सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय और कवितायेँ

December 26, 2024
सुभद्रा कुमारी चौहान
Quick Summary

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  • सुभद्रा कुमारी चौहान भारतीय कवित्री थीं।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान ने महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए आवाज उठाई।
  • उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता फैलाई।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताएं सरल भाषा में लिखी गई हैं, लेकिन इनमें गहरी भावनात्मक गहराई होती है।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई और जेल भी गईं।

Table of Contents

सुभद्रा कुमारी चौहान भारतीय कवित्री थीं, जिन्हें हिंदी साहित्य में उनकी महान कविताओं के लिए याद किया जाता है। भारत देश अपने इतिहास और गौरव के लिए जाना जाता रहा है। भारत के इतिहास में कई ऐसे कवि और कवित्री ने जन्म लिया है जिनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमिट छाप छोड़ गया।

आज हम आपको ऐसी ही भारत माँ की बेटी सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय बताने जा रहे है। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ने समाज, राष्ट्रीय भावनाओं और महिलाओं के जीवन को सुंदरता से व्यक्त किया।

सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय | Subhadra Kumari Chauhan ka jivan parichay

सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय इस प्रकार है।

  • सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को हुआ था।
  • उनकी काव्य-रचनाएँ भारतीय समाज की समस्याओं, स्वतंत्रता संग्राम और महिला उत्थान पर आधारित थी।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने समय के साथ ही भारतीय समाज में महिलाओं के लिए समानता और स्वतंत्रता के लिए प्रयास किये।
  • उन्होंने भारत में होने वाले असहयोग आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था और ब्रिटिश शासन के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन किया था।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु 15 फरवरी 1948 को मध्यप्रदेश को हुई थी।

शिक्षा और परिवार

  • सुभद्रा कुमारी का जन्म राजपूत परिवार में हुआ था।
  • अक्सर सुभद्रा कुमारी चौहान की माता का नाम पूछा जाता है पर सुभद्रा कुमारी चौहान की माता का नाम कही पर भी स्पष्ट तरीके से बताया नहीं गया है, कुछ जगहों पे उनका नाम श्रीमती पदमिनी बताया गया है तो कहीं सरस्वती चौहान इसलिए हम निश्चित तरीके से नहीं बता सकते कि उनका वास्तविक नाम क्या है। उनके पिता का नाम ठाकुर श्री रामनाथ सिंह था।
  • उनकी शुरूआती शिक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल से हुई।
  • 1919 में सुभद्रा कुमारी ने मिडिल स्कूल की परीक्षा पास की।
  • इनका विवाह खंडवा के लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हुआ था जिनसे इन्हें 5 बच्चे हुए।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

1921 में सुभद्रा कुमारी ने गाँधी जी के होने वाले असहयोग आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। ब्रिटिश शासन के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन करने के लिए 1923 और 1942 को उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। नागपुर में गिरफ़्तारी देने वाली यह पहली सत्याग्रही महिला थी।

1922 के अंतर्गत जबलपुर में देश का पहला सत्याग्रह हुआ था। जिसे झंडा सत्याग्रह नाम दिया गया। उस आंदोलन में पहली सत्याग्रही महिला के रूप में सुभद्रा कुमारी थी। सभाओं में सुभद्रा जी अंग्रेजों पर बरसती थीं। सुभद्रा जी में बड़े सहज ढंग से गंभीरता और चंचलता का अद्भुत संयोग था।

वे जिस सहजता से देश की पहली स्त्री सत्याग्रही बनकर जेल जा सकती थीं, उसी तरह अपने घर में, बाल-बच्चों में और गृहस्थी के छोटे-मोटे कामों में भी रमी रह सकती थीं। यह मध्यप्रदेश विधान सभा की सदस्य भी रही है।

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता “झाँसी की रानी” है। उन्होंने अपने जीवन में कुल 88 कविताएँ लिखी थीं।

1.अनोखा दान32.भारत भारती
2.आराधना33.बालिका का परिचय
3.इसका रोना34.बिदाई
4.उपेक्षा35.भैया कृष्ण!
5.उल्लास36.भ्रम
6.कलह-कारण37.मधुमय प्याली
7.कोयल38.मुरझाया फूल
8.कठिन प्रयत्नों से सामग्री39.मातृ-मन्दिर में
9.खिलौनेवाला40.मेरा गीत
10.गिरफ़्तार होने वाले हैं41.मेरा जीवन
11.चलते समय42.मेरा नया बचपन
12.चिंता43.मेरी टेक
13.जलियाँवाला बाग में बसंत44.मेरी कविता
14.जीवन-फूल45.मेरे पथिक
15.झांसी की रानी46.मेरे भोले सरल हृदय ने
16.झाँसी की रानी की समाधि पर47.यह कदम्ब का पेड़
17.झिलमिल तारे48.यह मुरझाया हुआ फूल है
18.ठुकरा दो या प्यार करो49.राखी
19.तुम50.राखी की चुनौती
20.तुम मानिनि राधे51.विजयी मयूर
21.तुम मुझे पूछते हो52.विदा
22.नीम53.वीरों का कैसा हो वसंत
23.परिचय54.वेदना
24.पानी और धूप55.व्याकुल चाह
25.पूछो56.सभा का खेल
26.प्रथम दर्शन57.समर्पण
27.प्रतीक्षा58.साध
28.प्रभु तुम मेरे मन की जानो59.साक़ी
29.प्रियतम से60.स्मृतियाँ
30.फूल के प्रति61.स्वदेश के प्रति
31.बादल हैं किसके काका?62.हे काले-काले बादल
सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता

यह थी सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध कविता उनकी कई और रचनाएँ भी हैं जो भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

प्रमुख कविताओं की पंक्तियाँ: सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं पद्य में

पद्य में सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं विभिन्न है। जिनमें राष्ट्रिय चेतना जाग्रत करने और उसका संचार करने में ऐतिहासिक योगदान रहा है।

1. झाँसी की रानी

कविता का विषय 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में लड़ने वाली रानी लक्ष्मी बाई द्वारा अंग्रेजो के खिलाफ लड़ा गया युद्ध है। यह कविता वीर रस की श्रेणी में लिखी गई है। जिसकी कुछ पंक्तिया निम्नानुसार है।

“बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी”

2. वीरों का कैसा हो वसंत

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं में इस कविता में युद्ध में जा रहे वीर जवानों की मनोस्थिति का वर्णन किया गया है। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता के अंतर्गत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है जिसकी कुछ पंक्तिया इस प्रकार है।

“आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार;
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त
वीरों का कैसा हो वसंत”

3. विदा

इस कविता में वात्सल्य भाव को प्रकट किया है। एवम सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है।

“अपने काले अवगुंठन को 
रजनी आज हटाना मत।
जला चुकी हो नभ में जो 
ये दीपक इन्हें बुझाना मत।।”

4. कृष्ण का प्रेम

कविता मैं कृष्ण के प्रेम और भक्ति का सारांश दिया गया है। कृष्ण के वियोग में रोती हुई गोपियों की व्यथा व्यक्त की गई है।

“भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैं
राखी अपनी, यह लो आज।
कई बार जिसको भेजा है
सजा-सजाकर नूतन साज।।”

5. परिचय

“ललित-कलित कविताएं।
चाहो तो चित्रित कर दूँ 
जीवन की करुण कथाएं॥
सूना कवि-हृदय पड़ा है, 
इसमें साहित्य नहीं है।
इस लुटे हुए जीवन में, 
अब तो लालित्य नहीं है”

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं गद्य में

सुभद्रा कुमारी चौहान को मुख्यतः उनकी देशभक्ति से ओत-प्रोत कविताओं के लिए जाना जाता है, लेकिन उन्होंने गद्य साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी गद्य रचनाएँ भी उनकी कविताओं की तरह ही भावुक और प्रभावशाली हैं। आइए गद्य में लिखी गई सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं कोनसी है उनपर एक नज़र डालते हैं:

कहानी संग्रह

  1. बिखरे मोती: यह उनका पहला कहानी संग्रह है। इसमें भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंछलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम्ब के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा कुल 15 कहानियां हैं। इन कहानियों की भाषा सरल बोलचाल की भाषा है! अधिकांश कहानियां नारी विमर्श पर केंद्रित हैं।
  2. उन्मादिनी: इस संग्रह में भी नारी मनोविज्ञान और समाज में महिलाओं की स्थिति पर केंद्रित कहानियां हैं।
  3. सीधे-साधे चित्र: इस संग्रह में विभिन्न विषयों पर आधारित कहानियां हैं।

अन्य गद्य रचनाएँ

  1. त्रिधारा: यह एक उपन्यास है जिसमें उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के जीवन को बड़ी संवेदनशीलता से चित्रित किया है।
  2. मुकुल: यह एक कविता संग्रह है, लेकिन इसमें कुछ गद्य अंश भी शामिल हैं।

पुरस्कार और सम्मान

Subhadra Kumari Chauhan को अपने देश की आज़ादी के लिए पुरस्कार और सम्मान मिले जिनकी जानकारी नीचे दी गयी है:

  • इन्हें ‘मुकुल’ तथा ‘बिखरे मोती’ पर अलग-अलग सेकसरिया पुरस्कार मिले।
  • 28 अप्रॅल 2006 में भारतीय तटरक्षक सेना ने सुभद्रा कुमारी चौहान को सम्मानित करते हुए नवीन नियुक्त तटरक्षक जहाज़ को उन का नाम दिया है।
  • 6 अगस्त 1976 में भारतीय डाक तार विभाग ने सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक डाक-टिकट जारी किया था।
  • 27 नवंबर 1949 में जबलपुर के निवासियों ने चंदा इकट्ठा करके नगरपालिका प्रांगण में सुभद्रा जी की आदमकद प्रतिमा लगवाई जिसका अनावरण Subhadra Kumari Chauhan और महादेवी वर्मा ने किया।

सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली

सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली सरल स्पष्टीकरण एवम सटीक खड़ी बोली है। अपनी भाषा मैं इन्होंने पारिवारिक जीवन का भी मोहक चित्रण बड़ी सुंदरता से किया है। सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली में सरलता विशेष गुण है।

विशेषताएँ:

सुभद्रा कुमारी चौहान की भाषा शैली की विशेषता है की उन्होंने मुख्य रूप से दो रस को चित्रित किया है।

  1. वीर
  2. वात्सल्य

इनकी रचना में एक तरफ ममता सुकुमारता है साथ ही दूसरी ओर धधकती ज्वाला।

प्रभाव:

अलंकारों अथवा कल्पित प्रतीकों के मोह में ना पढ़कर इन्होंने स्पष्टवादी भाषा के प्रभाव से होने वाली अनुभूति को प्रधानता दी है। साथ ही प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है। इस कारण इनकी रचना का प्रभाव हितग्राही है।

सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु

सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले के पास कार दुर्घटना मैं हुई थी। इस दुर्घटना में इनका आकस्मिक निधन हो गया था। सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु की तिथि 15 फरवरी 1948 है। आजादी की लड़ाई में और साहित्य व कविताओं की रचना में सुभद्रा कुमारी का योगदान एक अमिट स्मृति के रूप में अमर है।

सुभद्रा कुमारी चौहान का साहित्यिक योगदान

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता के माध्यम से राष्ट्रप्रेम की अभिव्यक्ति प्रमुखता से प्रकट की है। एवम देश के नवयुवकों को जगाने का प्रयास किया है। सुभद्रा कुमारी का साहित्य मैं महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

महिला सशक्तिकरण

  • इनकी इस प्रभावशाली सोच ने उन्हें महिला हित में काम करने की नई दिशा प्रदान की।
  • महिलाओं के सशक्तिकरण एवम न्याय के रूप में उन्होंने अपनी कविताएं व्यक्त की।

राष्ट्रीयता और देशभक्ति

  • सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्र के लिए मर मिटने का जज्बा रखने वाली साहसी कवयित्री रही है।
  • उन्होंने देशभक्ति मैं अपना विशेष योगदान दिया है।
  • उनकी प्रसिद्ध कविता में राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत प्रेम की झलक दिखाई पड़ती है।

देशभक्ति पर उनकी कविताएं

उनकी प्रमुख कविताओं में से कुछ मुख्य है:

  • “जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ करतीं हैं बसेरा”
  • “झांसी की रानी”

जो उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से है। इस कविता में वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महानता को उजागर करती हैं और देशभक्ति के प्रति अपनी गहरी भावना को व्यक्त करती हैं।

लोकप्रियता

  • इनकी लोकप्रियता के चलते आज भी इनकी कविताओं को गुनगनाया जाता है।
  • कुछ विद्यालयों के पाठ्यक्रम में सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता आज भी पढ़ाई जाती है।
  • इनकी रचनाएं राष्ट्रप्रेम के भाव को पूर्ण रूप से दर्शाने वाली है।
  • सुभद्रा जी कविता लिखने में बचपन से ही माहिर थीं। कविता रचना के कारण से स्कूल में उनकी बड़ी प्रसिद्धि थी।
  • 27 नवंबर 1949 में जबलपुर के निवासियों ने चंदा इकट्ठा करके नगरपालिका प्रांगण में सुभद्रा जी की सुन्दर प्रतिमा लगवाई।जिसका अनावरण सुभद्रा कुमारी और महादेवी वर्मा ने किया।

सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं का महत्व

यह राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही है। साथ ही इनकी रचनाओं में भावपक्ष और कलापक्ष मजबूत होने के साथ ही भाषा का स्पष्टवादी रूप से प्रदर्शन करना एवम राष्ट्र के प्रति अभूतपूर्व प्रेम जगाना साहित्यकला की दृष्टि से सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं अति महत्वपूर्ण है।

प्रेरणा स्रोत

अपनी प्रतिभा को दिखाते हुए बचपन से ही सुभद्रा जी ने कविताएं लिखना और बोलना शुरू कर दिया था। इनकी पहली कविता तब छपी जब यह मात्र 9 वर्ष की थी और वो कविता इन्होंने नीम के पेड़ पर लिख दी थी। साथ ही इनके पिताजी रामनाथ सिंह जमीदार भी इनके प्रेरणा स्रोत रहे हैं। जो शिक्षा को बढ़ावा देते थे। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आंदोलन का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा। जिससे प्रेरित होकर ये राष्ट्रप्रेम की कविताये लिखने लगी।

साहित्यिक धरोहर

सुभद्रा कुमारी द्वारा रचित कई प्रसिद्ध काव्य कविताएं एवम कहानियों की रचनाएं साहित्य के रूप मैं अनमोल धरोहर है जिसे आज भी संजो कर रखा गया है।

निष्कर्ष

साहसी कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन की गाथा और देश की आजादी की लड़ाई मैं दिया गया योगदान एवम इनके द्वारा रचित कविताएं इतिहास के पन्नो मैं युग युगांतर तक याद किए जाएंगे। इस ब्लॉग में आपने आज सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय जाना और सुभद्रा कुमारी चौहान की माता का नाम भी आपको पता चला।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

सुभद्रा कुमारी चौहान का पहला कविता संग्रह कौन सा था?

सुभद्रा कुमारी चौहान का पहला कविता संग्रह “मुकुल” था, जिसमें उनकी प्रारंभिक कविताएँ संकलित हैं।

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म किस राज्य में हुआ था?

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में हुआ था।

सुभद्रा की बालसखी कौन थी?

सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे प्रिय बालसखी महादेवी वर्मा थी क्योंकि उनके मित्रता का कारण यह था कि वे दोनों ही कविताएं लिखती थीं।

सुभद्राकुमारी चौहान का साहित्यिक योगदान और उनके विचार आज के समय में किस प्रकार प्रासंगिक हैं?

सुभद्राकुमारी चौहान का साहित्यिक योगदान आज भी प्रासंगिक है क्योंकि उनके लेखन में सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण, और भारतीय संस्कृति की गहराई से सुसज्जित विचार हैं। उनके विचार और कविताएँ आधुनिक समाज में भी सामाजिक बदलाव और सांस्कृतिक पहचान के प्रति संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करती हैं।

सुभद्राकुमारी चौहान की रचनाएँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार आंदोलन से किस प्रकार जुड़ी हुई हैं?

सुभद्राकुमारी चौहान की रचनाएँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार आंदोलन से गहराई से जुड़ी हुई हैं क्योंकि उन्होंने अपनी कविताओं और कहानियों के माध्यम से स्वतंत्रता संघर्ष के नायकों की वीरता और समाज सुधारक आंदोलनों की आवश्यकता को उजागर किया। उनकी लेखनी ने सामाजिक जागरूकता और स्वतंत्रता की प्रेरणा को बढ़ावा दिया।

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