भारतीय पुलिस सेवा (IPS)

September 11, 2024
भारतीय पुलिस सेवा
Quick Summary

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भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) भारत की तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है, जो 1948 में स्थापित की गई थी। आईपीएस अधिकारी राज्य और केंद्र स्तर पर पुलिस बलों को नेतृत्व प्रदान करते हैं। उनका मुख्य कार्य कानून और व्यवस्था बनाए रखना, अपराध की जांच करना, और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। आईपीएस अधिकारी विभिन्न अर्द्धसैनिक बलों जैसे BSF, CISF, CRPF, और NSG में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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भारतीय पुलिस सेवा एक अखिल भारतीय सेवा है, जिसे आम बोलचाल में आईपीएस बोला जाता है। भारत में पुलिस सेवा का जन्म मौर्य शासनकाल में हुआ था। हालांकि, वर्तमान पुलिस सेवा की व्यवस्था, कार्य और कर्तव्य और स्वरूप का जन्म ब्रिटिश शासन काल में हुआ था। आजादी के बाद पुलिस व्यवस्था वही रही लेकिन कार्य और कर्तव्य बदल गए। भारतीय पुलिस सेवा देश की देश के लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण संगठन है। समाज में अपराध से बचाने और लोगों को सुरक्षा और न्याय का देने का काम यही भारतीय पुलिस सेवा करती है।

भारतीय पुलिस सेवा (IPS) क्या है?

भारतीय पुलिस सेवा (IPS) तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है। आईपीएस अधिकारी राज्य और केन्द्र, दोनों स्तरों पर पुलिस बलों और अर्द्धसैनिक बलों( BSF, CISF, CRPF, ITPB, NSG और SSB) को वरिष्ठ स्तर का नेतृत्व प्रदान करते हैं। यह 1948 में ब्रिटिश शासनकालीन इंपीरियल पुलिस सेवा (Imperial Police Service) के स्थान पर स्थापित की गई थी।

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों (IPS Officers) को भारतीय पुलिस बल (Indian Police Force – IPF) में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जाता है, जिसमें:

  • जिला पुलिस अधीक्षक (District Superintendent of Police – DSP), 
  • पुलिस उपमहानिदेशक (Additional Director General of Police – ADGP), 
  • और पुलिस महानिदेशक (Director General of Police – DGP) जैसे शीर्ष पद शामिल हैं।

भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों का प्राथमिक कार्य देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखना और अपराधों को रोकना है। वे अपराधों की जांच करते हैं, आरोपियों पर मुकदमा चलाते हैं, और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

भारतीय पुलिस का इतिहास

भारतीय पुलिस सेवा क्या है और भारतीय पुलिस सेवा की स्थापना कब हुई थी? इस बारे में तो जान लिया। अब भारतीय पुलिस का इतिहास के बारे में विस्तार से बताते हैं।

परिचय

  • प्राचीन भारत के इतिहास को खंगाला जाए तो पुलिस सेवा के रूप में पहले दंडधारी का जिक्र मिलता है। दंडधारी कुछ खास तरह के लोगों के लिए इस्तेमाल होता था, जो जनता की समस्याओं का निदान और फैसले करने में अहम भूमिका निभाते थे।
  • बाद में गांवों के समूह के द्वारा गोप व्यवस्था चलाई गई। इसी तरह नगरीय इलाकों में स्थानिक नाम के अधिकारी होते थे।
  • ग्रामिक और स्थानिक अधिकारियों पर गांव और नगरीय इलाकों में अपराध की रोकथाम की जिम्मेदारी हुआ करती थी।
  • मुगल काल में मुखिया और चौकीदार वजूद में आए। ये अपराध अपराध, अपराधियों की जानकारी रखते थे और सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देते थे।
  • वर्ष 1902-03 में सर एंड्रयू फ्रेजर और लॉर्ड कर्जन के नेतृत्व में एक पुलिस आयोग की स्थापना की गई।
  • पुलिस आयोग ने अधिकारियों के स्तर पर भारतीयों की नियुक्ति की सिफारिश की।
  • वर्ष 1932 में इसका नाम बदलकर केवल भारतीय पुलिस कर दिया गया।
  • आजादी के बाद, वर्ष 1948 में इंपीरियल पुलिस को औपचारिक रूप से भारतीय पुलिस सेवा (IPS) द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।

प्रारंभिक काल

भारतीय पुलिस सेवा के इतिहास के प्रारंभिक काल की बात करें तो मुगलों के पतन के बाद भारत में ब्रिटिश शासन रहा।

  • भारतीय पुलिस सेवा के इतिहास की बात करें तो वारेन हेस्टिंगज नाम के अंग्रेज के दिमाग में पुलिसिंग का विचार आया। नतीजन, साल 1781 तक फौजदारों और चौकीदारों को मिलाकर पुलिस की रूपरेखा बनानी शुरू की गई।
  • लार्ड कार्नवालिस को वर्तमान पुलिस का जन्मदाता माना जाता है। लार्ड कार्नवालिस का मानना था कि अपराध और अपराधियों की रोकथाम के लिए स्थायी पुलिस होनी चाहिए।
  • अंग्रेजों ने पुलिस को ताकतवार और अनुशासित बनाने के लिए वर्ष 1861 में पुलिस एक्ट लागू किया गया था।
  • इसी व्यवस्था के तहत प्रदेश पुलिस का मुखिया पुलिस महानिदेशक होता है। ब्रिटिश काल में पुलिस का सबसे बड़ा पद पुलिस महानिरीक्षक का होता था। 
  • 1893 में पुलिस अधिकारियों की भर्ती की नामांकन प्रणाली को छोड़ दिया गया। पुलिस अधिकारियों की भर्ती के लिए भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा शुरू की गई। यह परीक्षा लंदन में आयोजित की गई।
  • वर्ष 1902-03 में सर एंड्रयू फ्रेजर और लॉर्ड कर्जन के नेतृत्व में एक पुलिस आयोग की स्थापना की गई। आयोग ने अधिकारियों के स्तर पर भारतीयों की नियुक्ति की सिफारिश की।
  • 1907 से अधिकारियों को अपने एपॉलेट पर आईपी अक्षर पहनने का निर्देश दिया गया ताकि वे अपने अधिकारियों से अलग दिख सकें, जिनको राज्य सचिव ने परीक्षा के माध्यम से भर्ती नहीं किया था।
  • 1920 के बाद से भारतीयों को भारतीय इंपीरियल पुलिस का हिस्सा बनने की अनुमति दी गई। इसके लिए परीक्षा लंदन और भारत में आयोजित की गई।

विकास

  • वर्ष 1917 में भारतीय पुलिस सेवा शब्द का उल्लेख पहली बार इस्लिंगटन की एक रिपोर्ट में किया गया था।
  • बाद में 1932 में भारतीय पुलिस सेवा का नाम बदलकर केवल भारतीय पुलिस कर दिया गया।
  • भारत की आजादी के बाद, 1948 में इंपीरियल पुलिस को औपचारिक रूप से भारतीय पुलिस सेवा ( आईपीएस) प्रतिस्थापित कर दिया गया।
  • इसके बाद 1975-77 के आपातकालीन दौर में राष्ट्रीय पुलिस आयोग की स्थापना की गई थी। इस संबंध में 1977-81 के बीच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसकी सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशें आज तक लागू नहीं की गईं।

भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा

भारतीय पुलिस सेवा के इतिहास के बाद अब भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा के बारे में विसतृत जानकारी देते हैं। भारतीय पुलिस सेवा की परीक्षा संघ लोक सेवा आयोजित (UPSC) द्वारा आयोजित की जाती है। भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा हर साल मई से शुरू होकर जनवरी तक आयोजित की जाती है। भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के भारतीय पुलिस पदों को भरना है।

परीक्षा प्रक्रिया

  • भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में अधिकारियों का चयन प्रत्येक वर्ष संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से होता है।
  • सिविल सेवा परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों को उनके कुल अंकों और उनके द्वारा दी गई सेवा वरीयता सूची के आधार पर सेवा का आंवटन किया जाता है।
  • भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के साथ अनेक चुनौतियां और उत्तरदायित्व जुड़े होते हैं इसलिए संघ लोक सेवा आयोग इसके अनुकूल अभ्यर्थियों का चयन करता है।

योग्यता

  • सिविल सेवा परीक्षा के लिए अभ्यर्थी को भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • सिविल सेवा परीक्षा के लिए अभ्यर्थी की आयु परीक्षा आयोजित होने वाले साल के 1 अगस्त तक कम से कम 21 साल होनी चाहिए। इस परीक्षा के लिए अधिकतम आयु 32 साल है। ओबीसी अभ्यर्थियों को तीन साल, एससी/एसटी अभ्यर्थियों को पांच साल और विकलांग अभ्यर्थियों को 10 साल की छूट दी गई है।
  • भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा के लिए अभ्यर्थी के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
  • सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद अभ्यर्थी को बोर्ड की मेडिकल परीक्षा पास करनी होगी।

प्रशिक्षण

  • भारतीय पुलिस सेवा में चुने जाने के बाद उम्मीदवारों को हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रभावी पुलिसिंग के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और मूल्यों से लैस करने के लिए तैयार किया गया है
  • आईपीएस उम्मीदवारों को मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में अन्य सिविल सेवा प्रोबेशनर्स के साथ एक सामान्य फाउंडेशन कोर्स से गुजरना पड़ता है।
  • फाउंडेशन कोर्स के बाद, आईपीएस प्रोबेशनर्स अपने विशेष प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद में एसवीपीएनपीए में जाते हैं। यहां उनको शैक्षणिक, क्षेत्रीय और शारीरिक फिटनेस प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • प्रशिक्षण अवधि और परिवीक्षा अवधि के सफल समापन होने के बाद उम्मीदवारों को भारतीय पुलिस सेवा(IPS) अधिकारी के रूप में पुष्टि की जाती है।

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी

भारतीय पुलिस के इतिहास के बाद अब भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के बारे में बात करते हैं। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) मूल रूप से अपने आप में एक पुलिस बल नहीं है। यह राज्य पुलिस बलों और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को नेता और कमांडर प्रदान करता है। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों में एक पदानुक्रमिक संरचना होती है और अधिकारी अपने कैरियर के दौरान विभिन्न रैंकों के माध्यम से आगे बढ़ते हैं। आईपीएस की रैंकिंग के बारे में विस्तार से बताते हैं।

       पद    भूमिका   जिम्मेदारी  वेतन
पुलिस महानिदेशक (DGP)राज्य पुलिस बल में सर्वोच्च पदराष्ट्रीय स्तर पर CRPF व BSF जैसी एजेंसियों में भी काम कर सकते हैं।80,000/ प्रति माह
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP)राज्य पुलिस बल में वरिष्ठ पदपुलिस विभाग में विशेष शाखाओं या इकाइयों का नेतृत्व।37,400-67,000 / प्रति माह
पुलिस महानिरीक्षक (IG)राज्य पुलिस बल में वरिष्ठ पदराज्य में कानून और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार।37,400-67,000 / प्रति माह
पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG)वरिष्ठ अधिकारीविशिष्ट क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका।37,400-67,000 / प्रति माह
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP)/पुलिस अधीक्षक (SP)जिलों व शहरी क्षेत्रों के प्रभारी कानून और व्यवस्था बनाए रखना, अपराध की रोकथाम और प्रशासनिक कर्तव्य शामिल हैं।15,600-39,100 / प्रति माह
सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP)प्रवेश स्तर का पद परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में काम करते हैं।15,600-39,100 / प्रति माह
पुलिस उपाधीक्षक (DSP)आईपीएस पदानुक्रम में दूसरा पदकानून और व्यवस्था का प्रबंधन, अपराधों की जांच और जिले में शांति बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।53,100-1,67,800 / प्रति माह

भारतीय पुलिस का सबसे बड़ा पद

भारतीय पुलिस का सबसे बड़ा पद पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का होता है। पुलिस महानिदेशक भारत में थ्री-स्टार रैंक का पुलिस अधिकारी होता है।

पद का विवरण

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राज्य के पुलिस बल का मुखिया होता है। डीजीपी का पूरा नाम डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस है। यह भारतीय पुलिस का सबसे बड़ा पद होता है जो भारतीय पुलिस सेवा के द्वारा चुना जाता है। इसे प्रदेश में कैबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्ज़ा प्राप्त है। डीजीपी किसी राज्य या देश में पुलिस विभाग का नेतृत्व, रणनीतिक दिशा और समग्र प्रबंधन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होता है। यह भूमिका कानून और व्यवस्था बनाए रखने, सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और न्याय और सुरक्षा के सिद्धांतों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भूमिका

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पास कई प्रकार की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां होती हैं:

  • पुलिस महानिदेशक (डीजीपी अपराध से निपटने, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए योजनाएँ और रणनीतियाँ तैयार करते हैं।
  • डीजीपी पुलिस संचालन के लिए प्रोटोकॉल, प्रक्रियाएँ और दिशा-निर्देश देते हैं।
  • डीजीपी विभिन्न प्रकार के अपराधों की रोकथाम और जांच के लिए जिम्मेदार होते हैं। वे आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने, समय पर और प्रभावी जांच सुनिश्चित करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए रणनीति और पहल विकसित करते हैं।

भारतीय पुलिस सेवा के प्रमुख विभाग

केंद्रीय गृह मंत्रालय

केंद्रीय गृह मंत्रालय विभिन्न प्रकार के दायित्वों का निर्वहन करता है जिनमें देश की आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, केंद्र-राज्य संबंध, संघ राज्य क्षेत्रों का प्रशासन, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों का प्रबंधन और आपदा प्रबंधन आदि शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को केन्द्रीय गृह मंत्री संभालता है।

सीबीआई

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो(CBI) भारत सरकार की मुख्य जांच एजेंसी है। यह कोई अपनी वैधानिक निकाय नहीं है। इसे अपनी शक्तियां दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से प्राप्त होती है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो(CBI) की स्थापना 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान खरीद में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के रूप में की गई थी। बाद मे गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा सीबीआई का गठन किया गया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG)

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल भारत के विशेष बलों में से एक है। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की स्थापना 1986 में देश में आतंकवाद विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए की गई थी। एनएसजी सीधे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन है। एनएसजी का मॉडल जर्मनी के जीएसजी-9 और यूनाइटेड किंगडम के एसएएस पर आधारित है।

निष्कर्ष

भारतीय पुलिस सेवा (IPS) एक अखिल भारतीय सेवा है। इस लेख में भारतीय पुलिस सेवा के इतिहास के साथ-साथ भारतीय पुलिस अधिकारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी के दिमाग और सजगता का अक्सर परीक्षण किया जाता है। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) नियमित रूप से समाज के सबसे बुरे और सबसे अच्छे लोगों के संपर्क में आता है। समाज से अपराध की रोकथाम और लोगों को न्याय दिलाने के लिए भारतीय पुलिस सेवा (IPS) एक प्रतिष्ठित पद है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

आईपीएस का दूसरा नाम क्या है?

आईपीएस का दूसरा नाम “भारतीय पुलिस सेवा” (Indian Police Service) है। पहले इसे “इंपीरियल पुलिस” के नाम से जाना जाता था, लेकिन 1948 में इसका नाम बदलकर भारतीय पुलिस सेवा कर दिया गया।

भारत में पुलिस सेवा का जनक कौन है?

भारत में पुलिस सेवा का जनक लॉर्ड कॉर्नवालिस को माना जाता है। उन्होंने ब्रिटिश शासनकाल में आधुनिक पुलिस व्यवस्था की नींव रखी और इसे संगठित रूप दिया।

इंडियन पुलिस सर्विस को हिंदी में क्या कहते हैं?

इंडियन पुलिस सर्विस को हिंदी में “भारतीय पुलिस सेवा” कहते हैं।

IPS का कार्य क्या है?

आईपीएस अधिकारी कानून और व्यवस्था बनाए रखते हैं, अपराधों की जांच करते हैं, वीआईपी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, आपदा प्रबंधन करते हैं, और सामाजिक सुधार के लिए योजनाएं चलाते हैं।

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