Quick Summary
हिंदी भाषा में वर्णमाला का महत्व बहुत बड़ा है। वर्णमाला के दो मुख्य हिस्से होते हैं – स्वर और व्यंजन। इनकी मदद से हम शब्दों और वाक्यों का निर्माण करते हैं। स्वर और व्यंजन हिंदी भाषा के मूलभूत तत्व हैं जो भाषा की संरचना और ध्वनि को निर्धारित करते हैं।
इस ब्लॉग में हम स्वर और व्यंजन किसे कहते हैं, स्वर और व्यंजन कितने होते हैं, स्वर और व्यंजन में अंतर, स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है और स्वर और व्यंजन इंग्लिश में कितने होते हैं, इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं, जो किसी भाषा की मूलभूत इकाई होती है। वर्ण के बिना किसी भी भाषा का उच्चारण और लेखन संभव नहीं होता। वर्ण किसी भी भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है, जो एक ध्वनि को व्यक्त करती है। यह ध्वनि एक अक्षर, शब्द या वाक्य का निर्माण करने में सहायक होती है। वर्ण को स्वर और व्यंजन से व्यक्त किया जाता है-
स्वर (Vowels):
अ आ इ ई उ ऊ ऋ
ए ऐ ओ औ अं अः
व्यंजन (Consonants):
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह
क्ष त्र ज्ञ श्र
ड़ ढ़
वर्ण को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है:
स्वर वे ध्वनियाँ हैं, जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध के किया जाता है। जब हम स्वर बोलते हैं, तो हवा मुंह से बिना किसी रुकावट के बाहर आती है। हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर होते हैं। स्वरों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है और ये शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं, जिनका उच्चारण करते समय हवा को मुंह, दाँत, जीभ या गले में किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है। हिंदी वर्णमाला में कुल 39 व्यंजन होते हैं। व्यंजनों का प्रयोग स्वरों के साथ मिलकर किया जाता है और ये शब्दों के निर्माण में सहायक होते हैं।
हिंदी वर्णमाला में स्वरों और व्यंजनों की संख्या निश्चित होती है, जो भाषा की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हिंदी वर्णमाला में कुल 13 स्वर होते हैं पर अं और अः को स्वर की श्रेणी में न रखकर अयोगवाह कहा जाता है क्योंकि इनका उच्चारण किसी स्वर के बाद ही होता है:
हिंदी वर्णमाला में कुल 39 व्यंजन होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख व्यंजन हैं:
व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा को किसी न किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है। यह अवरोध जीभ, दाँत, या गले के किसी हिस्से से हो सकता है।
व्यंजनों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकता। वे स्वरों के साथ मिलकर शब्दों का निर्माण करते हैं।
स्वरों और व्यंजनों के उदाहरणों से भाषा को समझना और भी सरल हो जाता है।
स्वर | उदाहरण |
अ | अकाल, अनार |
आ | आम, आग |
इ | इमली, इश्क |
ई | ईख, ईश्वर |
उ | उल्लू, उपहार |
ऊ | ऊन, ऊंट |
ऋ | ऋषि, ऋतु |
ए | एक, ऐनक |
ऐ | ऐश्वर्या, ऐतिहासिक |
ओ | ओस, ओर |
औ | औरत, औरंग |
व्यंजन | उदाहरण | व्यंजन | उदाहरण |
क | केला, किताब | न | नमक, नल |
ख | खाट, खेत | प | पानी, पतंग |
ग | गमला, घर | फ | फल, फूल |
घ | घर, घड़ी | ब | बल, बकरी |
ङ | अंग, अंगूर | भ | भालू, भास्कर |
च | चाय, चरखा | म | माँ, माला |
छ | छत, छाता | य | यज्ञ, योग |
ज | जल, जहाज | र | राजा, रथ |
झ | झंडा, झरोखा | ल | लड्डू, लहर |
ञ | ज्ञान, ज्ञानी | व | वज्र, वन |
ट | टमाटर, टोकरी | श | शेर, शिक्षा |
ठ | ठंडी, ठोकर | ष | षडयंत्र, षण्मुख |
ड | डमरू, डाक | स | सागर, सरिता |
ढ | ढोल, ढाका | ह | हंस, हरिण |
ण | णमक, णियम | क्ष | मोक्ष, अक्षर |
त | तबला, तराजू | त्र | त्रिशूल, चित्र |
थ | थैली, थर्मस | ज्ञ | ज्ञानी, विज्ञान |
द | दवा, दरवाजा | श्र | आश्रम, श्राप |
ध | धूप, धरती | ड़ | लड़का, लड़ाई |
ढ़ | चढ़ाई, पढ़ाई |
स्वर और व्यंजन के भी कई प्रकार होते हैं जो उनके उच्चारण और प्रयोग के आधार पर विभाजित होते हैं।
उच्चारण में लगने वाले समय या मात्रा के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं।
जीभ के प्रयत्न के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं।
मुखाकृति के आधार पर स्वर चार प्रकार के होते हैं-
ओष्ठाकृति के आधार पर –
व्यंजनों के प्रकार निम्नलिखित हैं:
स्वर और व्यंजन को उनके उच्चारण, ध्वनि और उपयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
स्वरों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:
व्यंजनों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:
स्वर और व्यंजन में कई अंतर होते हैं जो उनकी ध्वनि और उच्चारण के आधार पर होते हैं।
स्वर (Vowels) | व्यंजन (Consonants) |
स्वर स्वतंत्र रूप से उच्चारित होते हैं। | व्यंजन स्वर के साथ मिलकर उच्चारित होते हैं। |
स्वर की संख्या 13 होती है। | व्यंजन की संख्या 33 होती है। |
स्वर शब्द की शुरुआत, मध्य और अंत में आ सकते हैं। | व्यंजन आमतौर पर स्वर के साथ मिलकर शब्द बनाते हैं। |
स्वर का उच्चारण बिना किसी अवरोध के होता है। | व्यंजन का उच्चारण करते समय मुख के किसी भाग से अवरोध उत्पन्न होता है। |
उदाहरण: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः | उदाहरण: क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़ |
स्वर की विशेषताएँ उसे अन्य ध्वनियों से अलग करती हैं। स्वरों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है और वे किसी भी शब्द का निर्माण करने में सहायक होते हैं।
व्यंजन की विशेषताएँ उसे स्वरों से अलग करती हैं। व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा को किसी न किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है।
सही उच्चारण के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है। उच्चारण के अभ्यास से भाषा की ध्वनि और लय को समझने में मदद मिलती है।
स्वरों का सही उच्चारण सीखने के लिए अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए कुछ विशेष तकनीकें और उपाय अपनाए जा सकते हैं।
व्यंजनों का सही उच्चारण भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि स्वरों का। सही उच्चारण से भाषा की स्पष्टता बढ़ती है।
भाषा शिक्षण में स्वर और व्यंजन का सही ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। यह भाषा के अन्य पहलुओं को समझने और सिखाने में सहायक होता है।
भाषा विकास में स्वर और व्यंजन का महत्वपूर्ण योगदान है। यह भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों में सहायक होता है।
स्वर और व्यंजन इंग्लिश में भी होते हैं। अंग्रेजी में पाँच स्वर (a, e, i, o, u) और इक्कीस व्यंजन होते हैं। स्वर और व्यंजन का उच्चारण और प्रयोग अंग्रेजी में भी महत्वपूर्ण होता है।
इस ब्लॉग में हमने स्वर और व्यंजन किसे कहते हैं, स्वर और व्यंजन कितने होते हैं, स्वर और व्यंजन में अंतर, स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है और स्वर और व्यंजन इंग्लिश में कितने होते हैं, इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की है।
स्वर और व्यंजन हिंदी भाषा के मुख्य आधार हैं। इनके बिना भाषा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हिंदी वर्णमाला में स्वरों और व्यंजनों की उचित पहचान और सही उच्चारण भाषा की सुंदरता और स्पष्टता को बढ़ाता है। स्वर और व्यंजन की सही जानकारी से ही हम भाषा को सही ढंग से समझ और बोल सकते हैं।
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हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 वर्ण होते हैं। इनमें 13 स्वर और 39 व्यञ्जन होते हैं।
हिंदी में 13 मूल स्वर होते हैं। ये हैं: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
स्वर, हिन्दी वर्णमाला के वे वर्ण हैं, जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है एवं जो व्यंजनों के उच्चारण में भी सहायक होते हैं। स्वरों के मुख्यतः दो भेद होते हैं:
• ह्रस्व स्वर: इन स्वरों का उच्चारण कम समय में होता है। जैसे: अ, इ, उ, ऋ, लृ।
• दीर्घ स्वर: इन स्वरों का उच्चारण ह्रस्व स्वरों की तुलना में अधिक समय में होता है। जैसे: आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
हिंदी भाषा में कुल 52 अक्षर हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़, है।
दीर्घ स्वर सात होते है- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
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