कलेक्टर कैसे बने: एक संपूर्ण गाइड हिंदी में

September 12, 2024
कलेक्टर कैसे बने
Quick Summary

Quick Summary

  • यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (CSE) पास करें।
  • किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करें।
  • परीक्षा के तीन चरण: प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार।
  • सफल उम्मीदवारों को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता, और प्रशासनिक कौशल महत्वपूर्ण हैं।

Table of Contents

आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा की जिले का प्रशासनिक प्रमुख यानी कलेक्टर कैसे बने? इस ब्लॉग में आपको जानकारी मिलेगी की कलेक्टर कौन होते हैं, Collector kaise bane, कलेक्टर बनने के लिए योग्यता, यूपीएससी क्या है, कलेक्टर की कार्यप्रणाली तथा चुनौतियां और सफल कलेक्टर की कहानियां तथा उनके अनुभव के बारे में।

कलेक्टर कौन होता है?

कलेक्टर, जिन्हें जिलाधिकारी या डीएम (District Magistrate) के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी होते हैं। वे सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी होते हैं और जिले के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं।

कलेक्टर की प्रमुख जिम्मेदारियाँ

एक कलेक्टर की प्रमुख जिम्मेदारियों में कानून व्यवस्था बनाए रखना, विकास कार्य, राजस्व वसूली, सामाजिक न्याय और आपदा प्रबंधन सामिल है। इसके अलावा वे चुनाव, जनगणना और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यों के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कलेक्टर कैसे बने?: कलेक्टर बनने के लिए योग्यता

शैक्षणिक योग्यता

कलेक्टर बनने के लिए शैक्षिक योग्यता किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक (Bachelors) की डिग्री होनी चाहिए।

अन्य योग्यता 

  • 21 वर्ष से 32 वर्ष की आयु (सामान्य वर्ग के लिए), अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए 35 वर्ष तक, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 33 वर्ष तक और शारीरिक रूप से अक्षम (PWD) के लिए 37 वर्ष तक।
  • मजबूत संचार और नेतृत्व कौशल।
  • निर्णय लेने और समस्या समाधान की क्षमता।
  • टीम में काम करने और लोगों को प्रेरित करने की क्षमता।
  • ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और नैतिकता।
  • भारतीय संस्कृति और संविधान की अच्छी समझ।

कलेक्टर बनने के लिए परीक्षा

आपको सिविल सेवा परीक्षा यानी UPSC परीक्षा की तैयारी कर कलेक्टर बनने के लिए UPSC परीक्षा में उत्तीर्ण होना होता है।

कलेक्टर कैसे बने?: स्टेप वाइज इंफॉर्मेशन

चरण 1: पात्रता जांचें

  • सुनिश्चित करें कि आप उम्र, शिक्षा और अन्य सभी मानकों को पूरा करते हैं।
  • कलेक्टर बनने के लिए आवश्यक योग्यताओं के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए आगे पढ़ें।

चरण 2: यूपीएससी परीक्षा के लिए आवेदन करें

  • यूपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करें।
  • अपनी जानकारी (जैसे नाम, जन्मतिथि, योग्यता) सही-सही भरें।
  • आवेदन शुल्क का भुगतान करें और परीक्षा केंद्र चुनें।

चरण 3: प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दें

  • प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य ज्ञान के दो पेपर होंगे।
  • जो उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा पास करते हैं, वे मुख्य परीक्षा के लिए उपस्थित होंगे।
  • मुख्य परीक्षा में लिखित परीक्षा होगी।

चरण 4: साक्षात्कार दें

  • साक्षात्कार में आपके व्यक्तित्व और ज्ञान का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • साक्षात्कार में वर्तमान घटनाएं, सामान्य ज्ञान और आपके व्यक्तित्व से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

चरण 5: प्रशिक्षण लें

  • यदि आप साक्षात्कार में सफल होते हैं, तो आपको लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा।
  • LBSNAA में आपको एक कलेक्टर के रूप में काम करने के लिए आवश्यक सभी कौशल सिखाए जाएंगे।

चरण 6: कलेक्टर बनें

  • प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, आपको एक जिले का कलेक्टर नियुक्त किया जा सकता है।

कलेक्टर कैसे बने?: UPSC परीक्षा की तैयारी

UPSC परीक्षा क्या है?

UPSC का मतलब है संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)। यह भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय है जो विभिन्न सरकारी सेवाओं में अधिकारियों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा (CSE) है, जिसे IAS परीक्षा के नाम से भी जाना जाता है। 

यूपीएससी परीक्षा (कलेक्टर एग्जाम) को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS, जिसके तहत आप कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर बनते हो) और अन्य कई प्रतिष्ठित सेवाओं में नियुक्त किया जाता है।

Collector kaise bane जानने के बाद UPSC की परीक्षा आपको 3 चरणों में देनी होती है। पहला चरण को प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) से जाना जाता है, दूसरी परीक्षा को मुख्य परीक्षा (Mains) और आखरी में साक्षात्कार (Interview) की प्रक्रिया से उम्मीदवारों चयन होता है।

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) और मुख्य परीक्षा (Mains) का विवरण

प्रारंभिक परीक्षा: 

यह एक वस्तुनिष्ठ परीक्षा है जिसमें दो पेपर होते हैं – सामान्य अध्ययन (General Studies) और सिविल सेवा योग्यता परीक्षा (CSAT) दोनो पेपर की परीक्षा एक दिन में ही होती है।

कलेक्टर एग्जाम का पहला पेपर यानी सामान्य अध्ययन 100 प्रश्नों का होता है जिसके लिए कुल अधिकतम 200 नंबर होते हैं (प्रतेक सही जवाब के लिए 2 नंबर) और हर सवाल गलत होने पर ⅓ यानि -0.66 नंबर काटे जाते हैं। परीक्षा की समय अवधी 2 घंटे की होती है। यह पेपर मेरिट रैंकिंग पर आधारित होती है, यानी इस पेपर में उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीदवारों को कटऑफ नंबर से ज्यादा नंबर लाना होगा, जो हर साल बदलती रहती है, पिछले साल 2023 में यह कटऑफ 75 नंबर के करीब थी।

कलेक्टर बनने के लिए परीक्षा (प्रारंभिक) का दूसरा पेपर जिसे CSAT से जाना जाता है जिसमें 80 प्रश्नों होते हैं जिसके लिए कुल अधिकतम अंक 200 दिए जाते हैं गलत जवाब के लिए ⅓ नंबर काटे जाते हैं। परीक्षा की समय अवधी 2 घंटे की होती है। CSAT पेपर योग्य प्रकृति का होता है, जिसमे उम्मीदवारों को पास होने के लिए न्यूनतम 33% अंक यानि 66 नंबर से अधिक लाना होना।

सामान्य अध्ययन 1 और CSAT पेपर में इन विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं:

पेपर का नामविषय
सामान्य अध्ययन 11. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की घटनाएं
2. भारत और विश्व का भूगोल
3. भारतीय इतिहास और राष्ट्रीय आंदोलन
4. आर्थिक और सामाजिक विकास
5. भारतीय राजनीति और शासन
6. पर्यावरणीय पारिस्थितिकी
7. सामान्य विज्ञान
CSAT1. तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता | Logical skills and analytical ability
2. डेटा व्याख्या (चार्ट, ग्राफ, तालिकाएं, डेटा पर्याप्तता आदि – कक्षा X स्तर) | Data Interpretation (charts, graphs, tables, data sufficiency etc. – Class X level)
3. सामान्य मानसिक योग्यता | General Mental Ability
4. निर्णय लेना और समस्या समाधान | Decision Making and Problem Solving
5. संचार कौशल सहित अंतर-व्यक्तिगत कौशल |Inter-personal skills, including communication skills
6. बुनियादी संख्यात्मकता (संख्याएं और उनके संबंध, परिमाण के क्रम, आदि – कक्षा X स्तर) | Basic Numeracy (Numbers and their Relations, Orders of Magnitude, etc.- Class X level)
  1. मुख्य परीक्षा: 

CSAT पेपर में 33% से अधिक और सामान्य अध्यन पेपर में कटऑफ नंबर से अधिक नंबर तक पहुंचने के बाद उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए योग्य हो जाते हैं। यह एक वर्णनात्मक परीक्षा है जो उम्मीदवारों के ज्ञान, विश्लेषणात्मक क्षमता और लेखन कौशल का आकलन करती है।

इसमें 9 पेपर होते हैं पेपर A तथा B और पेपर 1 से पेपर 7 तक, जिसमे से पेपर A तथा B सिर्फ योग्यता के लिए होता है और पेपर 1 से पेपर 7 तक के अंक आपके अंतिम मेरिट में जुड़ते हैं। दोनों ही पेपर में गलत जवाब के लिए नेगेटिव मार्किंग के रूप में नंबर नहीं काटे जाते। पेपर A तथा B और पेपर 1 से पेपर 7 तक की परीक्षा कुछ इस प्रकार हैं:

पेपरपेपर का नामअधिकतम अंकसमय अवधीपेपर की प्रकृति
Aअनिवार्य भाषा परीक्षा3003 घंटेयोग्यता न्यूनतम 25%
Bअंग्रेजी 3003 घंटे
1निबंध2503 घंटेमेरिट रैंकिंग
2सामान्य अध्ययन 12503 घंटे
3सामान्य अध्ययन 22503 घंटे
4सामान्य अध्ययन 32503 घंटे
5सामान्य अध्ययन 42503 घंटे
6वैकल्पिक 12503 घंटे
7वैकल्पिक 22503 घंटे
कुल अंक1750

साक्षात्कार (Interview) की प्रक्रिया

यह अंतिम चरण है जिसमें उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और बुद्धिमत्ता का मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए साक्षात्कार (Interview) की प्रक्रिया को अपनाया जाता हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रों से चार विशेषज्ञ और एक अध्यक्ष कुल 5 UPSC के वरिष्ट अधिकारि होते हैं प्रत्येक उम्मीदवारों को नंबर दिया जाता है जो की अधिकतम 275 होता है।

मुख्य परीक्षा (Mains) और साक्षात्कार (Interview) के अंको को जोड़कर कुल 2025 अंको के आधार पर आखरी मेरिट में उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।

कलेक्टर कैसे बने?: Upsc की चुनौतियां

  • विशाल सिलेबस: UPSC का सिलेबस बहुत विशाल है, जिसमें विभिन्न विषयों जैसे इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और सामान्य ज्ञान शामिल हैं।
  • कठिन परीक्षा:  UPSC परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है – प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। प्रत्येक चरण में उत्तीर्ण होना कठिन होता जाता है, और उम्मीदवारों को सफल होने के लिए हर चरण में कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है।
  • समय का अभाव: UPSC परीक्षा की तैयारी में काफी समय और समर्पण की आवश्यकता होती है। उम्मीदवारों को अक्सर अपनी शिक्षा, व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
  • मानसिक दबाव: UPSC परीक्षा की तैयारी एक तनावपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है। परीक्षा का दबाव, कॉम्पिटीशन का माहौल, और लंबे समय तक अध्ययन करने की आवश्यकता के कारण काफी सारे उम्मीदवार मानसिक दबाव से गुजरते है।
  • कॉम्पिटीशन: कलेक्टर बनने के लिए परीक्षा UPSC में चुनाव का प्रतिशत लगभग 0.08 का होता है, यानी हर 1000 उम्मीदवार जिन्होंने फॉर्म भरा है उनमें से सिर्फ 8 लोग ही यूपीएससी क्या है जानने के बाद सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) में सफल हो पाते हैं। पिछले साल 2023 में लगभग 13 लाख लोगों ने UPSC परीक्षा का फॉर्म भरा था जिसमें से लगभग 1105 लोग ही सफल हो पाएं।

हर साल लगभग 11 से 15 लाख उम्मीदवार जिन्हे पता है की कलेक्टर कैसे बने UPSC का फॉर्म भरते हैं जिसमे से करीब 1000-1200 ही सफल हो पाते हैं।

तैयारी में धैर्य और अनुशासन का महत्व

कई सारी चुनौतियों के बावजूद और Collector kaise bane जानने के बाद, UPSC परीक्षा को क्रैक करना असंभव नहीं है। यह भी याद रखें कि सफलता रातोंरात नहीं मिलती। यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत, लगन, धैर्य, अनुसाशन और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। धैर्य और अनुशासन के साथ आप परीक्षा को क्रैक करने के योग्य तो बनते ही हो साथ ही आप एक सफल व्यक्तित्व के तरह भी उभरते हो।

कलेक्टर कैसे बने?: कलेक्टर की कार्यप्रणाली

कलेक्टर के कार्य 

 राजस्व प्रशासन:

  • भूमि से संबंधित सभी कार्यों का प्रबंधन करना, जैसे भूमि रिकॉर्ड रखना, भूमि हस्तांतरण, राजस्व वसूली, आदि।
  • आपदा राहत और पुनर्वास कार्यों का संचालन करना।
  • कृषि ऋण और सब्सिडी वितरित करना।

 कानून और व्यवस्था:

  • जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखना।
  • चुनावों का संचालन करना।
  • नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।

विकास कार्य:

  • जिले में विकास योजनाओं का परिपालन करना।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण जैसी सुविधाओं का प्रबंधन करना।
  • गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का संचालन करना।

न्यायिक कार्य:

  • राजस्व और भूमि से संबंधित मामलों में न्यायिक अधिकार का प्रयोग करना।
  • दंड प्रक्रिया संहिता के तहत कुछ मामलों में मजिस्ट्रेटीय शक्तियों का प्रयोग करना।

 अन्य कार्य:

  • जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) का अध्यक्ष होना।
  • जिला स्तरीय समन्वय समितियों का नेतृत्व करना।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संपर्क का काम करना।

कलेक्टर कैसे बने?: कलेक्टर की चुनौतियां

  • कानून व्यवस्था बनाए रखना: जिले में शांति और व्यवस्था बनाए रखना कलेक्टर का प्राथमिक दायित्व होता है।
  • विकास कार्यक्रमों को लागू करना: सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न विकास कार्यक्रमों को अमल में लाना कलेक्टर की जिम्मेदारी होती है।
  • प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन: बाढ़, सूखा, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत और बचाव कार्य करना कलेक्टर का दायित्व होता है।
  • विभिन्न विभागों में समन्वय: जिले के विभिन्न विभागों के बीच तालमेल बनाए रखना और उनका प्रभावी ढंग से संचालन करना कलेक्टर की जिम्मेदारी होती है।
  • जनता की शिकायतों का समाधान: जनता की शिकायतों को सुनना और उनका समाधान करना कलेक्टर का दायित्व होता है।
  • राजस्व वसूली: जिले में होने वाले राजस्व को वसूल करना कलेक्टर का दायित्व होता है।
  • चुनावों का संचालन: जिले में होने वाले विधानसभा, लोकसभा और पंचायत चुनावों का संचालन कलेक्टर की जिम्मेदारी होती है।

कलेक्टर कैसे बने?: कलेक्टर की सैलरी कितनी होती है

स्तरबेसिक पे (रुपये में)पद
1056,100प्रारंभिक स्तर कलेक्टर
1167,700अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट
1278,800जिला मजिस्ट्रेट
131,18,500विशेष सचिव
141,44,200संभागीय आयुक्त
151,82,200प्रधान सचिव
162,05,400अतिरिक्त मुख्य सचिव
172,25,000मुख्य सचिव
182,50,000कैबिनेट सचिव

कलेक्टर कैसे बने?: कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर में अंतर

विशेषताकलेक्टरडिप्टी कलेक्टर
पदजिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारीकलेक्टर के अधीनस्थ अधिकारी
प्रमुख जिम्मेदारियाँजिले के सभी प्रशासनिक कार्यों की देखरेख, सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयनकलेक्टर की सहायता करना, विशिष्ट विभागों की जिम्मेदारी निभाना
पद की नियुक्तियूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से आईएएस अधिकारी के रूप में नियुक्तिराज्य लोक सेवा आयोग (एसपीएससी) परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति
प्रशासनिक अधिकारजिले के सभी विभागों पर नियंत्रण, कानून और व्यवस्था बनाए रखनाविशिष्ट विभागों का प्रबंधन, कलेक्टर के निर्देशों का पालन करना
रिपोर्टिंगराज्य सरकार को सीधे रिपोर्टिंगकलेक्टर को रिपोर्टिंग
प्रशिक्षणलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में प्रशिक्षणराज्य प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण
पद की वरिष्ठताउच्चतम प्रशासनिक पदडिप्टी कलेक्टर दूसरा महत्वपूर्ण पद
कार्य क्षेत्रपूरे जिले का प्रशासनिक कार्यविशिष्ट विभागों और क्षेत्रों का प्रशासनिक कार्य

निष्कर्ष

Collector kaise bane और कलेक्टर बनने के लिए शैक्षिक योग्यता जानने के बाद कई लोग UPSC की तैयारी कर कलेक्टर बनना चाहते हैं। लेकिन, कलेक्टर कैसे बने जानने के बाद कलेक्टर बनने में केवल वे ही लोग सफल हो पाएंगे जिनके अंदर आत्मविश्वास है, जो मेहनत करने के लिए तैयार हैं और जो खुदको 0.08% में ले जा सकते हैं।

इस ब्लॉग में आपने जाना कलेक्टर कैसे बने(Collector kaise bane), कलेक्टर बनने के लिए योग्यता, UPSC की परीक्षा, कलेक्टर की कार्यप्रणाली और कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर में अंतर के बारे में।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कलेक्टर ke लिए कौन सी पढ़ाई करें?

कलेक्टर बनने के लिए यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से, उम्मीदवारों को पहले सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी बनना होगा। जिला कलेक्टर बनने के लिए, एक आईएएस अधिकारी को पहले 6 साल सेवा करनी होगी और 3 पदोन्नतियाँ प्राप्त करनी होंगी।

कलेक्टर की नौकरी कैसे मिलती है?

सिविल सेवा परीक्षा के लिए CSE का फॉर्म भरें। यूपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करें। प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू दें और उसे भी उत्तीर्ण करें। इंटरव्यू पास करने के बाद, मेरिट लिस्ट के आधार पर कलेक्टर की नियुक्ति होती है।

कलेक्टर का चयन कैसे होता है?

कलेक्टर बनने के लिए UPSC द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) पास करनी होती है। UPSC की स्थापना 1 अक्टूबर, 1926 को यूनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा की गई थी। वर्तमान में UPSC में एक अध्यक्ष और 10 अतिरिक्त सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

12 वीं पूरा करने के बाद कलेक्टर कैसे बने?

कर्नाटक के डीसी जिला कलेक्टर बनने के दो तरीके हैं: आप संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास कर सकते हैं और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए चुने जा सकते हैं। यह कर्नाटक के डीसी जिला कलेक्टर बनने का एक सीधा और तेज़ तरीका है।

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