Quick Summary
कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर की कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होती है। कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती चरणों में पहचान में नहीं आते, जिससे इसका निदान और कैंसर का इलाज कठिन हो जाता है। कैंसर के कुछ सामान्य लक्षणों में अचानक वजन कम होना, अत्यधिक थकान, त्वचा पर गांठ या मस्से का होना, और लगातार खांसी या गले में खराश शामिल हैं। इसके अलावा, पेशाब या मल में रक्त आना, पेट में दर्द या सूजन, और भूख में कमी भी कैंसर के संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों की पहचान और समय पर चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है, ताकि कैंसर का प्रारंभिक चरण में ही निदान और कैंसर का इलाज किया जा सके।
कर्क रोग या कैंसर शरीर के भागों के असंतुलन होने से होती है। सेल्स का इस तरह का असंतुलनीय विकास नॉर्मल सेल्स को खत्म कर देता है। जो शरीर के कार्यों को अस्त-व्यस्त कर देती है। कैंसर के बहुत से प्रकार होते है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जिनमें शामिल है फेफड़े, मस्तिष्क, मानव प्रणाली, पेट, पेट की अंगभंग, स्तन और अन्य अंग ।
कर्क रोग या कैंसर में शरीर के सेल्स अनियमित रूप से पैदा होने लगते हैं और अनियंत्रित तरीके से बढ़ते रहते हैं। लम्बे समय तक यह बीमारी बनी रही और उपचार ना किये जाये तो यह बढ़ भी सकती है जिससे किसी तरह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कैंसर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। लेकिन कुछ मुख्य लक्षण हैं जिसमें महिलाओं में कैंसर के लक्षण भी शामिल है। कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत इस प्रकार है।
यहां बताये गए कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत को अनदेखा न करें और कोई भी गंभीर लक्षण दिखे तो चिकित्सक से सलाह ले। महिलाओं में कैंसर के लक्षण दिखाई दे तो उसे बिल्कुल नजरअंदाज ना करें। यह सेहत के लिए बहुत जोखिम भरा हो सकता है।
कैंसर का इलाज करने के लिए विभिन्न प्रकार की थेरेपीज़ उपलब्ध हैं। यह थेरेपीज़ रोग के प्रकार, स्थिति और चिकित्सा इतिहास पर निर्भर करती है। यहां कुछ मुख्य कैंसर का इलाज दिए गए हैं:
सर्जरी | कीमोथेरेपी | रेडियोथेरेपी | इम्यूनोथेरपी |
इसमें कैंसर के प्रभावित क्षेत्र को हटा दिया जाता है। | रेडिएशन ऊर्जा का उपयोग करके कैंसर को नष्ट किया जाता है। | इम्यून सिस्टम को मजबूत करके कैंसर को कमजोर करना। | यह इलाज दवाओं का उपयोग कर कैंसर को रोकता है। |
आइये इसे विस्तार से समझते हैं :
कर्क रोग (कैंसर) का पहला इलाज आमतौर पर सर्जरी होता है। इस प्रक्रिया में शरीर के उस हिस्से को हटा दिया जाता है, जो कैंसर से प्रभावित है। सर्जरी का उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को हटा देना है। अगर कैंसर शुरुआती अवस्था में है और किसी एक अंग तक सीमित है, तो सर्जरी प्रभावी हो सकती है। सर्जरी के बाद कभी-कभी कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की जरूरत होती है ताकि कैंसर की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
कीमोथेरेपी में रोगी को दवाइयाँ दी जाती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने या उनका विस्तार रोकने में मदद करती हैं। ये दवाइयाँ रक्त के जरिए शरीर के हर हिस्से में पहुंचती हैं। कीमोथेरेपी का उपयोग ट्यूमर को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे उल्टी, बालों का झड़ना, और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता।
रेडियोथेरेपी में उच्च ऊर्जा वाले विकिरण का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह सर्जरी के बाद कैंसर की पुनरावृत्ति रोकने या पहले ट्यूमर को छोटा करने के लिए किया जा सकता है। रेडियोथेरेपी स्थानीय रूप से काम करती है, जिससे शरीर के बाकी हिस्सों को कम नुकसान होता है। उपचार के बाद रोगी को थकान और त्वचा पर बदलाव हो सकते हैं।
इम्यूनोथेरपी में रोगी की इम्यून सिस्टम को सशक्त किया जाता है ताकि वह कैंसर की कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट कर सके। इस उपचार में इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करने वाली दवाइयाँ दी जाती हैं। इम्यूनोथेरपी कुछ कैंसर जैसे मेलानोमा और फेफड़ों के कैंसर में प्रभावी है। इसके साइड इफेक्ट्स में सूजन, त्वचा पर बदलाव, और इम्यून सिस्टम के अधिक सक्रिय होने से समस्याएं हो सकती हैं।
आयुर्वेद में कई तरह के रोगों के इलाज में विभिन्न प्रकार की औषधि, प्राकृतिक उपचार और आहार शामिल है। कर्क रोग आयुर्वेद से ठीक किया जा सकता है। कैंसर बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर आप शुरुआत में ही आयुर्वेद उपचार की मदद ले सकते हैं। कर्क रोग का उपचार करने के लिए आयुर्वेद में अश्वगंधा, तुलसी और हल्दी के उपयोग की बात की गई है। ये तीनों आयुर्वेदिक औषधि के रूप में काम करती हैं और कैंसर का इलाज में भी उपयोगी मानी गई हैं।
शोध भी अश्वगंधा को कैंसर का इलाज करने में उपयोगी बताते हैं। यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी शारीरिक और मानसिक स्थितियों को सुधारने में बहुत कारगर है। इसमें एंटीकैंसर गुण होते हैं। जिसके कारण यह कैंसर से लड़ने में मददगार होती है। रक्त संचार को बूस्ट करके कैंसर को मारने वाली कोशिकाओं पर प्रतिक्रिया को बढ़ाती है।
तुलसी को भारत में पूजा जाता है। यह भारतीय जड़ी-बूटी में सबसे महत्वपूर्ण है। कर्क रोग आयुर्वेद की इस सबसे ख़ास जड़ी बूटी से खत्म किया जा सकता है। तुलसी में एंटीऑक्सिडेंट्स गुण होते हैं। तुलसी में मौजूद एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीकैंसर गुण कैंसर को ठीक करने में सहायक है।
हल्दी में क्यूमिन नामक एक कन्पाउंड होता है जो एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरीयल गुणों से भरपूर होता है। इन गुणों के कारण हल्दी को कई प्रकार के कर्क रोग का उपचार करने में उपयोगी माना जाता है।
कर्क रोग आयुर्वेद के उपचारों को करने से पहले एक विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद आवश्यक है।
कर्क (Cancer) के विभिन्न रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं जो इसे विकसित होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। यहां कुछ सामान्य रिस्क फैक्टर्स दिए गए हैं:
कर्क रोग क्यों होता है?
नियमित रूप से जांच करवाने, समय पर पता लगाने और जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करके कैंसर के विकास के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है।
कैंसर बीमारी के लक्षण महसूस होने पर ही उसकी रोकथाम कर लेनी चाहिए नहीं तो यह शरीर में फैलकर मृत्यु का कारण बन सकता है। कर्क रोग की रोकथाम के मुख्य उपाय हैं जो इस प्रकार हो सकते हैं:
कर्क रोग का इलाज बहुत महंगा इलाज है जो हर व्यक्ति और परिवार के बस की बात नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ योजनाओं की शुरुआत की है जिसका लाभ लेकर गरीब परिवार के सदस्य इलाज करा सकते हैं इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:
1. आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)
PM-JAY इस योजना को उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनकी आय कम है। जिसमें आते हैं वंचित ग्रामीण परिवार, गरीब और निर्दिष्ट व्यवसायों के शहरी श्रमिक परिवार। माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रत्येक परिवार को हर साल 5 लाख रुपये तक का इसमें लाभ दिया जाता है। अस्पताल में निर्धारित आईडी जमा करवाना होती है।
2. स्वास्थ्य मंत्री का विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी)
कैंसर का इलाज का खर्चा उठाने के लिए सरकारी अस्पतालों में 1,25,000 रुपये और उससे कम पारिवारिक वार्षिक आय वाले मरीजों को एचएमडीजी योजना में 75,000 से 1,25,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है।
3. कैंसर रोगियों को हवाई यात्रा के लिए रियायत
यह योजना एयर इंडिया द्वारा उन व्यक्तियों के लिए बनाई गई है जो भारत के निवासी हैं और कैंसर से पीड़ित हैं। जो चिकित्सा जांच/उपचार करवाने के यात्रा लिए कर रहे हैं। इस योजना के तहत इकोनॉमी किराये पर 50% की छूट लागू होगी।
ऐसे बहुत से संगठन है जो कैंसर से निपटने के उद्देश्य से कई योजनाएं चलाते हैं। जिससे कर्क रोग का इलाज करने के लिए उन मरीजों को मदद मिलती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है। यह संगठन इस प्रकार है:
कर्क रोग के साथ जीना जरूर कठिन हो सकता है, लेकिन इससे पीड़ित व्यक्तियों को इसे सकारात्मक और प्रेरणादायक तरीके से देखना चाहिए।
कर्क रोग पर रिसर्च करना जरुरी है क्योंकि इससे उसका रोकथाम करने, बिमारियों का पता लगाने, जांच करने में मदद मिलती है। जितना इसके बारे में रिसर्च करेंगे उतना ही कर्क रोग से निपटने और कर्क रोग का उपचार करने में आसानी होगी।
विदेशों में कैंसर रिसर्च का मुख्य उद्देश्य है कैंसर की उत्पत्ति, उसके लक्षणों की समझ और नए उपचार को विकसित करना। विदेशों में ये सभी क्षेत्र एक समृद्ध और गहराई से अध्ययन कर रहे हैं ताकि नए और प्रभावी उपचार कैंसर के खिलाफ उपलब्ध किए जा सकें।
यहां कुछ विदेशों के रिसर्च संस्थान हैं जो कैंसर रिसर्च में काम कर रहे हैं:
भारत में कैंसर पर विभिन्न रिसर्च और अध्ययन चल रहे हैं जो कैंसर के प्रकोप को समझने और इसके इलाज में सुधार करने के उद्देश्य से किये जाते हैं। यह संस्थान भारत में कैंसर रिसर्च में नवाचार और उपचार के विकास पर गहरा ध्यान देते है।
यहां कुछ प्रमुख भारतीय कैंसर रिसर्च संस्थान हैं:
कर्क रोग विशेषकर कैंसर को कहते हैं। कैंसर त्वचा, फेफड़ों, मस्तिष्क, प्रोस्टेट, स्तन आदि जैसे अंगों में होता है। कर्क रोग बहुत से कारणों से होता है जैसे: आयु, वातावरणीय कारक, आहार और आदतें, रसायनों और इंफेक्शन के कारण। कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत सबसे मुख्य है। जिसे समय पर पहचान लेना बहुत जरुरी है। इसके इलाज की विधियों में सिर्जरी, रेडिएशन, और दवाओं का उपयोग होता है। आज के इस ब्लॉग में आपने जाना कर्क रोग क्या होता है, कर्क रोग का इलाज, कर्क रोग क्यों होता है आदि।
हाँ, अचानक और अनजाने में वजन घटना कैंसर का एक संभावित संकेत हो सकता है।
बायोप्सी, सीटी स्कैन, और एमआरआई जैसे टेस्ट कैंसर के लक्षणों की पहचान में मदद करते हैं।
इलाज के बाद भी कुछ लक्षण बने रह सकते हैं, लेकिन उनका प्रबंधन और राहत संभव हो सकती है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों में असामान्य योनि रक्तस्राव, दर्द, और योनि स्राव शामिल हो सकते हैं। इसका उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी, और रेडियोथेरेपी से किया जाता है, जो कैंसर की स्टेज और अवस्था पर निर्भर करता है।
फाइब्रॉएड कैंसर के लक्षणों में सामान्यतः पेट में दर्द, गांठें, और अत्यधिक मासिक धर्म स्राव शामिल हो सकते हैं।
ऐसे और आर्टिकल्स पड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करे
adhik sambandhit lekh padhane ke lie
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.
© 2024 Chegg Inc. All rights reserved.