हीराकुंड बांध की पूरी जानकारी

August 29, 2024
हीराकुंड बांध
Quick Summary

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  • हीराकुंड बांध अपनी 25.8 किलोमीटर की लंबाई के कारण दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है।
  • यह बांध सिर्फ बिजली उत्पादन ही नहीं, बल्कि बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और जल परिवहन जैसे कई उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
  • हीराकुंड बांध भारत के इंजीनियरिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसका निर्माण एक जटिल इंजीनियरिंग कार्य था।
  • यह बांध ओडिशा राज्य के लिए जीवन रेखा के समान है। यह राज्य की कृषि, उद्योग और बिजली उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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जब भी दुनिया के सबसे लंबे मानव निर्मित बांध की बात आती है तो भारत के हीराकुंड बांध का नाम इस लिस्ट में पहले नंबर पर आता है। हीराकुंड बांध, ओडिशा की महानदी पर बना दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी का बांध और भारत का एक प्रमुख इंजीनियरिंग चमत्कार है। 

इस ब्लॉग में हम जानेंगे हीराकुंड बांध कहां है, हीराकुंड बांध किस नदी पर स्थित है, हीराकुंड बांध की लंबाई, हीराकुंड बांध किसने बनवाया और हीराकुंड बांध में कितने गेट हैं?

हीराकुंड बांध कहां है?

हीराकुंड बांध ओडिशा के संबलपुर से 15 किलोमीटर दूरी पर महानदी नदी पर बना है, जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों से होकर गुजरती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। हीराकुंड बांध कहां है? ये जानने के बाद हम हीराकुंड बांध की तकनीकी जानकारी प्राप्त करेंगे:

विवरणजानकारी 
हीराकुंड बांध कहाँ है?संबलपुर जिला, ओडिशा, भारत
किस नदी पर स्थित है? महानदी पर स्थित है 
हीराकुंड बांध की लंबाई 25.8 किलोमीटर
ऊंचाई60.96 मीटर
जलाशय का क्षेत्रफललगभग 743 वर्ग किलोमीटर
निर्माण कंपनीसेन्ट्रल वाटरवेस, इंजीनियरिंग, इरिगेशन और नेविगेशन संस्थाएं 
निर्माण का समय1946-1957
जलधारण क्षमता8.1 बिलियन क्यूबिक मीटर
हीराकुंड बांध किसने बनवाया था?हीराकुंड बांध भारत सरकार द्वारा बनवाया गया था| 
हीराकुंड बांध में कितने गेट हैं? हीराकुंड बांध में कुल 64 गेट हैं| 

हीराकुंड बांध का स्थान

हीराकुंड बांध ओडिशा राज्य के संबलपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बांध महानदी नदी पर बना है, जो भारत की सबसे लंबी नदियों में से एक है। संबलपुर जिले का यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है और हीराकुंड/महानदी बांध ने इस क्षेत्र की खूबसूरती को और भी बढ़ा दिया है। बांध का निर्माण स्थल प्राकृतिक संसाधनों से घिरा हुआ है, जो इसे एक अद्वितीय स्थान बनाता है।

हीराकुंड बांध और महानदी का संबंध

महानदी, हीराकुंड/महानदी बांध के निर्माण का मुख्य आधार है। यह नदी ओडिशा राज्य की सबसे बड़ी और भारत की तीसरी सबसे बड़ी नदी है जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। हीराकुंड बांध महानदी के पानी को रोककर जल संचित करता है, जिससे क्षेत्र में जल की कमी नहीं होती। महानदी नदी का जल क्षेत्र की कृषि, बिजली और उद्योगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

हीराकुंड बांध का इतिहास

हीराकुंड बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और 1953 में बनकर पूरा हुआ। इस बांध का उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन था। बांध की आधारशिला 12 अप्रैल, 1948 को रखी गई थी और इसका उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।

बांध का निर्माण कब और क्यों हुआ?

हीराकुंड बांध के निर्माण से पहले महानदी पर हर साल विनाशकारी बाढ़ के कारण इस नदी को “ओडिशा का शोक” के नाम से जाना जाता था| इस समस्या के समाधान के लिए भारत के महान इंजिनियर सर एम. विश्वेश्वरैया ने महानदी पर बांध बनाने का सुझाव दिया था। इसके बाद इस बांध का निर्माण 1948 में शुरू किया गया था और 1953 तक इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था। 

बांध के उद्घाटन की कहानी

हीराकुंड/महानदी बांध को 13 जनवरी 1957 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा उट्घाटन करके देश को समर्पित कर दिया गया था। उन्होंने इस परियोजना को भारत की प्रगति का प्रतीक माना था। पंडित नेहरू ने बांध के उद्घाटन के समय इसे ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ के रूप में वर्णित किया था। उन्होंने इस अवसर पर कहा था कि “यह बांध भारत की आत्मनिर्भरता और विकास का प्रतीक है।” उद्घाटन के समय हजारों लोग इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने थे| 

निर्माण में आई चुनौतियाँ

हीराकुंड/महानदी बांध, दुनिया का सबसे लंबा बांध है और इतने बड़े बांध के निर्माण में चुनोतिया भी कम नहीं थी| इसके निर्माण में उस समय के हिसाब से लगभग 1000 मिलियन की लागत आई थी और उस समय के हिसाब से इतने बड़े बजट की पूर्ति करना आसान नहीं था| साथ में कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ, भारी मानसून, और तकनीकी समस्याओं ने निर्माण कार्य को कठिन बना दिया था। इसके बावजूद, इंजीनियरों और मजदूरो की कठिन मेहनत से दुनिया के सबसे लम्बे बांध के निर्माण का काम संभव हो सका था। 

एशिया के सबसे बड़े बांध की विशेषताएँ

  • दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी का बांध: हीराकुंड बांध दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है, जिसकी लंबाई 25.8 किलोमीटर है। यह बांध मिट्टी, चट्टान और कंक्रीट का मिश्रण है, जो इसे मजबूत और टिकाऊ बनाता है।
  • बांध की अनोखी डिजाइन: हीराकुंड/महानदी बांध की डिजाइन बहुत ही अनोखी है। यह बांध तीन हिस्सों में बंटा हुआ है: मुख्य बांध, बायीं ओर का बांध और दायीं ओर का बांध। यह डिजाइन बांध को मजबूती और स्थायित्व प्रदान करती है। मुख्य बांध की कुल लंबाई 4.8 किमी है जो दो पहाड़ियों के बीच फैला है, बाईं ओर लक्ष्मीडुंगरी और दाईं ओर चंदिली डुंगुरी। बांध के दोनों ओर 21 किलोमीटर तक फैले मिट्टी के बांध हैं| 
  • बांध की जलधारण क्षमता और लंबाई: हीराकुंड बांध की जलधारण क्षमता 8.1 अरब क्यूबिक मीटर और लम्बाई 25.8 किलोमीटर है| यह जलधारण क्षमता न सिर्फ क्षेत्र की जल आवश्यकता को पूरा करती है, बल्कि सूखे के समय में जल उपलब्धता भी सुनिश्चित करती है।
  • बांध के गेट: हीराकुंड/महानदी बांध में 64 गेट हैं, जिनसे जल प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। ये गेट्स बांध के जल स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • बांध के जलाशय का क्षेत्र: हीराकुंड बांध का जलाशय 743 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जलाशय मछली पालन और अन्य गतिविधियों के लिए भी उपयोगी है।
  • बांध की ऊंचाई: महानदी बांध की ऊंचाई 61 मीटर है, जो इसे एक विशाल संरचना बनाती है। इसकी ऊंचाई और लंबाई इसे एशिया के सबसे बड़े बांधों में से एक बनाती है।

हीराकुंड बांध की तकनीकी जानकारी

हीराकुंड बांध अपनी तकनीक और इंजीनियरिंग विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है| ये बांध आज़ाद भारत की पहली बड़ी परियोजना थी जिसे देश के क़ाबिल इंजीनियर, विशेषज्ञ और मजदूरों ने मिलकर बनाया था| इस टेबल में हम हीराकुंड बांध की तकनीकी जानकारी प्राप्त करेंगे-

विशेषताजानकारी
कुल लंबाई25.79 किमी (16.03 मील)
मुख्य बांध की लंबाई4.8 किमी (3.0 मील)
कृत्रिम झील का क्षेत्रफल743 किमी² (287 वर्ग मील)
सिंचित क्षेत्र (दोनों फसलें)2,355 किमी² (235,477 हेक्टेयर)
बांध निर्माण में नष्ट हुआ क्षेत्र596 किमी² (147,363 एकड़)
स्थापित क्षमता (विद्युत उत्पादन)347.5 मेगावाट
लागत (1957 में)₹ 1,000.2 मिलियन (2023 में ₹ 100 बिलियन या US$1.2 बिलियन के बराबर)
बांध का शीर्ष स्तरआरएल 195.680 मीटर (642 फीट)
मृत भंडारण स्तर आरएल 179.830 मीटर (590 फीट)
बांध में मिट्टी कार्य की कुल मात्रा18,100,000 मी³ (640 × 10^6 घन फीट)
कंक्रीट की कुल मात्रा1,070,000 मी³ (38 × 10^6 घन फीट)
जलग्रहण क्षेत्र83,400 किमी² (32,200 वर्ग मील)

हीराकुंड बांध का क्या महत्व है?

हीराकुंड बांध का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ यह बांध भारत के कृषि, उद्योग और ऊर्जा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह बांध बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन के साथ-साथ जल वितरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खेती में बांध की भूमिका

हीराकुंड बांध ने क्षेत्र की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके जल से लगभग 235,477 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। इस बांध के निर्माण से पहले जो क्षेत्र बंजर और सूखा ग्रस्त था अब वह जंगल लहलहा रहे हैं| बांध के अलावा इस बांध पर बने बिजली सयंत्र से छोड़े गए पानी से लगभग 4,360 किमी 2 सीसीए की सिचाई होती है| इसके जल से कई प्रकार की फसलों की खेती की जाती है, जैसे धान, गेहूं, और सब्जियाँ।

बिजली उत्पादन और जल वितरण

इस बांध पर अलग-अलग पावर हाउस स्थापित किये गये है| 

  • मुख्य पॉवर हाउस, 259.5 मेगावाट बिजली उत्पन्न करता है| इसमें 3 x 37.5 मेगावाट कापलान टरबाइन और 2 x 24 मेगावाट फ्रांसिस टरबाइन जनरेटर लगाया गया हैंI 
  • बांध से 19 किमी दक्षिण पूर्व में चिपिलिमा पॉवर प्लांट स्थित है। इसमें 3 x 24 मेगावाट जनरेटर हैं।
  • बांध के दोनों बिजली घरों की कुल उत्पादन क्षमता 347.5 मेगावाट है। इससे क्षेत्र की उद्योगों और घरों को बिजली की आपूर्ति होती है, जिससे आर्थिक विकास में भी वृद्धि होती है। हीराकुंड/महानदी बांध की बिजली उत्पादन क्षमता ने ओडिशा राज्य को आत्मनिर्भर बनाया है।

हीराकुंड बांध और पर्यटन

महानदी बांध पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यहां पर पर्यटकों के लिए कई आकर्षण हैं, जैसे बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स।

बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स

हीराकुंड(महानदी) बांध क्षेत्र में बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स की सुविधा उपलब्ध है। यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन चुका है, बांध के जल में बोटिंग की सुविधा पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। इसके अलावा, यहाँ वाटर स्कीइंग, कयाकिंग भी की जा सकती हैं।

बांध के आसपास का आकर्षण

महानदी बांध के आसपास कई आकर्षण स्थल हैं, जैसे गांधी मीनार और नेहरू पार्क। ये स्थल पर्यटकों को बांध के खूबसूरत नजारो का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं। गांधी मीनार से बांध का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है, जबकि नेहरू पार्क में परिवार के साथ पिकनिक मनाई जा सकती है। इसके अलावा, बांध के आसपास कई मंदिर और प्राकृतिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

हीराकुंड बांध से जुड़े मुद्दे

हीराकुंड(महानदी) बांध के निर्माण से आसपास के क्षेत्र में हमेशा बाढ़ आने का खतरा बना रहता है| एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार 2022 में भी हीराकुंड(महानदी) बांध में बाढ़ आने से कई गांव जलमग्न हो गए थे| 

बांध का पर्यावरण पर प्रभाव

हीराकुंड(महानदी) बांध का निर्माण पर्यावरण पर भी प्रभाव डालता है। जल संचित करने से वनस्पति और जीव-जंतु प्रभावित होते हैं। बांध के निर्माण से जलस्तर में परिवर्तन होता है, जिससे क्षेत्र की जैव विविधता प्रभावित होती है। बांध के कारण जलाशय के क्षेत्र में वनस्पति और जलीय जीवों का स्थानांतरण होता है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित होता है।

बांध निर्माण से प्रभावित लोग

हीराकुंड(महानदी) बांध के निर्माण के समय लगभग 147,363 एकड़ जमीन नष्ट हो गयी थी और कई गांव विस्थापित हुए थे। हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए और उन्हें नए स्थान पर बसना पड़ा। इन लोगों के पुनर्वास की समस्या आज भी बनी हुई है। विस्थापित लोगों को नई जगह पर बसने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और कई बार उन्हें आवश्यक सुविधाएँ भी प्राप्त नहीं हो सकीं।

बांध की देखभाल और सुरक्षा

महानदी(हीराकुंड) बांध की देखभाल और सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। समय-समय पर बांध की मरम्मत और निरीक्षण जरूरी होता है, ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। बांध की संरचना की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस किया जाता है। इसके अलावा, बांध की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी किया जाता है, ताकि संभावित खतरों से निपटा जा सके।

निष्कर्ष

हीराकुंड(महानदी) बांध भारत का एक महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग चमत्कार है। इस ब्लॉग में हमने हीराकुंड(महानदी) बांध की जानकारी जैसे- हीराकुंड बांध कहां है, हीराकुंड बांध किस नदी पर स्थित है, हीराकुंड बांध की लंबाई, हीराकुंड बांध किसने बनवाया और हीराकुंड बांध में कितने गेट हैं? 

हीराकुंड(महानदी) बांध ने न सिर्फ जल समस्या का समाधान किया है, बल्कि क्षेत्र की कृषि और बिजली उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हीराकुंड(महानदी) बांध भारत के विकास की एक मिसाल है और आने वाले समय में भी यह क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। हीराकुंड बांध के कारण ओडिशा राज्य ने आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और यह बांध भविष्य में भी इसी तरह की भूमिका निभाता रहेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

हीराकुंड बांध क्यों प्रसिद्ध है?

हीराकुंड(महानदी) बांध भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध बांध है। इसकी प्रसिद्धि के कुछ प्रमुख कारण हैं:
• यह भारत का सबसे लंबा बांध है।
• इसका निर्माण एक जटिल इंजीनियरिंग कार्य था, जो उस समय के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
• अपनी विशालता और सुंदरता के कारण यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।

हीराकुंड बांध कौन से राज्य में स्थित है?

ओडिशा के संबलपुर शहर में महानदी पर हीराकुंड बांध परियोजना बनाई गई है।

हीराकुंड बांध की लंबाई और चौड़ाई कितनी है?

हीराकुंड(महानदी) बांध की कुल लंबाई लगभग 25.8 किलोमीटर है। वहीं, मुख्य भाग की लंबाई लगभग 4.8 किलोमीटर है। इसकी चौड़ाई और ऊंचाई अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग हो सकती है।

हीराकुंड बांध में कुल कितने गेट हैं?

हीराकुंड बांध में कुल 64 गेट हैं।

हीराकुंड बांध का दूसरा नाम क्या है?

हीराकुंड बांध का कोई विशेष रूप से प्रचलित दूसरा नाम नहीं है। हालांकि, इसे महानदी पर स्थित बांध के रूप में भी जाना जाता है।

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