कलिंग युद्ध: इतिहास, कारण और परिणाम 

September 13, 2024
कलिंग युद्ध
Quick Summary

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कलिंग युद्ध 261 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य और कलिंग राज्य के बीच लड़ा गया था। यह लड़ाई वर्तमान ओडिशा के पास हुई और भारतीय इतिहास की सबसे घातक लड़ाइयों में से एक मानी जाती है। इस युद्ध के बाद, मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

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261 ईसा पूर्व में लड़ा गया कलिंग युद्ध भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। यह संघर्ष मौर्य सम्राट अशोक और कलिंग राज्य के बीच हुआ था, जो आज के ओडिशा और आंध्र प्रदेश के उत्तरी हिस्सों में स्थित था। इस युद्ध में लाखों सैनिकों और नागरिकों की जानें गईं, जिससे अशोक को गहरा पछतावा हुआ। इस घटना के बाद, अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। कलिंग युद्ध ने न केवल मौर्य साम्राज्य के विस्तार को प्रभावित किया, बल्कि अशोक के जीवन और शासन में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया। यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज है।

वर्ष (ई.पू.)घटना का विवरण
269 ई.पू.सम्राट अशोक ने मौर्य साम्राज्य के विस्तार के लिए कलिंग पर आक्रमण करने का निर्णय लिया।
265 ई.पू.कलिंग राज्य ने मौर्य साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध की तैयारी शुरू की।
261 ई.पू.कलिंग युद्ध का प्रारंभ हुआ, जो आधुनिक उड़ीसा के धौली और गंगा नदी के आसपास लड़ा गया।
261 ई.पू.युद्ध के परिणामस्वरूप लगभग 1 लाख लोग मारे गए, और 1.5 लाख लोग घायल हुए।
261 ई.पू.युद्ध की समाप्ति के बाद, अशोक ने युद्ध के विनाशकारी परिणामों को देखकर बौद्ध धर्म अपनाया।
260 ई.पू.अशोक ने धम्म प्रचार शुरू किया और हिंसा का त्याग करने का निर्णय लिया।
259-255 ई.पू.अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए धम्म महामात्रों की नियुक्ति की और बौद्ध धर्म को साम्राज्य में फैलाया।

कलिंग युद्ध का परिचय

कलिंग युद्ध का परिचय देने से पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि कलिंग युद्ध कब हुआ, इतिहास में इस युद्ध के पुख्ता प्रमाण नही है पर कुछ साक्ष्य कहते हैं कि कलिंग युद्ध 261 ईसा पूर्व हुआ। कलिंग युद्ध ने सम्राट अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया, और इसके बाद मिली भारतीय इतिहास को एक नयी दिशा, जिसने आने वाले वर्षों में भारत के हृदय में आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू कर दिया। 

कलिंग युद्ध का अध्ययन करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह युद्ध न केवल राजनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने भारतीय समाज के धार्मिक और सामाजिक संदर्भों को भी प्रभावित किया। 

युद्ध का संक्षिप्त विवरण

  • कलिंग का युद्ध के प्रारम्भ होने से पहले सम्राट अशोक ने कलिंग के राजा पद्मनाभन को एक पत्र लिखा और अपने मौर्य साम्राज्य में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। पर कलिंग के राजा अनंत पद्मनाभन यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। 
  • हिंद महासागर पर कलिंग राज्य का एकाधिकार था और यही वजह थी की ये विदेशी व्यापार को प्रभावित करते थे। इसलिए सम्राट अशोक को इसे जीतना जरुरी हो गया। 
  • और फिर सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण कर दिया। 
  • कलिंग का युद्ध धौली की पहाड़ियों पर लड़ा गया था। 
  • इस युद्ध के परिणामस्वरूप कलिंग की पूरी सेना का सफाया हो गया। 
  • इस युद्ध में लगभग 1.50 लाख कलिंग के सैनिक और 1 लाख मौर्य सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। 
  • इस युद्ध के बाद दया नामक नदी खून से बहने लगी। 
  • यह सब नजारा देख कर सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तित हो गया। 

कलिंग युद्ध किसके बीच हुआ?

युद्ध के प्रमुख पक्ष

  • मौर्य साम्राज्य: महत्वाकांक्षी सम्राट अशोक के नेतृत्व में मौर्य साम्राज्य ने अपने क्षेत्र का विस्तार करने का प्रयास किया।
  • कलिंग राज्य: एक मजबूत सैन्य शक्ति वाला स्वतंत्र और समृद्ध राज्य था, जो वर्तमान ओडिशा और आंध्र प्रदेश में स्थित था।

युद्ध में शामिल मुख्य सेनाएँ

  • कलिंग के राजा के पास एक सेना थी जिसमें पैदल सेना, घुड़सवार सेना और हाथी शामिल थे जिनकी संख्या केवल 60 हजार पैदल सेना, 1 हजार घुड़सवार सेना और 700 हाथी थी।
  • यूनानी राजदूत मेगस्थनीज ने बताया कि मौर्य सेना की ताकत लगभग एक लाख थी, जिसमें 1700 घोड़े, हजारों हाथी और लगभग 60 हजार सैनिक शामिल थे।

यानी मौर्य साम्राज्य की सेना कलिंग की सेना से बहुत अधिक थी।

कलिंग युद्ध कब हुआ?

  • कलिंग युद्ध 261 ईसा पूर्व में लड़ा गया था। 
  • यह युद्ध मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल के आठवें वर्ष में हुआ था। 
  • सम्राट अशोक अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे और अपने दादा की हार का बदला भी लेना चाहते थे।
  • ऐसे समय कलिंग के कुछ विरोधियों ने सम्राट अशोक का साथ दिया, जिसके कारण सम्राट अशोक की सेना कलिंग की सेना के मुकाबले अधिक हो गई।

कलिंग युद्ध क्यों हुआ?

वैसे तो युद्ध के अनेकों कारण हो सकते हैं जैसे आर्थिक कारण या राजनैतिक कारण, पर कलिंग युद्ध क्यों हुआ, इसके कारण की खोज करने पर इसके दो पहलू सामने आते हैं, एक तो मगध के राजा सम्राट अशोक का बदला और दूसरा विस्तार वाद, आइए पहले कलिंग युद्ध क्यों हुआ, इसके कारणों को देखने के बाद, इसके मौर्य साम्राज्य के साथ राजनीतिक और सामाजिक संदर्भों को समझते हैं –

युद्ध के कारण

कलिंग युद्ध क्यों हुआ, आइये इस युद्ध के सभी कारणों पर एक नजर डालते है – 

  • मौर्य साम्राज्य के प्रथम सम्राट और सम्राट अशोक के दादा चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने राज्य का विस्तार करने के लिए कलिंग पर हमला किया था, लेकिन उन्हें इस युद्ध में हार गए थे, इसी बात का बदला लेने के लिए सम्राट अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। 
  • भारत में राजनीतिक एकीकरण के लिए कलिंग एक महत्वपूर्ण राज्य था। यह उत्तर और दक्षिण के बीच मुख्य रोड़ा था। दक्षिण क्षेत्र में राज्य विस्तार हेतु यह रास्ते में पड़ता था इसलिए इसको जीतना जरुरी था।
  • हिंद महासागर पर कलिंग राज्य का एकाधिकार था और यही वजह थी कि वे उत्तर के राज्यों को व्यापार नहीं करने देते थे, अतः मौर्यों को व्यापार के लिए कलिंग पर अधिकार करना जरुरी हो गया था, यह भी कलिंग के युद्ध का एक मुख्य कारण था। 
  • कलिंग का मौर्य साम्राज्य में मिलना सम्राट अशोक के राज्य के विस्तार के लिए आवश्यक हो गया था, यह भी एक प्रमुख वजह थी, जिसके कारण कलिंग का युद्ध हुआ। 

राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ

अगर कलिंग का युद्ध के राजनीतिक और सामाजिक संदर्भों की बात की जाए तो कलिंग राज्य एक शक्तिशाली राज्य था पर मगध के पड़ोस में कलिंग जैसे शक्तिशाली राज्य का होना मौर्य साम्राज्य के लिए राजनीतिक दृष्टि से ठीक नहीं था। सम्राट अशोक विस्तार वादी नीति का अनुसरण करते थे और ऐसे में कलिंग मगध के लिये ख़तरा बन सकता था जैसा कि बाद में खारवेल के आक्रमण से यह बात पूरी तरह सिद्ध हुई। साथ ही एक चक्रवर्ती शासक के लिये यह आवश्यक था कि वह सम्पूर्ण भारतीय उप-महाद्वीप को एक शासन के नीचे लाये। इसी कारण मौर्य साम्राज्य के लिए यह आवश्यक हो गया था कि वह कलिंग को अपने अधीन कर ले।

कलिंग युद्ध कहां हुआ था?

कलिंग पूर्व-मध्य भारत का एक ऐतिहासिक राज्य था। यह आज के समय के मध्य प्रदेश, अधिकांश ओडिशा, उत्तरी तेलंगाना और पूर्वोत्तर आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ था। इस राज्य में काकीनाडा, विशाखापट्टनम, और श्रीकाकुलम (चिकाकोल) के बंदरगाहों के साथ-साथ राजमुंदरी और विजयनगर के महत्वपूर्ण शहर शामिल थे, जिससे कलिंग पूरे हिन्द महासागर में समुद्री व्यापार पर राज करता था।

कलिंग का समुद्री व्यापार पर एक छत्र राज एक मुख्य कारण था कलिंग के युद्ध होने का, और कलिंग के बारे में जानने के पश्चात कलिंग युद्ध कहां हुआ था, इसके बारे में जानते हैं –

कलिंग का युद्ध इसी कलिंग राज्य के पास यानी वर्तमान में ओडिशा के पास स्थित धौली की पहाड़ियों पर लड़ा गया था।

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कलिंग युद्ध का परिणाम?

सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध में विजय प्राप्त की, युद्ध विजय के पश्चात सम्राट अशोक ने अभिलेख का निर्माण करवाया, जो कलिंग युद्ध का परिणाम को विस्तृत रूप से बताते हैं। अशोक के तेरहवें बृहद् अभिलेख से कलिंग युद्ध का परिणाम विस्तृत सूचना के रूप में प्राप्त होता है। इस अभिलेख से यह स्पष्ट होता है कि यह युद्ध बड़ा भयंकर था जिसमें भीषण रक्तपात तथा नरसंहार की घटनायें हुई –

युद्ध के तात्कालिक परिणाम

कलिंग युद्ध के तात्कालिक परिणाम के बारे अभिलेख से जो सूचना प्राप्त होती है वह इस प्रकार है – 

  • इस युद्ध में एक लाख 50 हजार व्यक्ति बन्दी बनाकर निर्वासित कर दिये गये, एक लाख लोगों की हत्या की गयी तथा इससे भी कई गुना अधिक मारे गये।
  • युद्ध में भाग न लेने वाले ब्राह्मणों, श्रमणों तथा गृहस्थियों को अपने सम्बन्धियों के मारे जाने से महान कष्ट हुआ। 
  • सम्राट ने इस भारी नर संहार को स्वयं अपनी आँखों से देखा था और उनका हृदय परिवर्तन हो गया।
  • युद्ध के बाद एक स्वतंत्र राज्य की स्वाधीनता का अंत हुआ। 
  • कलिंग मगध साम्राज्य का एक प्रान्त बना लिया गया तथा राजकुल का कोई राजकुमार वहाँ का उपराजा (वायसराय) नियुक्त कर दिया गया। 
  • कलिंग में दो अधीनस्थ प्रशासनिक केन्द्र स्थापित किये गये –
  • उत्तरी केन्द्र ( राजधानी – तोसलि ) तथा दक्षिणी केन्द्र ( राजधानी – जौगढ़)।
  • मौर्य साम्राज्य की पूर्वी सीमा बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत हो गयी। 

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

कलिंग युद्ध के सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव बहुत अधिक है, पर इनमें से कुछ निम्न है – 

  • सम्राट अशोक ने साम्राज्य विस्तार वादी नीति का हमेशा के लिए त्याग कर दिया।
  • सम्राट अशोक ने युद्ध और क्रूरता त्याग कर अहिंसा, प्रेम, दान, परोपकार और सत्य का रास्ता अपना लिया।
  • उन्होंने अपने साम्राज्य में अहिंसा के सिद्धांतों को लागू किया और बौद्ध धर्म का प्रसार किया।
  • उन्होंने हिंसक खेल गतिविधि और शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • उन्होंने पड़ोसियों के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखने की कोशिश की और युद्ध को टाल दिया।
  • बुद्ध से प्रेरित होकर उन्होंने धम्म के सिद्धांतों को बढ़ावा दिया जिसने साम्राज्य की नैतिकता को बढ़ावा दिया।

कलिंग युद्ध के पश्चात् के बदलाव?

अशोक का हृदय और धर्म परिवर्तन

युद्ध समाप्त होने के बाद, सम्राट अशोक का हृदय इतने बड़े नरसंहार को देखकर परिवर्तित हो गया। उन्होंने कलिंग में जले हुए घर और बिखरी हुई लाशें देखीं तो उन्होंने फिर कभी हथियार नहीं उठाने का फैसला किया। कलिंग के युद्ध के बाद सम्राट अशोक एक शांतिपूर्ण सम्राट में बदल गए और उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए बौद्ध धर्म अपना लिया। और बौद्ध धर्म की नीतियों का विभिन्न अभिलेखों के माध्यम से प्रसार किया। उन्होंने सभी लोगों को अहिंसा के पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने शासन के दौरान मौर्य साम्राज्य और अन्य राज्यों में और लगभग 250 ईसा पूर्व से दुनिया भर में बौद्ध धर्म के विस्तार को बढ़ावा दिया।

कलिंग युद्ध के बाद की नीतियां और सुधार

  • पडोसी राज्यों में बौद्ध धर्म का प्रचार कर, बिना युद्ध के उन्हें साथ मिला लिया।
  • साथ ही ‘धम्म’ की स्थापना की, जिसने विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया।
  • कलिंग की विजय के बाद, अशोक ने साम्राज्य के सैन्य विस्तार को समाप्त कर दिया और 40 से अधिक वर्षों के सापेक्ष शांति, सद्भाव और समृद्धि के युग की शुरुआत की।
  • कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक ने घोषणा की कि जीवन में सच्ची विजय धर्म द्वारा विजय है , हिंसा के माध्यम से विजय नहीं। 
  • उन्होंने मगध की राज्य नीतियों में महत्वपूर्ण संशोधन किये। इससे भारत में मगध साम्राज्यवाद का अंत हो गया।
  • कलिंग युद्ध के बाद सुदूर दक्षिण को छोड़कर अशोक ने सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया।
  • उनके धम्म नियमों को चट्टानों और पत्थर के खंभों पर उकेरा गया था। साथ ही भारत के बाहर विदेश में बौद्ध धर्म और धम्म का प्रचार करने के लिए मिशनरियों को विभिन्न देशों में भेजा गया ताकि अधिक से अधिक लोग अहिंसक जीवन शैली को अपना सकें। विदेशों में फैला हुआ बौद्ध धर्म इसी युद्ध का परिणाम है। 

निष्कर्ष 

कलिंग युद्ध ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप, सम्राट अशोक ने हिंसा का मार्ग छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया और अहिंसा और शांति के सिद्धांतों का प्रचार किया। अशोक के इस परिवर्तन ने न केवल उनके शासनकाल को प्रभावित किया, बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव डाला। कलिंग युद्ध की घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि युद्ध और हिंसा के परिणाम कितने विनाशकारी हो सकते हैं और शांति और अहिंसा का मार्ग कितना महत्वपूर्ण है। यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में सदैव स्मरणीय रहेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कलिंग युद्ध के परिणामस्वरूप सम्राट अशोक ने किन प्रमुख बौद्ध स्थलों का निर्माण कराया?

सम्राट अशोक ने बौद्ध स्तूपों, जैसे सारनाथ, और बौद्ध विहारों का निर्माण कराया, जो बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थलों में शामिल हैं।

कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने कौन-कौन से बौद्ध आचार्यों से संपर्क किया?

कलिंग युद्ध के बाद, अशोक ने बौद्ध आचार्यों से संपर्क किया जैसे महाकश्यप और अन्य प्रमुख बौद्ध विद्वान, जो धर्म की शिक्षाओं को फैलाने में मददगार साबित हुए।

कलिंग युद्ध के परिणामस्वरूप अशोक द्वारा जारी किए गए शिलालेख किस भाषा में थे?

अशोक द्वारा जारी किए गए शिलालेख मुख्यतः प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में थे।

कलिंग युद्ध की समयावधि कितनी लंबी थी?

कलिंग युद्ध की समयावधि लगभग 8 वर्षों की थी, जिसमें कई सैन्य अभियान शामिल थे।

कलिंग युद्ध के समय सम्राट अशोक के प्रमुख सलाहकार कौन थे?

कलिंग युद्ध के समय अशोक के प्रमुख सलाहकार चाणक्य (कौटिल्य) और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी थे, जिन्होंने रणनीति और प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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