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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
रतन टाटा एक ऐसा नाम है जो भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सम्मान के साथ लिया जाता है। भारत और दुनिया के महत्वपूर्ण लोगों की सूची उनके नाम के बिना अधूरी रहती है। रतन टाटा के काम इतने सराहनीय है कि भारत में उनकी लोकप्रियता एक जन नायक के जैसी है, आम से ख़ास तक सभी उनकी शख़्सियत के सामने नतमस्तक है ।इस ब्लॉग में हम रतन नवल टाटा की जीवनी, उनके व्यक्तित्व, रतन टाटा की कुल सम्पत्ति, परिवार और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
रतन टाटा के प्रारंभिक जीवन को जानने के लिए उनका परिचय, क्षिक्षा और उनके परिवार के बारे में जानना जरूरी है।
जन्म | रतन नवल टाटा 28 दिसंबर 1937 बंबई |
मृत्यु | 9 अक्टूबर 2024 (आयु 86 वर्ष) मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
काम | उद्योगपति, परोपकारी |
पूर्वाधिकारी | जे.आर.डी टाटा |
पिता | नवल टाटा |
अवार्ड्स | ऑर्डर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (2023) असम बैभव (2021) मानद नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर (2014) पद्म विभूषण (2008) महाराष्ट्र भूषण (2006) पद्म भूषण (2000) |
रतन नवल टाटा भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक महत्वपूर्ण उद्योगपति है। टाटा समूह के पूर्व चैरमेन रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। उनका का पूरा नाम रतन नवल टाटा है, उन्हें टाटा समूह का सबसे सफल चैरमेन माना जाता है। वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परिवार से सम्बंध रखते है। उनके के नेतृत्व में टाटा समूह नई ऊंचाइयों पर पहुंचा और एक ब्रांड बना। रतन टाटा के चैरमैन रहते हुए टाटा समूह भारतीय से वैश्विक स्तर तक पहुँचा और उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, और टाटा टी जैसी प्रमुख कंपनियों का विस्तार किया।
रतन टाटा की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहाँ से उन्होंने 1962 में आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। उनकी ज्ञान अर्जित करने की महत्वकांशा ने उन्हें हार्वर्ड बिजनेस स्कूल पहुँचा दिया जहां से उन्होंने 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया। कॉर्नेल विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उन्होंने आर्किटेक्चर के साथ-साथ मैनेजमेंट की भी पढ़ाई की । हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम ने उन्हें व्यवसाय को देखने का नया नज़रिया दिया।
रतन टाटा एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार से आते हैं, उनका परिवार एक विरासत है। रतन टाटा का परिवार भारत के प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है। उनके दादा जमशेदजी टाटा ने टाटा समूह की स्थापना की थी और उन्हें भारतीय उद्योग का पितामह माना जाता हैं । उनके पिता नवल टाटा थे और वो भी टाटा समूह में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके है।
रतन टाटा का परिवार आधुनिक भारत के शिपकारों में से एक है, रतन टाटा का परिवार समाज सेवा और व्यवसाय दोनों में समान रूप से प्रतिष्ठित है।रतन टाटा का एक भाई भी है, जिसका नाम नोएल टाटा है। नोएल टाटा भी टाटा समूह के साथ जुड़े हुए हैं। रतन टाटा का परिवार दूसरी पीढ़ी में भी व्यवसाय और समाज सेवा में सक्रिय है। टाटा समूह के विभिन्न ट्रस्ट आज भी रतन टाटा का परिवार चलाता हैं।
रतन टाटा सादा मिज़ाज के साथ एक अनुशासित जीवन जीने में यकीन रखते हैं। उनके व्यक्तिगत जीवन में सादगी और अनुशासन का महत्वपूर्ण स्थान है। मुंबई के कोलाबा में वो एक किताबों से भरे घर में रहते हैं। रतन टाटा अविवाहित हैं और उन्होंने अपना अधिकांश जीवन व्यवसाय और समाज सेवा के लिए समर्पित किया है। रतन टाटा अपने निजी जीवन को मीडिया की चकाचौंध से दूर रखते हैं और उन्हें सरलता से जीवन जीने में विश्वास हैं।
रतन टाटा ने चैरमेन के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनकी कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ:
एक लम्बे और सफल कार्यकाल के बाद रतन टाटा ने दिसंबर 2012 में टाटा समूह के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्ति ली। उनके उत्तराधिकारी के रूप में साइरस मिस्त्री को टाटा समूह का अध्यक्ष चुना गया था। हालाँकि 2016 से लेकर 2017 तक एक बार फिर उन्हें अध्यक्ष का पद सम्भालना पड़ा। रतन टाटा ने सेवानिवृत्ति के बाद भी टाटा समूह और समाज सेवा में सक्रिय भूमिका निभाई।
रतन टाटा ने सेवानिवृत्ति के बाद उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कई स्टार्टअप्स में निवेश किया है। उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स जैसे कि ओला, पेटीएम, और स्नैपडील में निवेश किया है, जिससे युवा उद्यमियों को प्रेरणा और समर्थन मिला । आज भी रतन टाटा समाज के प्रति अपने योगदान को जारी रखते हुए कई सामाजिक और परोपकारी कार्यों में शामिल रहते है । वर्तमान में रतन टाटा अपने कोलाबा, मुंबई के घर में रहते हैं। रतन टाटा स्वच्छ भारत मिशन और विभिन्न शिक्षा और स्वास्थ्य परियोजनाओं के लिए वर्तमान में प्रयासरत है ।
रतन टाटा की कुल संपत्ति का अनुमान लगाना थोड़ा कठिन है, फिर भी रतन टाटा की कुल संपत्ति व्यक्तिगत रूप से 3800 करोड़ के आसपास है ।उनकी व्यक्तिगत संपत्ति और टाटा समूह की संपत्ति का बड़ा हिस्सा परोपकारी ट्रस्ट्स और फाउंडेशनों के माध्यम से संचालित होता है।
रतन टाटा की कूल संपत्ति को निम्न तरह से समझा जा सकता है:
टाटा समूह, भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना औद्योगिक समूह है। टाटा समूह की कुल संपत्ति और मूल्यांकन बहुत व्यापक और इनके आय के संसाधन कई क्षेत्र में है।
रतन टाटा को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। कुछ प्रमुख सम्मान और पुरस्कार निम्नलिखित हैं:
रतन नवल टाटा भारत रत्न से सम्मानित हो इसकी मांग कई बार उठी है। भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है और इसे प्राप्त करने वालों ने भारतीय समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रतन टाटा के उद्योग और समाज सेवा में असाधारण योगदान के कारण कई संगठनों ने भारत रत्न के लिए उनके नाम की सिफारिश की है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स और विभिन्न सार्वजनिक मंचों पर रतन टाटा को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग को जानता का समर्थन मिला है। उनके परोपकारी कार्यों और व्यापारिक योगदान को देखते हुए कई लोग मानते हैं कि सही मायने में रतन टाटा भारत रत्न है।
रतन नवल टाटा अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं।प्राकृतिक आपदाओं के समय टाटा ट्रस्ट्स और रतन टाटा ने बड़े पैमाने पर राहत कार्यों का संचालन किया है। उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन, कृषि सुधार, और रोजगार के लिए कई परियोजनाओं पर काम किया हैं।। उनका मानना है कि व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य समाज की सेवा करना है, और इसी विचारधारा के तहत उन्होंने अपने जीवन का मार्गदर्शन किया है।
रतन नवल टाटा की व्यावसायिक नेतृत्व और सामाजिक उत्तरदायित्व की विरासत ने उन्हें एक महान उद्योगपति और एक महान समाजसेवी के रूप में स्थापित किया है।
रतन नवल टाटा का व्यावसायिक नेतृत्व प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने टाटा समूह को एक भारतीय व्यापारिक घराने से एक वैश्विक परिवार में बदल दिया।
रतन नवल टाटा के जीवन और कार्यशैली ने उन्हें एक प्रेरणास्रोत बना दिया है। उनकी सादगी, अनुशासन और समाज सेवा के प्रति उनकी सोच ने उन्हें एक आदर्श नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया है। नके जीवन से यह सिखने को मिलता है कि सच्ची सफलता केवल व्यवसाय में नहीं बल्कि समाज की सेवा में भी है।टाटा ट्रस्ट्स के तहत कई अस्पताल, चिकित्सा अनुसंधान केंद्र, और शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए गए हैं। इनमें टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज प्रमुख हैं। समाज के लिए किए उनके कार्य उनकी विरासत हैं।
2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के बाद, रतन नवल टाटा ने अपने ताज होटल के कर्मचारियों और उनके परिवारों की व्यक्तिगत रूप से देखभाल की। उन्होंने न केवल प्रभावित कर्मचारियों की मदद की, बल्कि उनके परिवारों को भी आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके अलावा, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके कर्मचारियों के परिवारों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो। इस घटना ने उनकी विनम्रता और सादगी को और भी उजागर किया।
रतन नवल टाटा का सपना था कि हर भारतीय परिवार के पास एक सस्ती और सुरक्षित कार हो। इस विचार को साकार करने के लिए उन्होंने टाटा नैनो की योजना बनाई। यह एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि एक सुरक्षित और सस्ती कार बनाना बहुत कठिन था। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर सोचा और 2008 में टाटा नैनो को लॉन्च किया। हालांकि यह परियोजना वाणिज्यिक दृष्टि से उतनी सफल नहीं रही, लेकिन इसने रतन नवल टाटा की नवाचार और जोखिम उठाने की क्षमता का पता चलता है।
रतन नवल टाटा ने हमेशा अपने सादा जीवन और कार्य के लिए संतोष प्रकट किया है। उन्होंने कहा है कि वे अपने निर्णयों से खुश हैं और उन्हें अपने जीवन में कोई पछतावा नहीं है। वे अपने सामाजिक कार्यों और उद्योग में किए गए योगदानों से संतुष्ट हैं।
रतन नवल टाटा ने अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को हमेशा पहले रखा। जब वे भारत लौटे, तो उन्होंने टाटा समूह के कार्यभार को संभाला और इसे नई ऊँचाइयों तक ले गए। अपने व्यवसायिक जीवन और समाज के प्रति परोपकार करने की अपनी सोच ने हमेशा उन्हें सामाजिक काम में व्यस्त रखा जिसके चलते वे व्यक्तिगत जीवन में विवाह जैसी चीज़ों पर ध्यान नहीं दे पाए।
टाटा समूह के चेयरमैन और वरिष्ठ उद्योगपति रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं रहे। 86 साल की उम्र में अंतिम सांस लेने वाले रतन टाटा का नाम हर देशवासी बड़े सम्मान से लेता है।रतन टाटा का बुधवार (9 अक्टूबर, 2024) देर रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। टाटा समूह के मानद चेयरमैन 86 वर्ष के थे । उम्र संबंधी समस्याओं और रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए टाटा को सोमवार (7 अक्टूबर, 2024) को दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
इस ब्लॉग में हमने रतन नवल टाटा की जीवनी, उनके व्यक्तित्व, रतन टाटा की कुल सम्पत्ति, परिवार और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जाना । रतन टाटा का जीवन हमें सिखाता है कि सफलता केवल धन और प्रतिष्ठा में नहीं है, बल्कि उस सामाजिक नैतिकता में भी है जिसके साथ हम अपने कार्य करते हैं।
उनकी जीवन यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं।रतन टाटा की जीवनी, उनकी विनम्रता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना, हमें यह याद दिलाती हैं कि सच्ची सफलता वह है जो समाज के लिए लाभदायक हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक हो।
रतन नवल टाटा ने कभी शादी नहीं की, इसलिए उनका कोई जैविक संतान नहीं है। लेकिन टाटा ग्रुप के अगले वारिस के रूप में रतन नवल टाटा की भतीजी माया टाटा को देखा जा रहा है। माया टाटा रतन नवल टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा (Noel Tata) की बेटी है, जो वर्तमान में टाटा ग्रुप में कई अहम पद संभालती हैं।
टाटा परिवार पारसी समुदाय से है, लेकिन रतन नवल टाटा ने अपने धार्मिक विश्वासों के बारे में खुलकर बात नहीं की है।
रतन नवल टाटा के कई निवास हैं, जिनमें मुंबई स्थित एक आलीशान अपार्टमेंट और एक समुद्र तट पर स्थित घर शामिल है।
रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की, इसलिए उनके कोई बच्चे नहीं हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने अपने पूरे जीवन को टाटा समूह को समर्पित कर दिया और शादी के लिए उनके पास समय नहीं था, वहीँ कुछ सूत्रों का कहना है कि 1962 में उन्हें एक लड़की से प्रेम हुआ था और वह शादी करने वाले थे लेकिन भारत-चीन युद्ध के बाद लड़की की फैमिली ने उन्हें भारत आने से मना कर दिया।
रतन टाटा का बुधवार (9 अक्टूबर, 2024) देर रात मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। टाटा समूह के मानद चेयरमैन 86 वर्ष के थे । उम्र संबंधी समस्याओं और रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए टाटा को सोमवार (7 अक्टूबर, 2024) को दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
रतन टाटा पारसी समुदाय से थे. भारत में पारसी समुदाय अल्पसंख्यक है.
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