Quick Summary
सुभद्रा कुमारी चौहान भारतीय कवित्री थीं, जिन्हें हिंदी साहित्य में उनकी महान कविताओं के लिए याद किया जाता है। भारत देश अपने इतिहास और गौरव के लिए जाना जाता रहा है। भारत के इतिहास में कई ऐसे कवि और कवित्री ने जन्म लिया है जिनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमिट छाप छोड़ गया।
आज हम आपको ऐसी ही भारत माँ की बेटी सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय बताने जा रहे है। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ने समाज, राष्ट्रीय भावनाओं और महिलाओं के जीवन को सुंदरता से व्यक्त किया।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय इस प्रकार है।
1921 में सुभद्रा कुमारी ने गाँधी जी के होने वाले असहयोग आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। ब्रिटिश शासन के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन करने के लिए 1923 और 1942 को उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। नागपुर में गिरफ़्तारी देने वाली यह पहली सत्याग्रही महिला थी।
1922 के अंतर्गत जबलपुर में देश का पहला सत्याग्रह हुआ था। जिसे झंडा सत्याग्रह नाम दिया गया। उस आंदोलन में पहली सत्याग्रही महिला के रूप में सुभद्रा कुमारी थी। सभाओं में सुभद्रा जी अंग्रेजों पर बरसती थीं। सुभद्रा जी में बड़े सहज ढंग से गंभीरता और चंचलता का अद्भुत संयोग था।
वे जिस सहजता से देश की पहली स्त्री सत्याग्रही बनकर जेल जा सकती थीं, उसी तरह अपने घर में, बाल-बच्चों में और गृहस्थी के छोटे-मोटे कामों में भी रमी रह सकती थीं। यह मध्यप्रदेश विधान सभा की सदस्य भी रही है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता “झाँसी की रानी” है। उन्होंने अपने जीवन में कुल 88 कविताएँ लिखी थीं।
1. | अनोखा दान | 32. | भारत भारती |
2. | आराधना | 33. | बालिका का परिचय |
3. | इसका रोना | 34. | बिदाई |
4. | उपेक्षा | 35. | भैया कृष्ण! |
5. | उल्लास | 36. | भ्रम |
6. | कलह-कारण | 37. | मधुमय प्याली |
7. | कोयल | 38. | मुरझाया फूल |
8. | कठिन प्रयत्नों से सामग्री | 39. | मातृ-मन्दिर में |
9. | खिलौनेवाला | 40. | मेरा गीत |
10. | गिरफ़्तार होने वाले हैं | 41. | मेरा जीवन |
11. | चलते समय | 42. | मेरा नया बचपन |
12. | चिंता | 43. | मेरी टेक |
13. | जलियाँवाला बाग में बसंत | 44. | मेरी कविता |
14. | जीवन-फूल | 45. | मेरे पथिक |
15. | झांसी की रानी | 46. | मेरे भोले सरल हृदय ने |
16. | झाँसी की रानी की समाधि पर | 47. | यह कदम्ब का पेड़ |
17. | झिलमिल तारे | 48. | यह मुरझाया हुआ फूल है |
18. | ठुकरा दो या प्यार करो | 49. | राखी |
19. | तुम | 50. | राखी की चुनौती |
20. | तुम मानिनि राधे | 51. | विजयी मयूर |
21. | तुम मुझे पूछते हो | 52. | विदा |
22. | नीम | 53. | वीरों का कैसा हो वसंत |
23. | परिचय | 54. | वेदना |
24. | पानी और धूप | 55. | व्याकुल चाह |
25. | पूछो | 56. | सभा का खेल |
26. | प्रथम दर्शन | 57. | समर्पण |
27. | प्रतीक्षा | 58. | साध |
28. | प्रभु तुम मेरे मन की जानो | 59. | साक़ी |
29. | प्रियतम से | 60. | स्मृतियाँ |
30. | फूल के प्रति | 61. | स्वदेश के प्रति |
31. | बादल हैं किसके काका ? | 62. | हे काले-काले बादल |
यह थी सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता उनकी कई और रचनाएँ भी हैं जो भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
पद्य में सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं विभिन्न है। जिनमें राष्ट्रिय चेतना जाग्रत करने और उसका संचार करने में ऐतिहासिक योगदान रहा है।
कविता का विषय 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में लड़ने वाली रानी लक्ष्मी बाई द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ लड़ा गया युद्ध है। यह कविता वीर रस की श्रेणी में लिखी गई है। जिसकी कुछ पंक्तिया निम्नानुसार है।
“बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी”
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं में इस कविता में युद्ध में जा रहे वीर जवानों की मनोस्थिति का वर्णन किया गया है। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता के अंतर्गत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है जिसकी कुछ पंक्तिया इस प्रकार है।
“आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार;
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत”
इस कविता में वात्सल्य भाव को प्रकट किया है। एवम सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है।
अपने काले अवगुंठन को
रजनी आज हटाना मत।
जला चुकी हो नभ में जो
ये दीपक इन्हें बुझाना मत।।
कविता मैं कृष्ण के प्रेम और भक्ति का सारांश दिया गया है। कृष्ण के वियोग में रोती हुई गोपियों की व्यथा व्यक्त की गई है।
भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैं
राखी अपनी, यह लो आज।
कई बार जिसको भेजा है
सजा-सजाकर नूतन साज।।
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं गद्य में लिखी गई है। यह रचनाएं व्यक्तित्व की दृष्टि को दर्शाती है।
इस रचना के अंतर्गत सरल हिंदी खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है। इसका भाव पक्ष भी बहुत सटीक है एवम इसकी शैली ओजकुमार है।
यह सुभद्रा कुमारी जी का पहला कहानी संग्रह था। इसमें लगभग 15 कहानी है। अधिकांश कहानियां नारी विमर्श पर केंद्रित है। कहानी का मुख्य स्वर पारिवारिक सामाजिक परिदृश्य ही है।
Subhadra Kumari Chauhan को अपने देश की आज़ादी के लिए पुरस्कार और सम्मान मिले जिनकी जानकारी नीचे दी गयी है:
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली सरल स्पष्टीकरण एवम सटीक खड़ी बोली है। अपनी भाषा मैं इन्होंने पारिवारिक जीवन का भी मोहक चित्रण बड़ी सुंदरता से किया है। सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली में सरलता विशेष गुण है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली की विशेषता है की उन्होंने मुख्य रूप से दो रस को चित्रित किया है।
इनकी रचना में एक तरफ ममता सुकुमारता है साथ ही दूसरी ओर धधकती ज्वाला।
अलंकारों अथवा कल्पित प्रतीकों के मोह में ना पढ़कर इन्होंने स्पष्टवादी भाषा के प्रभाव से होने वाली अनुभूति को प्रधानता दी है। साथ ही प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है। इस कारण इनकी रचना का प्रभाव हितग्राही है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले के पास कार दुर्घटना मैं हुई थी। इस दुर्घटना में इनका आकस्मिक निधन हो गया था। सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु की तिथि 15 फरवरी 1948 है। आजादी की लड़ाई में और साहित्य व कविताओं की रचना में सुभद्रा कुमारी का योगदान एक अमिट स्मृति के रूप में अमर है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता के माध्यम से राष्ट्रप्रेम की अभिव्यक्ति प्रमुखता से प्रकट की है। एवम देश के नवयुवकों को जगाने का प्रयास किया है। सुभद्रा कुमारी का साहित्य मैं महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उनकी प्रमुख कविताओं में से कुछ मुख्य है
जो उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से है। इस कविता में वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महानता को उजागर करती हैं और देशभक्ति के प्रति अपनी गहरी भावना को व्यक्त करती हैं।
यह राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही है। साथ ही इनकी रचनाओं में भावपक्ष और कलापक्ष मजबूत होने के साथ ही भाषा का स्पष्टवादी रूप से प्रदर्शन करना एवम राष्ट्र के प्रति अभूतपूर्व प्रेम जगाना साहित्यकला की दृष्टि से सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं अति महत्वपूर्ण है।
अपनी प्रतिभा को दिखाते हुए बचपन से ही सुभद्रा जी ने कविताएं लिखना और बोलना शुरू कर दिया था। इनकी पहली कविता तब छपी जब यह मात्र 9 वर्ष की थी और वो कविता इन्होंने नीम के पेड़ पर लिख दी थी। साथ ही इनके पिताजी रामनाथ सिंह जमीदार भी इनके प्रेरणा स्रोत रहे हैं। जो शिक्षा को बढ़ावा देते थे। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आंदोलन का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा। जिससे प्रेरित होकर ये राष्ट्रप्रेम की कविताये लिखने लगी।
सुभद्रा कुमारी द्वारा रचित कई प्रसिद्ध काव्य कविताएं एवम कहानियों की रचनाएं साहित्य के रूप मैं अनमोल धरोहर है जिसे आज भी संजो कर रखा गया है।
साहसी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन की गाथा और देश की आजादी की लड़ाई मैं दिया गया योगदान एवम इनके द्वारा रचित कविताएं इतिहास के पन्नो मैं युग युगांतर तक याद किए जाएंगे। इस ब्लॉग में आपने आज सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय जाना और सुभद्रा कुमारी चौहान की माता का नाम भी आपको पता चला।
सुभद्रा कुमारी चौहान का पहला कविता संग्रह “मुकुल” था, जिसमें उनकी प्रारंभिक कविताएँ संकलित हैं।
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था।
सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे प्रिय बालसखी महादेवी वर्मा थी क्योंकि उनके मित्रता का कारण यह था कि वे दोनों ही कविताएं लिखती थीं।
सुभद्राकुमारी चौहान का साहित्यिक योगदान आज भी प्रासंगिक है क्योंकि उनके लेखन में सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण, और भारतीय संस्कृति की गहराई से सुसज्जित विचार हैं। उनके विचार और कविताएँ आधुनिक समाज में भी सामाजिक बदलाव और सांस्कृतिक पहचान के प्रति संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करती हैं।
सुभद्राकुमारी चौहान की रचनाएँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार आंदोलन से गहराई से जुड़ी हुई हैं क्योंकि उन्होंने अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से स्वतंत्रता संघर्ष के नायकों की वीरता और समाज सुधारक आंदोलनों की आवश्यकता को उजागर किया। उनकी लेखनी ने सामाजिक जागरूकता और स्वतंत्रता की प्रेरणा को बढ़ावा दिया।
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