स्वर और व्यंजन: Vowels and Consonant in Hindi

October 16, 2024
स्वर और व्यंजन
Quick Summary

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स्वर (Vowels): अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः व्यंजन (Consonants): क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह -संयुक्त व्यंजन: क्ष, त्र, ज्ञ, श्र -अतिरिक्त व्यंजन: ड़, ढ़

Table of Contents

हिंदी भाषा में वर्णमाला का महत्व बहुत बड़ा है। वर्णमाला के दो मुख्य हिस्से होते हैं – स्वर और व्यंजन। इनकी मदद से हम शब्दों और वाक्यों का निर्माण करते हैं। स्वर और व्यंजन हिंदी भाषा के मूलभूत तत्व हैं जो भाषा की संरचना और ध्वनि को निर्धारित करते हैं। 

इस ब्लॉग में हम स्वर और व्यंजन किसे कहते हैं, स्वर और व्यंजन कितने होते हैं, स्वर और व्यंजन में अंतर, स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है और स्वर और व्यंजन इंग्लिश में कितने होते हैं, इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

वर्ण किसे कहते हैं?

वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं, जो किसी भाषा की मूलभूत इकाई होती है। वर्ण के बिना किसी भी भाषा का उच्चारण और लेखन संभव नहीं होता। वर्ण किसी भी भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है, जो एक ध्वनि को व्यक्त करती है। यह ध्वनि एक अक्षर, शब्द या वाक्य का निर्माण करने में सहायक होती है। वर्ण को स्वर और व्यंजन से व्यक्त किया जाता है-

स्वर (Vowels):

अ आ इ ई उ ऊ ऋ
ए ऐ ओ औ अं अः

व्यंजन (Consonants):

क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह
क्ष त्र ज्ञ श्र
ड़ ढ़

वर्ण के भेद

वर्ण को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है:

  1. स्वर (Vowels): स्वर वे ध्वनियाँ हैं, जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध के किया जाता है। जब हम स्वर बोलते हैं, तो हवा मुंह से बिना किसी रुकावट के बाहर आती है। उदाहरण: 
  • स्वर वर्ण हिंदी में अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः होते हैं।
  1. व्यंजन (Consonants): व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं, जिनका उच्चारण करते समय हवा को मुंह, दाँत, जीभ या गले में किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है। उदाहरण: 
  • व्यंजन: क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
  • संयुक्त व्यंजन: क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
  • अतिरिक्त व्यंजन: ड़, ढ़

स्वर किसे कहते हैं?

स्वर वे ध्वनियाँ हैं, जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध के किया जाता है। जब हम स्वर बोलते हैं, तो हवा मुंह से बिना किसी रुकावट के बाहर आती है। हिंदी वर्णमाला में कुल 11 स्वर होते हैं। स्वरों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है और ये शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

व्यंजन किसे कहते हैं?

व्यंजन वे ध्वनियाँ हैं, जिनका उच्चारण करते समय हवा को मुंह, दाँत, जीभ या गले में किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है। हिंदी वर्णमाला में कुल 39 व्यंजन होते हैं। व्यंजनों का प्रयोग स्वरों के साथ मिलकर किया जाता है और ये शब्दों के निर्माण में सहायक होते हैं।

स्वर और व्यंजन कितने होते हैं?

हिंदी वर्णमाला में स्वरों और व्यंजनों की संख्या निश्चित होती है, जो भाषा की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर हैं?

हिंदी वर्णमाला में कुल 13 स्वर होते हैं पर अं और अः को स्वर की श्रेणी में न रखकर अयोगवाह कहा जाता है क्योंकि इनका उच्चारण किसी स्वर के बाद ही होता है:

  • अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ

स्वरों का उच्चारण

  • स्वरों का उच्चारण बहुत सरल होता है क्योंकि इसमें हवा बिना किसी अवरोध के बाहर आती है।

स्वरों का प्रयोग

  • स्वरों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। वे किसी भी शब्द के आरंभ, मध्य या अंत में आ सकते हैं।

हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं?

हिंदी वर्णमाला में कुल 39 व्यंजन होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख व्यंजन हैं:

  • क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़

व्यंजनों का उच्चारण

व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा को किसी न किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है। यह अवरोध जीभ, दाँत, या गले के किसी हिस्से से हो सकता है।

व्यंजनों का प्रयोग

व्यंजनों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं किया जा सकता। वे स्वरों के साथ मिलकर शब्दों का निर्माण करते हैं।

स्वर और व्यंजन के उदाहरण

स्वरों और व्यंजनों के उदाहरणों से भाषा को समझना और भी सरल हो जाता है।

हिंदी में स्वर के उदाहरण

स्वरउदाहरण
अकाल, अनार
आम, आग
इमली, इश्क
ईख, ईश्वर
उल्लू, उपहार
ऊन, ऊंट
ऋषि, ऋतु
एक, ऐनक
ऐश्वर्या, ऐतिहासिक
ओस, ओर
औरत, औरंग

हिंदी में व्यंजन के उदाहरण

व्यंजनउदाहरणव्यंजनउदाहरण
केला, किताबनमक, नल
खाट, खेतपानी, पतंग
गमला, घरफल, फूल
घर, घड़ीबल, बकरी
अंग, अंगूरभालू, भास्कर
चाय, चरखामाँ, माला
छत, छातायज्ञ, योग
जल, जहाजराजा, रथ
झंडा, झरोखालड्डू, लहर
ज्ञान, ज्ञानीवज्र, वन
टमाटर, टोकरीशेर, शिक्षा
ठंडी, ठोकरषडयंत्र, षण्मुख
डमरू, डाकसागर, सरिता
ढोल, ढाकाहंस, हरिण
णमक, णियमक्षमोक्ष, अक्षर
तबला, तराजूत्रत्रिशूल, चित्र
थैली, थर्मसज्ञज्ञानी, विज्ञान
दवा, दरवाजाश्रआश्रम, श्राप
धूप, धरतीड़लड़का, लड़ाई
ढ़चढ़ाई, पढ़ाई

स्वर और व्यंजन के प्रकार

स्वर और व्यंजन के भी कई प्रकार होते हैं जो उनके उच्चारण और प्रयोग के आधार पर विभाजित होते हैं।

स्वर के प्रकार

उच्चारण में लगने वाले समय या मात्रा के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं।

  1. हस्व स्वर
    • इन्हे मूल स्वर तथा एकमात्रिक स्वर भी कहते है। इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है।
    • जैसे – अ, इ, उ, ऋ।
  2. दीर्घ स्वर
    • इनके उच्चारण में कस्य स्वर की अपेक्षा दुगुना समय लगता है अर्थात दो मात्राए लगती है, उसे दीर्घ स्वर कहते है।
    • जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
  3. प्लुत स्वर
    • संस्कृत में प्लुत को एक तीसरा भेद माना जाता है, पर हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं होता।
    • जैसे – ओउम्।

जीभ के प्रयत्न के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं। 

  1. अग्र स्वर
    • जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का अगला भाग ऊपर नीचे उठता है, अग्र स्वर कहते है।
    • जैसे – इ, ई, ए, ऐ।
  2. पश्च स्वर 
    • जिन स्वरों के उच्चारण में जीभ का पिछला भाग सामान्य स्थिति से उठता है, पश्च स्वर कहे जाते।
    • जैसे – ओ, उ, ऊ, ओ, औ तथा ऑ।
  3. मध्य स्वर 
    • हिन्दी में ‘अ’ स्वर केन्द्रीय स्वर है। इसके उच्चारण में जीभ का मध्य भाग थोड़ा – सा ऊपर उठता है।

मुखाकृति के आधार पर स्वर चार प्रकार के होते हैं-

  1. संवृत
    • वे स्वर जिनके उच्चारण में मुँह बहुत कम खुलता है।
    • जैसे – इ, ई, उ, ऊ।
  2. अर्द्ध संवृत
    • वे स्वर जिनके उच्चारण में मुख संवृत की अपेक्षा कुछ अधिक खुलता है।
    • जैसे – ए, ओ।
  3. विवृत
    • जिन स्वरों के उच्चारण में मुख पूरा खुलता है।
    • जैसे – आ।
  4. अर्द्ध विवृत
    • जिन स्वरों के उच्चारण में मुख आधा खुलता है।
    • जैसे – अ, ऐ, औ।

ओष्ठाकृति के आधार पर –

  1. वृताकार
    • जिनके उच्चारण में होठो की आकृति वृत के समान बनती है।
    • जैसे – उ, ऊ, ओ, औ।
  2. अवृताकार
    • इनके उच्चारण में होठो की आकृति अवृताकार होती है।
    • जैसे – इ, ई, ए, ऐ।
  3. उदासीन
    • ‘अ’ स्वर के उच्चारण में होठ उदासीन रहते है।

व्यंजन के प्रकार

व्यंजनों के प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. स्पर्श व्यंजन
    • जिनका उच्चारण करते समय हवा किसी अंग से टकराती है, जैसे – क, प
  2. अंतःस्थ व्यंजन
    • जिनका उच्चारण करते समय जीभ का बीच का भाग मुंह की छत से टकराता है, जैसे – य, र
  3. ऊष्म व्यंजन
    • जिनका उच्चारण करते समय मुंह से गर्म हवा निकलती है, जैसे – श, ष, स, ह

स्वर और व्यंजन का वर्गीकरण

स्वर और व्यंजन को उनके उच्चारण, ध्वनि और उपयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

स्वर का वर्गीकरण

स्वरों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

  1. ह्रस्व स्वर: जिनका उच्चारण छोटे समय में होता है, जैसे – अ, इ, उ
  2. दीर्घ स्वर: जिनका उच्चारण लंबे समय में होता है, जैसे – आ, ई, ऊ

व्यंजन का वर्गीकरण

व्यंजनों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

  1. स्पर्श व्यंजन: जिनका उच्चारण करते समय हवा किसी अंग से टकराती है, जैसे – क, प
  2. अंतःस्थ व्यंजन: जिनका उच्चारण करते समय जीभ का बीच का भाग मुंह की छत से टकराता है, जैसे – य, र
  3. ऊष्म व्यंजन: जिनका उच्चारण करते समय मुंह से गर्म हवा निकलती है, जैसे – श, ष, स, ह

स्वर और व्यंजन में अंतर

स्वर और व्यंजन में कई अंतर होते हैं जो उनकी ध्वनि और उच्चारण के आधार पर होते हैं।

स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है?

स्वर (Vowels)व्यंजन (Consonants)
स्वर स्वतंत्र रूप से उच्चारित होते हैं।व्यंजन स्वर के साथ मिलकर उच्चारित होते हैं।
स्वर की संख्या 13 होती है।व्यंजन की संख्या 33 होती है।
स्वर शब्द की शुरुआत, मध्य और अंत में आ सकते हैं।व्यंजन आमतौर पर स्वर के साथ मिलकर शब्द बनाते हैं।
स्वर का उच्चारण बिना किसी अवरोध के होता है।व्यंजन का उच्चारण करते समय मुख के किसी भाग से अवरोध उत्पन्न होता है।
उदाहरण: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अःउदाहरण: क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़

स्वर और व्यंजन की विशेषताएँ

स्वर की विशेषताएँ

स्वर की विशेषताएँ उसे अन्य ध्वनियों से अलग करती हैं। स्वरों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है और वे किसी भी शब्द का निर्माण करने में सहायक होते हैं।

ह्रस्व और दीर्घ स्वर

  • ह्रस्व स्वर: जिनका उच्चारण छोटे समय में होता है, जैसे – अ, इ, उ।
  • दीर्घ स्वर: जिनका उच्चारण लंबे समय में होता है, जैसे – आ, ई, ऊ।

व्यंजन की विशेषताएँ

व्यंजन की विशेषताएँ उसे स्वरों से अलग करती हैं। व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा को किसी न किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है।

स्पर्श व्यंजन और अंतःस्थ व्यंजन

  • स्पर्श व्यंजन: जिनका उच्चारण करते समय हवा किसी अंग से टकराती है, जैसे – क, प।
  • अंतःस्थ व्यंजन: जिनका उच्चारण करते समय जीभ का बीच का भाग मुंह की छत से टकराता है, जैसे – य, र।

उच्चारण का अभ्यास

सही उच्चारण के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है। उच्चारण के अभ्यास से भाषा की ध्वनि और लय को समझने में मदद मिलती है।

स्वरों का उच्चारण कैसे सुधारें

स्वरों का सही उच्चारण सीखने के लिए अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए कुछ विशेष तकनीकें और उपाय अपनाए जा सकते हैं।

उच्चारण सुधारने की तकनीकें

  1. ध्वनि की पहचान: अलग-अलग स्वरों की ध्वनियों की पहचान करें और उनकी विशिष्ट ध्वनियों को समझें।
  2. मिरर अभ्यास: आईने के सामने खड़े होकर स्वरों का उच्चारण करें। इससे आपके मुंह और जीभ की स्थिति का सही पता चलेगा।
  3. रिकॉर्डिंग और समीक्षा: अपने उच्चारण की रिकॉर्डिंग करें और उसे सुनकर सुधारें।

व्यंजनों का सही उच्चारण कैसे करें

व्यंजनों का सही उच्चारण भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि स्वरों का। सही उच्चारण से भाषा की स्पष्टता बढ़ती है।

व्यंजनों के उच्चारण की तकनीकें

  1. धीमा उच्चारण: प्रारंभ में व्यंजनों का उच्चारण धीरे-धीरे करें और हर ध्वनि पर ध्यान दें।
  2. शब्द निर्माण: व्यंजनों को स्वरों के साथ मिलाकर छोटे-छोटे शब्द बनाएं और उनका अभ्यास करें।
  3. ध्वनि मिलान: व्यंजनों की ध्वनियों को अंग्रेजी या अन्य भाषाओं की समान ध्वनियों से मिलाकर पहचानें।

स्वरों और व्यंजनों के अभ्यास के लाभ

  1. भाषा की स्पष्टता: सही उच्चारण से भाषा की स्पष्टता बढ़ती है।
  2. आत्मविश्वास में वृद्धि: सही उच्चारण से आत्मविश्वास बढ़ता है और भाषा बोलने में संकोच कम होता है।
  3. समझ और संप्रेषण में सुधार: सही उच्चारण से भाषा की समझ और संप्रेषण क्षमता में सुधार होता है।

भाषा शिक्षण में स्वर और व्यंजन का महत्व

भाषा शिक्षण में स्वर और व्यंजन का सही ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। यह भाषा के अन्य पहलुओं को समझने और सिखाने में सहायक होता है।

शिक्षण के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  1. ध्वनि पहचान: विद्यार्थियों को स्वरों और व्यंजनों की ध्वनियों की पहचान कराएं।
  2. उच्चारण अभ्यास: विद्यार्थियों को सही उच्चारण का अभ्यास कराएं।
  3. शब्द निर्माण: स्वरों और व्यंजनों का उपयोग कर नए शब्दों का निर्माण कराएं।

भाषा विकास में स्वर और व्यंजन का योगदान

भाषा विकास में स्वर और व्यंजन का महत्वपूर्ण योगदान है। यह भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों में सहायक होता है।

योगदान के प्रमुख पहलू

  1. ध्वनि संरचना: स्वरों और व्यंजनों की सही ध्वनि संरचना भाषा को समृद्ध बनाती है।
  2. शब्दावली विस्तार: सही उच्चारण से शब्दावली का विस्तार होता है।
  3. साहित्यिक उपयोग: साहित्य में स्वरों और व्यंजनों का सही उपयोग भाषा को आकर्षक बनाता है।

अंग्रेजी भाषा में स्वर और व्यंजन

स्वर और व्यंजन इंग्लिश में भी होते हैं। अंग्रेजी में पाँच स्वर (a, e, i, o, u) और इक्कीस व्यंजन होते हैं। स्वर और व्यंजन का उच्चारण और प्रयोग अंग्रेजी में भी महत्वपूर्ण होता है।

निष्कर्ष

इस ब्लॉग में हमने स्वर और व्यंजन किसे कहते हैं, स्वर और व्यंजन कितने होते हैं, स्वर और व्यंजन में अंतर, स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है और स्वर और व्यंजन इंग्लिश में कितने होते हैं, इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की है।

स्वर और व्यंजन हिंदी भाषा के मुख्य आधार हैं। इनके बिना भाषा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हिंदी वर्णमाला में स्वरों और व्यंजनों की उचित पहचान और सही उच्चारण भाषा की सुंदरता और स्पष्टता को बढ़ाता है। स्वर और व्यंजन की सही जानकारी से ही हम भाषा को सही ढंग से समझ और बोल सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

स्वर और व्यंजन कितने होते हैं?

हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 वर्ण होते हैं। इनमें 13 स्वर और 39 व्यञ्जन होते हैं।

13 हिंदी स्वर कौन से हैं?

हिंदी में 13 मूल स्वर होते हैं। ये हैं: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः

स्वर किसे कहते हैं इसके कितने भेद हैं?

स्वर, हिन्दी वर्णमाला के वे वर्ण हैं, जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है एवं जो व्यंजनों के उच्चारण में भी सहायक होते हैं। स्वरों के मुख्यतः दो भेद होते हैं:

• ह्रस्व स्वर: इन स्वरों का उच्चारण कम समय में होता है। जैसे: अ, इ, उ, ऋ, लृ।
• दीर्घ स्वर: इन स्वरों का उच्चारण ह्रस्व स्वरों की तुलना में अधिक समय में होता है। जैसे: आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

52 अक्षर कौन से हैं?

हिंदी भाषा में कुल 52 अक्षर हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़, है।

दीर्घ स्वर कितने होते हैं?

दीर्घ स्वर सात होते है- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

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