Quick Summary
लोकसभा में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं, जिनकी अधिकतम संख्या 550 है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसमें अधिकतम 250 सदस्य होते हैं। राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, और हर 2 साल में 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं।
भारतीय संसद लोकसभा और राज्यसभा से बना एक द्विसदनीय विधानसभा है। राज्य सभा और लोकसभा विधानसभा के सर्वोच्च विधायी निकाय के रूप में काम करते हैं। दोनों सदन भारतीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और दोनों का अपना अलग-अलग कार्यक्षेत्र और फंक्शन होता है। लोकसभा और राज्यसभा भारतीय संविधान के अंतर्गत कानून बनाने, संविधान संशोधन करने और देश के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए जिम्मेदार हैं। आज इस ब्लॉग में बताएंगे की लोकसभा और राज्यसभा में बड़ा कौन है और लोकसभा और राज्यसभा की सीटें कितनी है।
लोकसभा और राज्यसभा भारतीय संविधान के दो प्रमुख सदन है लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में अंतर भी है जो इस प्रकार है।
लोकसभा | राज्यसभा |
लोकसभा के सदस्यों का चयन निर्वाचनों के माध्यम से होता है। | राज्यसभा के सदस्यों का चयन राज्यों की विधानसभा करती है। |
लोकसभा सदस्य संख्या 552 है। | राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते हैं। |
लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। | राज्यसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। |
प्रमुख कार्यक्षेत्र कानून बनाना और सरकारी विधेयकों को पारित करना। | मुख्य कार्यक्षेत्र राज्यों के हित में संसदीय विधेयकों का समीक्षण करना, साझा विषयों पर विचार करना। |
मुख्य कार्यक्षेत्र संविधान के अनुच्छेद 81 के अधीन है। | मुख्य कार्यक्षेत्र भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के अंतर्गत है। |
इस तरह इन आधार पर लोकसभा और राज्यसभा में अंतर होते हैं।
लोकसभा और राज्यसभा गठन की प्रक्रिया भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित है। यहां मुख्य बिंदुओं को समझाया गया है।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों की देश की विधायिका और कानून निर्माण में बड़ी भूमिका हैं। यहां इनके कार्यकाल और कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी गई है।
लोकसभा और राज्यसभा का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 और 80 के अनुसार हुआ था। लोकसभा का पहला गठन 1952 में हुआ था, जबकि राज्यसभा का पहला गठन 1952-53 में हुआ था। इसके बाद से हर पांच साल में लोकसभा का और हर 6 साल में राज्यसभा का चुनाव होता है और नए सदस्यों का चयन होता है।
राज्यसभा और लोकसभा भारतीय संसद के दो अभिन्न सदन हैं। राज्यसभा में 250 सदस्य हैं जबकि लोकसभा में 552 सदस्य हैं। लोकसभा सदस्य संख्या अधिक होती है। लेकिन अगर बात करें लोकसभा और राज्यसभा में बड़ा कौन है तो राज्यसभा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। लोकसभा संसद का निचला सदन है और राज्य सभा संसद का उच्च सदन है।
लोकसभा की शक्तियां | राज्यसभा की शक्तियां |
लोकसभा भारत के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करती है। | राज्यसभा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधित्व करती है। |
लोकसभा में केंद्र सरकार की निर्णायक भूमिका होती है। | राज्यसभा एक साधारण विधेयक पर प्रस्तावित कानून को रोक सकती है, लेकिन अंततः लोकसभा की सहमति की आवश्यकता होती है। |
लोकसभा का अध्यक्ष उपराष्ट्रपति होता है। | राज्यसभा का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है। |
आगे जानते हैं की लोकसभा और राज्यसभा के बीच संबंध क्या है।
इस तरह लोकसभा और राज्यसभा के बीच संबंध है जो आपने जाने।
इन दोनों सदनों के बीच पारस्परिक सहयोग और संतुलन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
निश्चित रूप से भारतीय संसद में दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद) ये दोनों सदन मिलकर भारत की संसद का निर्माण करते हैं।
जानिए लोकसभा और राज्यसभा की सीटें कितनी है।
लोकसभा और राज्यसभा की सीटें एकदूसरे से भिन्न होती है। लोकसभा सदन की सदस्य संख्या 543 है और अधिकतम सदस्य संख्या 552 है राज्यसभा की सीटों की संख्या 250 है।
योग्यता | लोकसभा | राज्यसभा |
नागरिकता | भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। | भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। |
उम्र | 25 वर्ष से अधिक | 30 वर्ष से अधिक |
मतदान अधिकार | सम्मिलित निर्वाचन आयोग के निर्धारित तरीके से मतदान करने का अधिकार | सम्मिलित निर्वाचन आयोग के निर्धारित तरीके से मतदान करने का अधिकार |
चुनावी प्रवृत्ति | लोकसभा के लिए लोकसभा क्षेत्र से चुनावी प्रवृत्ति | राज्यसभा के लिए राज्यसभा के राज्य से चुनावी प्रवृत्ति |
राज्यसभा के सदस्यों को राज्यसभा सांसद कहा जाता है। राज्यसभा के सदस्यों को विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा चुनती है। ये सदस्यों के रूप में चयनित होते हैं वे सांसद के रूप में विभागीय विवरणों में उल्लिखित होते हैं।
स्पीकर (Speaker) :
उप-स्पीकर (Deputy Speaker)
उपराष्ट्रपति (Vice President)
उपसभापति (Deputy Chairman)
भविष्य में संविधान में आए किसी परिवर्तन से इन संस्थानों की भूमिका और संरचना में भी परिवर्तन आ सकता है। इसमें नागरिकों की अधिक भागीदारी, नए राजनीतिक उद्देश्यों के लिए स्थायी समय समिति और संविधान संशोधनों का भी इस पर असर पड़ सकता है।
भारतीय संविधान के दो प्रमुख संसद लोकसभा और राज्यसभा है। इन दो संसदीय संस्थाओं के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र में विधायिका प्रक्रिया चलती है। इस ब्लॉग में आज आपको लोकसभा और राज्यसभा क्या है इसकी पूरी जानकारी प्रदान की गई। साथ ही लोकसभा और राज्यसभा में बड़ा कौन है यह भी बताया गया।
लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 14% के आसपास है, जबकि राज्यसभा में यह आंकड़ा कुछ उच्च हो सकता है क्योंकि राष्ट्रपति और राज्य विधानसभाओं द्वारा नामित सदस्य महिला हो सकते हैं।
लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल (Question Hour) का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इस दौरान सदस्य सरकार से विभिन्न मुद्दों पर सवाल पूछ सकते हैं। यह सरकार को जवाबदेह ठहराने और जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
गुप्त मतदान का उपयोग तब किया जाता है जब किसी विवादास्पद मुद्दे पर सदस्यों की स्वतंत्र राय जाननी होती है, या किसी संवेदनशील मामले में वोटिंग होती है, जिसमें सदस्यों पर बाहरी दबाव न हो। यह लोकसभा और राज्यसभा दोनों में हो सकता है।
यदि किसी सदस्य द्वारा असंवैधानिक कृत्य किया जाता है, तो उन्हें सदन से निलंबित किया जा सकता है, या अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जा सकती है। यह अध्यक्ष (लोकसभा) या सभापति (राज्यसभा) द्वारा तय किया जाता है।
धारा 356 के तहत राष्ट्रपति किसी राज्य में संविधानिक संकट के कारण राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। इस निर्णय को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है, और इसे पहले लोकसभा में पेश किया जाता है।
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