न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को सरकार द्वारा किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्धारित किया गया मूल्य है। MSP से किसानों को हर एक क्षेत्र में फायदा मिला है। पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन में MSP भी एक बड़ा मुद्दा था। ऐसे में आपको “न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है” के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
इस ब्लॉग में आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, न्यूनतम समर्थन मूल्य में कितनी फसल हैं, अलग अलग फसलों के लिए MSP कितनी है, न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारत सरकार द्वारा निर्धारित कुछ प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए गारंटीकृत न्यूनतम मूल्य है। इसका मतलब है कि सरकार इन उत्पादों को MSP से कम कीमत पर नहीं खरीदेगी। MSP किसानों को उचित आय सुनिश्चित करने और उन्हें अनाज के लिए उचित मूल्य दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण नीतिगत उपकरण है।
MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी फसलों के लिए उपलब्ध नहीं है। सरकार हर साल MSP को कृषि लागत और मूल्यों आयोग (CAC) की सिफारिशों के आधार पर तय करती है। वर्तमान में 2023-2024 के मूल्यों पर सरकार द्वारा फसलों को खरीदा जाता है। हालही में, 19/06/2024 को 2024-2025 के लिए सरकार ने 14 खरीफ फसलों के लिए MSP को बढ़ाया है। 2023-2024 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची कुछ इस प्रकार है:
न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची/एमएसपी फसलों की सूची | मूल्य (₹/क्विंटल) | ||||
नंबर | फसल | खरीफ | किस्म | 2023-2024 | 2024-2025 |
1 | धान | समान्य | 2183 | 2300 | |
ग्रेड “A” | 2203 | 2320 | |||
2 | ज्वार | हाइब्रिड | 3180 | 3371 | |
मलदानी | 3225 | 3421 | |||
3 | बाजरा | 2500 | 2625 | ||
4 | रागी | 3846 | 4290 | ||
5 | मक्का | 2090 | 2225 | ||
6 | तूर/अरहर | 7000 | 7550 | ||
7 | मूंग | 8558 | 8682 | ||
8 | उड़द | 6950 | 7400 | ||
9 | मूंगफली | 6377 | 6783 | ||
10 | सूरजमुखी के बीज | 6760 | 7280 | ||
11 | सोयाबीन (पीला) | 4600 | 4892 | ||
12 | तिल | 8635 | 9267 | ||
13 | नाइजर सीड | 7734 | 8717 | ||
14 | कपास | मीडियम स्टेपल | 6620 | 7121 | |
लॉन्ग स्टेपल | 7020 | 7521 | |||
15 | गेहूं | रबी | 2125 | ||
16 | जौ | 1735 | |||
17 | चना | 5335 | |||
18 | मसूर | 6000 | |||
19 | सरसों | 5450 | |||
20 | कुसुम | 5650 | |||
21 | तोरई | 5450 | |||
22 | खोपरा | अन्य फसलें | मिलिंग | 10860 | |
बॉल | 11750 | ||||
23 | भूसी निकाली हुई नारियल | 2930 | |||
24 | जुट | 5050 |
MSP मूल्य किसानों की उत्पादन लागत (जैसे बीज, उर्वरक, सिंचाई, श्रम) को कम से कम 50% अधिक लाभ प्रदान करने के लिए निर्धारित किया जाता है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CAC) विभिन्न कारकों पर विचार करके कैबिनेट द्वारा MSP का निर्धारण किया जाता है, जैसे:
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही FCI (Food Corporation of India) किसानों से उनकी फसलें खरीदता है। वर्तमान 2024 में भारत सरकार ने MSP के लिए कुल 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची में रखा है।
सं | खाद्यान्न | MSP/क्विंटल |
1 | धान | 2300 |
2 | गेहूं | 2125 |
3 | मक्का | 2225 |
4 | ज्वार | 3371 |
3421 | ||
5 | रागी | 2625 |
6 | बाजरा | 4290 |
7 | जौ | 1735 |
सं० | दलहन | MSP/क्विंटल |
1 | चना | 5335 |
2 | अरहर | 7550 |
3 | उड़द | 7400 |
4 | मूंग | 8682 |
5 | मसूर | 6000 |
सं० | खाद्यान्न | MSP/क्विंटल |
1 | सरसों | 5450 |
2 | मूंगफली | 6783 |
3 | सोयाबीन | 4892 |
4 | सूरजमुखी | 7280 |
5 | तिल | 9267 |
6 | कुसुम | 5650 |
7 | निगरसीड | 8717 |
8 | तोरई | 5450 |
सं० | फसल | MSP/क्विंटल |
1 | कपास | 7121 |
2 | खोपरा | 10860 |
11750 | ||
3 | कच्चा जूट | 5050 |
4 | नारियल | 2930 |
न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को अनेकों लाभ हैं जिसमें न्यूनतम आय की गारंटी, बाजार जोखिम से सुरक्षा, उत्पादन बढ़ावा, आर्थिक स्थिरता, खाद्य सुरक्षा, कृषि क्षेत्र में निवेश और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार सामिल है।
ये सभी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ मिलकर किसानों कई आर्थिक और सामाजिक परेशानियों से बाहर निकलते हैं। इन सभी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं:
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी प्रदान करता है। यह मूल्य सरकार द्वारा तय किया जाता है ताकि फसल की कीमत गिरने पर भी किसानों को नुकसान न हो।
इससे किसानों को अपनी उपज के लिए न्यूनतम निश्चित मूल्य मिलता है, जो उनकी आय को स्थिर करता है और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। MSP के कारण किसान साहूकारों और बिचौलियों के चंगुल से बच सकते हैं और उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिलता है।
MSP का मुख्य उद्देश्य किसानों को बाजार में फसल के मूल्य में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाना है। जब बाजार में फसलों की कीमत MSP से नीचे गिर जाती है, तो सरकार किसानों से उनकी फसल MSP पर खरीदती है। इससे किसानों को एक निश्चित न्यूनतम आय की गारंटी मिलती है, जिससे उन्हें अपने उत्पादन की लागत निकालने में मदद मिलती है।
MSP प्रणाली के तहत, किसान बाजार के जोखिम से सुरक्षित रहते हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। यह कृषि क्षेत्र में स्थिरता और प्रगति को भी प्रोत्साहित करता है।
MSP से उत्पादन बढ़ावा इसलिए मिलता है क्योंकि किसान निश्चिंत होकर अधिक मात्रा में फसल उगाते हैं। उन्हें पता होता है कि उन्हें उनके उत्पाद का न्यूनतम मूल्य अवश्य मिलेगा।
यह नीति किसानों को आर्थिक सुरक्षा देती है और उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है। परिणामस्वरूप, कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होती है।
जब बाजार में कीमतें गिरती हैं, तब भी MSP किसानों को एक न्यूनतम आय सुनिश्चित करता है। यह नीति किसानों को जोखिम से बचाती है और उनकी उपज की एक न्यूनतम कीमत की गारंटी देती है। इसके अलावा, MSP किसानों को बेहतर उत्पादन और निवेश के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास होता है।
कुल मिलाकर, MSP से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
किसानों को उनकी फसलों के लिए एक न्यूनतम मूल्य की गारंटी दी जाती है, जिससे वे आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करते हैं और अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। जब किसान अधिक फसल उगाते हैं, तो बाजार में खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ती है। सरकार MSP पर फसलों की खरीद करके इन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीब और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाती है।
इस प्रकार, एमएसपी न केवल किसानों की आय को स्थिर रखता है बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और सस्ती दर पर सुनिश्चित करता है।
किसान अपनी कमाई को नए कृषि उपकरण, उन्नत बीज, और सिंचाई सुविधाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके अलावा, MSP की वजह से किसान कर्ज़ लेने में भी आत्मविश्वास महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें अपने उत्पाद का न्यूनतम मूल्य मिलना सुनिश्चित होता है।
इस प्रकार, MSP कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देता है, जिससे कृषि का संपूर्ण विकास होता है और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों को उनकी फसलों के लिए एक निश्चित मूल्य की गारंटी देता है, जिससे उनकी आमदनी स्थिर रहती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होता है क्योंकि किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। जब किसानों को उचित मूल्य मिलता है, तो वे अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे स्थानीय बाजारों में व्यापार बढ़ता है। इससे गाँवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और सामुदायिक विकास में तेजी आती है।
MSP की वजह से किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुल मिलाकर, MSP से ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार द्वारा की जाने वाली खरीद किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन, इस कार्यक्रम से सरकार के खर्च में भी वृद्धि होती है, जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
कभी-कभी MSP के कारण किसान एक ही फसल पर अधिक निर्भर हो जाते हैं, जैसे गेहूं या धान। इसका कारण यह है कि इन फसलों पर MSP की गारंटी अधिक होती है, जिससे किसान दूसरी फसलों को उगाने में रुचि नहीं दिखाते। यह कृषि विविधता को कम करता है और मिट्टी की उर्वरता पर भी नकारात्मक असर डालता है। इसके अलावा, अगर किसी साल उस फसल का उत्पादन अधिक हो जाए, तो कीमतें गिर सकती हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। इसलिए, फसल विविधीकरण पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) न केवल किसानों की आर्थिक सुरक्षा का स्तंभ है, बल्कि कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास को भी प्रोत्साहित करता है। MSP के प्रभावी क्रियान्वयन से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलता है, जिससे उनकी आजीविका सुधरती है। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिले हैं।
इस ब्लॉग में आपने विस्तार से न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, न्यूनतम समर्थन मूल्य कितनी फसल हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची, इसके लाभ और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव के बारे में जाना।
MSP की शुरुआत 1960 के दशक में हरित क्रांति के दौरान की गई थी, ताकि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सके।
MSP और कृषि बीमा दोनों ही किसानों की आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं; MSP फसल के मूल्य की गारंटी देता है, जबकि बीमा प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
MSP का भविष्य इस पर निर्भर करता है कि सरकार इसे कितना प्रभावी बनाती है, और क्या इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाता है। MSP में सुधार और अधिक समावेशी बनाने की दिशा में कई नीतिगत कदम उठाए जा सकते हैं।
MSP का कृषि नीति पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह नीति निर्धारण में एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, जो किसानों की आय, फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है।
MSP के तहत किसानों की शिकायतों का समाधान एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र, त्वरित प्रतिक्रिया, और पारदर्शी नीतियों के माध्यम से किया जा सकता है।
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