप्रैल 2018 |
निर्माण समाप्ति | दिसंबर 2023 |
निर्माण का समय | 4 वर्ष |
निर्माण कंपनी | लार्सन एंड टूब्रो (L&T) |
निर्माणकार्य व्यय | ₹17,843 करोड़ (US$2.1 बिलियन) |
जनता के लिए खुला | 12 जनवरी 2024 |
सतह क्षेत्र | 95,200 वर्ग मीटर |
महत्व
अटल सेतु मुंबई ब्रिज भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण पहलू रखता है। यह ब्रिज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस परियोजना को प्रोत्साहित किया था। यह ब्रिज जनसंख्या की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए निर्मित किया गया है और इसके माध्यम से मुंबई के अगले विकास को बढ़ावा मिलता है।
इस ब्रिज का महत्व विभिन्न पहलुओं में है:
इस सेतु का उद्घाटन 12 जनवरी 2024 को किया गया, इसका नाम अटल बिहारी वाजपेयी सेवरी – न्हावा शेवा अटल सेतु’ रखा गया है। इस पुल को बनाने में लगभग ₹ 17,840 करोड़ की लागत लगी है। प्रधानमंत्री जी नरेंद्र मोदी जी ने दिसंबर 2016 में इस पुल का शिलान्यास किया था।
इस सेतु का उद्घाटन 12 जनवरी 2024 को किया गया था।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस सेतु का उद्घाटन किया था।
यह सेतु, जिसे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) भी कहा जाता है, का मार्ग 21.8 किमी लंबा है। यह सेवरी में शुरू होकर नवी मुंबई के चिरले तक जाता है। इस पुल का एक हिस्सा 16.5 किमी समुद्र के ऊपर और 5.5 किमी भूमि पर है। पुल पर एक 8.5 किमी लंबा नॉइज बैरियर भी बनाया गया है क्योंकि यह फ्लेमिंगो प्रोटेक्टेड एरिया और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पास से गुजरता है।
अटल सेतु के माध्यम से यात्रा का समय पहले की तुलना में काफी कम हो गया है। पहले जहां यह यात्रा 45 मिनट से 1 घंटे तक लगती थी, अब यह केवल 20-25 मिनट में पूरी हो जाती है।
यह ब्रिज, जो कि अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित है, मुंबई का एक महत्वपूर्ण अभिकल्प है।
अटल सेतु, जिसे हम गोवा समुद्री पुल के नाम से भी जानते हैं, भारत का एक बेहतरीन और अत्याधुनिक पुल है। इसका निर्माण न केवल इंजीनियरिंग के उत्कृष्ट मानकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, बल्कि यह हमारे देश में बुनियादी ढांचे की एक नई मिसाल भी प्रस्तुत करता है।
इस समुद्री पुल में उपयोग की गई उन्नत तकनीकियाँ उसकी सुरक्षा, स्थायित्व और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित करती हैं। आइए जानते हैं, अटल सेतु में इस्तेमाल की गई 10 प्रमुख तकनीकियों के बारे में:
1. सस्पेंशन ब्रिज डिजाइन अटल सेतु एक सस्पेंशन ब्रिज है, जिसमें मजबूत तारों और रॉड्स का उपयोग किया गया है। इनकी मदद से समुद्री पुल को अत्यधिक स्थिरता और सहारा मिलता है। यह डिजाइन पुल को भारी यातायात और कठोर मौसम स्थितियों में भी सुरक्षित रखता है, जिससे यह एक मजबूत और भरोसेमंद संरचना बनता है।
2. सिस्मिक और शॉक रेजिस्टेंस पुल को भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए शॉक एब्जॉर्बर और सिस्मिक रेजिस्टेंट संरचनाएँ शामिल की गई हैं। इन तकनीकों का उद्देश्य पुल की स्थिरता बनाए रखना है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में यात्री सुरक्षित रहें और पुल पर कोई असर न पड़े।
3. हाई-टेक लाइटिंग सिस्टम अटल सेतु में स्मार्ट लाइटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया है। यह प्रणाली दिन और मौसम के अनुसार अपनी चमक को स्वचालित रूप से समायोजित करती है। इससे न केवल ऊर्जा की बचत होती है, बल्कि रात के समय दृश्यता में भी वृद्धि होती है, जो यात्रा को और भी सुरक्षित बनाती है।
4. एडवांस्ड ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम अटल सेतु में स्मार्ट ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है। इस प्रणाली में सेंसर और कैमरे शामिल हैं जो ट्रैफिक की गति और घनत्व पर नजर रखते हैं। यह तकनीक ट्रैफिक जाम या दुर्घटनाओं के होने से पहले अधिकारियों को सूचित कर देती है, जिससे त्वरित कार्रवाई की जा सकती है।
5. जियो-टेक्नोलॉजी का उपयोग पुल के निर्माण में जियो-टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान है। यह तकनीक भूमि की स्थिरता और भूवैज्ञानिक संरचनाओं का विश्लेषण करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पुल का आधार मजबूत हो और भविष्य में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित रहे।
6. वाटरप्रूफ और एंटी-कोरोज़न सामग्री पुल के निर्माण में वाटरप्रूफ और एंटी-कोरोज़न सामग्री का प्रयोग किया गया है। इन सामग्रियों से पुल जल से संपर्क में आने पर भी सुरक्षित रहता है और इसमें जंग लगने की संभावना बहुत कम होती है, जिससे यह लंबी उम्र और कम रखरखाव के साथ टिकाऊ बनता है।
7. स्मार्ट ब्रिज मॉनिटरिंग सिस्टम (SBMS) सोचिए अगर पुल को एक “आंख” मिल जाए, जो हमेशा उसकी स्थिति पर नजर रखे। यही काम करता है स्मार्ट ब्रिज मॉनिटरिंग सिस्टम (SBMS)। इस सिस्टम में लगे सेंसर पुल के हर हिस्से पर नज़र रखते हैं — चाहे वह पुल का दबाव हो, उस पर पड़ने वाली ताकत हो, या फिर पुल के किसी भी हिस्से में होने वाला हल्का सा कम्पन। ये सेंसर हर छोटी से छोटी समस्या का पता लगाते हैं और तुरंत उसकी जानकारी इंजीनियरों तक भेजते हैं, ताकि वे समय रहते उस पर कार्रवाई कर सकें। इस तरह, पुल की सुरक्षा हमेशा सुनिश्चित रहती है और किसी भी समस्या से पहले उसे ठीक किया जा सकता है।
8. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग अटल सेतु न केवल स्मार्ट है, बल्कि यह हरित भी है। इसमें सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। यह सिस्टम पुल के सभी लाइट्स और छोटे उपकरणों को चलाने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है, और साथ ही पर्यावरण को नुकसान से भी बचाता है। यह न सिर्फ ऊर्जा बचत करता है, बल्कि इससे पुल की संचालित लागत भी कम होती है, जिससे यह एक सतत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
9. ड्रोन सर्वे और निरीक्षण पुल का निरीक्षण करना कभी आसान नहीं होता, लेकिन अब ड्रोन तकनीक ने इसे बहुत सरल बना दिया है। ड्रोन पुल के दूर-दराज हिस्सों की निगरानी करता है और वहां की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेता है। इन तस्वीरों से इंजीनियर आसानी से पुल में किसी भी तरह की दरार, टूट-फूट या खामी का पता लगा सकते हैं। यह पारंपरिक तरीके से कहीं ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित है, क्योंकि इंजीनियरों को पुल पर चढ़कर निरीक्षण करने की जरूरत नहीं पड़ती, और किसी भी खतरे से पहले समस्या का समाधान किया जा सकता है।
अटल सेतु की विशेषताएँ भारत के सबसे अत्याधुनिक पुलों में से एक हैं, जो गोवा में स्थित है। यह पुल सस्पेंशन ब्रिज डिज़ाइन पर आधारित है, जो भारी यातायात और कठोर मौसम स्थितियों के बावजूद उसकी स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
अटल सेतु की विशेषताएँ में स्मार्ट ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम, स्मार्ट लाइटिंग, और सिस्मिक रेजिस्टेंस जैसी तकनीकें शामिल हैं, जो पुल की सुरक्षा को और अधिक बढ़ाती हैं। इसके अलावा, ड्रोन तकनीक का उपयोग पुल की नियमित निगरानी के लिए किया जाता है, जिससे किसी भी खामी का पहले ही पता लगाया जा सकता है।
पुल में नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा का उपयोग भी किया गया है, जो पर्यावरण की रक्षा करता है और संचालन की लागत को कम करता है। इस प्रकार, अटल सेतु ना केवल एक स्मार्ट ब्रिज है, बल्कि यह हरित और सुरक्षित संरचना भी है, जो भविष्य में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आदर्श बन सकती है
अटल सेतु न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि यह उत्तर भारत के तीन प्रमुख राज्यों – पंजाब, जम्मू और कश्मीर, और हिमाचल प्रदेश के बीच कनेक्टिविटी को भी सुदृढ़ करता है। इस पुल ने क्षेत्रीय विकास को गति दी है और पर्यटन को बढ़ावा दिया है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हुआ है। अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर समर्पित यह पुल उनके दृष्टिकोण और भारत के विकास में उनके योगदान का प्रतीक है। सीमा सड़क संगठन और अन्य निर्माण कंपनियों के सहयोग से निर्मित, अटल सेतु आधुनिक तकनीक और भारतीय इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता का एक उदाहरण है। यह पुल भविष्य में भी क्षेत्रीय विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।
भारत का सबसे लंबा समुद्री सेतु मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) है, जिसे अटल सेतु भी कहा जाता है। यह 21.8 किलोमीटर लंबा पुल मुंबई के सेवरी से न्हावा शेवा तक फैला हुआ है और इसका उद्घाटन 12 जनवरी 2024 को हुआ था।
अटल पुल, जिसे अटल सेतु भी कहा जाता है, रावी नदी पर स्थित है। यह पुल पठानकोट के पास बशोली (कठुआ) से दुनेरा (पठानकोट) तक फैला हुआ है।
भारत का सबसे बड़ा नदी सेतु भूपेन हजारिका सेतु है, जिसे ढोला-सदिया सेतु भी कहा जाता है। यह पुल असम में स्थित है और लोहित नदी को पार करता है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की एक मुख्य उपनदी है।
अटल सेतु मुंबई में न्हावा शेवा और चिंचपोकली को जोड़ता है। यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है और मुंबई और नवी मुंबई के बीच यात्रा का समय कम करता है।
अटल सेतु लगभग 21.8 किलोमीटर लंबा है। यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है।
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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
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