Quick Summary
त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) परियोजनाएं शहरों की यातायात समस्याओं को हल करने और लोगों को बेहतर परिवहन सुविधाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई रैपिड रेल प्रणाली है। भविष्य में इसके द्वारा यात्रा में लिया गया समय और रेल यात्रा करने का बहरीन अनुभव भारतीय रेल प्रणाली में विशेष रूप से बदलाव ला सकता है। ऐसे में, आपको त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) से जुड़ी सभी जानकारी होनी चाहिए।
इस ब्लॉग में आप दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम क्या है, आरआरटीएस के लाभ, मेट्रो और RRTS में अंतर, रैपिड रेल का इतिहास, नमो भारत ट्रेन रूट और त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) के भविष्य के बारे में जानेंगे।
रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सेवा के अंदर आने वाली दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम एक महत्वपूर्ण रैपिड रेल परियोजना है।
दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) एक तेज़ और सुविधाजनक ट्रांसपोर्ट प्रणाली है जिसे दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के बीच यात्रा को आसान बनाने के लिए विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना देश की पहली रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सेवा होगी, जो यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी।
इस परियोजना के तहत, लगभग 82.15 किलोमीटर लंबा ट्रैक बिछाया जाएगा, जिसमें कई स्टेशन होंगे। इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनें 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलेंगी, जिससे दिल्ली से मेरठ की दूरी मात्र 60 मिनट में तय हो सकेगी।
विशेषताएं | मेट्रो | RRTS |
दूरी | मेट्रो विशेष रूप से शहर के अंदर छोटी दूरी तय करने के लिए होते हैं। | RRTS खास रूप से शहर और आसपास के इलाकों के बीच लंबी दूरी को तय करने के लिए होते हैं। |
गति | मेट्रो की औसत गति 45 किमी/घंटा की है, वहीं इसकी अधिकतम गति 120 किमी/घंटा की है। | RRTS की औसत गति 160 किमी/घंटा है वहीं इसकी अधिकतम गति 180 किमी/घंटा है। |
स्टेशन | मेट्रो के स्टेशन छोटे और शहर के अंदर होते हैं। | RRTS स्टेशन बड़े होते हैं साथ ही शहर तथा शहर के आसपास के इलाकों में भी होते हैं। |
सुविधाएं | मेट्रो में यात्रियों को अधिक सुविधाएं नहीं दी जाती। | RRTS में यात्रियों को मेट्रो की तुलना में अधिक सुविधाएं मिलती है। |
किराया | मेट्रो का औसत किराया 2 रुपए/किमी से 5 रुपए/किमी है। | RRTS का किराया औसत 5.5 रुपए/किमी से 11 रुपए/किमी तक है। |
रैपिड रेल का विचार बहुत पुराना नहीं है। 20वीं सदी के मध्य में कुछ देशों ने शहरी क्षेत्रों में यातायात की भीड़भाड़ को कम करने के लिए तेज़ रेल सिस्टम विकसित करने की कोशिश शुरू की थी।
जापान को आधुनिक रैपिड रेल सिस्टम का जनक माना जाता है। उन्होंने 1964 में टोक्यो ओलंपिक के लिए बुलेट ट्रेन शुरू की थी। जापान के बाद कई अन्य देशों ने भी रैपिडरेल सिस्टम विकसित करना शुरू किया। चीन, दक्षिण कोरिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में आजकल कई रैपिड रेल सिस्टम चल रहे हैं।
भारत के भी कई शहरों में रैपिड रेल सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में रैपिड रेल परियोजनाएं चल रही हैं, दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम उन्हीं में से एक है।
दिल्ली को नजदीकी शहरों से जोड़ने के लिए क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सेवा योजना को 1990 के दशक के आखिर में भारतीय रेलवे द्वारा प्रस्तावित किया गया था। दिल्ली मेट्रो के विस्तार यानी 2006 के समय, रैपिड रेल योजना को दिल्ली मेट्रो के नजदीकी शहरों तक विस्तार के एक हिस्से के रूप में विचाराधीन किया गया। भारत सरकार ने बाद में 2013 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) का गठन किया ताकि आठ नियोजित त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) को शुरू किया जा सके।
दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के प्राथमिक कॉरिडोर का उद्घाटन 20 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था। वहीं, यात्रियों के लिए आंशिक रूप से रैपिडरेल यातायात 21 अक्टूबर 2023 से शुरू की गई। हालाकि, रैपिडरेल सेवा की शुरुआत अभी पूरी तरह से नहीं हुई है, लेकिन इसके निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) का उद्घाटन और सेवा पूरी तरह शुरू होने की संभावित वर्ष 2025 में निर्धारित की गई है।
नमो भारत, भारत की एक नई पीढ़ी की इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (EMU) ट्रेन है जिसे यात्रियों को आरामदायक और तेज गति से यात्रा का अनुभव देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नमो भारत की अधिकतम गति 180 किमी/घंटा है और इसे 160 किमी/घंटा की गति से चलाया जाता है। नमोभारत ट्रेन अपनी आधुनिक सुविधाओं, तेज रफ्तार और डिजाइन के लिए जानी जाती है। नमो भारत ट्रेनसेट को 20 अक्टूबर 2023 को दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) लाइन के उद्घाटन के बाद सेवा में लाया गया।
वर्तमान में, नमो भारत ट्रेन रूट साहिबाबाद से मोदी नगर उत्तर तक फैला हुआ है जो 34 किलोमीटर का रूट है। जल्द ही, नमोभारत ट्रेन रूट में 8 किलोमीटर की बढ़ोतरी की जानी है, जिससे नमो भारत ट्रेन रूट मेरठ साउथ स्टेशन तक जाएगी। इससे नमो भारत ट्रेन रूट 42 किलोमीटर लंबी हो जाएगी।
विशेषताएं:
नमो भारत ट्रेन, जिसे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के तहत चलाया जा रहा है, कई लाभ प्रदान करती है जिनमें सामिल हैं:
त्वरित परिवहन यानी रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों में काफी विकास हुआ है। भारत में कई शहरों में रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरटीएस) परियोजनाएं तेजी से चल रही हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य शहरों में यात्रा को अधिक तेज़, आरामदायक और कुशल बनाना है।
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त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) के कई लाभ हैं जो रेल यातायात के अनुभव को और बेहतर बना सकता है साथ ही इसको लेकर कई चुनौतियाँ भी हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है।
त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) एक आधुनिक और तेज़ परिवहन प्रणाली है, जो शहरों और उनके आसपास के क्षेत्रों को जोड़ने का काम करती है। इसके लाभों में तेज़ यात्रा, सुविधाजनक यात्रा, पर्यावरण लाभ, समय की बचत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भीड़ की कमी होना सामिल हैं।
त्वरित परिवहन प्रणाली (आरआरटीएस), जिसे क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम भी कहा जाता है, भारत में शहरी परिवहन का भविष्य माना जा रहा है। भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) का विस्तार देखने को मिल सकता है, तकनीकी विकास हो सकता है साथ ही ये पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभकारी हो सकता है।
योजना सुचारू रूप से चलने पर आने वाले समय में भारत के कई अन्य शहरों में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। जिससे अधिक शहरों में इस परियोजना का विस्तार होगा। अधिक लोग त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) का लाभ उठा पाएंगे जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रो में भीड़-भाड़ की समस्या कम होगी। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है की भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) प्रणाली भारतीय रेल को एक अलग दिशा में लेकर जायेगी और वर्तमान रेल प्रणाली को बदलेगी।
भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) में तकनीकी उन्नति से यात्रा और भी तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक होगी। स्वचालित ट्रेन नियंत्रण, उच्च गति वाले इलेक्ट्रिक इंजन, और उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, स्मार्ट टिकटिंग सिस्टम और रीयल-टाइम ट्रैकिंग से यात्रा अनुभव में सुधार होगा। ये तकनीकी प्रगति आरआरटीएस को अधिक प्रभावी बनाएंगी।
भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इलेक्ट्रिक ट्रेनों के उपयोग से प्रदूषण कम होगा, जिससे हवा की गुणवत्ता सुधरेगी। इसके अलावा, सड़कों पर वाहनों की संख्या घटने से ट्रैफिक जाम और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। हरी पट्टियाँ और ऊर्जा-संवर्धन तकनीकों का उपयोग करके आरआरटीएस पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा। यह परिवहन प्रणाली भविष्य में न केवल यात्रा को तेज और आरामदायक बनाएगी, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगी।
त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) आने वाले समय में हमारे यात्रा के अनुभव को पूरी तरह से बदलने वाला है। इसकी तेज गति, आधुनिक सुविधाएँ और पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन न केवल यात्रा को अधिक सुविधाजनक बनाएंगे, बल्कि हमारे शहरों को भी अधिक जुड़ा हुआ और विकसित बनाएंगी।
जैसे-जैसे हम भविष्य की ओर बढ़ते हैं, त्वरित परिवहन प्रणाली हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाएगी। इसके माध्यम से हम न केवल समय की बचत करेंगे बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित रख सकेंगे।
RRTS सार्वजनिक परिवहन का एक नया तरीका है जिसे विशेष रूप से NCR के लिये डिज़ाइन किया गया है। दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर RRTS एक रेल-आधारित, अर्द्ध-उच्च गति, उच्च आवृत्ति वाली कम्यूटर ट्रांज़िट प्रणाली है। दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की कुल लंबाई 82 किलोमीटर है, जिसमें 22 स्टेशन हैं।
180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति के साथ, आरआरटीएस एक परिवर्तनकारी, क्षेत्रीय विकास पहल है, जिसे हर 15 मिनट में अंतर-शहर आवागमन के लिए हाई-स्पीड ट्रेनें उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आवश्यकतानुसार हर 5 मिनट की आवृत्ति तक जा सकती है।
दिल्ली-मेरठ: यह भारत का पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है।
दिल्ली-आगरा: यह कॉरिडोर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को आगरा से जोड़ेगा।
दिल्ली-अलवर: यह कॉरिडोर दिल्ली को राजस्थान के अलवर से जोड़ेगा।
मुंबई-अहमदाबाद: यह कॉरिडोर मुंबई और अहमदाबाद के बीच एक उच्च गति वाला रेल कनेक्शन प्रदान करेगा।
चेन्नई-बेंगलुरु: यह कॉरिडोर दक्षिण भारत के दो प्रमुख शहरों को जोड़ेगा।
वर्तमान में भारत भर के सत्रह शहरों में 17 परिचालन रैपिड ट्रांजिट (आधिकारिक और लोकप्रिय रूप से ‘मेट्रो’ के रूप में जाना जाता है) प्रणालियाँ हैं, जिनमें दिल्ली मेट्रो सबसे बड़ी है। जुलाई 2024 तक, भारत में 17 शहरों में 945 किलोमीटर (587 मील) परिचालन मेट्रो लाइनें हैं।
भारत की पहली रैपिडएक्स ट्रेन ‘नमो भारत (NaMo Bharat)’ के नाम से जानी जाती है।
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