Quick Summary
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। इनमें से एक प्रमुख श्रेणी खरीफ की फसलें हैं। खरीफ फसलों की बुवाई बरसात के मौसम में की जाती है, आमतौर पर जून से सितंबर के बीच, और इन्हें सितंबर या अक्टूबर में काटा जाता है। इस दौरान प्रमुख फसलों में दालें, चावल, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन, बाजरा, रागी और गन्ना शामिल हैं।
हर राज्य में खरीफ फसलों की बुवाई और कटाई का समय भिन्न हो सकता है। खरीफ की फसलों को उगाने के लिए उच्च तापमान और आद्रता की आवश्यकता होती है, जबकि पकने के लिए सूखा और शुष्क वातावरण जरूरी है। इस लेख में, हम खरीफ फसलों की परिभाषा, उनके उदाहरण, और इनकी खेती के विशेष पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
खरीफ फसलें उन फसलों को कहते हैं जो बरसात के मौसम में बोई जाती हैं और मानसून की बारिश पर निर्भर होती हैं। इनकी बुवाई सामान्यतः जून से सितंबर के बीच होती है और ये सितंबर से अक्टूबर में काटी जाती हैं। खरीफ का मतलब अरबी शब्द “खरीफ” से है, जिसका अर्थ शरद ऋतु है।
खरीफ फसलों की उगाई के लिए गर्मी और उच्च आद्रता की आवश्यकता होती है, जबकि पकने के दौरान सूखा और शुष्क मौसम अनिवार्य होता है। मुख्य खरीफ फसलों में चावल, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, और बाजरा शामिल हैं। इन फसलों को मानसून की पहली बारिश में बोया जाता है और फसल की कटाई के लिए मौसम सूखा होना आवश्यक होता है।
फल | सब्जियां | बीज के पौधे | अनाज |
केले | टमाटर | अरहर | बाजरा |
अमरूद | करेला | सोयाबीन | ज्वार |
नारियल | बैंगन | मूंगफली | चावल |
सेब | टिंडा | सौंफ़ | मक्का |
मूख्य खरीफ की फसल | बुआई का समय | कटाई का समय |
धान (Rice) | जून-जुलाई | सितंबर-अक्टूबर |
मक्का (Maize) | जून-जुलाई | सितंबर-अक्टूबर |
बाजरा (Pearl Millet) | जून-जुलाई | सितंबर-अक्टूबर |
ज्वार (Sorghum) | जून-जुलाई | सितंबर-अक्टूबर |
मूंगफली (Groundnut) | जून-जुलाई | सितंबर-अक्टूबर |
सोयाबीन (Soybean) | जून-जुलाई | सितंबर-अक्टूबर |
कपास (Cotton) | अप्रैल-मई | अक्टूबर-नवंबर |
तूर | जून-जुलाई | जनवरी-फरवरी |
अब जानते है इसकी खेती करने के तरीके क्या है।
खरीफ की फसल किसे कहते है यह पता होने के साथ ही फसलों की बुवाई उचित तरह से की जाए तो काम ज्यादा आसान हो जाता है। खरीफ की फसल की बुवाई का सबसे सही तरीका है कतार में बुवाई करना। इसके लिए किसान भाई सीडड्रिल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
भूमि की तैयारी करने से कीटों से राहत मिलती है। भूमि की तैयारी करने में हैरोइंग, जुताई, खेत को समतल करने की प्रोसेस की जाती है। दीमक की समस्या ज्यादा होती है इसलिए खेत में सूखे फसल अवशेष हो तो उन्हें जरूर से हटाएँ। कच्चा खाद भी खेत में ना डालें।
इससे एक तरफ तो श्रम की लागत बढ़ती है क्योंकि खरीफ फसलों में श्रम की मांग है जो मजदूरी को बढ़ाती है। दूसरी तरफ स्थानीय आय पर सकारात्मक प्रभाव होता है जिससे कंपनियों की मांग पर असर पड़ता है।
भारत में ख़रीफ़ की फसलों का मौसम खेती करने का सबसे चुनौतीपूर्ण मौसम है। इन चुनौतियों से निपटना जरुरी है तभी खरीफ की फसल अच्छे से हो सकती है।
बारिश के मौसम में किसानों को खेतों तक सामान ले जाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वर्षा ख़रीफ़ की फसलों के लिए अच्छी है लेकिन यह किसानों के लिए थोड़ी कष्टदायी भी होती है। बाढ़ और तूफान आने से सड़कों पर पानी भर जाता है जिससे फसल का जरुरी सामान जैसे; बीज, उर्वरक या अन्य सामान खेत तक ले जाने में परेशानी आती है।
खरीफ फसलों की चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। ताकि फसलों का उत्पादन ना रुके अगर खरीफ की फसल का समय आने के पहले ही इन समस्याओं को सुलझा लिया जाये तो खेती का कार्य आसान हो जाता है।
जिन सड़कों के रास्ते खेतों तक जाते हैं वो बारिश के मौसम में खराब हो जाते हैं। ऐसे में सड़कों को पक्की करना चाहिए किसान अपनी फसल बाजार तक पहुंचा सके इसके लिए परिवहन की अच्छी सुविधा होना और वर्षारोधी भंडारण करना जरुरी है। भारी-भरकम ट्रकों का उपयोग करना चाहिए जिससे खरीफ की फसल की खेती में आसानी होती है जो छोटे किसान है उनके लिए परिवहन सुविधा थोड़ी मुश्किल है लेकिन सामूहिक परिवहन के लिए की गई कोशिश मददगार होगी।
दुनिया में आबादी लगातार बढ़ती जा रही है जिसके लिए अब स्मार्ट तरीके से खेती करना जरुरी हो गया है ऐसे में मॉडर्न टेक्नोलॉजी बहुत काम की है इससे उत्पादकता में भी बढ़ोतरी हुई है।
कुछ मॉडर्न टेक्नोलॉजी जो कृषि में उपयोग की जा रही हैं:
मैपिंग, सर्वे और फसल की निगरानी करने के लिए ड्रोन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। ड्रोन डेटा कलेक्ट कर कृषि को एकदम सटीक बनाने में मदद करते हैं।
स्मार्ट सिंचाई प्रणालियाँ मिट्टी की नमी, पौधों को पानी देने के शेड्यूल को ऑटोमेटिक तरीके से एडजस्ट करना, वाष्पीकरण आदि काम करती हैं। स्मार्ट सिंचाई प्रणाली को सिग्नल ट्रांसमिशन से या वाईफाई से इस्तेमाल कर सकते हैं और इसे मोबाइल या कंप्यूटर के द्वारा दूर से भी कण्ट्रोल कर सकते हैं।
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खरीफ फसलों की परिभाषा और महत्व तो अधिकांश किसानों को ज्ञात है, लेकिन सरकारी योजनाओं की जानकारी कम किसानों तक पहुँचती है। भारत सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि, उनके कल्याण और कृषि सुविधाओं की उपलब्धता के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इन नीतियों और योजनाओं का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना, कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाना और सिंचाई की दक्षता को सुधारना है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ खरीफ की फसलें मुख्य भूमिका निभाती हैं। खरीफ की फसलें मानसून के दौरान जून से सितंबर के बीच बोई जाती हैं और सितंबर से अक्टूबर में कटती हैं। इनमें प्रमुख फसलों में धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, मूंगफली और सोयाबीन शामिल हैं। इन फसलों की उगाई के लिए उच्च तापमान और आद्रता की आवश्यकता होती है, जबकि पकने के लिए सूखा मौसम चाहिए।
खरीफ फसलों की बुवाई कतार में करनी चाहिए और बीज की गुणवत्ता पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। इनकी कटाई और भंडारण में सही विधियाँ अपनाने से फसल की गुणवत्ता बनी रहती है। खरीफ की फसलों का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये रोजगार और आय के अवसर प्रदान करती हैं, लेकिन इनकी खेती में मौसम की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं से किसानों को सहायता मिलती है और कृषि की उत्पादकता बढ़ाई जाती है।
खरीफ की मुख्य फसलें हैं: कपास, मूंगफली, धान, बाजरा, मक्का, शकरकंद, उर्द, मूंग, मोठ, लोबिया (चंवला), ज्वार, अरहर, ढैंचा, गन्ना, सोयाबीन, भिंडी, तिल, ग्वार, जूट, सनई आदि।
रबी की फसलें आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती हैं। इन फसलों को बोते समय कम तापमान और पकते समय सूखा और गर्म वातावरण चाहिए होता है। उदाहरण के लिए, गेहूँ, जौ, आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं।
खरीफ की फसलें मानसून के दौरान, जून से जुलाई में बोई जाती हैं और अक्टूबर में काटी जाती हैं। रबी की फसलें सर्दियों में, अक्टूबर से नवंबर में बोई जाती हैं और अप्रैल में काटी जाती हैं। जायद की फसलें गर्मियों में, मार्च से जून के बीच बोई जाती हैं.
खरीफ फसलों का मौसम मानसून की शुरुआत से शुरू होकर इसके अंत तक चलता है। दूसरी ओर, रबी की फसलें सर्दियों में उगाई जाती हैं; किसान इन्हें मानसून के अंत में बोते हैं और गर्मियों की शुरुआत से पहले काटते हैं।
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