गंगा की सहायक नदियाँ

October 14, 2024
गंगा की सहायक नदियाँ
Quick Summary

Quick Summary

12 फरवरी, 1948 को महात्मा गांधी की अस्थियों को देश के विभिन्न तटों पर विसर्जित किया गया था। इनमें से एक तट बिहार में स्थित त्रिमोहिनी संगम भी था, जहां गंगा और कोसी नदियां मिलती हैं। यह स्थान हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। गंगा नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है और इसकी कई सहायक नदियां हैं। उत्तर दिशा से आकर गंगा में मिलने वाली प्रमुख नदियां हैं: यमुना, घाघरा, बागमती, रामगंगा, करनाली (सरयू), गंडक, कोसी और काक्षी। दक्षिण के पठार से आकर गंगा में मिलने वाली प्रमुख नदी सोन है। ये नदियां भारत की संस्कृति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

Table of Contents

गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि देश के एक बड़े हिस्से के लिए जीवनरेखा भी है। गंगा अपने मार्ग में कई छोटी और बड़ी नदियों को अपने में समाहित करती है जो गंगा की सहायक नदियाँ कहलाती हैं। ये सहायक नदियाँ गंगा के जल प्रवाह, पारिस्थितिकी और आसपास के क्षेत्रों की जैव विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस लेख में हम गंगा की प्रमुख सहायक नदियों, उनके महत्व और गंगा नदी प्रणाली पर उनके प्रभाव का विस्तृत अध्ययन करेंगे।

गंगा नदी और गंगा की सहायक नदियाँ

नदी का नामउद्गम स्थललंबाई (किमी)प्रमुख स्थान जिनसे होकर गुजरती हैगंगा में मिलने का स्थान
गंगागंगोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड2,525हरिद्वार, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, पटना, कोलकाताबंगाल की खाड़ी
यमुनायमुनोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड1,376दिल्ली, मथुरा, आगरा, प्रयागराजप्रयागराज, उत्तर प्रदेश
सोनअमरकंटक पठार, मध्य प्रदेश784शाहडोल, सोन नगर, पटनापटना, बिहार
गोमतीगोमती ताल, पीलीभीत, उत्तर प्रदेश900लखनऊ, जौनपुर, गाजीपुरगाजीपुर, उत्तर प्रदेश
घाघरामानसरोवर के पास, तिब्बत1,080अयोध्या, छपराछपरा, बिहार
कोसीनेपाल के हिमालय क्षेत्र729सहरसा, पूर्णियाकुरसेला, बिहार
गंडकनेपाल के हिमालय क्षेत्र630त्रिवेणी, सोनपुरसोनपुर, बिहार
रामगंगागढ़वाल, उत्तराखंड596मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुरकन्नौज, उत्तर प्रदेश
दामोदरछोटा नागपुर पठार, झारखंड541रांची, धनबाद, आसनसोलहुगली नदी, पश्चिम बंगाल
महानंदादार्जिलिंग हिमालय, पश्चिम बंगाल360सिलीगुड़ी, पूर्णिया, कटिहारकटिहार, बिहार
बागमतीशिवपुरी, नेपाल587मुजफ्फरपुर, दरभंगाखगड़िया, बिहार
गंगा नदी और गंगा की सहायक नदियाँ

गंगा नदी का संक्षिप्त परिचय 

गंगा नदी भारत की सबसे लंबी और सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। ये उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर बंगाल की खाड़ी में समाप्त होती है। गंगा नदी की लंबाई कितनी है? इसकी बात करे तो, गंगा का कुल जलग्रहण क्षेत्र लगभग 8,61,404 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 26% है। ये नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है।

गंगा नदी कहां से निकलती है?

गंगा नदी कहां से निकलती है? गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर है। ग्लेशियर समुद्र तल से लगभग 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली नदी को शुरुआत में भागीरथी के नाम से जाना जाता है। ये देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है, जहां से इसे गंगा के नाम से जाना जाता है, इस तरह हमने जाना की गंगा नदी कहां से निकलती है और लंबाई कितनी है।

गंगा नदी की लंबाई कितनी है?

गंगा नदी की लंबाई कितनी है, अगर इसकी बात करे तो, गंगा की कुल लंबाई लगभग 2,525 किलोमीटर है, जो इसे भारत की सबसे लंबी नदी बनाती है। अपनी यात्रा के दौरान, गंगा हरिद्वार, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और पटना जैसे प्रमुख शहरों को जीवनदायी जल प्रदान करती है। इसकी लंबाई इसे न केवल एक नदी, बल्कि एक संपूर्ण नदी प्रणाली बनाती है, इसलिए गंगा नदी की लंबाई कितनी है? ये जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है, जिसमें यमुना, सोन, गंडक और कोसी जैसी कई सहायक नदियाँ शामिल हैं। गंगा की यह विशाल लंबाई इसे भारत की संस्कृति, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी का एक अभिन्न अंग बनाती है, जो इसे दुनिया की प्रमुख नदियों में से एक का दर्जा देती है।

गंगा नदी प्रणाली की विशेषताएं

गंगा नदी प्रणाली का संक्षिप्त परिचय

गंगा नदी प्रणाली भारत की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों में से एक है। ये प्रणाली मुख्य रूप से गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों से मिलकर बनी है। साथ ही ये नदियों से मिलकर गंगा नदी का नक्शा भी पूरा होता है। आइए, गंगा नदी प्रणाली की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • विशाल जलग्रहण क्षेत्र: गंगा नदी प्रणाली का जलग्रहण क्षेत्र लगभग 8,61,404 वर्ग किलोमीटर है।
  • विविध भौगोलिक क्षेत्र: ये प्रणाली हिमालय से लेकर गंगा के मैदानों तक विस्तृत है।
  • जैव विविधता: गंगा नदी प्रणाली विभिन्न प्रकार के जीवों और वनस्पतियों का घर है।
  • आर्थिक महत्व: ये प्रणाली कृषि, मत्स्य पालन, नौवहन और जल विद्युत उत्पादन का आधार है।
  • सांस्कृतिक महत्व: गंगा नदी प्रणाली भारतीय संस्कृति और धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

गंगा की सहायक नदियाँ विस्तार में

1. यमुना नदी

यमुना नदी गंगा की सहायक नदियाँ में से सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण सहायक नदी है। ये उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और लगभग 1,376 किलोमीटर की दूरी तय करके उत्तर प्रदेश के प्रयागराज(इलाहाबाद) में गंगा से मिलती है।

यमुना नदी और गंगा का संगम-

  • यमुना नदी का गंगा नदी से संगम प्रयागराज (इलाहाबाद) में होता है। ये स्थान त्रिवेणी संगम के नाम से प्रसिद्ध है, जहां यमुना और गंगा के साथ-साथ एक पौराणिक नदी सरस्वती का भी संगम माना जाता है। ये स्थान हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और यहां हर 12 वर्ष में कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।

यमुना नदी की विशेषता-

  • लंबाई: यमुना नदी की कुल लंबाई लगभग 1,376 किलोमीटर है।
  • जलग्रहण क्षेत्र: यमुना का जलग्रहण क्षेत्र लगभग 3,66,223 वर्ग किलोमीटर है।
  • प्रमुख शहर: यमुना नदी दिल्ली, मथुरा, आगरा और प्रयागराज जैसे महत्वपूर्ण शहरों से होकर गुजरती है।
  • सहायक नदियाँ: यमुना की प्रमुख सहायक नदियाँ चंबल, सिंध, बेतवा और केन हैं।
  • पारिस्थितिकी महत्व: यमुना नदी अलग-अलग प्रकार के जलीय जीवों का निवास स्थान है और इसके तटीय क्षेत्रों में विविध पारिस्थितिकी तंत्र पाए जाते हैं।

2. गोमती नदी

गोमती नदी भी गंगा की सहायक नदियाँ में से एक है ये नदी उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नदी है जो गंगा की एक सहायक नदी है। ये नदी पीलीभीत जिले के गोमती ताल से निकलती है और लगभग 900 किलोमीटर की दूरी तय करके उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में गंगा नदी से मिलती है।

गोमती नदी और गंगा का संगम-

  • गोमती नदी का गंगा नदी से संगम उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में होता है। ये संगम स्थल गाजीपुर शहर से लगभग 27 किलोमीटर दूर स्थित है। ये स्थान स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।

गोमती नदी की विशेषता-

  • लंबाई: गोमती नदी की कुल लंबाई लगभग 900 किलोमीटर है।
  • जलग्रहण क्षेत्र: गोमती का जलग्रहण क्षेत्र लगभग 30,437 वर्ग किलोमीटर है।
  • प्रमुख शहर: गोमती नदी लखनऊ और जौनपुर जैसे महत्वपूर्ण शहरों से होकर गुजरती है।
  • सहायक नदियाँ: गोमती की प्रमुख सहायक नदियाँ सई, अमी और कल्याणी हैं।
  • सांस्कृतिक महत्व: गोमती नदी लखनऊ शहर की जीवनरेखा है और इसके तट पर कई ऐतिहासिक स्मारक स्थित हैं।

3. घाघरा नदी

घाघरा नदी, जिसे सरयू या करनाली के नाम से भी जाना जाता है, ये नदी भी गंगा की सहायक नदियाँ में से एक है। ये नदी तिब्बत के मानसरोवर झील के पास से निकलती है और नेपाल से होते हुए भारत में प्रवेश करती है।

घाघरा नदी और गंगा का संगम-

  • घाघरा नदी का गंगा नदी से संगम बिहार के छपरा जिले में होता है। ये संगम स्थान छपरा शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। ये स्थान स्थानीय लोगों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।

घाघरा नदी की विशेषता-

  • लंबाई: घाघरा नदी की कुल लंबाई लगभग 1,080 किलोमीटर है।
  • जलग्रहण क्षेत्र: घाघरा का जलग्रहण क्षेत्र लगभग 1,27,950 वर्ग किलोमीटर है।
  • प्रमुख शहर: घाघरा नदी अयोध्या और छपरा जैसे महत्वपूर्ण शहरों से होकर गुजरती है।
  • सहायक नदियाँ: घाघरा की प्रमुख सहायक नदियाँ सरदा, रप्ती और लिटिल गंडक हैं।
  • कृषि महत्व: घाघरा नदी उत्तर प्रदेश और बिहार के कृषि क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है।

4. कोसी नदी

कोसी नदी, जिसे “बिहार का शोक” भी कहा जाता है, गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। ये नदी नेपाल के हिमालय क्षेत्र से निकलती है और बिहार से होकर गंगा में मिलती है।

कोसी नदी और गंगा का संगम-

  • कोसी नदी का गंगा नदी से संगम बिहार के कुरसेला नामक स्थान पर होता है। ये स्थान भागलपुर जिले में स्थित है और यहाँ कोसी की जलधारा गंगा में विलीन हो जाती है।

कोसी नदी की विशेषता-

  • लंबाई: कोसी नदी की कुल लंबाई लगभग 729 किलोमीटर है।
  • उत्पत्ति: इसकी उत्पत्ति नेपाल के हिमालय क्षेत्र में होती है।
  • बाढ़ प्रवणता: कोसी को “बिहार का शोक” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर विनाशकारी बाढ़ लाती है।
  • मुख्य शाखाएँ: कोसी की तीन मुख्य शाखाएँ हैं – सन कोसी, अरुण और तमूर।
  • आर्थिक महत्व: यह नदी बिहार के कई जिलों में सिंचाई का प्रमुख स्रोत है।

5. सोन नदी

सोन नदी गंगा नदी की एक महत्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी है। ये मध्य प्रदेश के अमरकंटक पठार से निकलती है और उत्तर प्रदेश तथा बिहार से होकर गंगा में मिलती है।

सोन नदी और गंगा का संगम-

  • सोन नदी का गंगा से संगम बिहार की राजधानी पटना के पास होता है। ये संगम स्थल पटना से लगभग 16 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।

सोन नदी की विशेषता-

  • लंबाई: सोन नदी की कुल लंबाई लगभग 784 किलोमीटर है।
  • उत्पत्ति: इसकी उत्पत्ति मध्य प्रदेश के अमरकंटक पठार से होती है।
  • ऐतिहासिक महत्व: प्राचीन काल में इसे “सुवर्ण रेखा” के नाम से जाना जाता था।
  • जल विद्युत: इस नदी पर कई बाँध और जल विद्युत परियोजनाएँ स्थापित की गई हैं।
  • कृषि महत्व: सोन नदी बिहार और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में सिंचाई का प्रमुख स्रोत है।

सहायक नदियों का योगदान

गंगा की सहायक नदियाँ का योगदान मुख्य नदी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये नदियाँ न केवल मुख्य नदी की जल आपूर्ति बढ़ाती हैं, बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों से पोषक तत्वों और खनिजों को भी लाती हैं। इनके द्वारा लाए गए तलछट डेल्टा क्षेत्रों के निर्माण में सहायक होते हैं। साथ ही, गंगा नदी का नक्शा एक महत्वपूर्ण भौगोलिक दस्तावेज है जो इस प्रमुख भारतीय नदी के प्रवाह पथ को दर्शाता है। 

ये विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों से जुड़ी होने के कारण मुख्य नदी की जैव विविधता को समृद्ध करती हैं। इनकी उपस्थिति बाढ़ नियंत्रण और जल प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो मुख्य नदी के समग्र स्वास्थ्य और कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक है।

गंगा नदी प्रणाली में सहायक नदियों का योगदान 

गंगा की सहायक नदियाँ इस विशाल नदी प्रणाली के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये नदियाँ न केवल गंगा के जल प्रवाह में वृद्धि करती हैं, बल्कि इसके पारिस्थितिक तंत्र को भी समृद्ध बनाती हैं। कुछ प्रमुख योगदान इस प्रकार हैं:

  • जल प्रवाह: सहायक नदियाँ गंगा के जल प्रवाह में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, विशेषकर सूखे के मौसम में।
  • मिट्टी और पोषक तत्व: ये नदियाँ अपने साथ उपजाऊ मिट्टी और पोषक तत्व लाती हैं, जो गंगा नदी के मैदानों की उर्वरता को बढ़ाते हैं।
  • जैव विविधता: प्रत्येक सहायक नदी अपने साथ विशिष्ट जैव विविधता लाती है, जो गंगा के पारिस्थितिक तंत्र को समृद्ध बनाती है।
  • आर्थिक गतिविधियाँ: ये नदियाँ अपने-अपने क्षेत्रों में सिंचाई, मत्स्य पालन और नौवहन जैसी आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देती हैं।

गंगा नदी और सहायक नदियों का महत्त्व 

गंगा की सहायक नदियाँ का भारत के लिए बहुआयामी महत्व है:

  • कृषि: ये नदी प्रणाली देश के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक को सींचती है, जो भारत के खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  • जल संसाधन: ये प्रणाली करोड़ों लोगों के लिए पीने के पानी का प्रमुख स्रोत है।
  • पारिस्थितिकी: गंगा और उसकी सहायक नदियाँ विविध प्रकार के जीवों और वनस्पतियों का आश्रय स्थल हैं।
  • सांस्कृतिक महत्व: गंगा नदी हिंदू धर्म में पवित्र नदी मानी जाती है और इसके तट पर कई प्राचीन शहर और तीर्थस्थल स्थित हैं।
  • आर्थिक गतिविधियाँ: ये नदी प्रणाली मत्स्य पालन, नौवहन और जल विद्युत उत्पादन जैसी कई आर्थिक गतिविधियों का आधार है।

निष्कर्ष

गंगा नदी और गंगा की सहायक नदियाँ मिलकर एक जटिल और महत्वपूर्ण नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं, जो भारत के भूगोल, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पारिस्थितिकी को गहराई से प्रभावित करती है। इस प्रणाली का संरक्षण और सतत उपयोग भारत के विकास और पर्यावरण संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

गंगा किसकी सहायक नदी है?

गंगा किसी भी नदी की सहायक नदी नहीं है। गंगा खुद एक बहुत बड़ी और पवित्र नदी है।

बिहार में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी कौन है?

बिहार में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी घाघरा है।

दूध गंगा नदी की सहायक नदी कौन सी है?

दूधगंगा की सहायक नदी कृष्णा है।

गंगा नदी की 10 सहायक नदियां कौन सी हैं?

गंगा नदी की 10 प्रमुख सहायक नदियां:
1. यमुना नदी
2. घाघरा नदी
3. गोमती नदी
4. कोसी नदी
5. सोन नदी
6. रामगंगा नदी
7. गंडक नदी
8. मांडवी नदी
9. तीस्ता नदी
10. रूपनारायण नदी

यमुना का दूसरा नाम क्या है?

यमुना नदी को कई नामों से जाना जाता है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध नामों में से एक कालिंदी है।

ऐसे और आर्टिकल्स पड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करे

adhik sambandhit lekh padhane ke lie

यह भी पढ़े