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जब भी दुनिया के सबसे लंबे मानव निर्मित बांध की बात आती है तो भारत के हीराकुंड बांध का नाम इस लिस्ट में पहले नंबर पर आता है। हीराकुंड बांध, ओडिशा की महानदी पर बना दुनिया का सबसे लंबा मिट्टी का बांध और भारत का एक प्रमुख इंजीनियरिंग चमत्कार है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे हीराकुंड बांध कहां है, हीराकुंड बांध किस नदी पर स्थित है, हीराकुंड बांध की लंबाई, हीराकुंड बांध किसने बनवाया और हीराकुंड बांध में कितने गेट हैं?
हीराकुंड बांध ओडिशा के संबलपुर से 15 किलोमीटर दूरी पर महानदी नदी पर बना है, जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों से होकर गुजरती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। हीराकुंड बांध कहां है? ये जानने के बाद हम हीराकुंड बांध की तकनीकी जानकारी प्राप्त करेंगे:
विवरण | जानकारी |
हीराकुंड बांध कहाँ है? | संबलपुर जिला, ओडिशा, भारत |
किस नदी पर स्थित है? | महानदी पर स्थित है |
हीराकुंड बांध की लंबाई | 25.8 किलोमीटर |
ऊंचाई | 60.96 मीटर |
जलाशय का क्षेत्रफल | लगभग 743 वर्ग किलोमीटर |
निर्माण कंपनी | सेन्ट्रल वाटरवेस, इंजीनियरिंग, इरिगेशन और नेविगेशन संस्थाएं |
निर्माण का समय | 1946-1957 |
जलधारण क्षमता | 8.1 बिलियन क्यूबिक मीटर |
हीराकुंड बांध किसने बनवाया था? | हीराकुंड बांध भारत सरकार द्वारा बनवाया गया था| |
हीराकुंड बांध में कितने गेट हैं? | हीराकुंड बांध में कुल 64 गेट हैं| |
हीराकुंड बांध ओडिशा राज्य के संबलपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बांध महानदी नदी पर बना है, जो भारत की सबसे लंबी नदियों में से एक है। संबलपुर जिले का यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है और हीराकुंड/महानदी बांध ने इस क्षेत्र की खूबसूरती को और भी बढ़ा दिया है। बांध का निर्माण स्थल प्राकृतिक संसाधनों से घिरा हुआ है, जो इसे एक अद्वितीय स्थान बनाता है।
महानदी, हीराकुंड/महानदी बांध के निर्माण का मुख्य आधार है। यह नदी ओडिशा राज्य की सबसे बड़ी और भारत की तीसरी सबसे बड़ी नदी है जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। हीराकुंड बांध महानदी के पानी को रोककर जल संचित करता है, जिससे क्षेत्र में जल की कमी नहीं होती। महानदी नदी का जल क्षेत्र की कृषि, बिजली और उद्योगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
हीराकुंड बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और 1953 में बनकर पूरा हुआ। इस बांध का उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन था। बांध की आधारशिला 12 अप्रैल, 1948 को रखी गई थी और इसका उद्घाटन 13 जनवरी 1957 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।
हीराकुंड बांध के निर्माण से पहले महानदी पर हर साल विनाशकारी बाढ़ के कारण इस नदी को “ओडिशा का शोक” के नाम से जाना जाता था| इस समस्या के समाधान के लिए भारत के महान इंजिनियर सर एम. विश्वेश्वरैया ने महानदी पर बांध बनाने का सुझाव दिया था। इसके बाद इस बांध का निर्माण 1948 में शुरू किया गया था और 1953 तक इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया था।
हीराकुंड/महानदी बांध को 13 जनवरी 1957 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा उट्घाटन करके देश को समर्पित कर दिया गया था। उन्होंने इस परियोजना को भारत की प्रगति का प्रतीक माना था। पंडित नेहरू ने बांध के उद्घाटन के समय इसे ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ के रूप में वर्णित किया था। उन्होंने इस अवसर पर कहा था कि “यह बांध भारत की आत्मनिर्भरता और विकास का प्रतीक है।” उद्घाटन के समय हजारों लोग इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने थे|
हीराकुंड/महानदी बांध, दुनिया का सबसे लंबा बांध है और इतने बड़े बांध के निर्माण में चुनोतिया भी कम नहीं थी| इसके निर्माण में उस समय के हिसाब से लगभग 1000 मिलियन की लागत आई थी और उस समय के हिसाब से इतने बड़े बजट की पूर्ति करना आसान नहीं था| साथ में कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ, भारी मानसून, और तकनीकी समस्याओं ने निर्माण कार्य को कठिन बना दिया था। इसके बावजूद, इंजीनियरों और मजदूरो की कठिन मेहनत से दुनिया के सबसे लम्बे बांध के निर्माण का काम संभव हो सका था।
हीराकुंड बांध अपनी तकनीक और इंजीनियरिंग विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है| ये बांध आज़ाद भारत की पहली बड़ी परियोजना थी जिसे देश के क़ाबिल इंजीनियर, विशेषज्ञ और मजदूरों ने मिलकर बनाया था| इस टेबल में हम हीराकुंड बांध की तकनीकी जानकारी प्राप्त करेंगे-
विशेषता | जानकारी |
कुल लंबाई | 25.79 किमी (16.03 मील) |
मुख्य बांध की लंबाई | 4.8 किमी (3.0 मील) |
कृत्रिम झील का क्षेत्रफल | 743 किमी² (287 वर्ग मील) |
सिंचित क्षेत्र (दोनों फसलें) | 2,355 किमी² (235,477 हेक्टेयर) |
बांध निर्माण में नष्ट हुआ क्षेत्र | 596 किमी² (147,363 एकड़) |
स्थापित क्षमता (विद्युत उत्पादन) | 347.5 मेगावाट |
लागत (1957 में) | ₹ 1,000.2 मिलियन (2023 में ₹ 100 बिलियन या US$1.2 बिलियन के बराबर) |
बांध का शीर्ष स्तर | आरएल 195.680 मीटर (642 फीट) |
मृत भंडारण स्तर आरएल | 179.830 मीटर (590 फीट) |
बांध में मिट्टी कार्य की कुल मात्रा | 18,100,000 मी³ (640 × 10^6 घन फीट) |
कंक्रीट की कुल मात्रा | 1,070,000 मी³ (38 × 10^6 घन फीट) |
जलग्रहण क्षेत्र | 83,400 किमी² (32,200 वर्ग मील) |
हीराकुंड बांध का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ यह बांध भारत के कृषि, उद्योग और ऊर्जा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह बांध बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उत्पादन के साथ-साथ जल वितरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हीराकुंड बांध ने क्षेत्र की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके जल से लगभग 235,477 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है। इस बांध के निर्माण से पहले जो क्षेत्र बंजर और सूखा ग्रस्त था अब वह जंगल लहलहा रहे हैं| बांध के अलावा इस बांध पर बने बिजली सयंत्र से छोड़े गए पानी से लगभग 4,360 किमी 2 सीसीए की सिचाई होती है| इसके जल से कई प्रकार की फसलों की खेती की जाती है, जैसे धान, गेहूं, और सब्जियाँ।
इस बांध पर अलग-अलग पावर हाउस स्थापित किये गये है|
महानदी बांध पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यहां पर पर्यटकों के लिए कई आकर्षण हैं, जैसे बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स।
हीराकुंड(महानदी) बांध क्षेत्र में बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स की सुविधा उपलब्ध है। यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन चुका है, बांध के जल में बोटिंग की सुविधा पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। इसके अलावा, यहाँ वाटर स्कीइंग, कयाकिंग भी की जा सकती हैं।
महानदी बांध के आसपास कई आकर्षण स्थल हैं, जैसे गांधी मीनार और नेहरू पार्क। ये स्थल पर्यटकों को बांध के खूबसूरत नजारो का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं। गांधी मीनार से बांध का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है, जबकि नेहरू पार्क में परिवार के साथ पिकनिक मनाई जा सकती है। इसके अलावा, बांध के आसपास कई मंदिर और प्राकृतिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
हीराकुंड(महानदी) बांध के निर्माण से आसपास के क्षेत्र में हमेशा बाढ़ आने का खतरा बना रहता है| एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार 2022 में भी हीराकुंड(महानदी) बांध में बाढ़ आने से कई गांव जलमग्न हो गए थे।
हीराकुंड(महानदी) बांध का निर्माण पर्यावरण पर भी प्रभाव डालता है। जल संचित करने से वनस्पति और जीव-जंतु प्रभावित होते हैं। बांध के निर्माण से जलस्तर में परिवर्तन होता है, जिससे क्षेत्र की जैव विविधता प्रभावित होती है। बांध के कारण जलाशय के क्षेत्र में वनस्पति और जलीय जीवों का स्थानांतरण होता है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित होता है।
हीराकुंड(महानदी) बांध के निर्माण के समय लगभग 147,363 एकड़ जमीन नष्ट हो गयी थी और कई गांव विस्थापित हुए थे। हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए और उन्हें नए स्थान पर बसना पड़ा। इन लोगों के पुनर्वास की समस्या आज भी बनी हुई है। विस्थापित लोगों को नई जगह पर बसने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और कई बार उन्हें आवश्यक सुविधाएँ भी प्राप्त नहीं हो सकीं।
महानदी(हीराकुंड) बांध की देखभाल और सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। समय-समय पर बांध की मरम्मत और निरीक्षण जरूरी होता है, ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। बांध की संरचना की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस किया जाता है। इसके अलावा, बांध की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी किया जाता है, ताकि संभावित खतरों से निपटा जा सके।
हीराकुंड(महानदी) बांध भारत का एक महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग चमत्कार है। इस ब्लॉग में हमने हीराकुंड(महानदी) बांध की जानकारी जैसे- हीराकुंड बांध कहां है, हीराकुंड बांध किस नदी पर स्थित है, हीराकुंड बांध की लंबाई, हीराकुंड बांध किसने बनवाया और हीराकुंड बांध में कितने गेट हैं?
हीराकुंड(महानदी) बांध ने न सिर्फ जल समस्या का समाधान किया है, बल्कि क्षेत्र की कृषि और बिजली उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हीराकुंड(महानदी) बांध भारत के विकास की एक मिसाल है और आने वाले समय में भी यह क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। हीराकुंड बांध के कारण ओडिशा राज्य ने आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और यह बांध भविष्य में भी इसी तरह की भूमिका निभाता रहेगा।
हीराकुंड(महानदी) बांध भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध बांध है। इसकी प्रसिद्धि के कुछ प्रमुख कारण हैं:
• यह भारत का सबसे लंबा बांध है।
• इसका निर्माण एक जटिल इंजीनियरिंग कार्य था, जो उस समय के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
• अपनी विशालता और सुंदरता के कारण यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
ओडिशा के संबलपुर शहर में महानदी पर हीराकुंड बांध परियोजना बनाई गई है।
हीराकुंड(महानदी) बांध की कुल लंबाई लगभग 25.8 किलोमीटर है। वहीं, मुख्य भाग की लंबाई लगभग 4.8 किलोमीटर है। इसकी चौड़ाई और ऊंचाई अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग हो सकती है।
हीराकुंड बांध में कुल 64 गेट हैं।
हीराकुंड बांध का कोई विशेष रूप से प्रचलित दूसरा नाम नहीं है। हालांकि, इसे महानदी पर स्थित बांध के रूप में भी जाना जाता है।
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