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मुगलों का शासनकाल 1526 से 1857 तक था। मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने की थी और यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुख शक्ति थी:
एक शाही खानदान जिसने इतिहास रचा, वही अपनी गलतियों की वजह से धराशायी हो गया ये कोई और नहीं बल्कि मुगल साम्राज्य है। एक ऐसा साम्राज्य जिसकी शान और शौकत दुनियाभर में फैली हुई थी। लेकिन हर शाही खानदान की तरह, इसका भी पतन हुआ। क्या मुगलों ने भारत पर कितने साल राज किया था? ये जानने के लिए इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें।
कुछ गलत फैसले, कुछ बाहरी हमले और कुछ आंतरिक विद्रोह। यही वजह बनी इस प्रभावशाली साम्राज्य के पतन की। मुगलों का शासन काल एक सबक है उन सभी के लिए जो शक्ति और प्रभुत्व चाहते हैं। चलिए जानते हैं मुगल साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारणों के बारे में।
मुगल शासन भारत का एक शानदार अतीत है, और मुगलों का इतिहास दुनिया भर में फैला हुआ है। अगर हम बात करें भारत में मुगल कब आए थे? तो इसकी शुरुआत 16वीं शताब्दी में बाबर द्वारा की गई थी। मुगल शासक न सिर्फ शक्तिशाली राजनीतिक प्रभुत्व थे, बल्कि सांस्कृतिक और कलात्मक क्षेत्रों में भी उनका योगदान रहा है। अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब जैसे शासकों ने अपने शासनकाल में मुगल साम्राज्य को एक बहुत ही अच्छे मुकाम पर पहुंचाया। इस तरह हमने समझा कि भारत में मुगल कब आए थे?
साम्राज्यवंश का नाम | मुगल वंश |
शासन काल | 1526-1857 |
प्रमुख सत्ताकेंद्र स्थान | दिल्ली, औरंगाबाद, आगरा |
प्रमुख शक्तिशाली शासक | बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहां, औरंगजेब |
मुग़ल काल की प्रमुख इमारतें | ताजमहाल, लाल किला, जामा मस्जिद, बीबी का मकबरा, लाहोर मस्जिद, मोती मस्जिद, तक्ख्त-ए- ताउस आदि। |
प्रथम शासक | बाबर |
अंतिम शासक | बहादूर शाह जफर |
साम्राज्य का कुल शासनकाल | लगभग 331 साल |
मुगल शासन ने अपने शासनकाल में चरम सीमा पर पहुंचकर एक विशाल साम्राज्य बनाया। अकबर के समय विस्तार हुआ, शाहजहां ने ताजमहल जैसे स्मारक बनवाए और कला-संस्कृति को बढ़ावा दिया। औरंगजेब ने दक्षिण के राज्य जीते लेकिन कट्टरपंथी नीतियों से पतन का बीज बोया। सैन्य शक्ति, प्रशासनिक सुधार, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक उपलब्धियों के चलते इसे स्वर्णिम युग कहा जाता है। ऐसे मुगल साम्राज्य, उच्च की शिखर पर पंहुचा। मुगलों का शासन काल औरंगजेब के कट्टरपंथी नीतियों और केंद्रीय शासन की कमजोरी थे, जिससे मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हुआ और अंत में मराठा शक्तियों, सिख गणराज्यों और अंग्रेजों के हमलों से पूरी तरह समाप्त हो गया। ये एक हिस्सा मुगल वंश का इतिहास का हैं।
मुगल शासन न केवल शानदार शासक थे बल्कि संस्कृति, कला और साहित्य के प्रेमी भी थे। इस तरह हमें ये भी पता चलेगा कि मुगलों ने भारत पर कितने साल राज किया था?
संस्कृति, कला और साहित्य की वजह से आज भी मुगल वंश का इतिहास किताबो मे नज़र आता हैं।
मुगलों का शासन काल से मुगल साम्राज्य की अंतिम दशक का पतन हुआ। ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के साथ इस प्राचीन साम्राज्य का अंत हो गया।
अगर हम मुगल राज का भारत पर प्रभाव की बात करे तो, मुगल शासन ने भारत पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। मुगल वंश का इतिहास और मुगल शासन इसके प्रभाव को कुछ इस तरह समझा जा सकता है:
इस तरह मुगल शासन ने भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाया। मुगलों का इतिहास, आज भी अनेक पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है।
क्रमांक | मुगल राजाओं के नाम | शासनकाल |
1 | बाबर | 20 अप्रैल 1526 – 26 दिसम्बर 1530 |
2 | हुमायूँ | 26 दिसम्बर 1530 – 17 मई 1540 |
3 | शेर शाह सूरी | 17 मई 1540 – 22 मई 1545 |
4 | इस्लाम शाह सूरी | 27 मई 1545 – 22 नवम्बर 1554 |
5 | हुमायूँ | 22 फ़रवरी 1555 – 27 जनवरी 1556 |
6 | अकबर-ए-आज़म | 11 फरवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605 |
7 | जहांगीर | 3 नवंबर 1605 – 28 अक्टूबर 1627 |
8 | शाह-जहाँ-ए-आज़म | 19 जनवरी 1628 – 31 जुलाई 1658 |
9 | अलामगीर(औरंगज़ेब) | 31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707 |
10 | बहादुर शाह | 19 जून 1707 – 27 फ़रवरी 1712 |
11 | जहांदार शाह | 27 फ़रवरी 1712 – 10 जनवरी 1713 |
12 | फर्रुख्शियार | 11 जनवरी 1713 – 28 फ़रवरी 1719 |
13 | रफी उल-दर्जत | 28 फ़रवरी – 6 जून 1719 |
14 | शाहजहां द्वितीय | 6 जून 1719 – 17 सितम्बर 1719 |
15 | मुहम्मद शाह | 27 सितम्बर 1719 – 26 अप्रैल 1748 |
16 | अहमद शाह बहादुर | 29 अप्रैल 1748 – 2 जून 1754 |
17 | आलमगीर द्वितीय | 3 जून 1754 – 29 नवम्बर 1758 |
18 | शाहजहां तृतीय | 10 दिसम्बर 1759 – 10 अक्टूबर 1760 |
19 | शाह आलम द्वितीय | 10 अक्टूबर 1760 – 19 नवम्बर 1806 |
20 | अकबर शाह द्वितीय | 19 नवम्बर 1806 – 28 सितम्बर 1837 |
21 | बहादुर शाह द्वितीय | 28 सितम्बर 1837 – 21 सितम्बर 1857 |
अगर हम बात करें मुगलों ने भारत पर कितने साल राज किया था? तो मुगल वंश ने लगभग 332 वर्षों तक भारत पर शासन किया था। इस लंबे शासनकाल को मुगल काल के नाम से जाना जाता है। चलिए और विस्तार से जानते हैं मुगलों का इतिहास।
मुगलों का शासन काल:मुगल साम्राज्य के पतन के कारण के पीछे मुख्य कारण राजनीतिक और सामाजिक दबाव थे। राजनीतिक स्तर पर, कमज़ोर शासक, उत्तराधिकार के लिए लड़ाइयां, मराठा शक्ति का उदय और हिंदुओं सहित अन्य धर्मों के लोगों का असंतोष मुगल शासन को कमजोर कर रहा था। सामाजिक स्तर पर, जातिभेद, धार्मिक भेदभाव, किसानों और मजदूरों का शोषण से समाज में बंटवारा और नाराजगी बढ़ती जा रही थी। इन राजनीतिक और सामाजिक कारणों के साथ-साथ आर्थिक कमजोरियां, विदेशी हमले और प्राकृतिक आपदाएं भी मुगलों का शासन काल में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही थीं।
मुगलों का शासन काल में आर्थिक और व्यापारिक अस्थिरता एक बहुत बड़ा कारण था। मुगल अर्थव्यवस्था ज्यादातर खेती पर ही निर्भर थी, औद्योगिक विकास बहुत कम था। जमींदारों और फौजियों को जागीरें दी जाती थीं, जिससे राजस्व इकट्ठा करना मुश्किल हो गया। साथ ही मुगल बादशाहों ने धातु कम होने के कारण खराब सिक्के बहुत ज्यादा छापे, जिससे पैसे का मूल्य कम हो गया। अंग्रेजों के साथ व्यापार पर पाबंदी लगाई गई, जिससे व्यापार घाटा बढ़ा। किसानों पर भारी कर लगाए गए और उनकी जमीनें छीन ली गईं, जिससे वे दिवालिया होने लगे। ऐसी आर्थिक और व्यापारिक अस्थिरता से मुगल साम्राज्य की आमदनी घटी और उसके विस्तार व संचालन के लिए पर्याप्त धन नहीं बचा, जिससे साम्राज्य कमजोर हुआ।
धर्म और संस्कृति के विवाद भी मुगलों का शासन काल के एक बड़े भाग थे। मुगल बादशाहों ने हिंदुओं पर कई तरह के टेक्स लगाए और उनके मंदिरों को तोड़ा गया, जिससे हिंदुओं में बहुत नाराजगी फैल गई। साथ ही मुगलों ने अपनी संस्कृति और इस्लामी रीति-रिवाजों को लोगों पर थोपने की कोशिश की। इससे देश में रहने वाले दूसरे धर्मों और संस्कृतियों के लोग भी नाराज हो गए। ऐसे धर्म और संस्कृति के विवाद से देश में फूट पड़ गई और मुगल शासन के खिलाफ विद्रोह होने लगे, जिससे उसका पतन तेज हो गया।
मुगल शासन के अंतिम शासकों का कमजोर नेतृत्व भी उसके पतन का एक प्रमुख कारण था। औरंगजेब के बाद आए शाहजहां, जहांदार शाह और बहादुर शाह जफर जैसे शासकों में शासन चलाने की क्षमता नहीं थी। ये शासक आलसी और कमजोर थे। उनमें देश को संभालने और विद्रोहों से निपटने की ताकत नहीं थी। उनके शासनकाल में अंदरूनी झगड़े और राज्य विद्रोह बढ़ गए। साथ ही सैनिक और नौकरशाहों में अनुशासनहीनता बढ़ी। ऐसे में मुगल साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होता गया और आखिरकार टूट गया। इन अंतिम कमजोर और नालायक शासकों के कारण ही मुगलों का शासन काल तेजी से हुआ।
बाहरी आक्रमण और अंतिम साम्राज्यिक संघर्षों ने भी मुगल शासन के पतन में बड़ा योगदान दिया। इस दौरान पारसी और अफगान लोगों ने मुगल साम्राज्य पर कई बार हमले किए। साथ ही मराठा शक्ति का भी उदय हुआ और उन्होंने मुगलों से लगातार लड़ाइयां लड़ीं। इन बाहरी आक्रमणों ने मुगल साम्राज्य को काफी नुकसान पहुंचाया और उनकी ताकत कमजोर कर दी। इसके अलावा, साम्राज्य के अंदर भी मुगल शासकों और उनके राजकुमारों के बीच उत्तराधिकार को लेकर लगातार संघर्ष चलता रहा। ये संघर्ष कभी-कभी युद्धों में भी बदल जाते थे। इन अंदरूनी संघर्षों ने भी मुगल शासन को काफी कमजोर किया और आखिरकार उसके पतन में योगदान दिया।
एक समय मुगल शासन बहुत शक्तिशाली और समृद्ध था, लेकिन धीरे-धीरे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों से यह कमजोर होता गया और आखिरकार टूट गया। राजनेताओं में कमजोरी, गद्दी के लिए लड़ाइयां, मराठा और अन्य जगहों से विद्रोह हुए। समाज में जाति-भेद, धर्म के आधार पर भेदभाव और किसानों-मजदूरों का शोषण बढ़ा। खेती पर ज्यादा निर्भरता, सिक्कों में धातु कम होना, अंग्रेजों से व्यापार बंद होना आदि से अर्थव्यवस्था कमजोर हुई।
धर्म के नाम पर हिंदू संस्कृति को दबाया गया। बाहरी हमले और अंदरूनी लड़ाइयों से सेना भी कमजोर पड़ गई। इन सब कारणों से मुगल साम्राज्य धीरे-धीरे टूटता गया और अंग्रेजों के आने के बाद पूरी तरह खत्म हो गया। यही सभी कारन से मुगलों का शासन काल: मुगल साम्राज्य के पतन के कारण बना।
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मुगलों ने भारत पर लगभग 300 साल (1526-1857) तक राज किया था।
भारत में कुल 19 मुगल बादशाह हुए थे। मुगल साम्राज्य की नींव बाबर ने 1526 में रखी थी और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद इसका पतन हुआ था।
मुगल वंश के शासकों का क्रम:
1. बाबर: मुगल साम्राज्य का संस्थापक।
2. हुमायूं: बाबर का पुत्र।
3. अकबर: मुगल साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक।
4. जहांगीर: अकबर का पुत्र।
5. शाहजहाँ: ताजमहल का निर्माण करवाया।
6. औरंगजेब: मुगल साम्राज्य का अंतिम महान शासक।
7. बहादुर शाह: मुगल साम्राज्य का अंतिम बादशाह।
वर्ष 1451 में बहलोल लोदी के नेतृत्व में लोदी राजवंश ने दिल्ली सल्तनत पर कब्ज़ा किया जिस पर तब सैयद वंश शासन कर रहा था। सैयद वंश के बाद दिल्ली सल्तनत पर लोदी वंश ने शासन किया जिसे 1526 में मुगलों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
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