पर्यावरण प्रदूषण क्या है? पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

August 27, 2024
पर्यावरण प्रदूषण
Quick Summary

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पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है हमारे प्राकृतिक पर्यावरण में विदेशी और अवांछित पदार्थों का प्रवेश, जो पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ता है और जीव-जंतुओं के जीवन को खतरे में डालता है। ये प्रदूषक वायु, जल और भूमि को दूषित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का ह्रास होता है।

Table of Contents

Iqair की रिपोर्ट के मुताबिक भारत पर्यावरण प्रदूषण के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023 के मुताबिक दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरो में से 42 शहर भारत के हैं। हर साल दिल्ली में होने वाली मौतों में से करीब 11.5 प्रतिशत प्रदूषण के कारण होती हैं। ऐसे में पर्यावरण प्रदूषण क्या है और पर्यावरण प्रदूषण के कारण और उपाय के बारे में जानकर आप पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

इस ब्लॉग में आप पर्यावरण प्रदूषण क्या है, पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण के कारण और उपाय के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना के साथ पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखना भी जानेंगे।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब हानिकारक पदार्थ, जैसे रसायन, ध्वनि, या ऊर्जा, हमारे प्राकृतिक वातावरण में प्रवेश करते हैं। यह वायु, जल, मिट्टी और जीवों को दूषित कर सकता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं, पारिस्थितिकी तंत्र का नुकसान और जलवायु परिवर्तन सहित कई नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण (Air Pollution) पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार में से एक है, ये तब होता है जब हानिकारक पदार्थ वातावरण में प्रवेश करते हैं, वायु पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान होता है। यह मुख्य रूप से वाहनों, उद्योगों, बिजली संयंत्रों और जलाने की प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है। वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर। यह फेफड़ों की बीमारियाँ, अस्थमा और हृदय रोगों का कारण बन सकता है। 

जल प्रदूषण

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकारों में जल प्रदूषण (Water Pollution) प्रमुख है। जब हानिकारक पदार्थ जैसे रासायनिक तत्व, प्लास्टिक, तेल, और औद्योगिक कचरा जल में मिलते हैं, तो जल प्रदूषण होता है। यह नदियों, झीलों और समुद्रों के जल को दूषित कर देता है, जिससे मानव स्वास्थ्य, वन्यजीव और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित जल पीने से बीमारियाँ फैल सकती हैं, और समुद्री जीवन पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। 

मृदा प्रदूषण

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) तब होता है जब हानिकारक रसायन, औद्योगिक कचरा, प्लास्टिक, कीटनाशक और अन्य प्रदूषक मिट्टी में मिल जाते हैं। ये प्रदूषक मिट्टी की गुणवत्ता को बिगाड़ देते हैं, जिससे फसलें और पेड़-पौधे प्रभावित होते हैं। मृदा प्रदूषण के मुख्य कारणों में औद्योगिक गतिविधियाँ, कृषि में अत्यधिक रसायनों का उपयोग, घरेलू और नगर निगम का कचरा शामिल हैं।

मृदा प्रदूषण से भूमि की उर्वरता घट जाती है, जिससे खेती योग्य जमीन की उत्पादकता कम हो जाती है। इसके अलावा, यह पानी के स्रोतों को भी दूषित कर सकता है। 

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) तब होता है जब आसपास का शोर बहुत अधिक हो जाता है, ध्वनि पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव से हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसके मुख्य स्रोतों में ट्रैफिक, फैक्ट्री, लाउडस्पीकर, और कंस्ट्रक्शन कार्य शामिल हैं। ध्वनि प्रदूषण से हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे सुनने की क्षमता में कमी, नींद में बाधा, तनाव, और उच्च रक्तचाप।

अन्य प्रदूषण 

इन पर्यावरण प्रदूषण के प्रकारों के अलावा, कुछ अन्य पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार भी हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।

  1. रेडियोधर्मी प्रदूषण: यह प्रदूषण तब होता है जब रेडियोधर्मी सामग्री (यूरेनियम, थोरियम, रेडियम और पोलोनियम) का अनुचित तरीके से उपयोग किया जाता है या दुर्घटनाओं में फैल जाती है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है, जिससे कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
  2. थर्मल प्रदूषण: उद्योगों और बिजली संयंत्रों से निकलने वाले गर्म पानी और गैसों के कारण जल और वायु का तापमान बढ़ जाता है। इससे जलजीव और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  3. प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग और उसका सही तरीके से नष्ट न किया जाना इस प्रदूषण का मुख्य कारण है। प्लास्टिक नष्ट होने में सैकड़ों साल लगते हैं और यह मिट्टी, पानी और समुद्री जीवों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

स्वास्थ्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। यह वायु, जल और मृदा को दूषित करता है, जिसके परिणामस्वरूप कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

  • वायु प्रदूषण से सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर और हृदय रोग हो सकता है।
  • जल प्रदूषण से दस्त, टाइफाइड, हेपेटाइटिस और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
  • मृदा प्रदूषण से भोजन और पानी दूषित हो सकता है, जिसके कारण जन्मजात विकृति, विकास संबंधी समस्याएं और कैंसर भी हो सकता है।

प्रदूषण का प्रभाव बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर सबसे अधिक पड़ता है।

वन्य जीवों पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण, वन्य जीवों के जीवन पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहा है। प्रदूषण के वन्य जीवों पर कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:

  1. आवास का नुकसान: जंगलों की कटाई, जल प्रदूषण, और मिट्टी प्रदूषण, वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को नष्ट कर रहे हैं। इससे, उन्हें भोजन, आश्रय और प्रजनन के लिए जगह ढूंढना मुश्किल हो जाता है।
  2. भोजन और पानी की कमी: प्रदूषण, जल और मिट्टी को दूषित करता है, जिससे वन्य जीवों के लिए भोजन और पानी की कमी हो जाती है।
  3. बीमारियां: प्रदूषक, वन्य जीवों में विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
  4. शिकारियों के प्रति संवेदनशीलता: प्रदूषण, वन्य जीवों को कमजोर बनाता है, जिससे वे शिकारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

प्रकृति पर प्रभाव 

  • वायु प्रदूषण: हवा में हानिकारक गैसें और कण, जीवों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • जल प्रदूषण: जलजीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है, क्योंकि नदियाँ, झीलें और समुद्र दूषित हो जाते हैं।
  • मृदा प्रदूषण: मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है, जिससे खेती और प्राकृतिक वनस्पतियों को नुकसान होता है।
  • ध्वनि प्रदूषण: वन्यजीवों के प्राकृतिक व्यवहार और प्रजनन चक्र प्रभावित होते हैं।
  • कुल मिलाकर: प्रदूषण का प्रकृति पर विनाशकारी प्रभाव होता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ देता है और हमें एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण से दूर ले जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण और उपाय

पर्यावरण प्रदूषण के कारण:

1. औद्योगिकीकरण

औद्योगिकीकरण के कारण पर्यावरण प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। फैक्ट्रियों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं और विषैले रसायन वायु और जल को दूषित करते हैं। इसके अलावा, भारी मात्रा में कचरे का सही तरीके से निपटारा न होने से मृदा प्रदूषण होता है। औद्योगिक प्रक्रियाओं में रसायनों का उपयोग और उनका अपशिष्ट पर्यावरण में मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। 

2. वाहनों का उपयोग

वाहनों के अत्यधिक उपयोग से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन हानिकारक गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (SPM), उत्सर्जित करते हैं। ये गैसें न केवल हमारी सेहत के लिए हानिकारक हैं, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग और अम्ल वर्षा का भी कारण बनती हैं। इसके अलावा, ध्वनि प्रदूषण भी वाहनों से उत्पन्न होता है, जो मानसिक तनाव और श्रवण समस्याओं को जन्म देता है। 

3. कृषि गतिविधियाँ

कृषि गतिविधियों से पर्यावरण प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा जुड़ा है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी और जलस्रोतों को दूषित करता है। इससे न केवल भूमि की उर्वरता घटती है, बल्कि जलजीवों और मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, खेती के लिए भूमि समतलीकरण और वन क्षेत्र की कटाई से जैव विविधता को नुकसान होता है।

4. कचरा और प्लास्टिक

कचरा और प्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। प्लास्टिक नष्ट होने में सैकड़ों साल लेता है, जिससे यह मिट्टी और पानी को दूषित करता है। प्लास्टिक का कचरा नदियों और समुद्रों में पहुँचकर जलजीवों को नुकसान पहुँचाता है। इसके अलावा, खुले में फेंके गए कचरे से वायु और मृदा प्रदूषण भी होता है। 

पर्यावरण प्रदूषण के समाधान:

1. स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग

पर्यावरण प्रदूषण के समाधान के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग एक प्रभावी तरीका है। सौर, पवन, और जल ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वायु और जल को प्रदूषित नहीं करते। ये ऊर्जा स्रोत कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण नियंत्रित होता है। स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग से हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं। 

2. पौधारोपण

पर्यावरण प्रदूषण के समाधान के लिए पौधारोपण एक प्रभावी तरीका है। पौधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है। वे मिट्टी को स्थिर रखते हैं और जलवायु संतुलन में मदद करते हैं। शहरों में हरित क्षेत्रों के विस्तार से ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है। नियमित पौधारोपण से न केवल पर्यावरण स्वच्छ रहता है, बल्कि जैव विविधता भी बढ़ती है।

3. कचरा प्रबंधन

पर्यावरण प्रदूषण कम करने के लिए कचरा प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण है। कचरे को सही तरीके से अलग करना, रीसाइक्लिंग करना, और जैविक कचरे को खाद में बदलना प्रभावी उपाय हैं। प्लास्टिक का कम उपयोग और पुनः उपयोग बढ़ावा देना चाहिए। कचरा प्रबंधन से न केवल भूमि, जल, और वायु प्रदूषण कम होता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की बचत भी होती है।

सरकार और समाज की भूमिका

सरकारी नीतियाँ

  1. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP): यह कार्यक्रम 2019 में शुरू किया गया था और इसका लक्ष्य 2024 तक 102 शहरों में वायु प्रदूषण को 30% तक कम करना था। जिसे 2022 में बढ़ाकर 2026 तक के लिए कर दिया गया। 
  2. जल (रोकथाम और नियंत्रण) प्रदूषण अधिनियम, 1974: यह अधिनियम जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
  3. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986: यह अधिनियम पर्यावरण और उसके घटकों को संरक्षित करने के लिए व्यापक प्रावधान करता है।
  4. वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980: यह अधिनियम वनों की कटाई को रोकने और वन क्षेत्रों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था।
  5. प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम, 2016: इन नियमों का उद्देश्य प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम करना है।

इन नीतियों के अलावा, सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए कई अन्य पहल भी की हैं, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना, और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना के साथ 500 शब्दों में कुछ इस प्रकार है:

पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना- पर्यावरण प्रदूषण आज की दुनिया में एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो न केवल हमारी प्रकृति को बल्कि मानव जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। 

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव-

  • श्वसन संबंधी बीमारियां, हृदय रोग, कैंसर, और जलवायु परिवर्तन।
  • जल जनित बीमारियां, जलीय जीवों का विनाश, और जल संसाधनों की कमी।
  • मिट्टी की उर्वरता में कमी, फसलों की पैदावार में कमी, और जैव विविधता का नुकसान।
  • बहरेपन, तनाव, और नींद की समस्याएं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार-

  1. वायु प्रदूषण: वाहनों, उद्योगों और जलावन के कारण वायु में हानिकारक गैसों और कणों की मात्रा बढ़ जाती है। यह वायु प्रदूषण सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा, और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनता है। साथ ही, यह ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत के क्षरण का भी मुख्य कारण है।
  1. जल प्रदूषण: घरेलू और औद्योगिक कचरे का नदियों, झीलों और समुद्रों में प्रवाह जल प्रदूषण का कारण बनता है। इससे जलजीवों की मृत्यु होती है और स्वच्छ पेयजल की कमी हो जाती है। प्लास्टिक कचरा और रसायन जल को विषाक्त बना देते हैं, जिससे मानव और जानवर दोनों प्रभावित होते हैं।
  1. मृदा प्रदूषण: कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की गुणवत्ता को खराब कर देता है। इससे फसलों की उपज कम हो जाती है और भूमि की उर्वरता घट जाती है। औद्योगिक कचरा और प्लास्टिक भी मृदा प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
  1. ध्वनि प्रदूषण: वाहनों, उद्योगों, और शहरीकरण के कारण ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। यह मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे श्रवण संबंधी समस्याएँ, उच्च रक्तचाप, और मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
  1. प्रकाश प्रदूषण: शहरों में अत्यधिक और अनियंत्रित रोशनी से रात का आकाश देखने में कठिनाई होती है। यह न केवल वन्यजीवों को प्रभावित करता है, बल्कि मानव जीवन के रात्रिचक्र को भी बाधित करता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण और उपाय-

पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण मानव गतिविधियाँ हैं, जिनमें औद्योगिक क्रियाएँ, वाहन प्रदूषण, प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग, और कृषि में रसायनों का प्रयोग शामिल हैं।

पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे। हमें ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करना चाहिए, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना चाहिए, और कचरे का सही प्रबंधन करना चाहिए। पेड़-पौधे लगाना और जैविक खेती को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है। इन छोटे-छोटे कदमों से हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बना सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।

निष्कर्ष-

पर्यावरण प्रदूषण से लड़ना एक सामूहिक प्रयास है। हमें सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाया जा सकें।

निष्कर्ष

पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है, लेकिन इसके समाधान हमारे हाथ में हैं। यदि हम सभी मिलकर छोटे-छोटे कदम उठाएं, जैसे ऊर्जा की बचत, प्लास्टिक का कम उपयोग, और पौधारोपण, तो हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ बना सकते हैं।

इस ब्लॉग में आपने पर्यावरण प्रदूषण क्या है, पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण के कारण और उपाय साथ ही पर्यावरण प्रदूषण प्रस्तावना के साथ पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखने के बारे में विस्तार से जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है हमारे आसपास के वातावरण में हानिकारक पदार्थों या ऊर्जा का प्रवेश जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है और जीव-जंतुओं के जीवन पर खतरा पैदा हो जाता है। ये हानिकारक पदार्थ वायु, जल और भूमि को दूषित करते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं?

पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब पर्यावरण में कोई अवांछित परिवर्तन होता है जिसका पौधों और जानवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रदुषण कई प्रकार के होते है :- (1)जल प्रदुषण (2)वायु प्रदुषण (3)ध्वनि प्रदुषण (4) मृदा प्रदूषण आदि।

पर्यावरणीय प्रदूषक क्या है?

पर्यावरणीय प्रदूषक वे पदार्थ या ऊर्जा हैं जो पर्यावरण को दूषित करते हैं। इनमें शामिल हैं:
वायु प्रदूषक: कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, धूल के कण, आदि।
जल प्रदूषक: औद्योगिक अपशिष्ट, घरेलू कचरा, कीटनाशक, तेल रिसाव, आदि।
भूमि प्रदूषक: प्लास्टिक, विषैले रसायन, औद्योगिक अपशिष्ट, रेडियोधर्मी पदार्थ, आदि।

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?

प्रदूषण की समस्या को कम करने हेतु यह आवश्यक है कि अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए, कचरे को कम से कम करें और उसे अलग-अलग कूड़ेदान में डालें, पानी का बर्बाद ना करें और जल को प्रदूषित होने से बचाएं, लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक करें।

पर्यावरण दूषित कैसे होता है?

परिवहन से लेकर कृषि तक, मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआँ हवा को प्रदूषित करता है, जबकि कृषि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक और उर्वरक हमारी भूमि को प्रदूषित करते हैं।

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