Quick Summary
बारहखड़ी हिंदी भाषा के अक्षरों का वह समूह है जिसमें स्वर और व्यंजन का मेल होता है। क से ज्ञ तक बारहखड़ी अक्षर के ज्ञान, बच्चों की शिक्षा का दूसरा महत्वपूर्ण कदम होता है। आपको बता दें क से ज्ञ तक बारहखड़ी, हिंदी भाषा को सिखाने का आसान तरीका है। बारहखड़ी के माध्यम से बच्चे हिंदी के अक्षरों और उनके सही उच्चारण को सीखते हैं। इस ब्लॉग में हम बारहखड़ी क से ज्ञ तक , बारहखड़ी चार्ट और बारहखड़ी का अर्थ समझेंगे।
बारहखड़ी चार्ट से पहले पहले समझेंगे कि बारहखड़ी किसे कहते हैं। बारहखड़ी का अर्थ होता हैं, स्वर जैसे -(क, ख, ग) को व्यंजन, जैसे -(अ, आ, इ, ई) से जोड़कर बनाया गया एक ऐसा चार्ट होती है, जिसमें हर व्यंजन को 12 स्वरों के साथ जोड़ा जाता है, जिससे ध्वनियाँ बनती हैं। इसका नाम ‘बारहखड़ी’ इसलिए पड़ा क्योंकि हर व्यंजन को 12 स्वरों के साथ जोड़ा जाता है, जिससे कुल मिलाकर 432 ध्वनियाँ बनती हैं।
उदाहरण –
क+अ = क
क + आ = का
क+इ = कि
क+ई = की
स्वर और व्यंजनो को जोड़कर बनाया गया एक ऐसा चार्ट, जिसने हर व्यंजन को 12 स्वरों को जोड़ा जाता है, बारहखड़ी चार्ट कहलाता है। इस चार्ट में क से लेकर ज्ञ तक स्वर और अ से लेकर अः तक के व्यंजन लिखे होते हैं। छोटे बच्चों को मात्रा का ज्ञान, बारहखड़ी चार्ट से ही करवाया जाता है।
अब हम बारहखड़ी क से ज्ञ तक चार्ट देखेंगे। इस चार्ट में बारहखड़ी क से ज्ञ तक इस तरह लिखी है कि हर एक स्वर, सभी 12 स्वर के साथ मिलकर एक नई ध्वनि देता है:
स्वर | अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ए | ऐ | ओ | औ | अं | अः |
क | क | का | कि | की | कु | कू | कृ | के | कै | को | कौ | कं | कः |
ख | ख | खा | खि | खी | खु | खू | खृ | खे | खै | खो | खौ | खं | खः |
ग | ग | गा | गि | गी | गु | गू | गृ | गे | गै | गो | गौ | गं | गः |
घ | घ | घा | घि | घी | घु | घू | घृ | घे | घै | घो | घौ | घं | घः |
ङ | ङ | ङा | ङि | ङी | ङु | ङू | ङृ | ङे | ङै | ङो | ङौ | ङं | ङः |
च | च | चा | चि | ची | चु | चू | चृ | चे | चै | चो | चौ | चं | चः |
छ | छ | छा | छि | छी | छु | छू | छृ | छे | छै | छो | छौ | छं | छः |
ज | ज | जा | जि | जी | जु | जू | जृ | जे | जै | जो | जौ | जं | जः |
झ | झ | झा | झि | झी | झु | झू | झृ | झे | झै | झो | झौ | झं | झः |
ञ | ञ | ञा | ञि | ञी | ञु | ञू | ञृ | ञे | ञै | ञो | ञौ | ञं | ञः |
ट | ट | टा | टि | टी | टु | टू | टृ | टे | टै | टो | टौ | टं | टः |
ठ | ठ | ठा | ठि | ठी | ठु | ठू | ठृ | ठे | ठै | ठो | ठौ | ठं | ठः |
ड | ड | डा | डि | डी | डु | डू | डृ | डे | डै | डो | डौ | डं | डः |
ढ | ढ | ढा | ढि | ढी | ढु | ढू | ढृ | ढे | ढै | ढो | ढौ | ढं | ढः |
ण | ण | णा | णि | णी | णु | णू | णृ | णे | णै | णो | णौ | णं | णः |
त | त | ता | ति | ती | तु | तू | तृ | ते | तै | तो | तौ | तं | तः |
थ | थ | था | थि | थी | थु | थू | थृ | थे | थै | थो | थौ | थं | थः |
द | द | दा | दि | दी | दु | दू | दृ | दे | दै | दो | दौ | दं | दः |
ध | ध | धा | धि | धी | धु | धू | धृ | धे | धै | धो | धौ | धं | धः |
न | न | ना | नि | नी | नु | नू | नृ | ने | नै | नो | नौ | नं | नः |
प | प | पा | पि | पी | पु | पू | पृ | पे | पै | पो | पौ | पं | पः |
फ | फ | फा | फि | फी | फु | फू | फृ | फे | फै | फो | फौ | फं | फः |
ब | ब | बा | बि | बी | बु | बू | बृ | बे | बै | बो | बौ | बं | बः |
भ | भ | भा | भि | भी | भु | भू | भृ | भे | भै | भो | भौ | भं | भः |
म | म | मा | मि | मी | मु | मू | मृ | मे | मै | मो | मौ | मं | मः |
य | य | या | यि | यी | यु | यू | यृ | ये | यै | यो | यौ | यं | यः |
र | र | रा | रि | री | रु | रू | ऋ | रे | रै | रो | रौ | रं | रः |
ल | ल | ला | लि | ली | लु | लू | लृ | ले | लै | लो | लौ | लं | लः |
व | व | वा | वि | वी | वु | वू | वृ | वे | वै | वो | वौ | वं | वः |
श | श | शा | शि | शी | शु | शू | शृ | शे | शै | शो | शौ | शं | शः |
ष | ष | षा | षि | षी | षु | षू | षृ | षे | षै | षो | षौ | षं | षः |
स | स | सा | सि | सी | सु | सू | सृ | से | सै | सो | सौ | सं | सः |
ह | ह | हा | हि | ही | हु | हू | हृ | हे | है | हो | हौ | हं | हः |
क्ष | क्ष | क्षा | क्षि | क्षी | क्षु | क्षू | क्षृ | क्षे | क्षै | क्षो | क्षौ | क्षं | क्षः |
त्र | त्र | त्रा | त्रि | त्री | त्रु | त्रू | त्रृ | त्रे | त्रै | त्रो | त्रौ | त्रं | त्रः |
ज्ञ | ज्ञ | ज्ञा | ज्ञि | ज्ञी | ज्ञु | ज्ञू | ज्ञृ | ज्ञे | ज्ञै | ज्ञो | ज्ञौ | ज्ञं | ज्ञः |
किसी भी भाषा को सिखने के लिए सबसे पहला कदम होता है, उस भाषा के अक्षर और मात्रा का ज्ञान और इसलिए हिंदी सिखाने के लिए बहुत पहले से बारह खड़ी का उपयोग किया जाता रहा है। पहले के समय में गुरु अपने शिष्यों को बारह खड़ी के माध्यम से हिंदी की बुनियादी बातें सिखाते थे। यह एक प्रभावी तरीका था जिससे बच्चे भाषा की मूल बातें आसानी से समझ पाते थे।
आज की शिक्षा व्यवस्था में भी बारह खड़ी को पहले की तरह ही सिखाया जाता है। स्कूलों में बारह खड़ी को प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाया जाता है, जिससे बच्चों की भाषा समझ विकसित होती है। वर्तमान में बच्चों को बारह खड़ी जल्दी सिखाने के लिए आधुनिक तकनीक और डिजिटल उपकरणों के उपयोग किया जाता है क्योंकि रचनात्मक तरीके से बारह खड़ी को सीखना और भी रोचक और आसान हो जाता है।
बारहखड़ी में ‘ऋ’ का शामिल न होने का मुख्य कारण यह है कि ‘ऋ’ एक स्वर है और बारह खड़ी केवल व्यंजनों के साथ स्वरों के संयोजन को दर्शाती है। बारह खड़ी का उद्देश्य व्यंजन अक्षरों के साथ विभिन्न स्वरों के मेल से बनने वाले अक्षरों को प्रदर्शित करना है। चूंकि ‘ऋ’ स्वयं एक स्वर है, इसलिए यह बारह खड़ी में शामिल नहीं होता।
बारहखड़ी हिंदी वर्णमाला की नींव है और इसके माध्यम से बच्चों को हिंदी पढ़ने और लिखने में मदद मिलती है। यह भाषा की मूल संरचना को समझने में सहायक है और बच्चों को नए शब्द बनाने में सक्षम बनाती है। बारह खड़ी की समझ बच्चों की भाषा कौशल को मजबूत करती है और उन्हें हिंदी भाषा के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती है।
बारह खड़ी बच्चों को हिंदी भाषा की नींव सिखाती है, जिससे वे सही तरीके से शब्दों का उच्चारण कर सकें। यह उन्हें भाषा की संरचना और व्याकरण को समझने में मदद करती है। बारह खड़ी की मदद से बच्चे आसानी से नए शब्द बना सकते हैं और उनका सही उच्चारण कर सकते हैं।
बारह खड़ी के माध्यम से बच्चे आसानी से नए शब्द बना सकते हैं और भाषा की विविधता को समझ सकते हैं। इसलिए जो बच्चें बारह खड़ी सीख लेते हैं, वे शब्द लिखना और बोलना भी जल्दी ही सिखने लगते हैं।
स्कूलों में बारह खड़ी को प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाया जाता है। शिक्षक विभिन्न तरीकों का उपयोग करके बच्चों को बारह खड़ी सिखाते हैं, जैसे कि गाने, कविताएँ और रंगीन खेल का उपयोग करके। इससे बच्चों में रुचि बनी रहती है और वे जल्दी सीखते हैं।
माता-पिता भी घर पर बच्चों को बारह खड़ी सिखाने में मदद कर सकते हैं। घर पर बच्चों के साथ पढ़ाई करने से उन्हें अतिरिक्त सहायता मिलती है और वे अपनी पढ़ाई में और भी बेहतर बन सकते हैं। माता-पिता बच्चों के साथ बारह खड़ी का अभ्यास कर सकते हैं और उन्हें विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सिखा सकते हैं।
बारहखड़ी बच्चों की भाषा कौशल को विकसित करती है और उन्हें सही उच्चारण सिखाती है। यह उन्हें भाषा की बुनियादी संरचना और व्याकरण को समझने में मदद करती है। बारहखड़ी की मदद से बच्चे भाषा की बारीकियों को आसानी से समझ सकते हैं।
बारहखड़ी की मदद से बच्चे हिंदी के शब्दों को पढ़ना और लिखना बहुत बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। बारहखड़ी उनको अपनी पाठ्य पुस्तक के पाठ को पढ़ने में मदद करती हैं क्योंकि बारहखड़ी सीखने के बाद अक्षर पर लगी मात्रा का ज्ञान हो जाता है।
बच्चों को बारहखड़ी पढ़ने और लिखने का नियमित अभ्यास कराना चाहिए। नियमित अभ्यास से उनकी भाषा कौशल में सुधार होता है और वे नए शब्दों का सही उच्चारण और प्रयोग सीखते हैं। बच्चों को अभ्यास कराते समय उनके छोटी और बड़ी मात्राओं के उच्चारण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
बारहखड़ी को खेल-खेल में सिखाने से बच्चों में रुचि बढ़ती है और वे इसे जल्दी सीखते हैं। खेल और गतिविधियों के माध्यम से बारहखड़ी सिखाने से बच्चों में सीखने की प्रक्रिया मजेदार हो जाती है।
इस आर्टिकल में हमने बारहखड़ी किसे कहते हैं , बारहखड़ी का अर्थ और क से ज्ञ तक बारहखड़ी चार्ट को समझा। बारहखड़ी, हिंदी भाषा सीखने का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कदम है और इसकी सही समझ बच्चों के भाषा कौशल को मजबूत बनाती है। इसे सही तरीके से सिखाकर हम बच्चों को हिंदी भाषा में निपुण बना सकते हैं और उनकी शैक्षिक यात्रा को सफल बना सकते हैं। बारहखड़ी न केवल भाषा की नींव रखती है बल्कि बच्चों को भाषा की सुंदरता और विविधता से भी परिचित कराती है।
हिंदी वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं, जिनमें 11 अक्षर स्वर और 41 व्यंजन होते हैं।
हिंदी में बारह स्वर (ए, ए, आई, ई, यू, यू, ए, ऐ, ओ, औ, एन, आह) होते हैं और 33 व्यंजन होते है। जब आप प्रत्येक स्वर को प्रत्येक व्यंजन के साथ जोड़ेंगे तो इस तरह शब्द का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए, यदि इन स्वरों के स्वरों को “क” अक्षर में जोड़ा जाए, तो क, का, कि, की, कु, कू, के, कै, को, कौ, कं, कः।
“बारहखड़ी” शब्द का शाब्दिक अर्थ है “बारह खंड”। यह इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें 12 स्वरों को अलग-अलग खंडों में बांटा जाता है और फिर हर खंड में सभी व्यंजनों के साथ जोड़ा जाता है।
हिंदी भाषा में कुल 52 अक्षर हैं। जैसे- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ड़, ढ़, (ँ) और (:) है।
हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 वर्ण होते हैं।
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