Quick Summary
बारदोली सत्याग्रह गुजरात में एक कर-मुक्त आंदोलन था। इस आंदोलन का नेतृत्व सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था। अगर बात करें बारदोली सत्याग्रह कब हुआ था और बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व किसने किया था? इसका जवाब यह है ये आंदोलन वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में 18 जून 1928 को शुरू हुआ था।
यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम आंदोलन बन गया था। बारदोली सत्याग्रह के दौरान अपने एक भाषण में वल्लभ भाई पटेल ने कहा था, ‘’पूरी दुनिया किसानों पर निर्भर है। संसार का भरण-पोषण किसानों और मजदूरों पर निर्भर है। फिर भी अगर किसी को सबसे ज्यादा कष्ट होता है तो वो ये दोनों ही हैं।’’ ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानों पर बढ़ाए गए कर के विरोध में इस आंदोलन को शुरू किया गया था। इस आंदोलन के दौरान ही महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि दी थी।
बारदोली सत्याग्रह कब हुआ था? और इसका इतिहास को विस्तार से इन बिंदुओं के माध्यम से जान लेते है –
साल 1925 में ब्रिटिश सरकार ने एक अधिकारी की सिफारिश पर पूरे प्रांत में किसानों के कर में 22% का इजाफा कर दिया।
प्रांत के सभी इलाकों में किसानों ने सरकार के इस फरमान को मान लिया लेकिन बारदोली के किसानों ने इस कर बढ़ोतरी का विरोध किया और अधिक कर देने से इंकार कर दिया। कर बढ़ोतरी के विरोध में शुरू में कुछ किसानों ने आंदोलन शुरू किया। बाद में 1928 में किसानों ने अपनी किसानों ने अपनी समस्या को को लेकर वल्लभ भाई पटेल से संपर्क किया।
बात करें सत्याग्रह आंदोलन कब हुआ तो 1925 में बारदोली और पूरे गुजरात में अकाल पड़ा। इस अकाल के कारण किसानों की फसलों की पैदावार मुश्किल से 20% हो पाई। इसी दौरान एम एस जयकर ने सरकार को जानकारी दी कि ताप्ती नदी के किनारे रेलवे लाइन आने के बाद किसानों की आय में वृ्द्धि हुई है, उनके घर पक्के बन रहे हैं और किसानों की आय में भी काफी वृद्धि हुई है जबकि हकीकत इसके विपरीत थी। एम एस जयकर की सिफारिश पर सरकार ने कर में 22% की बढ़ोतरी कर दी। अब सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत हुई।
सत्याग्रह आंदोलन कब हुआ इसकी प्रमुख घटनाओं और गतिविधियों को विस्तार से जानते हैं
घटना | विवरण |
भूमि कर वृद्धि (1927) | प्रांतीय सरकार द्वारा भूमि कर में 22% की वृद्धि। |
किसानों का विरोध (1928 की शुरुआत) | किसानों ने कर वृद्धि के खिलाफ विरोध शुरू किया। |
सरदार वल्लभभाई पटेल का नेतृत्व (फरवरी 1928) | वल्लभभाई पटेल ने आंदोलन का नेतृत्व किया। |
बारदोली किसान सभा की स्थापना | किसानों ने अपने अधिकारों के लिए सभा का गठन किया। |
अहिंसात्मक सत्याग्रह | आंदोलन अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित था। |
महिलाओं की सक्रिय भागीदारी | महिलाओं ने आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। |
सरकारी दमन | सरकार ने आंदोलन को दबाने की कोशिश की। |
आंदोलन की सफलता (1928 के अंत में) | आंदोलन सफल रहा और कर वृद्धि वापस ली गई। |
बारदोली सत्याग्रह के दौरान की जातियों के किसानों के बीच मतभेद थे। इन मतभेदों के बाद सभी एक एक उद्देश्य के लिए आगे आए और साथ मिलकर काम किया। इस आंदोलन में लगभग 80,000 लोगों ने भाग लिया था।
बारदोली सत्याग्रह किसानों की एक स्थानीय समस्या थी लेकिन इसकी बात राष्ट्रीय स्तर पर हुई। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया और यंग इंडिया पत्रिका में इसके बारे में लेख भी लिखा।
बारदोली सत्याग्रह के बाद जो सबसे बड़ा नाम उभरकर आया, वो है सरदार वल्लभ भाई पटेल। इस सत्याग्रह के दौरान बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी। इस आंदोलन के बाद वल्लभ भाई पटेल की प्रतिष्ठा में काफी वृद्धि हुई। अभी तक वल्लभ भाई पटेल को एक बेहतरीन वकील के रूप में जाना जाता था लेकिन इस सत्याग्रह के बाद पटेल एक बड़े नेता के रूप में उभरकर आए।
उन्होंने इस आंदोलन में अपनी नेतृ्त्व करने की क्षमता को दिखाया और जमीनी स्तर पर भी काफी शानदार काम किया। बारदोली सत्याग्रह के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल को देश का एक बड़ा और प्रमुख नेता माना जाने लगा। महात्मा गांधी ने भी उनकी तारीफ की थी।
बारदोली आंदोलन को कर-मुक्त आंदोलन के लिए जाना जाता है लेकिन इस आंदोलन में सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी देखने को मिले।
बारदोली आंदोलन एक एक स्थानीय मुद्दे का आंदोलन था लेकिन इसका प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर पड़ा। आंदोलन को रोकने के लिए सरकार ने किसानों के खिलाफ भूमि की जब्ती के नोटिस जारी किए गए। इस आंदोलन के समर्थन में महात्मा गांधी ने यंग इंडिया पत्रिका में लेख भी लिखा। गांधी जी ने कहा, ‘बारदोली का संघर्ष चाहे जो भी हो यह स्पष्ट रूप से स्वराज की प्रत्यक्ष प्राप्ति के लिए संघर्ष नहीं है।
ऐसा हर जागरण, बारदोली जैसा हर प्रयास स्वराज को करीब लाएगा और करीब ला भी सकता है।’ कांग्रेस के उदारवादी गुट सर्विलांस ऑफ इंडिया सोसाइटी ने सरकार से किसानों की मांगों को सुनने का अनुरोध किया। कई भारतीय नेताओं ने बॉम्बे विधान परिषद से इस्तीफा दे दिया। वहीं बारदोली आंदोलन में उठाए गए मुद्दे पर ब्रिटिश संसद में भी बहस हुई।
बारदोली आंदोलन का परिणाम ये रहा कि अंत में ब्रिटिश सरकार को कर बढ़ोतरी के फैसले की आधिकारिक जांच के लिए मैक्सवेल-ब्रूमफील्ड आयोग का गठन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। समिति ने पाया कि बढ़ी हुई दर अनुचित थी। इसके बाद सरकार ने बढ़ी हुई दर को रद्द कर दिया। साथ ही किसानों की भूमि और संपत्ति को भी लौटा दिया गया।
इस ब्लॉग में हमने जाना सत्याग्रह आंदोलन कब हुआ? बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था। ये एक किसान आंदोलन है। यह आंदोलन एक स्थानीय स्तर का आंदोलन था लेकिन इसका प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर देखा गया। ब्रिटिश सरकार को इसे रोकने के लिए दमनकारी नीति भी अपनानी पड़ी। बारदोली सत्याग्रह ने आजादी के आंदोलन में एक अहम भूमिका निभाई। हालांकि बारदोली सत्याग्रह की कुछ आलोचना भी होती है।
कहा जाता है कि इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर छोटे किसानों की उपेक्षा की गई थी। इस आंदोलन ने किसानों की बुनियादी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। बारदोली सत्याग्रह सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम के लिए सत्याग्रह का प्रयोग करने के लिए किया गया था। आलोचना के बावजूद बारदोली सत्याग्रह एक सफल आंदोलन है और भारत के इतिहास का एक एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
बारडोली सत्याग्रह भारत में किसानों और राष्ट्रवादियों का आंदोलन था, जो औपनिवेशिक सरकार द्वारा किसानों पर बढ़ाए गए कर के खिलाफ था। इस आंदोलन ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी में 22% कर वृद्धि को रद्द करने की मांग की।
1928 में, वल्लभभाई पटेल ने गुजरात के बारडोली तालुका में भू-राजस्व वृद्धि के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व किया। इस संघर्ष को व्यापक प्रचार मिला और भारत के कई हिस्सों में अपार सहानुभूति उत्पन्न हुई।
उत्तर: 1928 में, सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्रता संग्राम के तहत बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसमें उन्होंने बारडोली के किसानों की ओर से अनुचित कर वृद्धि का विरोध किया।
1927 में, स्थानीय कांग्रेस पार्टी ने किसानों के आर्थिक संकट को उजागर करने के लिए एक रिपोर्ट प्रकाशित की, लेकिन बॉम्बे प्रेसीडेंसी सरकार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया। अंततः, सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात के बारडोली में किसानों का यह विरोध बारडोली सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
बारडोली गुजरात का एक प्रसिद्ध गांव है, जो 1928 में हुए बारडोली सत्याग्रह के लिए प्रसिद्ध है। इस आंदोलन की अगुवाई सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी, जिसमें किसानों ने अत्यधिक करों के खिलाफ संघर्ष किया और विजय प्राप्त की। इसे ‘बारडोली की लड़ाई’ भी कहा जाता है, और इसके बाद पटेल को “सौंदर्यपुरुष” (सर्वेसर्वा) की उपाधि मिली।
बारडोली सत्याग्रह में किसानों ने अत्यधिक करों के खिलाफ संगठित विरोध किया। सरदार पटेल की अगुवाई में आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को झुका दिया, जिससे करों की वृद्धि वापस ली गई और किसानों को न्याय मिला।
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