समानता का अधिकार: अनुच्छेद 14 से 18

September 12, 2024
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समानता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के तहत संरक्षित है, जो सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता का आश्वासन देता है। यह अधिकार न्याय, निष्पक्षता, और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है। इसके तहत, सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता, सार्वजनिक स्थानों पर समान पहुंच, और रोजगार के अवसरों में समानता का अधिकार प्राप्त होता है।

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समानता का अधिकार, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के तहत संरक्षित किया गया है, हमारे समाज के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है। यह अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता का आश्वासन देता है, चाहे वह जाति, धर्म, लिंग, या आर्थिक स्थिति के आधार पर हो। समानता का अधिकार न केवल न्याय और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता को भी सुदृढ़ करता है।

इस अधिकार के तहत, सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता, सार्वजनिक स्थानों पर समान पहुंच, और रोजगार के अवसरों में समानता का अधिकार प्राप्त होता है। यह अधिकार हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है और एक समावेशी समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

समानता का अधिकार क्या है?

समानता का अधिकार मानव अधिकारों के महत्वपूर्ण सिद्धांत में से एक है। इसका मतलब होता है कि सभी व्यक्तियों को न्याय, स्वतंत्रता, और मौलिक अधिकार मिलने चाहिए। यह अधिकार व्यक्ति की व्यक्तिगत और सामाजिक समानता को सुनिश्चित करने का माध्यम भी होता है। 

समानता का अधिकार क्या है में बताया गया है की सभी लोगों को कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बराबरी मिलनी चाहिए। यह समानता जाति, लिंग, धर्म, भाषा, समर्थन, शिक्षा, आर्थिक स्थिति या किसी भी अन्य परिस्थिति से प्रभावित नहीं होनी चाहिए। 

समानता क्या है?

समानता का अर्थ समझना जरुरी है, क्योंकि यह समाज के विकास और समृद्धि के लिए आवश्यक होता है। तो समानता क्या है  “समानता” जिसका अर्थ बराबरी है। इसमें सामाजिक समानता, अधिकारिक समानता, व्यक्तिगत समानता आती है। समानता के माध्यम से समाज में सभी को न्याय से लाभ प्राप्त होने का अवसर मिलना चाहिए। समानता के आधार पर किसी भी व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किये बिना समान अवसर, समान अधिकार और समान व्यवहार मिले।  

समानता के प्रकार?

समानता का अधिकार क्या है यह तो आपने जान लिया। अब समानता के प्रकार के बारे में जानेंगे। समानता को कई प्रकार से समझा जा सकता है। 

ये कुछ मुख्य समानता के प्रकार जैसे कि:

सामाजिक समानतासामाजिक समानता में लिंग, जाति, धर्म, राजनीतिक समर्थन या अन्य सामाजिक पहचान का कोई भेदभाव नहीं होता।
कानूनी समानतासभी को कानूनी संरक्षण और उनके साथ बराबरी के अवसर मिलना चाहिए।
आर्थिक समानतासभी को अपने आवास, खान-पान, शिक्षा और अन्य सुविधाओं तक पहुँच का समान अधिकार होना चाहिए।
राजनीतिक समानतासभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए।

तो यह थे समानता के प्रकार जिसका अपना – अपना महत्व है यह समानता सभी को समान रूप से मिलनी चाहिए। 

संविधान में समानता का अधिकार 

समानता का अधिकार का मतलब न केवल सामाजिक समृद्धि और समाजिक न्याय से है बल्कि यह समाज के विकास और प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह भारतीय समाज की एकता, सामंजस्य और अखंडता के लिए आवश्यक है। संविधान में समानता का अधिकार भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है। समानता का अधिकार सभी नागरिकों को अवसर प्राप्त करने, उन्नति करने और उनकी स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा करने का अधिकार देता है।

नागरिको के मौलिक अधिकार

नागरिकों के मौलिक अधिकार उन मौलिक और अन्यायिक अधिकारों को बताते हैं जो हर व्यक्ति को जन्म से ही प्राप्त होते हैं और जो हर समाज में उनकी गरिमा और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होते हैं। इनमें कुछ महत्वपूर्ण अधिकार शामिल हैं जैसे कि:

  • स्‍वतंत्रता का अधिकार
  • मौलिक अधिकार
  • समता का अधिकार 
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार

संविधान में वर्णित समानता का अधिकार

  • इस अधिकार के तहत सभी नागरिकों को कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से समान अधिकार और अवसर प्राप्त होने चाहिए।
  • सभी नागरिकों को बिना किसी धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान, या विचारों के आधार पर भेदभाव का सामना ना करना पड़े। 
  • यह अधिकार सभी व्यक्तियों के विकास और उनकी समृद्धि में मदद करने के लिए समाज में होना चाहिए।
  • समानता का अधिकार व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसकी पहचान के आधार पर उसे व्यापक रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यह अधिकार भारतीय समाज में समर्थन और सहायता के माध्यम से विभिन्न वर्गों और समुदायों के बीच एकता और समरसता को बढ़ाने का काम करता है।

समानता का अधिकार Article 14-18 

समानता का अधिकार किस अनुच्छेद में हैं तो समानता का अधिकार article 14-18 में है। जिसे मुख्य बिंदुओं में संक्षेप में समझाया गया है। 

1. अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता

इसके अनुसार, सभी नागरिक कानूनी रूप से समान होना चाहिए। कोई भी व्यक्तिगत या सामाजिक विभेद उनके सामने नहीं आना चाहिए।

2. अनुच्छेद 15: भेदभाव का निषेध

समानता का अधिकार आर्टिकल 15 में किसी व्यक्ति को धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या वाणिज्यिक विभाग के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक है।

3. अनुच्छेद 16: रोजगार में अवसर की समानता

समानता का अधिकार article 14-18 में आर्टिकल 16 की बात करें तो इसमें नागरिकों को स्थानीय प्रशासनिक पदों में समान अवसर देने का प्रावधान है। 

4. अनुच्छेद 17: छुआछूत के ख़िलाफ़ समानता 

समानता का अधिकार आर्टिकल 17 में छुआछूत को खत्म करना शामिल है।

5. अनुच्छेद 18: उपाधियों का उन्मूलन

उपाधियों के प्रति सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक जीवन में भेदभाव को समाप्त करना।

तो इस तरह से हम समानता का अधिकार article 14-18 को समझ सकते हैं।

समानता का अधिकार की जरूरत 

समानता का अधिकार किस अनुच्छेद में है इसकी आपने पूर्ण जानकारी प्राप्त की समानता का अधिकार की जरूरत कई मायनों में होती है खासतौर पर समाज में बराबरी की स्थिति के लिए।

इस कानून की जरूरत क्यों है?

  • समानता का अधिकार न्याय और इंसाफ के द्वारा समाज में न्याय की प्राप्ति को सुनिश्चित करता है। 
  • समानता के द्वारा समाज में सभी लोगों का सामजिक विकास होता है। 
  • एक समान और सम्मानित समाज देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • एक समान और न्यायसंगत समाज में व्यक्ति को प्रगति करने में मदद मिलती है। 
  • बराबरी की स्थिति वाले समाज में सामाजिक और आर्थिक विवादों का समाधान बेहतरीन ढंग से होता है।

समाज में समानता की स्थिति  

वर्तमान समाज में समानता की स्थिति को कई रूपों में देखा जा सकता है यहाँ बहुत सारे पहलुओं को समझाने की जरूरत है।

  • राजनीतिक समानता: राजनीतिक दृष्टि से वर्तमान समाज में लोगों को चुनने, निर्वाचित करने और शासन में भागीदारी में समान अधिकार मिलते हैं। महिलाओं को भी वैसे ही अधिकार होते हैं जैसे कि पुरुषों को।
  • सामाजिक समानता: समाज में सामाजिक वर्ग, जाति, धर्म, लिंग के आधार पर अन्याय से लड़ने की दिशा में कई पहलुओं में सुधार की जरूरत है। जैसे: सरकारी योजनाएं और सामाजिक चेतना की वृद्धि की आवश्यकता है।
  • आर्थिक समानता: आर्थिक दृष्टिकोण से वर्तमान समाज में आय की असमानता को कम करने के लिए कई पहलू हैं, जैसे कि सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, रोजगार के अवसरों का वितरण, और अधिक सामान्य लोगों को आर्थिक उपलब्धता देने के उपाय।
  • शैक्षिक समानता: शैक्षिक स्तर पर समाज में समान शिक्षा और अवसर के वितरण की आवश्यकता है।

समानता के अधिकार से संबंधित महत्वपूर्ण केस

समानता के अधिकार संबंधित महत्वपूर्ण केसों के बारे में बात करते हुए, यहां कुछ ऐतिहासिक निर्णय और वर्तमान में कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक दृष्टिकोण दिये जा रहे हैं:

समानता से जुड़े कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय

1. अरुणाचल प्रदेश बनाम भारत संघ (1985):

मुद्दा:
  • क्या अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 16 (सरकारी रोजगार के मामलों में अवसर की समानता) केवल कानूनी समानता प्रदान करते हैं या वास्तविक समानता भी प्रदान करते हैं?
निर्णय:
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 और 16 केवल कानूनी समानता नहीं, बल्कि वास्तविक समानता भी प्रदान करते हैं।
  • इसका मतलब है कि कानूनों को सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए, और समान परिस्थितियों में समान व्यवहार प्रदान किया जाना चाहिए।

2. टी.के. रॉय बनाम भारत संघ (1987):

मुद्दा:
  • क्या अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) में सरकार द्वारा लगाई गई उचित प्रतिबंधों के अधीन है?
  • क्या अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) केवल शारीरिक जीवन तक सीमित है या इसमें व्यक्ति की गरिमा और सम्मान का अधिकार भी शामिल है?
निर्णय:
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है और सरकार द्वारा उचित प्रतिबंधों के अधीन है। इन प्रतिबंधों को सार्वजनिक व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और नैतिकता जैसे वैध उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लगाया जाना चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 21 केवल शारीरिक जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्ति की गरिमा और सम्मान का अधिकार भी शामिल है।

3. इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण (1975):

मुद्दा:
  • क्या चुनाव में भ्रष्टाचार चुनाव याचिका दायर करने का आधार हो सकता है?
  • क्या चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया पर निगरानी रखने और उल्लंघनों को रोकने की शक्ति है?
निर्णय:
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव में भ्रष्टाचार चुनाव याचिका दायर करने का एक वैध आधार है। यदि यह साबित हो जाता है कि चुनाव में भ्रष्टाचार हुआ है, तो चुनाव रद्द किया जा सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया पर निगरानी रखने और उल्लंघनों को रोकने की शक्ति है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों।

समानता का अधिकार की चुनौतियाँ और समाधान

समानता का अधिकार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जिसका समाज में गहरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन इसे प्राप्त करने में अभी भी चुनौतियाँ हैं और इन चुनौतियों को हल करने के लिए नीतियाँ आवश्यक हैं।

वर्तमान में चुनौतियाँ

  • सामाजिक भेदभाव: अभी भी समाज में विभिन्न समुदायों और वर्गों के बीच भेदभाव और असमानता मौजूद हैं। 
  • कानूनी सुरक्षा: समानता के अधिकार की गारंटी के लिए उचित कानूनी सुरक्षा और प्रणालियाँ अभी भी विकसित नहीं हैं।
  • शिक्षा और संचार की समान उपलब्धता: शिक्षा और सूचना पहुँच में असमानता के कारण समान अधिकारों का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

सरकारी उपाय और समाधान

  • कानूनी उपाय: समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी उपाय विकसित किये जा रहे हैं। जैसे: विभिन्न दलितों और अनुसूचित जातियों के लिए अलग-अलग अधिनियम और समाधान बनाए गए हैं।
  • सामाजिक योजनाएँ: सरकारी स्तर पर समानता के लिए विभिन्न समाजिक योजनाएँ शुरू की गई हैं। इनमें विशेष रूप से महिलाओं, असहाय वर्गों और उपनिवेशियों के लिए विशेष उपाय शामिल हैं।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: समानता के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सुधार किए जा रहे हैं। 

सामाजिक जागरूकता और भूमिका

  • मीडिया और संचार: समानता के मुद्दे को सामाजिक रूप से उठाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • सामाजिक संगठन: विभिन्न सामाजिक संगठन और गैर सरकारी संगठन समानता के लिए जागरूकता फैलाने और अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

निष्कर्ष:

समानता का अधिकार हमारे समाज की नींव को मजबूत करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह अधिकार न केवल सभी नागरिकों को समान अवसर और न्याय की गारंटी देता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता को भी प्रोत्साहित करता है। समानता का अधिकार हमें एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में अग्रसर करता है, जहां हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के अपने अधिकारों का उपभोग करने का अवसर मिलता है। इस प्रकार, समानता का अधिकार हमारे लोकतंत्र की आत्मा को जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमें एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण समाज की ओर प्रेरित करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18 क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के तहत समानता का अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता का आश्वासन देता है। इसमें कानून के समक्ष समानता, धर्म, जाति, लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध, सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर, अस्पृश्यता का उन्मूलन, और उपाधियों का निषेध शामिल है।

अनुच्छेद 14 में क्या लिखा है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण का प्रावधान करता है। इसका अर्थ है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों के साथ कानून के समक्ष समान व्यवहार किया जाए और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।

समानता का अधिकार कौनसे अनुच्छेद में है?

समानता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में निहित है। ये अनुच्छेद कानून के समक्ष समानता, भेदभाव का निषेध, सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर, अस्पृश्यता का उन्मूलन, और उपाधियों का निषेध सुनिश्चित करते हैं।

अनुच्छेद 14 15 और 16 क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 समानता के अधिकार से संबंधित हैं। अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है, अनुच्छेद 15 भेदभाव को रोकता है, और अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करता है।

अनुच्छेद 19 से 22 में क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 नागरिकों को मौलिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। इनमें भाषण, सभा, संघ, और पेशे की स्वतंत्रता, अपराध और सजा से सुरक्षा, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, और गिरफ्तारी से संबंधित सुरक्षा शामिल हैं।

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