मनरेगा योजना-NREGA: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम

September 12, 2024
मनरेगा योजना
Quick Summary

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  • मनरेगा के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले प्रत्येक परिवार को वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिया जाता है। मनरेगा योजना में सभी वर्गों के लोगों को शामिल किया जाता है। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को विशेष ध्यान दिया जाता है।
  • मनरेगा में महिलाओं को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है। योजना के तहत मिलने वाले कुल रोजगार का कम से कम एक तिहाई हिस्सा महिलाओं को दिया जाता है।
  • मनरेगा योजना में पारदर्शिता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। अब काम की मांग, भुगतान आदि की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है।

Table of Contents

मनरेगा योजना जिसे NREGA से भी जाना जाता है। ये योजना एक सफल योजना के रूप में स्थापित हुई जिससे ग्रामीण भारत के 25 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को रोजगार का अवसर मिला साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई। ऐसे में आपको मनरेगा क्या है और मनरेगा योजना कब लागू हुई के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।

इस ब्लॉग में आप मनरेगा क्या है, मनरेगा योजना कब लागू हुई, मनरेगा योजना की विशेषता, मनरेगा योजना के लाभ, मनरेगा योजना की प्रक्रिया और मनरेगा से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।

मनरेगा क्या है?

मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भारत सरकार द्वारा भारतीय ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए की गई एक पहल है। जिससे उन्हें 100 दिनों तक के लिए रोजगार उपलब्ध हो सके।

योजना कब लागू हुई और उद्देश्य

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत सरकार द्वारा 2 फरवरी 2006 को लागू किया गया एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। शुरुआत में इसका नाम NREGA (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) था । इस योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. रोजगार की गारंटी: मनरेगा अधिनियम के तहत, हर वयस्क (18+) ग्रामीण श्रमिक को मांग करने पर 15 दिनों के भीतर 100 दिनों का रोजगार मिलने का कानूनी अधिकार है।
  2. न्यूनतम मजदूरी: मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है। सभी राज्यों के लिए भत्ता अलग है मनरेगा योजना महाराष्ट्र में यह ₹273 रहा है।
  3. काम की उपलब्धता: मनरेगा योजना के तहत, काम गांव के आसपास ही उपलब्ध कराया जाता है ताकि लोगों को लंबी दूरी तय न करनी पड़े।
  4. सामाजिक सुरक्षा: मनरेगा योजना श्रमिकों को दुर्घटना बीमा और मातृत्व लाभ जैसी सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है।

मनरेगा योजना की विशेषताएं 

मनरेगा योजना की विशेषताएं अनेक हैं जिनमें रोजगार की गारंटी, स्थानीय विकास, न्यूनतम मजदूरी, जल संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, पारदर्शिता और पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं इनके अतिरिक्त लाभार्थियों को 15 दिनों के भीतर काम भी उपलब्ध करवाया जाता है। इन मनरेगा योजना की विशेषताओं का लाभ अब तक 14.8 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को मिला है।

मनरेगा जॉब कार्ड क्या है?

मनरेगा जॉब कार्ड (MGNREGA Job Card) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जारी किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह कार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और बेरोजगार लोगों को कानूनी तौर पर 100 दिनों का काम और न्यूनतम मजदूरी का अधिकार देता है। जॉब कार्ड धारकों को बीमा, मातृत्व लाभ, और बुढ़ापा पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का भी लाभ मिलता है।

जॉब कार्ड के लिए योग्यता:

  1. आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. आवेदक ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाला होना चाहिए।
  3. आवेदक की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  4. आवेदक गरीब या बेरोजगार होना चाहिए।

मनरेगा योजना के लाभ

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कई मनरेगा योजना के लाभ देखने को मिले हैं जिसमें रोजगार के अवसर, गरीबी में कमी, गांवों में विकास कार्य सामिल हैं। मनरेगा योजना के लाभ विस्तार से कुछ इस प्रकार हैं:

रोजगार के अवसर 

मनरेगा योजना ग्राम पंचायत से सभी परिवारों में से एक व्यक्ति को रोजगार का अवसर दिलाता हैं। जिससे उन्हें 100 दिनों तक रोजगार की गारंटी मिलती है। मनरेगा योजना ग्राम पंचायत से महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, और पिछड़े वर्गों को विशेष रूप से लाभ होता है, जिन्हें अक्सर रोजगार के अवसरों में कम प्रतिरूप दिया जाता है। 

MGNREGA Wage Rate 2024 – मनरेगा के तहत मिलने वाला मेहनताना (राज्यवार)
S. No.राज्य एवं संघ शासित प्रदेश
(State and Union Territory)
Daily Wage Rate for NREGA Labor
(दैनिक मजदूरी दर)
1Andhra Pradesh₹300.00
2Arunachal Pradesh₹234.00
3Assam₹249.00
4Bihar₹245.00
5Chhattisgarh₹243.00
6Goa₹356.00
7Gujarat₹280.00
8Haryana₹374.00
9Himachal Pradesh (Non-Scheduled Area)₹236.00
10Himachal Pradesh (Scheduled Area)₹295.00
11Jammu & Kashmir₹259.00
12Ladakh₹259.00
13Jharkhand₹245.00
14Karnataka₹349.00
15Kerala₹346.00
16Madhya Pradesh₹243.00
17Maharashtra₹297.00
18Manipur₹272.00
19Meghalaya₹254.00
20Mizoram₹266.00
21Nagaland₹234.00
22Odisha₹254.00
23Punjab₹322.00
24Rajasthan₹266.00
25Sikkim₹249.00
26Sikkim (Gyathang, Lachung, Lachen Panchayats)₹374.00
27Tamil Nadu₹319.00
28Telangana₹300.00
29Tripura₹242.00
30Uttar Pradesh₹237.00
31Uttarakhand₹237.00
32West Bengal₹250.00
33Andaman and Nicobar Islands (Andaman District)₹329.00
34Andaman and Nicobar Islands (Nicobar District)₹374.00
35Chandigarh₹324.00
36Dadra and Nagar Haveli₹324.00
37Daman and Diu₹324.00
38Lakshadweep₹315.00
39Puducherry₹319.00

गरीबी में कमी 

  • आर्थिक समृद्धि: ग्रामीण लोगों को रोजगार मिलते हैं जिससे उनकी आय बढ़ती है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरती है ।
  • मजदूरी में वृद्धि: मनरेगा योजना ग्राम पंचायत न्यूनतम मजदूरी दर निर्धारित करती है, जो कि गरीब मजदूरों के लिए आय में वृद्धि सुनिश्चित करती है। 
  • सामाजिक सुरक्षा: मनरेगा योजना ग्राम पंचायत मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे कि बीमा, मातृत्व लाभ, और बुढ़ापा पेंशन का लाभ प्रदान करती है। 
  • महिला सशक्तिकरण: मनरेगा योजना ग्राम पंचायत महिलाओं को रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

गांवों में विकास कार्य 

  • बुनियादी ढांचे का विकास: मनरेगा योजना ग्राम पंचायत के तहत गांवों में सड़कों, पुलों, और सामुदायिक भवनों का निर्माण किया जाता है। इससे ग्रामीणों की आवागमन सुविधाएं बेहतर होती हैं।
  • जल संरक्षण: मनरेगा योजना ग्राम पंचायत के तहत तालाब, जलाशय और नहरों की खुदाई व मरम्मत का काम किया जाता है। इससे पानी की समस्या हल होती है और कृषि के लिए सिंचाई की सुविधा मिलती है।
  • सामाजिक लाभ: गांवों में मनरेगा योजना ग्राम पंचायत के काम के जरिए सार्वजनिक उपयोग की जगहों का निर्माण होता है, जैसे स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, और सामुदायिक शौचालय। इससे ग्रामीणों का जीवनस्तर सुधरता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: वृक्षारोपण और भूमि सुधार के कामों के जरिए पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलती है। इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलती है।

मनरेगा योजना की प्रक्रिया 

मनरेगा योजना की प्रक्रिया काफी सामान्य है। इसमें मनरेगा के लिए रजिस्ट्रेशन, काम का चयन और वेतन का भुगतान सामिल हैं। इसे विस्तार से कुछ इस प्रकार समझें:

मनरेगा के लिए रजिस्ट्रेशन 

मनरेगा योजना का लाभ उठाने के लिए सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करना होता है। मनरेगा योजना में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के लिए web.umang.gov.in या Umang ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा सिर्फ गोवा राज्य के लिए है। गोवा राज्य में रहने वाले इस प्रक्रिया से मनरेगा योजना में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते है:

  1. web.umang.gov.in या Umang ऐप पर MGNREGA सर्च करें।
  2. “Apply for job card” पर क्लिक करें।
  3. अपनी सामान्य जानकारियों को भरें जिसमें:
    • पिता का नाम,
    • पता,
    • राज्य,
    • जिला,
    • पंचायत,
    • गांव का नाम,
    • जाती,
    • परिवार के मुख्या का नाम और
    • राशन कार्ड नंबर सामिल हैं।
  4. सामान्य जानकारी देने के बाद आवेदक का विवरण देना होता है जिसमें:
    • आवेदक का नाम,
    • लिंग,
    • आयु,
    • आवेदक विकलांग है या नहीं,
    • मोबाइल नंबर,
    • आधार कार्ड संख्या,
    • परिवार के मुख्या के साथ संबंध,
    • आपका एक फोटो सामिल होते हैं।
  5. अपनी जानकारियां भरने के बाद “Apply For Job Card” पर क्लिक करना होता है और एप्लीकेशन जमा हो जाता है।
  6. आवेदन की स्थिति को Umang ऐप या फिर web.umang.gov.in के जरिए देखा जा सकता है और जॉब कार्ड बनने के बाद डाउनलोड भी किया जा सकता है।

गोवा के अलावा किसी अन्य राज्यों में रहने वाले लोग मनरेगा योजना ग्राम पंचायत ऑफिस में संपर्क करके मनरेगा योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए वहां एक नि:शुल्क फॉर्म दिया जाता है, उस फॉर्म को भरकर और अपने पहचान दस्तावेजों से साथ मनरेगा योजना ग्राम पंचायत ऑफिस में जमा करना होता है। 

काम का चयन करना 

आपके गांव के निकट हो रहे कामों में से आपको किसी काम का चयन करना होता है। कई जगह उपभोगताओं को काम का चयन करने का विकल्प नहीं दिया जाता लेकिन इस योजना में उपभोक्ताओं का अधिकार होता है कि वह कौन से काम का चयन करना चाहते हैं।

वेतन का भुगतान लेना 

मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले श्रमिकों के पैसे उनके बैंक खाते में हर माह डीबीटी के जरिए स्थांतरण किए जाते हैं। जिससे बिचौलिए की समस्या खत्म हो जाती है। इसके लिए श्रमिकों के पास अपना खुद का बैंक अकाउंट होना चाहिए और वो आधार कार्ड से सीडेड होना चाहिए। 

मनरेगा योजना के आंकड़े और सफलता की कहानियाँ

मनरेगा योजना के आंकड़े और सफलता की कहानियाँ इस योजना के सफल होने का प्रमाण हैं जिसमें ग्राम पंचायत की अहम भूमिका रही है। 

मनरेगा में ग्राम पंचायत की भूमिका 

मनरेगा योजना में ग्राम स्तर पर कार्यान्वयन की निगरानी से लेकर जॉब कार्ड (जे.सी.) जारी करना और पंजीकरण के लिए आवेदन प्राप्त करके उनका सत्यापन करना ग्राम पंचायत की भूमिकाओं के अंदर आती है। अब तक ग्राम पंचायत द्वारा 25 करोड़ से अधिक लोगों की पुष्टि कर उन्हें जॉब कार्ड उपलब्ध करवाया है। 

महाराष्ट्र की बात की जाए तो, मनरेगा योजना महाराष्ट्र में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और रोजगार रचना के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन गई है। इस योजना के तहत महाराष्ट्र में कई गांवों में सड़कों, जलाशयों, और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। मनरेगा योजना महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में आर्थिक स्थिरता लाने और 2.87 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रही है। 

लाभार्थियों की कहानियाँ

1. ललिता भेंगरा की कहानी

झारखंड के खूंटी जिले के तोरपा ब्लॉक की ललिता भेंगरा का परिवार 2015 में भयंकर आर्थिक संकट से गुज़र रहा था। उनके पास ज्यादातर जमीन बंजर थी। शुरू में, वह मनरेगा के तहत आम की खेती करने से संकोच कर रही थी क्योंकि उन्हें संभावित जोखिमों का संदेह था। 

आज ललिता अपने गांव की कई अन्य महिलाओं के लिए एक आदर्श बन गई हैं। उन्होंने न केवल 1.5 एकड़ जमीन पर एक सुंदर बाग लगाया है, बल्कि उस पर साल भर व्यावसायिक खेती भी कर रही हैं। उनका परिवार बाग में सब्जियों की खेती से 13,200 रुपये से अधिक कमाता है, इसके अलावा उस समय बागवानी साइट पर 100 दिन काम करके मनरेगा के तहत 16,800 रुपये भी कमाई।

2. शेरपा की कहानी

सिक्किम में बुसुक नदी के तट पर रहने वाला शेरपा कुछ साल पहले तक लोगों का भारी बोझ अपने शरीर पर ढोकर लगभग 2 घंटे पहाड़ों का रास्ता तय करके गांव से ऊपर-नीचे की ओर जाता था और अपने परिवार का पेट पालने के लिए रोजाना करीब 100 रुपये कमाता था। 2017 में, एक ग्राम सभा में, शेरपा, जो केवल 8,000 रुपये प्रति माह कमा रहा था, को उन लोगों की सूची में डाल दिया गया गया जिन्हें राज्य सहायता की सबसे अधिक आवश्यकता है। 

इसके तुरंत बाद, उनके गांव के रोजगार सहायक (या मनरेगा हेल्पर) उनके घर आए। साल के भीतर, शेरपा की जर्जर बांस की गौशाला जिसमें 3 गाय थी को कंक्रीट के खंभों, टिन की छत और खाद भंडारण गड्ढों वाली गौशाला से बदल दिया गया। कुछ समय बाद उसने अपने गायों की संख्या को बढ़ाया और उनकी आय भी लगभग दोगुनी होकर 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक हो गई।

मनरेगा योजना में चुनौतियां

मनरेगा योजना ग्रामीण भारत के गरीब और बेरोजगार लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। यह योजना उन्हें रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करने में मदद करती है। लेकिन दुर्भाग्य से, इसमें अभी भी काफी चुनौतियाँ हैं जिसमें भ्रष्ट्राचार और प्रशासनिक समस्याएँ प्रमुख हैं।

भ्रष्टाचार

मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार एक बड़ी चुनौती बन गया है जिससे ग्रामीण विकास में बाधा, धन का दुरुपयोग और गरीबों का शोषण जैसी समस्या सामने आ रही हैं। मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार कुछ इन तरीकों से हो रहे हैं:

  • फर्जी जॉब कार्ड: कई बार, अयोग्य लोगों को जॉब कार्ड जारी कर दिए जाते हैं, और वे काम किए बिना ही पैसा प्राप्त कर लेते हैं।
  • काम का भुगतान न करना: मजदूरों को उनके काम का पूरा भुगतान नहीं किया जाता है, या उन्हें कम मजदूरी दी जाती है।
  • अनिश्चित कार्य: मजदूरों को काम नहीं दिया जाता है, या उन्हें कम घंटों का काम दिया जाता है।
  • भ्रष्ट अधिकारी: कुछ अधिकारी योजना के तहत आवंटित धन का दुरुपयोग करते हैं।
  • निरीक्षण की कमी: योजना की उचित निगरानी नहीं की जाती है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

प्रशासनिक समस्याएं

मनरेगा योजना में प्रशासनिक समस्याएं भी देखी जाती हैं, जो इसके प्रभावी कार्यान्वयन में रुकावट बनती हैं। कुछ मुख्य प्रशासनिक समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  1. श्रम कार्ड में देरी: मनरेगा के तहत मजदूरों को जॉब कार्ड दिए जाते हैं, लेकिन इनका जारी करने में देरी होती है, जिससे लोग समय पर काम नहीं पा पाते।
  2. भुगतान में देरी: मजदूरों को काम का भुगतान समय पर नहीं मिलता, जिससे उनके आर्थिक संकट और बढ़ जाते हैं।
  3. निगरानी की कमी: कई जगहों पर योजना के क्रियान्वयन की निगरानी सही तरीके से नहीं होती, जिससे काम की गुणवत्ता में गिरावट आती है और कई परियोजनाएं अधूरी रह जाती हैं।
  4. प्रशिक्षण की कमी: कई बार स्थानीय अधिकारियों और श्रमिकों को मनरेगा की प्रक्रिया और प्रावधानों की पर्याप्त जानकारी नहीं होती, जिससे योजना का सही तरीके से लाभ नहीं मिल पाता।

मनरेगा योजना में सुधार के उपाय 

मनरेगा योजना में सुधार के कई उपाय हैं जिसमें सरकारी स्तर पर निगरानी, जवाबदारी और दोषियों के खिलाफ शख़्त कार्यवाही हो सकती है। 

सरकारी स्तर पर निगरानी और जवाबदारी

1. मजबूत निगरानी तंत्र:

  • बहुस्तरीय निगरानी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए जिसमें ग्रामीण स्तर, ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर शामिल हों।
  • निगरानी प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए जैसे कि जियो-टैगिंग, रिमोट सेंसिंग, और मोबाइल एप्लिकेशन।

2. जवाबदेही सुनिश्चित करना:

  • योजना के कार्यान्वयन में शामिल सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत मनरेगा योजना से संबंधित जानकारी तक आसान पहुंच प्रदान करना चाहिए।

3. पारदर्शिता बढ़ाना:

  • मनरेगा योजना से संबंधित सभी जानकारी को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
  • योजना के तहत किए गए कार्यों का डेटा नियमित रूप से प्रकाशित किया जाना चाहिए।
  • ग्रामीण समुदायों के साथ योजना के बारे में नियमित रूप से बैठकें किया जाना चाहिए।

दोषियों के खिलाफ शख़्त कार्यवाही 

  1. भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
  2. मजदूरों और ग्रामीणों को योजना के बारे में जागरूक करना चाहिए और उन्हें भ्रष्टाचार की शिकायत करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  3. ऑफलाइन स्तर पर भी एक आयोग का गठन करना चाहिए जो निष्पक्ष रूप से श्रमिकों के साथ हो रहे भ्रष्टाचार का पता लगाएं और यह सुनिश्चित करे की जरूरतमंद लोगों को मनरेगा योजना का पूरा लाभ पहुंचे।

निष्कर्ष

मनरेगा योजना ने ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना ने न केवल लाखों लोगों को रोजगार दिया है, बल्कि गांवों के बुनियादी ढांचे में सुधार और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी अहम कदम उठाए हैं। सही निगरानी और सामुदायिक भागीदारी के साथ, मनरेगा योजना आने वाले वर्षों में भी ग्रामीण भारत की प्रगति का महत्वपूर्ण स्तंभ बनी रहेगी।

इस ब्लॉग में आपने मनरेगा क्या है, मनरेगा योजना कब लागू हुई, मनरेगा योजना की विशेषता, मनरेगा योजना के लाभ, मनरेगा योजना की प्रक्रिया, सफलता की कहानियाँ, मनरेगा योजना में चुनौतियां और उनके समाधानों के बारे में विस्तार से जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

मनरेगा का पैसा कब आएगा 2024?

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत जॉब कार्ड धारकों को उनके काम का पैसा तभी मिलेगा जब उनका बैंक खाता आधार से लिंक होगा।

मनरेगा का नया नियम क्या है?

मनरेगा में समय-समय पर नियमों में बदलाव होते रहते हैं। हाल ही में, आधार को भुगतान के लिए अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, कुछ राज्यों ने भुगतान प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए नए नियम लागू किए हैं।

मनरेगा योजना की शुरुआत कब हुई?

मनरेगा योजना की शुरुआत 2 फरवरी, 2006 को हुई थी।

मनरेगा के कितने रुपए हैं?

मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी की दरें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं और समय-समय पर बदलती रहती हैं।

मनरेगा में मेट की मजदूरी कितनी है 2024?

मनरेगा योजना के अंतर्गत देश के सभी राज्यों में श्रमिकों की औसत दैनिक मजदूरी दर 261 रुपये से बढ़ाकर 289 रुपये कर दी गई है, अर्थात प्रतिदिन 28 रुपये की वृद्धि हुई है।

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