भारत एक प्रमुख कृषि देश है और यहाँ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि क्षेत्र है। भारतीय कृषि का फसल चक्र दो मुख्य सीज़नों में विभाजित है: खरीफ़ और रबी। इन दोनों सीज़नों का चुनाव फसलों के विकास के लिए अनुकूल मौसम की स्थिति पर आधारित होता है, क्योंकि एक फसल का चक्र आमतौर पर 3-4 महीने का होता है, जिससे एक वर्ष में 2-3 फसलें ली जा सकती हैं।
खरीफ़ फसलें जून से अक्टूबर के बीच बोई जाती हैं और रबी फसलें अक्टूबर से मार्च के बीच उगाई जाती हैं। इस लेख में रबी फसल की खेती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी, जिसमें रबी फसलों की किस्में, उनके लाभ, सरकारी योजनाएँ, चुनौतियाँ और उनके संभावित समाधान शामिल हैं।
अक्सर हमारे मन में सवाल आता है कि रबी की फसल किसे कहते हैं, तो रबी फसलें उन फसलों को कहते हैं जिन्हें सर्दियों के मौसम (अक्टूबर से नवंबर) में बोया जाता है और वसंत ऋतु (मार्च से अप्रैल) में काटा जाता है। अगर हम बात करे कि रबी की फसल क्या होती है, तो गेंहू, जौ, चना और सरसों प्रमुख रबी की फसल होती हैं।
खरीफ और रबी की फसल में अंतर ये होता है कि खरीफ की फसलें मानसून के मौसम में बोई जाती हैं क्योंकि इन फसलों को पानी की ज़्यादा जरूरत होती है, वही रबी की फसलों को कम पानी की ज़रूरत होती है, इसलिए इनको मानसून की फसलें लेने के बाद, रबी की फसलों का समय (अक्टूबर से अप्रैल) के समय में बोया जाता है।
इस आर्टिकल में हम कुछ ऐसी प्रमुख रबी की फसल के नाम जानेंगे जो पूरे देश में बहुतायत में बोई जाती है और इन फसलों को रबी की फसलों के तौर पर याद रखा जाता है।
रबी की फसलों के नाम | रबी की फसलों का समय | उत्पादक राज्य |
गेहूँ | बुआई – अक्टूबर से लेकर नवंबर तक (अलग-अलग राज्यों के अनुसार) कटाई- मार्च से अप्रैल तक | मध्य प्रदेश पंजाब उत्तर प्रदेश हरयाणा महाराष्ट्र बिहार राजस्थान उत्तराखंड |
चना | बुआई – अक्टूबर से लेकर नवंबर तक कटाई- 120 से 140 दिन बाद। | मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तर प्रदेश हरयाणा महाराष्ट्र पंजाब हिमाचल प्रदेश बिहार |
मटर | बुआई – अक्टूबर से नवंबर तक कटाई – बुवाई के 60 से 70 दिन बाद | उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार पंजाब |
जौ | बुआई – अक्टूबर से नवंबर तक। कटाई – मार्च से अप्रैल तक | बिहार यूपी पंजाब हरयाणा राजस्थान गुजरात कर्नाटक तमिलनाडु एमपी |
सरसों | बुवाई – अक्टूबर के बाद कटाई – 90 से 105 दिन | उत्तर प्रदेश पंजाब राजस्थान मध्य प्रदेश बिहार ओडिशा पश्चिम बंगाल |
भारत में मौसम की विभिन्नताओं के कारण फसलों को उनके बुवाई के समय के आधार पर तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है:
रबी की फसल के लिए सही समय पर बुवाई और कटाई करना बहुत जरुरी है बुवाई के समय मिट्टी की नमी और बीज की मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है।
भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी बहुत हद तक कृषि पर निर्भर है। हमारी जनसँख्या की लगभग 60% लोग खेती पर निर्भर होते हैं, इसलिए कृषि क्षेत्र का, विशेषकर रबी फसलों का हमारे समाज पर आर्थिक और सामाजिक दोनों ही प्रभाव होता है, ये फसल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साथ पूरे देश को भोजन उपलब्ध कराने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारत सरकार रबी की फसल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी प्रदान करती है। ये योजनाएं किसानों को आर्थिक सहायता, फसल बीमा और मशीनों के लिए लोन उपलब्ध कराती हैं।
इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि तीन किस्तों में सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा की जाती है। यह योजना किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है और उन्हें समय पर बुवाई और खेती के अन्य कार्यों को पूरा करने में मदद करती है।
इस योजना के तहत किसानों को फसल बीमा प्रदान किया जाता है। अगर किसी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल को नुकसान होता है तो किसान को मुआवजा मिलता है। इसके तहत, किसानों को बीमा की प्रीमियम राशि का एक छोटा हिस्सा ही देना पड़ता है और शेष राशि सरकार द्वारा दी जाती है। यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाती है और उनकी फसल की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
कृषि उपकरणों और मशीनों की खरीद पर सरकार सब्सिडी प्रदान करती है। आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग किसानों को खेती के कार्यों को अधिक प्रभावी और कुशलता से करने में मदद करता है। सब्सिडी के माध्यम से किसानों को ट्रैक्टर, थ्रेशर, पंप सेट, स्प्रिंकलर सिस्टम और अन्य उपकरण खरीदने में सहायता मिलती है। इससे किसानों की उत्पादन लागत में कमी आती है और उनकी आय में वृद्धि होती है।
सरकार विभिन्न बैंकों के माध्यम से किसानों को कम ब्याज़ दरों पर फसल ऋण प्रदान करती है। इन ऋणों से किसान अपनी फसलों की लागत को आसानी से पूरा कर सकते हैं। फसल ऋण योजनाएं किसानों को बीज, खाद, उर्वरक, सिंचाई और अन्य कृषि उपकरणों की खरीद में मदद करती हैं। रियायती दरों पर ऋण प्राप्त करने से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और वे समय पर अपनी फसलों की बुवाई और कटाई कर सकते हैं।
सरकार जल संरक्षण और सिंचाई के लिए विभिन्न योजनाएं चलाती है। इसके तहत तालाबों, कुओं और नहरों की मरम्मत और निर्माण के लिए सब्सिडी और लोन सहायता प्रदान की जाती है। इससे रबी फसलों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। सरकार ने जल शक्ति अभियान जैसी योजनाएं शुरू की हैं और इन योजनाओं के तहत किसानों को ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिस्टम और अन्य जल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है।
कृषि क्षेत्र में चुनोतियाँ कम नहीं है, कभी बाढ़ तो कभी सूखा, नकली खाद, कीट की परेशानी और फसलों के सही न मिलना, ये कुछ ऐसी परेशानियाँ है, जिनसे देश का किसान झुझता रहता है।
1. रबी की फसलें सर्दियों में बोई जाती हैं और वसंत ऋतु में काटी जाती हैं।
2. रबी की फसल के तहत गेंहू, जौ, मक्का, चना और सरसों जैसी प्रमुख फसलें आती हैं।
3. रबी फसलों की खेती के लिए मिट्टी की गहरी जुताई, सही समय पर बुवाई, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन और नियमित सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण हैं।
4. रबी फसलों का भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है और ये ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करती हैं।
5. भारत सरकार रबी की फसल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी देती है, जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), और कृषि उपकरणों और यंत्रों पर सब्सिडी।
6. रबी फसलों की खेती में जलवायु परिवर्तन, कीट और रोग, सिंचाई की कमी, उपजाऊ मिट्टी की कमी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी चुनौतियाँ आती हैं, जिनका समाधान सही तकनीक और उपायों से किया जा सकता है।
रबी की फसल भारतीय कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। सही समय पर बुवाई, सिंचाई, और फसल संरक्षण से इन फसलों की पैदावार में वृद्धि हो सकती है। सरकार की विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी किसानों की मदद करती हैं और उनकी आय को स्थिर रखती हैं। रबी की फसलें न केवल देश की खाद्यान्न सुरक्षा को सुनिश्चित करती हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक स्थिरता भी लाती हैं। रबी फसलों की खेती में आने वाली चुनौतियों का सही समाधान ढूंढ़कर भारतीय कृषि को और भी मजबूत बनाया जा सकता है।
खरीफ की प्रमुख फसलें हैं: कपास, मूंगफली, धान, बाजरा, मक्का, शकरकंद, उर्द, मूंग, मोठ, लोबिया (चंवला), ज्वार, अरहर, ढैंचा, गन्ना, सोयाबीन, भिंडी, तिल, ग्वार, जूट, सनई आदि।
रबी की फसलें अक्टूबर से दिसंबर के बीच बोई जाती हैं और अप्रैल से मई के बीच काटी जाती हैं। खरीफ की फसलें मानसून के दौरान जून और जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर से अक्टूबर के बीच काटी जाती हैं।
कद्दू, ककड़ी, तरबूज, करेला आदि सभी जायद फसलों के उदाहरण हैं।
अलसी की खेती वर्षा आधारित क्षेत्रों में खरीफ के बाद रबी में शुद्ध फसल के रूप में की जाती है।
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