Quick Summary
हिंदी भाषा की समृद्धि और सुंदरता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं मुहावरे। ये छोटे-छोटे वाक्यांश होते हैं जो अपने शाब्दिक अर्थ से भिन्न, विशेष अर्थ प्रकट करते हैं। मुहावरों का प्रयोग भाषा को अधिक प्रभावशाली, रोचक और जीवंत बनाता है। उदाहरण के लिए, “नाच न जाने आँगन टेढ़ा” का अर्थ है अपनी कमी को छुपाने के लिए बहाना बनाना। मुहावरों का सही प्रयोग वार्तालाप में हास्य, व्यंग्य, प्रेम, क्रोध आदि भावों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में मदद करता है। इस लेख में हम हिंदी के कुछ प्रमुख मुहावरों के अर्थ और उनके प्रयोग को समझेंगे, जिससे आपकी भाषा और भी समृद्ध और प्रभावशाली बन सके।
हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ, ये दोनों ही, हिंदी भाषा में, कही जा रही बात का सौंदर्य बढ़ाने के लिए प्रयोग किये जाते हैं, लेकिन हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ में अंतर् होता है, क्योंकि मुहावरे जहां अपने शब्दों से लग अर्थ प्रकट करते है, लोकोक्तियाँ अपने शब्द जैसा ही अर्थ प्रकट करती है| इसके अलावा मुहावरें पूरे वाक्य के साथ ही प्रयोग किये जा सकते हैं लेकिन लोकोक्तियों के साथ ऐसा नहीं है|
मुहावरे वे शब्द समूह होते हैं जो अपने वास्तविक अर्थ से अलग किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं। यह एक ऐसा वाक्यांश होता है जिसका अर्थ उसके शब्दों के संयोग से नहीं निकाला जा सकता, बल्कि उसका एक विशेष सांकेतिक अर्थ होता है। जैसे, “नौ दो ग्यारह होना” का अर्थ अगर हम शब्दों के अनुसार देखे तो “घड़ी में ग्यारह बजने की ओर इशारा करता है, लेकिन इस मुहावरें का वास्तविक अर्थ होता है, “भाग जाना”।
लोकोक्तियाँ वे कथन होते हैं जो समय के साथ लोक जीवन यानि सामान्य जन-मानस में प्रचलित हो गए हैं और किसी जीवन-प्रसंग, अनुभव या सत्य को संक्षेप में और प्रभावी ढंग से प्रकट करते हैं। यह एक प्रकार की सूक्ति होती है जो किसी अनुभव या शिक्षा को व्यक्त करती है। जैसे, “साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे” का अर्थ है “दोनों तरफ का लाभ होना”। लोकोक्ति को सामान्य बोलचाल में कहावत भी कहा जाता है और इसका मतलब है, जो बात पहले से ही कही जा रही हो|
हिंदी मुहावरे और कहावतें, देखने में ये दोनों ही एक जैसे ही लगते हैं, लेकिन अर्थ की दृष्टि से दोनों में बहुत बड़ा भेद होता है, आइये जानते हैं हिंदी मुहावरे और कहावतें में अंतर् –
विशेषता | मुहावरे | लोकोक्ति |
उत्पत्ति | कवि, कथावचक द्वारा बनाए जाते | जनसाधारण लोगों द्वारा प्रचलित होती हैं। |
भाषा | भाषा को सुन्दर बनाने के लिए प्रयोग होते हैं | जीवन की सत्यता को समझाने में मदद करती हैं। |
सम्प्रदायिकता | विशेष भाषा और शैली के प्रतीक होते हैं। | प्राकृतिक रूप से पैदा होती हैं। |
उत्पत्ति | विद्वान और शिक्षित लोगों के बीच प्रचलित होते हैं। | सामान्य जनता के बीच प्रचलित होती हैं। |
प्रयोग | साहित्य में, चर्चा में और व्यक्तिगत भाषा में प्रयोग होते हैं। | व्यावहारिक और दैनिक जीवन में प्रयोग होती हैं। |
प्रयोग | साहित्य में, चर्चा में और व्यक्तिगत भाषा में प्रयोग होते हैं। | व्यावहारिक और दैनिक जीवन में प्रयोग होती हैं। |
उदाहरण | अपना पानी भरना, अंधों में काना राजा” | जल में रहकर मगर से बैर ठीक नहीं “हरियाली देखकर भूल जाना भूक” |
यहां हम कुछ मुहावरे का अर्थ हिंदी में समझने की कोशिश करेंगे और देखेंगे कि हिंदी मुहावरें और अर्थ, किसी वाक्य में किस तरह प्रयोग होता है-
रोजमर्रा की जिंदगी में हम जिन मुहावरों का उपयोग करते हैं, वे हमारी भाषा को रोचक और सजीव बनाते हैं। जैसे:
पारंपरिक मुहावरे वे होते हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहे हैं और जिनका उपयोग साहित्य और बोलचाल दोनों में होता है। जैसे:
हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग लेखन और सामान्य बोलचाल, दोनों में ही किया जाता है| ये मुहावरे गागर में सागर भरने और भाषा को सुन्दर और विशेष अर्थ देने के लिए प्रयोग किये जाते हैं| लेखन में मुहावरों का सबसे ज़्यादा उपयोग कवि और साहित्यकार करते हैं क्योंकि उनको अपने लेखन में शब्दों से ही चमत्कार करना होता है|
लेखन में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुन्दर, जीवंत और प्रभावी बनाता है। एक लेखक जब मुहावरों का उपयोग करता है, तो उसके वाक्यांशों में एक विशेष प्रकार की रंगत आ जाती है। यह पाठक को आकर्षित करता है और उनके मन में गहरी छाप छोड़ता है। जैसे, “उसने अपने सारे दुःख दर्द के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और ‘हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा’ बल्कि उसने मेहनत की और सफल हुआ।”
मुहावरों का इतिहास की तलाश करने का मतलब है, खेत में सुई तलाश करना| क्योंकि किसी मुहावरें की उत्पत्ति कहा हुई और सबसे पहले कहा उपयोग हुआ, ये कह पाना मुश्किल होता है|
मुहावरा शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा से हुई है और इसका अर्थ होता है, बातचीत करना या उत्तर देना।
मुहावरों की उत्पत्ति और विकास का एक लंबा इतिहास है। ये किसी विशेष घटना, कथा, या जनसामान्य के अनुभवों पर आधारित होते हैं। समय के साथ, ये मुहावरे लोक जीवन में इस तरह समा गए हैं कि इनके बिना संवाद की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मुहावरों का विकास समाज के बदलते स्वरूप, भाषा के परिवर्तन और लोगों के जीवन के अनुभवों के साथ-साथ हुआ है।
हिंदी में मुहावरे और इनका अर्थ, भाषा को और भी सुन्दर बना देते हैं| कुछ मुहावरे और उनका अर्थ हिंदी में नीचे दिए गए हैं-
हिंदी मुहावरे और कहावतें हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को बड़े ही रोचक और संक्षिप्त तरीके से प्रकट करते हैं। जैसे:
लोकोक्तियाँ | अर्थ |
समय ही पैसा है | समय का सही उपयोग ही असली संपत्ति है |
जैसा बोओगे वैसा काटोगे | कर्मों का फल मिलता है |
आप भले तो जग भला | अपने भले के लिए सबसे अच्छा बनो |
नेकी कर दरिया में डाल | भलाई करो और भूल जाओ |
बूंद बूंद से घड़ा भरता है | छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ी सफलता |
अधजल गगरी छलकत जाए | अल्पज्ञ व्यक्ति अधिक दिखावा करते हैं |
अंधे के हाथ बटेर लगना | किस्मत से अचानक लाभ होना |
घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध | घर में कोई महत्त्व नहीं, बाहर पूज्य |
सौ सुनार की, एक लोहार की | बड़े परिश्रम से एक निर्णायक कार्य |
हंस की चाल चलना | अपने कार्य को छोड़कर दूसरों का अनुकरण करना |
मुहावरा | अर्थ |
अंधे की लकड़ी | एकमात्र सहारा |
आँखों का तारा | बहुत प्यारा |
बात का बतंगड़ बनाना | छोटी सी बात को बढ़ाना |
आ बैल मुझे मार | खुद मुसीबत मोल लेना |
ऊँट के मुँह में जीरा | आवश्यकता से बहुत कम |
एक और एक ग्यारह होना | मिलकर ताकत बढ़ाना |
ईद का चाँद होना | बहुत कम नजर आना |
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे | दोषी का निर्दोष पर आरोप लगाना |
ऊँची दुकान फीका पकवान | दिखावा अधिक, वस्तु घटिया |
उंगली पर नचाना | वश में करना |
ओखली में सिर देना | जानबूझकर मुसीबत मोल लेना |
काले अक्षर भैंस बराबर | निरक्षर होना |
कुएँ में भांग पड़ना | सभी का एक जैसा व्यवहार होना |
गागर में सागर | संक्षेप में बहुत कुछ कहना |
गले का हार होना | अत्यंत प्रिय होना |
घर का भेदी लंका ढाए | अपने ही अपनों को नुकसान पहुँचाना |
घाव पर नमक छिड़कना | चोट पर और चोट देना |
चादर देखकर पैर पसारना | सामर्थ्यानुसार काम करना |
चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात | थोड़े समय की खुशी |
चिराग तले अंधेरा | निकट की वस्तु का ज्ञान न होना |
छोटा मुँह बड़ी बात | सामर्थ्य से अधिक कहना |
छाती पर मूँग दलना | जानबूझकर कष्ट देना |
जान में जान आना | कठिनाई दूर होने पर राहत मिलना |
जितने मुँह उतनी बातें | प्रत्येक की अलग राय होना |
जी का जंजाल | मुसीबत |
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं | जो दिखावा करते हैं, वे कर्म नहीं करते |
टेढ़ी खीर होना | कठिन काम |
ठगा सा रह जाना | आश्चर्यचकित रह जाना |
ढाक के तीन पात | स्थिति यथावत रहना |
दोनों हाथों में लड्डू | दोहरी लाभ की स्थिति |
नाच न जाने आँगन टेढ़ा | अपनी कमी का दोष दूसरों पर मढ़ना |
नाम बड़े दर्शन छोटे | नाम के अनुरूप कार्य न होना |
नौ दो ग्यारह होना | भाग जाना |
पंचों की राय सर माथे | सबकी राय स्वीकार करना |
पलकों पर बिठाना | अत्यधिक स्नेह देना |
प्यार अंधा होता है | प्रेम में सही-गलत का ज्ञान न होना |
फिरकी लेना | चकमा देना |
फूटी आँख न सुहाना | बिलकुल पसंद न होना |
बड़ा बोल बड़ाई नहीं | आत्मप्रशंसा से बड़ाई नहीं होती |
बड़ों के मुँह लगना | बड़ों से झगड़ा करना |
बगुला भगत | कपटी |
मनचला | उन्मुक्त |
मुँह मीठा करना | खुशी मनाना |
यथा राजा तथा प्रजा | जैसा नेता वैसी जनता |
रंग में भंग पड़ना | आनंद में बाधा |
राम राम जपना पराया माल अपना | दिखावे का भक्ति करना और दूसरों का माल हड़पना |
लंगूर के हाथ में अंगूर | अयोग्य के पास मूल्यवान वस्तु होना |
लंबी-चौड़ी छोड़ना | डींगें हाँकना |
लोहा मानना | श्रेष्ठता स्वीकार करना |
संसार चक्र | दुनिया का चलन |
निष्कर्षतः, हिंदी मुहावरे हमारी भाषा की धरोहर हैं जो न केवल हमारे संवाद को अधिक प्रभावशाली और रोचक बनाते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को भी संजोए रखते हैं। इन मुहावरों का सही और सटीक प्रयोग हमारी भाषा को जीवंतता और गहराई प्रदान करता है। जब हम इनका प्रयोग करते हैं, तो हम न केवल अपनी बात को प्रभावी ढंग से व्यक्त कर पाते हैं, बल्कि श्रोताओं और पाठकों के मन में भी एक गहरी छाप छोड़ते हैं। इसलिए, हिंदी मुहावरों का अध्ययन और उनका सही प्रयोग हमारी भाषा की समृद्धि को और भी बढ़ाता है। आइए, हम सभी मिलकर इस धरोहर को संजोएं और अपनी भाषा को और भी समृद्ध और प्रभावशाली बनाएं।
हिंदी मुहावरे सीखने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और ऐप्स जैसे Duolingo, HelloTalk, और विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हिंदी लर्निंग ऐप्स उपयोगी हो सकते हैं।
“हिंदी मुहावरे और उनके अर्थ” और “हिंदी मुहावरे: परिचय और प्रयोग” जैसी किताबें हिंदी मुहावरे को समझने में मदद कर सकती हैं।
शाब्दिक अर्थ मुहावरे के शब्दों का सामान्य और सीधे अर्थ होता है।
प्रायोगिक अर्थ उस संदर्भ में होता है जिसमें मुहावरा प्रयोग किया जा रहा है, और यह आमतौर पर शाब्दिक अर्थ से भिन्न होता है।
हाँ, मुहावरे के माध्यम से किसी समाज के मूल्यों, मान्यताओं और जीवनशैली को समझा जा सकता है। वे समाज की सोच और सांस्कृतिक धरोहर को व्यक्त करते हैं।
यह मुहावरा दर्शाता है कि जब कोई व्यक्ति अपनी स्थिति ठीक से नहीं देख पाता, तो वह सब चीजों को एक जैसी मान लेता है।
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