मुस्लिम लीग की स्थापना : मुस्लिम लीग के उद्देश्य और इतिहास

August 30, 2024
मुस्लिम लीग की स्थापना

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मुस्लिम लीग की स्थापना का आंदोलन उन मुस्लिम नेताओं ने प्रारम्भ किया था जो चाहते थे की ब्रिटिश भारत के अंदर मुसलमानों की नींव को जमा दिया जाये। मुस्लिम लीग की स्थापना 1905 के बंगाल विभाजन से संबंध रखती है। इतिहासकारों से पता चलता है की बंगाल विभाजन करने का ख़ास मकसद जनता में फूट डालना था। पश्चिमी भाग में हिन्दुओं का बहुमत और पूर्वी बंगाल में मुसलमानों का बहुमत बनाना था। 

ऐसा इसलिए की हिन्दू-मुस्लिम के बीच एकता खत्म हो जाए। इसके बाद 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ। बंगाल के विभाजन ने एक सांप्रदायिक विभाजन को जन्म दिया। इससे मुस्लिम लीग का भी गठन हुआ। आज इस पोस्ट में आप जानेंगे की मुस्लिम लीग की स्थापना किसने की और साथ ही मुस्लिम लीग की स्थापना की पूरी जानकारी भी दी जाएगी।

मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई?

ढाका के नवाब आगा खान और नवाब मोहसिन-उल-मुल्क के नेतृत्व में 30 दिसंबर 1906 को मुस्लिम लीग की स्थापना की गई थी। इस दिन को “आल इंडिया मुस्लिम लीग” के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम लीग का गठन किया गया था। शुरू में अंग्रेजों द्वारा इसका बहुत समर्थन किया गया। लेकिन 1913 में संगठन ने भारत के लिए स्वशासन अपना लिया। 

मुस्लिम लीग की स्थापना किसने की?

मुस्लिम लीग की स्थापना “नवाब सलीमुल्लाह खान” द्वारा की गई थी। 

इनके साथ मुस्लिम लीग की स्थापना किसने की? तो लीग में नवाब सलीमुल्लाह खान के साथ आगा खां और मोहम्मद अली जिन्ना भी शामिल थे। 

भारतीय विभाजन होने के बाद “ऑल इंडिया मुस्लिम लीग” सिर्फ “इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग” के रूप में स्थापित हुई। यह एक तरह की सामाजिक और राजनीतिक लीग थी। जिसे भारत की मुस्लिम यूनिटी के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था।

प्रमुख संस्थापक

मुस्लिम लीग की स्थापना करने में बहुत से नेताओं ने अपनी भूमिका निभाई है। जिनमें प्रमुख मुस्लिम लीग संस्थापक निम्न है।

  • मुहम्मद अली जिन्ना – यह एक राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और पाकिस्तान के संस्थापक थे। मोहम्मद अली जिन्ना 1913 से 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान की स्थापना तक अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के नेता रहे।
  • सर सुल्तान मुहम्मद शाह – मुस्लिम लीग संस्थापक में अगला नाम आता है सर सुल्तान मुहम्मद शाह का। जो आगा खान III के नाम से भी जाने जाते हैं। यह मुस्लिम एजेंडों को आगे बढ़ाना चाहते थे। सर सुल्तान मुहम्मद शाह अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के संस्थापकों और पहले स्थायी अध्यक्ष में से एक थे। 
  • नवाब विकार-उल-मुल्क कम्बोह – यह अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के संस्थापकों में से एक थे। जो भारतीय मुस्लिम राजनीतिज्ञ भी रहें। मुस्लिम लीग संस्थापक मुश्ताक हुसैन ने 25 साल की उम्र में अपना राजनीतिक जीवन अलीगढ़ आंदोलन में कार्यकर्ता के रूप में शुरू किया था। 

नेताओं की भूमिका

मुस्लिम लीग की स्थापना में बहुत से नेताओं की अहम भूमिका रही है। 

प्रमुख नेता नेताओं की भूमिका
नवाब सलीमुल्लाह खानयह सबसे स्पष्टवादी समर्थकों में से एक थे। नवाब सलीमुल्ला खान के कारण लीग का निर्माण हुआ।
सर सैयद अहमद खानयह ब्रिटिश साम्राज्य के समर्थक थे। उन्होंने मुस्लिम हितों के लिए बहुत से आवश्यक कार्य किये और मुस्लिम लीग के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आगा खान IIIमुस्लिम लीग के प्रारंभिक अध्यक्ष के रूप में आगा खान III ने अपना महत्वपूर्ण नेतृत्व किया और वैचारिक दिशा भी दी।
नवाब मोहसिन-उल-मुल्क और अन्यऐसे कई अन्य मुस्लिम नेताओं ने भी संगठनात्मक आधार तैयार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मुस्लिम लीग का इतिहास

  • लीग की स्थापना: मुस्लिम लीग को 30 दिसंबर 1906 में भारत के मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। 
  • हिंदू-मुस्लिम एकता: कई दशकों तक मुस्लिम लीग और उसके नेताओं ने एकजुट और स्वतंत्र भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता बनाये रखने की मांग की। 
  • दिल्ली में पहला सत्र (1919): इस लीग ने पहला सत्र  दिल्ली में आयोजित किया। सत्र में मुस्लिम लीग के सदस्यों ने राजनीतिक मांगों को प्रमुख रूप से रखा।
  • 1940 के बाद:  मुस्लिम लीग भारत में रहने वाले मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र चाहती थी। जिसे हम पाकिस्तान के नाम से जानते है। क्योंकि उनके मन में भय था की भारत में हिंदुओं का बोलबाला हो जाएगा।
  • लाहौर अधिवेशन: इस महत्वपूर्ण परिस्थिति पर जिन्ना और मुस्लिम लीग के सदस्यों ने ब्रिटिश भारत को हिंदू और मुस्लिम राज्यों में बांटने के लिए संघर्ष किया।

भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान का गठन किया।

इसका नाम अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के बाद ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग कर दिया गया। अब मुस्लिम लीग पाकिस्तान और भारत में पृथक रूप से राजनीतिक पार्टियों के रूप में है।

मुस्लिम लीग के संस्थापक 

मुस्लिम लीग की स्थापना किसने की? तो मुस्लिम लीग को बनाने में बहुत से नेताओं ने अपना विशेष योगदान दिया है। मुस्लिम लीग संस्थापक में नवाब सलीमुल्लाह, मोहम्मद अली जिन्ना, आगा खान III, मोहसिन-उल-मुल्क की सबसे प्रमुख भूमिका रही है। 

  • नवाब सलीमुल्लाह: एक प्रभावशाली नेता के रूप में नवाब सलीमुल्लाह ने मुस्लिम संगठन का प्रतिनिधित्व करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • मोहम्मद अली जिन्ना: मुस्लिम लीग संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे। लाहौर में हुई पाकिस्तान की मांग को बलशाली बनाने में भी वह आगे रहे। 
  • आगा खान III: जिनका असली नाम सुल्तान मुहम्मद शाह था। यह मुस्लिम लीग के धर्म और समाज के नेता रहे हैं। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को नेतृत्व प्रदान किया मुहम्मद शाह ने भारतीय समाज, संस्कृति और शैक्षिक सुधार कार्य भी किये।
  • मोहसिन-उल-मुल्क: इन्हें सैयद मेहदी अली के नाम से भी जाना जाता है। यह भारतीय मुस्लिम राजनीतिज्ञ थे। 1906 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के संस्थापक थे। मोहसिन-उल-मुल्क अलीगढ़ आंदोलन का भी हिस्सा थे।

मुस्लिम लीग के अध्यक्ष

अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के अध्यक्ष काफी लम्बे समय तक इन पदों पर कार्यरत रहें। इन चार दशक के समय में मुस्लिम लीग का नेतृत्व करने के लिए लीग के पास हर साल एक निर्वाचित अध्यक्ष जरूर होता था। चलिए जानते है मुस्लिम लीग के अध्यक्षों के बारे में।

मुस्लिम लीग के प्रथम अध्यक्ष

सर सुल्तान मुहम्मद शाह (आगा खान III)

सर सुल्तान मुहम्मद शाह ‘अखिल भारतीय मुस्लिम लीग’ के पहले स्थायी अध्यक्ष थे। वह ब्रिटिश भारत में मुस्लिम एजेंडे को प्रगति करते हुए देखना चाहते थे। उनका लक्ष्य था मुस्लिम अधिकारों की सुरक्षा करना। आगा खान ने भारत में ही मुसलमानों को ब्रिटिश राज से अलग राष्ट्र मानने की मांग की।

मुस्लिम लीग के प्रथम अध्यक्ष के रूप में वह मुसलमानों को शिक्षित करना चाहते थे और महिला शिक्षा में भी तरक्की हो इसमें रुचि व्यक्त की। 1937 से 1938 तक राष्ट्र संघ के अध्यक्ष के रूप में भी योगदान देकर कार्यभार संभाला। आगा खान III ने 1912 में पद से इस्तीफा दिया था। 

मुस्लिम लीग के अन्य अध्यक्ष

मुस्लिम लीग में कई अध्यक्ष रहे हैं। इस लीग के अन्य अध्यक्ष इस प्रकार है।

1. सर मलिक फिरोज खान नून: ये  पाकिस्तान के संस्थापक में से एक थे। पाकिस्तानी राजनेता के रूप में फिरोज खान 16 दिसंबर 1957 से पाकिस्तान के सातवें प्रधानमंत्री रह चुके है।

2. शब्बीर अहमद उस्मानी: इन्होंने ही पाकिस्तान को एक इस्लामिक राज्य बनाने की सबसे पहले मांग की थी। शब्बीर अहमद उस्मानी एक इस्लामी विद्वान और पाकिस्तान आंदोलन के कार्यकर्ता थे।

3. ख्वाजा नजीमुद्दीन: ये भी मुस्लिम लीग के अध्यक्ष रहे और मुस्लिम लीग के नेतृत्व में कई सालों तक सेवा की।

मुस्लिम लीग की स्थापना का उद्देश्य

मुस्लिम लीग की स्थापना मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के हितों के लिए की गई थी।

मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है : 

  • मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत करना। 
  • इस लीग की एक न्यायसंगत और समान समाज व्यवस्था हो। 
  • मुस्लिम समुदाय की आवाज को राजनीतिक निर्णयों में जोड़ना।
  • उनके हकों, हितों और पहचान की रक्षा करना।

मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा 

राजनीतिक अधिकार सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है। इस अधिकार में न्याय, समानता और स्वतंत्रता मुख्य रूप से होती हैं। मुसलमानों को भी यह अधिकार मिलने में, सामाजिक और आर्थिक विकास करने में, समाज में स्थान बनाने में सहायता मिलनी चाहिए। 

सबसे जरुरी है हर व्यक्ति के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों का सम्मान करना। किसी भी समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव और अन्याय को रोकना चाहिए। इस तरह एक समृद्ध और संतुलित समाज बन सकता है।

मुसलमानों के हितों की रक्षा 

मुसलमानों के हितों की रक्षा करना एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर विचार करना आवश्यक है। 

  • धार्मिक स्वतंत्रता और सम्मान: हर धर्म समुदाय के साथ ही मुसलमान समुदाय को भी अपने धार्मिक अधिकारों का पालन करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
  • सामाजिक एकता: सभी धर्मों और समुदाय के लोगों को समान दर्जा मिलना चाहिए। मुसलमान समुदाय को भी यह दर्जा प्राप्त हो।
  • उन्नति में सहायता: मुसलमानों को न्यायपूर्ण विकल्प मिलने चाहिए। उनकी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और आर्थिक उन्नति हो ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए।

मुस्लिम लीग का प्रारंभिक कार्य

मुस्लिम लीग का प्रारंभिक कार्य मुस्लिम समाज के हक़ की रक्षा करना है।

1. राजनीतिक अधिकारों की रक्षा 

मुस्लिम लीग की भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बने और मुस्लिमों की हितैषी राजनीति करें।

2. शिक्षा और समाज सुधार 

इस लीग का प्रमुख लक्ष्य था मुस्लिम समुदाय को शिक्षा के क्षेत्र में उनके अधिकार मिलें और हितों की रक्षा हो। जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके। सामाजिक बदलाव लाना ताकि वे बेहतरीन जीवन शैली अपना सके।

3. ब्रिटिश सरकार के साथ संवाद 

ब्रिटिश सरकार से संवाद करके मुस्लिम समुदाय के हित में कार्य करना। मुस्लिम लीग ने अपने उद्देश्य के लिए  ब्रिटिश सरकार के साथ संवाद और समझौते की कोशिश की।

मुस्लिम लीग का विकास

मुस्लिम लीग की भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में अपनी जगह है। साथ ही लीग ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • प्रारंभिक संघर्ष: ब्रिटिश भारत को अलग-अलग हिंदू और मुस्लिम राज्यों में विभाजित करने के संघर्ष का नेतृत्व किया।
  • पाकिस्तान की मांग: भारतीय मुसलमानों के हक़ और हितों के लिए अलग राष्ट्र की मांग की थी।
  • मोहम्मद अली जिन्ना का नेतृत्व: भारत से अलग होकर पाकिस्तान की स्थापना की और पाकिस्तान की मांग को प्रतिष्ठित किया। 

मुस्लिम लीग की विरासत

मुस्लिम लीग भारतीय राजनीति का एक अहम हिस्सा रही है। जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी की और पाकिस्तान की स्थापना में विशेष भूमिका निभाई।

भारतीय उपमहाद्वीप पर प्रभाव

मुस्लिम लीग भारतीय उपमहाद्वीप पर विभिन्न प्रभाव डालती है। मुस्लिम लीग का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव भारतीय राजनीति और समाज पर हुआ है। विशेष रूप से भारतीय मुस्लिम समुदाय पर। इस प्रकार मुस्लिम लीग ने भारतीय उपमहाद्वीप पर अपनी कार्यक्षमता के माध्यम से गहरा प्रभाव डाला है।

पाकिस्तान में भूमिका

मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। खासकर पाकिस्तान के विभाजन और आजादी के समय में। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के हक़ में राजनीतिक एवं सामाजिक प्रस्थान बनाने के लिए भी कार्य किए है। 

मुस्लिम लीग का प्रभाव

मुस्लिम लीग का प्रभाव भारतीय राजनीति पर अधिक पड़ा है। साथ ही इसका मुख्य प्रभाव ब्रिटिश उपनिवेश भारत के विभाजन के रूप में एक अलग पाकिस्तान और भारत में देखा जा सकता है।

कुछ इस तरह के प्रभाव भी हुए : 

  • कम से कम संविधान संशोधन।
  • पाकिस्तान की स्थापना।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव।
  • राजनीतिक प्रभाव।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

मुस्लिम लीग ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

खिलाफत आंदोलनमुस्लिम लीग ने खिलाफत आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
अली ब्रदर्स और मोहम्मद अली जिन्नामुस्लिम लीग के प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना और उनके भाई आगा खान ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई।
लाहौर अधिवेशन (1940)मुस्लिम लीग ने 1940 में लाहौर में आयोजित अधिवेशन में ‘पाकिस्तान’ की मांग को लेकर अपना प्रस्ताव पेश किया।

विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना

भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना 1947 में हुई थी। विभाजन दो भागों में हुआ जिसमें हिन्दू बहुल भाग में एक लोकतांत्रिक भारत और इस्लामी अल्पसंख्यक भाग में एक अलग निर्णायक भारत निर्मित हुआ।

निष्कर्ष:

मुस्लिम लीग की स्थापना का मुख्य उद्देश्य मुसलमानों के हक़ और हितों को बरक़रार रखना था। भारत में मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक एकता स्थापित हो सके। भारत के मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को स्थान मिले। मुस्लिम लीग की स्थापना करने में मुस्लिम लीग संस्थापक ने महान कार्य किये है और अपना अहम योगदान दिया।

आज के इस ब्लॉग में आपने मुस्लिम लीग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई, मुस्लिम लीग की स्थापना किसने की, मुस्लिम लीग संस्थापक कौन थे, मुस्लिम लीग के प्रथम अध्यक्ष कौन थे और साथ ही विभिन्न नेताओं की इसमें क्या भूमिका रही। इन सबके बारे में जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQs)

प्रथम मुस्लिम लीग अध्यक्ष कौन है?

कई मुस्लिम नेताओं को ढाका में बैठक के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने वकार-उल-मुल्क की अध्यक्षता में बैठक की, जिन्होंने मुसलमानों को एक अलग निकाय में संगठित करने के तर्क को प्रस्तुत किया। इस विषय पर विस्तृत चर्चा के बाद, 1906 में “ढाका के नवाब आगा खान” और नवाब मोहसिन-उल-मुल्क के नेतृत्व में मुस्लिम लीग की स्थापना की गई।

मुस्लिम लीग का पहला अधिवेशन कब हुआ था?

इसकी स्थापना भारतीय मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा, कांग्रेस के प्रभाव का सामना करने और ब्रिटिश प्रशासन का समर्थन करने के लिए की गई थी। इसका पहला अधिवेशन 1908 में अमृतसर में आयोजित हुआ, जहां सैयद अली इमाम अध्यक्ष थे।

1930 में मुस्लिम लीग के संस्थापक कौन थे?

लीग की अगुवाई सर मुहम्मद इकबाल ने की, जिन्होंने 1930 में पहली बार भारत में एक अलग मुस्लिम राज्य की मांग की।

3 मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई कहां हुई और किसके द्वारा की गई?

1906 में ढाका में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की गई। यह गठन ढाका में महमडिं शैक्षणिक सम्मेलन के वार्षिक अधिवेशन के समाप्त होने के बाद हुआ, जब उपमहाद्वीप के विभिन्न राज्यों से आए मुस्लिम नेताओं ने नवाब सलीम अल्लाह खान के निमंत्रण पर एक विशेष सम्मेलन आयोजित किया।

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