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गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि देश के एक बड़े हिस्से के लिए जीवनरेखा भी है। गंगा अपने मार्ग में कई छोटी और बड़ी नदियों को अपने में समाहित करती है जो गंगा की सहायक नदियाँ कहलाती हैं। ये सहायक नदियाँ गंगा के जल प्रवाह, पारिस्थितिकी और आसपास के क्षेत्रों की जैव विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस लेख में हम गंगा की प्रमुख सहायक नदियों, उनके महत्व और गंगा नदी प्रणाली पर उनके प्रभाव का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
नदी का नाम | उद्गम स्थल | लंबाई (किमी) | प्रमुख स्थान जिनसे होकर गुजरती है | गंगा में मिलने का स्थान |
गंगा | गंगोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड | 2,525 | हरिद्वार, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, पटना, कोलकाता | बंगाल की खाड़ी |
यमुना | यमुनोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड | 1,376 | दिल्ली, मथुरा, आगरा, प्रयागराज | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश |
सोन | अमरकंटक पठार, मध्य प्रदेश | 784 | शाहडोल, सोन नगर, पटना | पटना, बिहार |
गोमती | गोमती ताल, पीलीभीत, उत्तर प्रदेश | 900 | लखनऊ, जौनपुर, गाजीपुर | गाजीपुर, उत्तर प्रदेश |
घाघरा | मानसरोवर के पास, तिब्बत | 1,080 | अयोध्या, छपरा | छपरा, बिहार |
कोसी | नेपाल के हिमालय क्षेत्र | 729 | सहरसा, पूर्णिया | कुरसेला, बिहार |
गंडक | नेपाल के हिमालय क्षेत्र | 630 | त्रिवेणी, सोनपुर | सोनपुर, बिहार |
रामगंगा | गढ़वाल, उत्तराखंड | 596 | मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर | कन्नौज, उत्तर प्रदेश |
दामोदर | छोटा नागपुर पठार, झारखंड | 541 | रांची, धनबाद, आसनसोल | हुगली नदी, पश्चिम बंगाल |
महानंदा | दार्जिलिंग हिमालय, पश्चिम बंगाल | 360 | सिलीगुड़ी, पूर्णिया, कटिहार | कटिहार, बिहार |
बागमती | शिवपुरी, नेपाल | 587 | मुजफ्फरपुर, दरभंगा | खगड़िया, बिहार |
गंगा नदी भारत की सबसे लंबी और सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। ये उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर बंगाल की खाड़ी में समाप्त होती है। गंगा नदी की लंबाई कितनी है? इसकी बात करे तो, गंगा का कुल जलग्रहण क्षेत्र लगभग 8,61,404 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 26% है। ये नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है।
गंगा नदी कहां से निकलती है? गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर है। ग्लेशियर समुद्र तल से लगभग 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली नदी को शुरुआत में भागीरथी के नाम से जाना जाता है। ये देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है, जहां से इसे गंगा के नाम से जाना जाता है, इस तरह हमने जाना की गंगा नदी कहां से निकलती है और लंबाई कितनी है।
गंगा नदी की लंबाई कितनी है, अगर इसकी बात करे तो, गंगा की कुल लंबाई लगभग 2,525 किलोमीटर है, जो इसे भारत की सबसे लंबी नदी बनाती है। अपनी यात्रा के दौरान, गंगा हरिद्वार, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और पटना जैसे प्रमुख शहरों को जीवनदायी जल प्रदान करती है। इसकी लंबाई इसे न केवल एक नदी, बल्कि एक संपूर्ण नदी प्रणाली बनाती है, इसलिए गंगा नदी की लंबाई कितनी है? ये जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है, जिसमें यमुना, सोन, गंडक और कोसी जैसी कई सहायक नदियाँ शामिल हैं। गंगा की यह विशाल लंबाई इसे भारत की संस्कृति, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी का एक अभिन्न अंग बनाती है, जो इसे दुनिया की प्रमुख नदियों में से एक का दर्जा देती है।
गंगा नदी प्रणाली भारत की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों में से एक है। ये प्रणाली मुख्य रूप से गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों से मिलकर बनी है। साथ ही ये नदियों से मिलकर गंगा नदी का नक्शा भी पूरा होता है। आइए, गंगा नदी प्रणाली की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:
यमुना नदी गंगा की सहायक नदियाँ में से सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण सहायक नदी है। ये उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और लगभग 1,376 किलोमीटर की दूरी तय करके उत्तर प्रदेश के प्रयागराज(इलाहाबाद) में गंगा से मिलती है।
गोमती नदी भी गंगा की सहायक नदियाँ में से एक है ये नदी उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नदी है जो गंगा की एक सहायक नदी है। ये नदी पीलीभीत जिले के गोमती ताल से निकलती है और लगभग 900 किलोमीटर की दूरी तय करके उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में गंगा नदी से मिलती है।
घाघरा नदी, जिसे सरयू या करनाली के नाम से भी जाना जाता है, ये नदी भी गंगा की सहायक नदियाँ में से एक है। ये नदी तिब्बत के मानसरोवर झील के पास से निकलती है और नेपाल से होते हुए भारत में प्रवेश करती है।
कोसी नदी, जिसे “बिहार का शोक” भी कहा जाता है, गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। ये नदी नेपाल के हिमालय क्षेत्र से निकलती है और बिहार से होकर गंगा में मिलती है।
सोन नदी गंगा नदी की एक महत्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी है। ये मध्य प्रदेश के अमरकंटक पठार से निकलती है और उत्तर प्रदेश तथा बिहार से होकर गंगा में मिलती है।
गंगा की सहायक नदियाँ का योगदान मुख्य नदी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये नदियाँ न केवल मुख्य नदी की जल आपूर्ति बढ़ाती हैं, बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों से पोषक तत्वों और खनिजों को भी लाती हैं। इनके द्वारा लाए गए तलछट डेल्टा क्षेत्रों के निर्माण में सहायक होते हैं। साथ ही, गंगा नदी का नक्शा एक महत्वपूर्ण भौगोलिक दस्तावेज है जो इस प्रमुख भारतीय नदी के प्रवाह पथ को दर्शाता है।
ये विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों से जुड़ी होने के कारण मुख्य नदी की जैव विविधता को समृद्ध करती हैं। इनकी उपस्थिति बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो मुख्य नदी के समग्र स्वास्थ्य और कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है।
गंगा की सहायक नदियाँ इस विशाल नदी प्रणाली के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये नदियाँ न केवल गंगा के जल प्रवाह में वृद्धि करती हैं, बल्कि इसके पारिस्थितिक तंत्र को भी समृद्ध बनाती हैं। कुछ प्रमुख योगदान इस प्रकार हैं:
गंगा की सहायक नदियाँ का भारत के लिए बहुआयामी महत्व है:
गंगा नदी और गंगा की सहायक नदियाँ मिलकर एक जटिल और महत्वपूर्ण नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं, जो भारत के भूगोल, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पारिस्थितिकी को गहराई से प्रभावित करती है। इस प्रणाली का संरक्षण और सतत उपयोग भारत के विकास और पर्यावरण संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गंगा किसी भी नदी की सहायक नदी नहीं है। गंगा खुद एक बहुत बड़ी और पवित्र नदी है।
बिहार में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी घाघरा है।
दूधगंगा की सहायक नदी कृष्णा है।
गंगा नदी की 10 प्रमुख सहायक नदियां:
1. यमुना नदी
2. घाघरा नदी
3. गोमती नदी
4. कोसी नदी
5. सोन नदी
6. रामगंगा नदी
7. गंडक नदी
8. मांडवी नदी
9. तीस्ता नदी
10. रूपनारायण नदी
यमुना नदी को कई नामों से जाना जाता है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध नामों में से एक कालिंदी है।
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