जैविक खेती क्या है?: परिभाषा, प्रकार, विशेषताएं और लाभ

November 11, 2024
जैविक खेती क्या है
Quick Summary

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जैविक खेती एक कृषि पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक उर्वरकों, जैविक कीटनाशकों और पारंपरिक कृषि विधियों का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, पर्यावरण को नुकसान नहीं होता, और उत्पादन में स्वास्थ्यवर्धक फसलें प्राप्त होती हैं।

Table of Contents

आज के समय में, जब हम पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं, ऑर्गेनिक फार्मिंग या जैसा कि हिंदी में कहा जाता है – जैविक खेती, एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आ रही है। जैविक खेती क्या है? ये एक ऐसी कृषि पद्धति है जो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना, गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पादन पर केंद्रित है।

इस लेख में हम जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं जैसे मिट्टी प्रबंधन, कीट नियंत्रण, बीज चयन, जल संरक्षण और इसके पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप इस प्राकृतिक और टिकाऊ कृषि पद्धति को बेहतर समझ सकें।

जैविक खेती की परिभाषा (Jaivik Kheti ki Paribhasha)

ऑर्गेनिक फार्मिंग को जैविक खेती हिंदी में कहा जाता है। जैविक खेती क्या है? ये एक ऐसी कृषि प्रणाली है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (GMOs) का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके बजाय, ये प्राकृतिक प्रक्रियाओं, जैविक खाद, और पारिस्थितिक संतुलन पर निर्भर करती है। जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल तरीके से स्वस्थ और पोषक खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना है।

जैविक खेती के प्रकार

जैविक खेती क्या है यह समझने के बाद जैविक खेती के प्रकार समझ लेते है।जैविक खेती के प्रकार जो अलग-अलग परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार अपनाए जाते हैं। जैविक खेती के दो मुख्य प्रकार हैं:

1. शुद्ध जैविक खेती क्या होती है?

शुद्ध जैविक खेती क्या है? शुद्ध जैविक खेती में, कृषि उत्पादन के सभी चरणों में किसी भी प्रकार के सिंथेटिक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है। पौधों को पोषण देने के लिए खाद, वर्मीकम्पोस्ट और अन्य जैविक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। कीटों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशकों, जैसे नीम का तेल, लहसुन का अर्क आदि का उपयोग किया जाता है। वहीँ, खरपतवारों को हटाने के लिए हाथ से निराई या घास काटने जैसी यांत्रिक विधियों का उपयोग किया जाता है।

2. एकीकृत जैविक खेती क्या है?

एकीकृत जैविक खेती क्या है? एकीकृत जैविक खेती में, जैविक और पारंपरिक खेती के सिद्धांतों का संयोजन किया जाता है। यह खेती की एक अधिक लचीली विधि है, जो विभिन्न परिस्थितियों और किसानों की जरूरतों के अनुकूल हो सकती है।

यह खेती कीटों, रोगों और खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए जैविक और रासायनिक दोनों विधियों का उपयोग करती है। यह खेती पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो सकती है।

जैविक खेती की विशेषताएं

जैविक खेती की विशेषताएं जैविक खेती को पारंपरिक कृषि पद्धतियों से अलग करती हैं। आइए इन विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा करें। जैविक खेती की विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • प्राकृतिक तरीकों का उपयोग
  • रासायनिक इनपुट का कम प्रयोग
  • जैव विविधता को बढ़ावा
  • मिट्टी की गुणवत्ता पर ध्यान
  • पशु कल्याण की प्राथमिकता
  • टिकाऊ कृषि प्रणाली

1. रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करना

जैविक खेती की विशेषताएं में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करना शामिल है जिसमे रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर कंपोस्ट, हरी खाद, प्राकृतिक जैविक उर्वरक, लाभदायक सूक्ष्मजीवों के जैव उर्वरक, और फसल चक्रीकरण का उपयोग किया जाता है। ये विकल्प मिट्टी की उर्वरता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाते हैं, पर्यावरण के अनुकूल हैं, और दीर्घकालिक मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं।

2. कीटनाशकों का प्राकृतिक विकल्प

कीटनाशकों का प्राकृतिक विकल्प भी जैविक खेती की विशेषताएं में शामिल है, जिससे जैविक खेती में कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधियाँ जैसे जैविक कीटनाशक, परभक्षी कीड़े, फेरोमोन ट्रैप, फसल रोटेशन और अंतर-फसल का उपयोग किया जाता है। ये तरीके पर्यावरण के अनुकूल हैं और हानिकारक कीटों को नियंत्रित करते हुए लाभदायक जीवों की रक्षा करते हैं।

3. मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण

मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण जैविक खेती की विशेषताएं में से एक है जिसमे, जैविक खेती में मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के मुख्य तरीके:

  • 1. नियमित मिट्टी परीक्षण
  • 2. कंपोस्ट और हरी खाद का उपयोग
  • 3. मल्चिंग द्वारा नमी संरक्षण
  • 4. कम जुताई
  • 5. फसल चक्र अपनाना

4. जल संसाधनों का संरक्षण

जैविक खेती में जल संरक्षण के लिए कई प्रभावी तरीके अपनाए जाते हैं। इनमें ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर जैसी कुशल सिंचाई प्रणालियाँ, वर्षा जल संचयन, मिट्टी में जैविक पदार्थों की वृद्धि, सूखा प्रतिरोधी फसलों का चयन, और मल्चिंग शामिल हैं। ये तकनीकें पानी की बर्बादी को कम करते हुए, मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाते हैं और कृषि में पानी के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करती हैं। जल संसाधनों का संरक्षण भी जैविक खेती की विशेषताएं में से इसकी ख़ास विशेषता है। 

जैविक खेती के लाभ

जैविक खेती के लाभ की बात करें तो जैविक खेती के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं जो इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं:

पर्यावरणीय लाभ

जैविक खेती के लाभ की बात करें तो पर्यावरणीय लाभ इसका सबसे बड़ा लाभ है:

  • बेहतर मिट्टी गुणवत्ता
  • जैव विविधता संरक्षण
  • जल प्रदूषण में कमी
  • कम कार्बन पदचिह्न

स्वास्थ्य लाभ

जैविक खेती के लाभ की बात कर तो स्वास्थ्य लाभ भी जैविक खेती से होने वाले लाभ में आता है:

  • कम रासायनिक अवशेष
  • संभावित उच्च पोषक तत्व
  • कम एंटीबायोटिक प्रतिरोध जोखिम

आर्थिक लाभ

जैविक खेती के लाभ का आर्थिक लाभ एक हिस्सा है:

  • उच्च मूल्य वाले उत्पाद
  • दीर्घकालिक लागत में कमी
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को समर्थन

जैविक खेती के नुकसान

  • जैविक खेती का मुख्य मुद्दा अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और उत्पाद के विपणन की कमी है।
  • जैविक खेती के माध्यम से प्राप्त उत्पाद शुरुआती वर्षों में रासायनिक उत्पादों की तुलना में कम होते हैं। इसलिए, किसानों को बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए समायोजित करना मुश्किल लगता है।
  • जैविक उत्पादों में रासायनिक उत्पादों की तुलना में अधिक दोष होते हैं और उनकी शेल्फ लाइफ कम होती है।
  • ऑफ-सीजन फ़सलें सीमित होती हैं और जैविक खेती में विकल्प कम होते हैं।

जैविक खेती के सिद्धांत 

जैविक खेती के सिद्धांत कुछ इस प्रकार है:

  • जैविक खेती के सिद्धांत में से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है प्राकृतिक चक्र का सम्मान करना।
    • पर्यावरण के साथ सामंजस्य में काम करना
    • प्राकृतिक प्रक्रियाओं का उपयोग
  • जैविक खेती के सिद्धांत में एक प्रमुख सिद्धांत है जैव विविधता का संरक्षण।
    • विभिन्न फसलों और प्रजातियों को बढ़ावा देना
    • पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना
  • मिट्टी का स्वास्थ्य भी जैविक खेती के सिद्धांत है।
    • जैविक पदार्थों द्वारा मिट्टी को पोषण देना
    • मिट्टी के जीवों की रक्षा करना
  • रासायनिक मुक्त खेती का अभ्यास जैविक खेती के सिद्धांत में से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है
    • कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न करना
    • प्राकृतिक समाधानों पर निर्भर रहना
  • जैविक खेती के सिद्धांत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धांत है पशु कल्याण पर ध्यान देना।
    • पशुओं के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान करना
    • मानवीय तरीके से पशुपालन
  • स्थानीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना भी जैविक खेती के सिद्धांत का जरूरी हिस्सा है।
    • स्थानीय बीजों और प्रजातियों को प्राथमिकता देना
    • स्थानीय ज्ञान का उपयोग करना

जैविक खेती के उद्देश्य

जैविक खेती के उद्देश्य इस कृषि पद्धति के मूल दर्शन को प्रतिबिंबित करते हैं। आइए इन उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा करें। जैविक खेती के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना
  • जैव विविधता को बढ़ावा देना
  • मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
  • रासायनिक प्रदूषण को कम करना
  • स्थानीय संसाधनों का उपयोग

1. स्वस्थ और सुरक्षित खाद्य उत्पादन

जैविक खेती के उद्देश्य में स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना शामिल है:

  • रासायनिक अवशेषों से मुक्त: जैविक उत्पादों में हानिकारक रसायनों के अवशेष नहीं होते, जो उन्हें अधिक सुरक्षित बनाता है।
  • पोषक तत्वों की उच्च मात्रा: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि जैविक उत्पादों में कुछ पोषक तत्वों की मात्रा अधिक हो सकती है।
  • एंटीबायोटिक मुक्त: जैविक पशुपालन में एंटीबायोटिक्स का रोटीन उपयोग नहीं किया जाता, जो एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खतरे को कम करता है।
  • GMO मुक्त: जैविक खेती में आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (GMOs) का उपयोग नहीं किया जाता।
  • स्वाद और गुणवत्ता: कई लोगों का मानना है कि जैविक उत्पादों का स्वाद बेहतर होता है और वे अधिक ताजे होते हैं।

2. पर्यावरण संरक्षण

जैविक खेती पर्यावरण संरक्षण को एक जैविक खेती के उद्देश्य के रूप में रखती है:

  • मिट्टी का संरक्षण: जैविक खेती मिट्टी की संरचना और जैविक पदार्थों को बढ़ाती है, जो मिट्टी के कटाव को रोकता है।
  • जल संरक्षण: कुशल सिंचाई प्रणालियों और जल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • जैव विविधता का संरक्षण: रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग न करने से कीड़े और अन्य जीवों की विविधता बनी रहती है।
  • वायु प्रदूषण में कमी: रासायनिक स्प्रे के उपयोग न करने से वायु प्रदूषण कम होता है।
  • कार्बन पदचिह्न में कमी: जैविक खेती में कम ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग होता है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।

3. स्थायी कृषि प्रणाली का विकास

जैविक खेती के उद्देश्य में जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, एक ऐसी कृषि प्रणाली विकसित करना जो लंबे समय तक चल सके:

  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: जैविक खेती मिट्टी, जल और जैव विविधता जैसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती है।
  • ऊर्जा दक्षता: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके और कम इनपुट वाली प्रणालियों को अपनाकर ऊर्जा की खपत को कम किया जाता है।
  • आर्थिक स्थिरता: जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग किसानों को लंबे समय तक स्थिर आय प्रदान कर सकती है।
  • सामाजिक न्याय: जैविक खेती छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाने का प्रयास करती है।
  • भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों का संरक्षण: जैविक खेती वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने का प्रयास करती है।

इन जैविक खेती के उद्देश्य के माध्यम से, जैविक खेती न केवल गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पादन सुनिश्चित करती है, बल्कि एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाती है जो पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है। यह एक ऐसी कृषि प्रणाली है जो वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी संसाधनों को सुरक्षित रखती है।

जैविक खेती की तकनीक

मृदा प्रबंधन तकनीक | Soil Management Techniques

जैविक खेती में मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए रासायनिक उर्वरकों के बजाय प्राकृतिक और जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है:

  1. कंपोस्ट: यह जैविक अपशिष्ट से तैयार किया गया उच्च गुणवत्ता वाला खाद है। इसमें पौधों के अवशेष, पशु मल, और अन्य जैविक पदार्थ शामिल होते हैं। कंपोस्ट मिट्टी की संरचना सुधारता है और पोषक तत्व प्रदान करता है।
  2. वर्मीकंपोस्ट: यह केंचुओं द्वारा जैविक अपशिष्ट को अपघटित करके बनाया जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाता है।
  3. हरी खाद: इसमें फसल अवशेषों या विशेष रूप से उगाई गई फसलों को मिट्टी में मिलाया जाता है। यह नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है और मिट्टी की संरचना सुधारता है।
  4. जैव उर्वरक: ये लाभदायक सूक्ष्मजीवों का उपयोग करते हैं जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं। उदाहरण: राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, और फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया।
  5. प्राकृतिक खनिज: रॉक फॉस्फेट, डोलोमाइट चूना, और पोटाश रॉक जैसे प्राकृतिक खनिजों का उपयोग किया जाता है।

जैविक कीट नियंत्रण | Organic Pest Control

जैविक खेती में कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक और जैविक विधियों का उपयोग किया जाता है:

  1. प्राकृतिक कीटनाशक (नीम, लहसुन)
  2. परभक्षी कीड़ों का उपयोग
  3. फेरोमोन ट्रैप
  4. जैविक नियंत्रण एजेंट (जैसे Bt)
  5. भौतिक बाधाएँ (जाल, मल्च)

फसल विविधता तकनीकें | Maintaining Crop Diversity

फसल चक्रीकरण और मिश्रित फसल प्रणाली दो महत्वपूर्ण तकनीकें हैं जो जैविक खेती में फसल विविधता बनाये रखने के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं:

1. फसल चक्रीकरण

  • इसमें एक ही खेत में अलग-अलग मौसमों में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं।
  • लाभ:
    • मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखता है।
    • कीट और रोग चक्र को तोड़ता है।
    • मिट्टी की संरचना में सुधार करता है।
  • उदाहरण: दलहन फसलों को अनाज फसलों के साथ रोटेट करना।

2. मिश्रित फसल प्रणाली

  • इसमें एक ही खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाई जाती हैं।
  • लाभ:
    • भूमि का अधिकतम उपयोग।
    • कीट नियंत्रण में मदद करता है।
    • फसल विफलता का जोखिम कम करता है।
  • उदाहरण: मक्का के साथ फलियाँ उगाना, या गेहूं के साथ सरसों।

खरपतवार प्रबंधन | Weed Management

खरपतवार प्रबंधन जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण चुनौती है। खरपतवार उन पौधों को कहा जाता है जो बिना बुलाए उग जाते हैं और फसलों के साथ पोषक तत्वों, पानी और सूर्य के प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

जैविक खेती में रासायनिक खरपतवारनाशकों का उपयोग प्रतिबंधित है, इसलिए खरपतवार प्रबंधन के लिए प्राकृतिक और यांत्रिक विधियों का उपयोग किया जाता है।जैसे कि:

  • खरपतवारों को हाथ से खींचकर या काटकर हटाना।
  • खुरपी या अन्य उपकरणों का उपयोग करके खरपतवारों को हटाना।
  • खेत में रोलर चलाकर खरपतवारों को नष्ट करना।
  • फसल के अवशेषों को खेत में छोड़कर खरपतवारों के विकास को रोकना।

जैविक खेती के चुनौतियाँ और समाधान

जैविक खेती की प्रमुख चुनौतियाँ और समाधान
क्रमिककारकचुनौतीसमाधान
1उत्पादकताशुरुआती कम उपजमिट्टी सुधार, जैव उर्वरक, फसल चक्रीकरण
2कीट नियंत्रणरासायनिक कीटनाशकों के बिना कठिनाईजैविक कीटनाशक, परभक्षी कीड़े, रोग प्रतिरोधी किस्में
3खरपतवारश्रम-गहन नियंत्रणमैकेनिकल वीडिंग, मल्चिंग, कवर क्रॉप्स
4प्रमाणीकरणजटिल और महंगी प्रक्रियासरकारी सहायता, सामूहिक प्रमाणीकरण
5बाजारसीमित पहुंचस्थानीय बाजार, ई-कॉमर्स, उपभोक्ता जागरूकता
6लागतउच्च प्रारंभिक लागतसब्सिडी, मूल्य वर्धित उत्पाद, स्थानीय संसाधन
7ज्ञानतकनीकी ज्ञान की कमीप्रशिक्षण, किसान-से-किसान शिक्षण, डिजिटल प्लेटफॉर्म
8जलवायु परिवर्तनअतिरिक्त जोखिमजलवायु-अनुकूल किस्में, जल संरक्षण
9संक्रमण अवधिकठिन परिवर्तनचरणबद्ध योजना, वित्तीय सहायता
10उपभोक्ता धारणाकीमत और दिखावट संबंधी चिंताएंजागरूकता अभियान, गुणवत्ता नियंत्रण.
जैविक खेती के चुनौतियाँ और समाधान

इन चुनौतियों के समाधान से जैविक खेती को बढ़ावा मिल सकता है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

निष्कर्ष

ऑर्गेनिक फार्मिंग यानि जैविक खेती क्या है? ये एक ऐसी कृषि पद्धति है जो पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के इस युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पादन पर केंद्रित है। स्थलीय, जलीय और मिश्रित जैसे विभिन्न प्रकार की जैविक खेती विभिन्न परिस्थितियों में अपनाई जाती है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का त्याग, मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण, और जल संसाधनों का कुशल उपयोग इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।

जैविक खेती के पर्यावरणीय, स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ महत्वपूर्ण हैं, हालांकि शुरुआती कम उत्पादकता, कीट नियंत्रण की कठिनाइयाँ, और बाजार तक सीमित पहुंच जैसी चुनौतियाँ भी हैं। उचित तकनीकों, प्रशिक्षण और सरकारी समर्थन से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। जैविक खेती न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए स्वस्थ खाद्य उत्पादन सुनिश्चित करती है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी कृषि प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

जैविक खेती का क्या अर्थ है?

जैविक खेती कृषि की वह विधा है जिसमें मृदा को स्वस्थ व जीवंत रखते हुए केवल जैव अवशिष्ट, जैविक तथा जीवाणु खाद के प्रयोग से प्रकृति के साथ समन्वय रख कर टिकाऊ फसल उत्पादन किया जाता है।

जैविक खेती के कितने प्रकार होते हैं?

जैविक खेती के प्रकार:
1. एकीकृत जैविक खेती
2. शुद्ध जैविक खेती

जैविक खेती के फायदे और नुकसान क्या हैं?

जैविक खेती के कई फायदे हैं, जैसे कि मृदा की गुणवत्ता में सुधार, पर्यावरण की सुरक्षा, रासायनिक प्रदूषण से मुक्ति और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी। यह कृषि उत्पादन में जैविक तरीकों से बढ़ोतरी करता है, जिससे रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग कम होता है। हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं, जैसे उत्पादन की कम दर, अधिक श्रम, और उच्च लागत, जिससे इसे अपनाना महंगा पड़ सकता है।

जैविक खेती का जनक कौन था?

ब्रिटिश वनस्पतिशास्त्री सर अल्बर्ट हॉवर्ड को अक्सर आधुनिक जैविक कृषि का जनक कहा जाता है।

जैविक चिन्ह क्या है?

जैविक चिन्ह एक प्रमाणपत्र है जो यह दर्शाता है कि कोई उत्पाद जैविक तरीके से उत्पादित किया गया है। यह चिन्ह उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि वे प्राकृतिक और स्वस्थ खाद्य उत्पाद खरीद रहे हैं।

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