महादेवी वर्मा का जीवन परिचय: Mahadevi Verma ka Jivan Parichay

October 16, 2024
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
Quick Summary

Quick Summary

महादेवी वर्मा (1907–1987) हिंदी साहित्य की प्रमुख कवि, निबंधकार और स्वतंत्रता सेनानी थीं। छायावाद आंदोलन की महत्वपूर्ण हस्ती, उनकी कविताओं में गहरी भावनाएँ, आध्यात्मिकता और नारीवादी दृष्टिकोण झलकते हैं। उनका योगदान हिंदी साहित्य और शिक्षा में अति महत्वपूर्ण है।

Table of Contents

हिन्दी साहित्य के महान कवि-कवयित्री में महादेवी वर्मा जी का नाम आगे आता है । आज हम महादेवी वर्मा का जीवन परिचय हिंदी में देखेंगे और जानेंगे महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं, उनकि छायावादी कविता की सफलता में उनका योगदान कितना महत्वपूर्ण है । 

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi Verma ka jivan parichay) पढ़ने पर पता चलता है कि उन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद का भी भारत देखा है। वे उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने समाज में काम करते हुए भारत के भीतर मौजूद हाहाकार और रुदन को देखा, समझा और करुणा के साथ अंधकार को दूर करने की दृष्टि देने का प्रयास किया।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय और उनका बचपन

जन्म और परिवार

महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। उनके परिवार में लगभग 200 वर्षों के बाद पहली बार पुत्री का जन्म हुआ था। दादा बाबू बाँके बिहारी जी ने इन्हें घर की देवी महादेवी मानते हुए इनका नाम महादेवी रखा।

महादेवी जी के पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक थे। एवं माता  हेमरानी देवी एक धर्म परायण, कर्मनिष्ठ, भावुक एवं शाकाहारी महिला थी। हेमरानी देवी अपने विवाह के समय अपने साथ सिंहासन में बैठे हुए भगवान की मूर्ति भी लायी थी।  इनकी पूजा में उनके प्रतिदिन कई घंटे बीतते थे।

शिक्षा और उनका बचपन

महादेवी वर्मा जी की प्रारंभिक शिक्षा इन्दौर में मिशन स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद के क्रॉस्थवेट गर्ल्स कॉलेज में दाखिला लिया। क्रॉस्थवेट के छात्रावास में रहकर उन्होंने एकता की ताकत सीखी। यहां वो सबसे छुपाकर कविता लिखने लगी।उनकी रूममेट और सीनियर सुभद्रा कुमारी चौहान ने उनकी छुपी कविताओं को खोज निकाला।  तब जाकर उनकी छिपी साहित्यिक प्रतिभा का खुलासा हुआ। सुभद्रा खड़ी बोली में लिखती थी जल्द ही महादेवी भी खड़ी बोली में लिखना शुरू कर दिया। 

9 साल की उम्र में ही महादेवी वर्मा जी का बाल विवाह हो गया था, इस कारण इनकी शिक्षा कुछ समय तक रुक गयी। दरअसल सन् 1916 में दादा जी श्री बाँके बिहारी ने इनका विवाह बरेली के पास नवाबगंज कस्बे के निवासी श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया।  

साहित्य में प्रवेश और प्रेरणा

महादेवी और सुभद्रा कुमारी साप्ताहिक पत्रिकाओं प्रकाशित करने  के लिए अपनी कविताएँ भेजती रहती थीं। उनकी कुछ कविताएँ प्रकाशित भी हो गई। दोनों नई कवयित्रियों ने कविता संगोष्ठियों में भी भाग लिया, वहां उनकी मुलाकात बड़े बड़े हिंदी कवियों से हुई और लोगों के सामने अपनी कविताएँ सुनाई। 

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएंप्रकाशन वर्ष
निहार1930
रश्मि1932
नीरजा1933
संध्यागीत1935
अतीत के चलचित्र1941
दीपशिखा1942
स्मृति की रेखाएँ1943
पथ के साथी1956
अग्निरेखा1990 (मरणोपरांत)
महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं

पथ के साथी, मेरा परिवार, स्मृति की राहे, और अतीत के चलचित्रों की सीरीज़ महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं हैं। उन्हें भारत में नारीवाद की अग्रदूत भी माना जाता है।

महादेवी वर्मा के जीवन परिचय: महादेवी वर्मा की लेखनी

काव्य कला का परिचय

महादेवी वर्मा के जीवन परिचय में पता चलता है कि साहित्य जगत में महादेवी वर्मा का उदय एक सशक्त क्रांति के समान था। महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं में कोमलता को प्रस्तुत किया, जो उस समय एक महत्वपूर्ण पहल थी। महादेवी वर्मा ने भारतीय दर्शन को आत्मसात करने वाले गीतों का समृद्ध भंडार हमें सौंपा। उनकी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने भाषा, साहित्य और दर्शन के क्षेत्रों में ऐसा महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने आने वाली पीढ़ियों को गहराई से प्रभावित किया।

महादेवी वर्मा का कार्यक्षेत्र लेखन, संपादन और अध्यापन तक विस्तृत था। उन्होंने महिला शिक्षा के क्षेत्र में भी अनेक क्रांतिकारी कार्य किए।

महादेवी वर्मा की भाषा शैली

  • महादेवी वर्मा की भाषा शैली उनकी भावनाओं का दर्पण है।
  • उनके शब्द पाठकों के हृदय को छू लेते हैं, चाहे वह गहरी वेदना हो या प्रेम की कोमलता।
  • प्रकृति, प्रेम और जीवन की सुंदरता को चित्रित करने में उनकी भाषा जादुई लगती है।
  • गहन विचारों और भावों को व्यक्त करने के लिए वह प्रतीकों का कुशलतापूर्वक उपयोग करती हैं।
  • महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएँ पढ़ते समय ऐसा लगता है मानो कोई मधुर संगीत बज रहा हो।
  • शब्दों का चयन इतनी सावधानी से किया गया है कि उनमें से प्रत्येक रचना की भावना को गहराता है।
  • रूपक, उपमा और अन्य अलंकार उनकी भाषा में और सजीवता लाते हैं।
  • महादेवी वर्मा की कविता का सार उनकी भाषा शैली में ही निहित है।

महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय: महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं और उनका संदेश

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi Verma ka jivan parichay) हमें बताता है की उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था पर उनकी कविताओं में बड़े अनुभवी कवियों के लेखन की तरह गहन संवेदनशीलता और भावनात्मकता थी। इनकी लेखन शैली सरल और सजीव थी साथ ही कविताओं में प्रेम, वेदना, और आत्मसंघर्ष शामिल था। 

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं निम्न प्रकार है – 

1. नीहार: ‘नीहार‘ का प्रथम प्रकाशन सन 1930 में हुआ । यह महादेवी की प्रथम काव्य-कृति है । इसमें निबद्ध गीतों की संख्या 47 हैं।

2. रश्मि :’रश्मि‘ महादेवी वर्मा के 35 गीतों का द्वितीय काव्य संकलन है । ‘रश्मि’ शीर्षक से ज्ञानोदय का आभास होता है । ‘

3. नीरजा: ‘नीरजा‘ महादेवी वर्मा का तीसरा काव्य संकलन है । गीतों की दृष्टि से ‘नीरजा’ हिंदी की श्रेष्ठतम रचना हैं। इसमें कुल 58 गीत संकलित हैं । 

4. सांध्यगीत: ‘सांध्यगीत‘ में 1934 से 1936 तक की रचनाएँ संकलित है । इसका प्रकाशन सन 1936 ई. में हुआ । ‘सांध्यगीत’ महादेवी वर्मा का चतुर्थ काव्य संग्रह है । ‘सांध्यगीत’ काव्य-कृति महादेवी की एकांत साधनामय जीवन का ही प्रतीक है । 

5. दीपशिखा: दीपशिखा महादेवी वर्मा के काव्य-विकास का अंतिम सोपान है । इस काव्य संकलन का प्रकाशन सन 1942 में हुआ तथा इसमें कुल 51 गीत संकलित हैं। महादेवी वर्मा के गद्य साहित्य में चिंतन, मनन, विचार, विश्लेषण के साथ-साथ विद्रोह और संवेदना भी दिखाई देती है।

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं गद्य साहित्य में इस प्रकार है – 

  • अतीत के चलचित्र ( रेखाचित्र ) – 1941 
  •  श्रृंखला की कड़िया (निबंध संग्रह) – 1942 
  • स्मृति की रेखाएँ (रेखाचित्र ) – 1952 
  • पथ के साथी (रेखाचित्र ) – 1956 
  • क्षणदा (निबंध संग्रह ) – 1956
  • साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध ( निबंध संग्रह ) – 1962 
  • संकल्पिता (निबंध संग्रह ) – 1968 
  • स्मारिका (स्मृति चित्र ) – 1971 
  • मेरा परिवार (रेखाचित्र ) – 1972 ई. 10. संभाषण (निबंध संग्रह ) – 1978 

साहित्यिक योगदान और प्रभाव

  • छायावाद की प्रमुख कवयित्री: महादेवी वर्मा छायावाद युग की चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। उन्होंने इस युग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
  • कविता में कोमलता: उनकी कविताओं में कोमलता, सौंदर्य और गहन भावनाओं का अद्वितीय समन्वय है। उन्होंने ब्रजभाषा की कोमलता को खड़ी बोली में प्रस्तुत किया।
  • महिला सशक्तिकरण: महादेवी वर्मा ने महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की और प्रधानाचार्या के रूप में कार्य किया।
  • सामाजिक सुधार: उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों का विरोध किया और समाज सुधार के लिए अपने लेखन का उपयोग किया।
  • साहित्यिक पुरस्कार: महादेवी वर्मा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्म विभूषण शामिल हैं।
  • प्रकृति प्रेम: उनकी रचनाओं में प्रकृति का सुंदर चित्रण मिलता है। उन्होंने प्रकृति के माध्यम से जीवन की गहराइयों को उजागर किया।
  • संगीत और चित्रकला: महादेवी वर्मा न केवल कवयित्री थीं, बल्कि संगीत और चित्रकला में भी निपुण थीं। उनके गीतों में संगीत का नाद-सौंदर्य स्पष्ट झलकता है।
  • प्रभावशाली लेखन: उनके लेखन ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय: विचार और विरासत

सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टि

महादेवी वर्मा ने नारी जगत को भारतीय संदर्भ में मुक्ति का संदेश दिया। उनके विचार में, भारत की स्त्री भारत माँ की प्रतीक है और वह अपनी सभी संतानों को सुखी देखना चाहती है। स्त्रियों को स्वतंत्र करने में ही उनकी सच्ची मुक्ति है। 

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं मैत्रेयी, गोपा, सीता और महाभारत अनेक स्त्री पात्रों का उदाहरण देकर यह बताती है कि ये सभी पात्र पुरुषों की साथी थीं, केवल छाया नहीं। छाया और साथी में अंतर स्पष्ट है – छाया का काम अपने आधार में इस तरह मिल जाना है कि वह उसी का हिस्सा लगने लगे, जबकि साथी का काम अपने सहयोगी की हर कमी को पूरा कर उसके जीवन को अधिक पूर्ण बनाना है।

महादेवी वर्मा का आधुनिक समाज पर प्रभाव

आधुनिक समाज के लिए भी महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएं एक विशेष महत्व रखती है। महादेवी वर्मा का नारी चिंतन समाज केन्द्रित है। वे नारी जीवन की समस्याओं के लिए केवल पुरुषों को ही दोष नहीं देती बल्कि महिलाओं को भी समान रूप से उत्तरदायी ठहराती है। 

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

अपनी बात’ में महदेवी वर्मा कहती है, समस्या का समाधान समस्या के ज्ञान पर निर्भर करता है और यह ज्ञान ज्ञाता की अपेक्षा रखता है। अतः अधिकार के इच्छुक व्यक्ति को अधिकारी भी होना चाहिए । सामान्यतः भारतीय नारी में इसी विशेषता का अभाव मिलेगा ।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय: उपलब्धियाँ और प्रसिद्धि

महादेवी वर्मा साहित्यिक पुरस्कार

साहित्यिक पुरस्कार और सम्मान

वर्षपुरस्कार/सम्मानप्रदान करने वाली संस्था
1934नीरजा के लिएसक्सेरिया पुरस्कार
1942स्मृति की रेखाएँ के लिएद्विवेदी पदक
1943मंगलाप्रसाद पारितोषिक
1943भारत भारती
1952उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्यउत्तर प्रदेश सरकार
1956पद्म भूषणभारत सरकार
1969डी.लिटविक्रम विश्वविद्यालय
1971साहित्य अकादमी सदस्यतासाहित्य अकादमी
1977डी.लिटकुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल
1980डी.लिटदिल्ली विश्वविद्यालय
1982ज्ञानपीठ पुरस्कारज्ञानपीठ
1984डी.लिटबनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
1988पद्म विभूषण (मरणोपरांत)भारत सरकार
साहित्यिक पुरस्कार और सम्मान

अतिरिक्त:

  • महादेवी वर्मा भारत की 50 सबसे यशस्वी महिलाओं में शामिल हैं।
  • 1968 में, मृणाल सेन ने उनके संस्मरण वह चीनी भाई पर आधारित नील आकाशेर नीचे नामक बांग्ला फिल्म बनाई।
  • 1991 में, भारत सरकार ने जयशंकर प्रसाद के साथ उनके सम्मान में 2 रुपये का एक युगल टिकट जारी किया 

सम्मानित काव्य गायिका के रूप में उनकी मान्यता

महादेवी वर्मा का छायावादी काव्य की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जहाँ निराला ने उसमें मुक्त छंद का परिचय कराया और उसे सुकोमल कला प्रदान की।  वहीं छायावाद के स्वरूप में प्राण-प्रतिष्ठा करने का गौरव महादेवी वर्मा जी को ही प्राप्त है।

महादेवी वर्मा दिल्ली में 1983 में आयोजित तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं। 

महादेवी वर्मा की छोटी कविताएं:

उनकी कविताओं में वेदना, संवेदना और प्रकृति के प्रति प्रेम की गहरी अभिव्यक्ति मिलती है। यहाँ महादेवी वर्मा की छोटी कविताएं प्रस्तुत है:

विरह
तुम मेरे पास नहीं हो,

पर तुम्हारी स्मृति मेरे संग है।

जैसे चाँदनी का उजाला,

चाँद के बिना भी हर जगह होता है।

प्रभात
सुनहरी किरने आई,

नभ में फैली लालिमा।

जाग उठे सपने मेरे,

हो गई नई सृष्टि की रचना।

अकेलापन
इस भीड़ में भी,

कितना अकेला हूँ।

हर चेहरा अनजाना,

हर दिल बेगाना।

प्रेम
तुम्हारी आँखों में मैंने,

अनंत प्रेम का सागर देखा।

उस सागर की गहराई में,

मैंने अपने अस्तित्व को खो दिया।

निशा
रात के अंधकार में,
तारे मुस्कराते हैं।
मेरे मन के आकाश में,
तुम्हारी यादें चमकती हैं।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय हिंदी में पढ़कर हमें यह पता चलता है कि महादेवी वर्मा की छोटी कविताएं सरलता और गहराई से भरी होती हैं, जो पाठक के हृदय को छू जाती हैं। उनकी रचनाओं में भावनाओं की प्रगाढ़ता और प्रकृति के चित्रण की अनूठी शैली मिलती है।

महादेवी वर्मा के काव्य ने न केवल महादेवी वर्मा को जन-जन तक पहुँचाया है अपितु भारत को भी गौरवान्वित किया है। 

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय: महादेवी वर्मा का जन्म और मृत्यु

महादेवी वर्मा, हिंदी साहित्य की एक प्रतिष्ठित हस्ती, का जन्म 26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में हुआ था। साहित्य जगत में उन्हें आधुनिक हिंदी कविता की जननी के रूप में जाना जाता है। 80 वर्ष के सफल जीवन के बाद उनका निधन 11 सितंबर 1987 को इलाहाबाद में हुआ।

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय: उत्कृष्टता की दिशा में आगे की प्रेरणा

आधुनिक और सबसे सशक्त कवयित्रियों में शामिल होने के कारण और वैवाहिक जीवन से विरक्ति के कारण इन्हें एक दूसरे नाम से भी जाना जाता है  – आधुनिक मीरा। इस लेख में महादेवी वर्मा का जीवन परिचय के माध्यम से उनकी एक संपूर्ण और संवेदनशील जीवन की झलक प्रदान की है, जो इस महान कवयित्री के साहित्यिक और सामाजिक योगदान परिचय मिलता है। 

निष्कर्ष

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय (Mahadevi verma ka jivan parichay) पढकर हम हिंदी साहित्य में उनके विशेष योगदान को समझ सकते हैं। उनकी कविताएँ और गद्य रचनाएं ना केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर एक अच्छे भविष्य की ओर अग्रसर होने के लिए महत्वपूर्ण साबित होती है। 

महादेवी वर्मा का जीवन सादगी, सन्यास और सामाजिक सेवा का प्रतीक था। उन्होंने अपनी लेखनी से समाज की समस्याओं को उजागर किया और नारीवादी विचारों को मजबूती से प्रस्तुत किया। उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक रूप से नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई है।

यह भी पढ़ें- पढ़िए लोकप्रिय रहीम के दोहे अर्थ सहित और उनका महत्त्व

Frequently asked questions:

महादेवी का जीवन परिचय कैसे लिखें?

महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके परिवार में सात पीढ़ियों बाद पहली बेटी के जन्म पर उन्हें महादेवी नाम दिया गया। उन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद का भारत देखा और अपनी कविताओं में समाज के दर्द और अंधकार को दूर करने का प्रयास किया।

महादेवी वर्मा की कुल कितनी रचनाएं हैं?

महादेवी वर्मा की लेखन विधा मुख्य रूप से कविताएं हैं। उनके आठ प्रमुख कविता संग्रह हैं: नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936), दीपशिखा (1942), सप्तपर्णा (अनूदित 1959), प्रथम आयाम (1974), और अग्निरेखा (1990)।

महादेवी वर्मा का बचपन का नाम क्या था?

महादेवी वर्मा का बचपन का नाम “महादेवी” ही था। उनके दादा बाबू बाँके विहारी जी ने उन्हें घर की देवी मानते हुए यह नाम दिया था।

महादेवी वर्मा की भाषा शैली क्या है?

महादेवी जी संस्कृत भाषा में परास्नातक थीं और छायावाद की प्रमुख कवयित्री मानी जाती हैं। उनकी भाषा में प्रायः तत्सम् शब्दावली का प्रयोग होता है, जो शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है। उनकी भाषा में व्याकरणिक शुद्धता, सरलता, सरसता और धारा-प्रवाह का गुण सर्वत्र विद्यमान है।

ऐसे और आर्टिकल्स पड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करे

adhik sambandhit lekh padhane ke lie

यह भी पढ़े