ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?

October 16, 2024
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है
Quick Summary

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ग्रीनहाउस प्रभाव एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। यह प्रक्रिया सूर्य की रोशनी और पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद कुछ गैसों के बीच होने वाली बातचीत के कारण होती है। ग्रीनहाउस गैसें वे गैसें होती हैं जो सूर्य की गर्मी को सोख लेती हैं और उसे पृथ्वी के वायुमंडल में फंसाए रखती हैं। इन गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) शामिल हैं।

Table of Contents

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी के वातावरण को गर्म रखती है। यह प्रक्रिया जीवन के लिए आवश्यक तापमान बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन मानव गतिविधियों के कारण इस प्रभाव में वृद्धि हो रही है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर एक सवाल पूछा जाता है, ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है समझाइए। इसलिए इस ब्लॉग में हम ग्रीन हाउस क्या है, ग्रीन हाउस इफेक्ट और ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारणों को समझने की कोशिश करेंगे। 

ग्रीन हाउस क्या है?

ग्रीन हाउस क्या है? दरअसल ग्रीन हाउस एक संरचना होती है जिसे पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया जाता है। यह संरचना आमतौर पर कांच या प्लास्टिक की होती है और सूर्य की रोशनी को अंदर प्रवेश करने देती है। ग्रीन हाउस के अंदर तापमान बाहरी तापमान से अधिक होता है, जिससे पौधों को उचित तापमान मिलता है और उनकी वृद्धि में मदद मिलती है।

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है समझाइए?

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है समझाइए? इस प्रश्न के उत्तर के लिए हम ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट और उसके कारणों को समझेंगे। 

ग्रीन हाउस प्रभाव वह प्रक्रिया है जिसमें ग्रीन हाउस गैसें (जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और फ्लूरोकार्बन) सूर्य से आने वाली ऊर्जा को अवशोषित करती हैं और उसे वापस पृथ्वी की सतह पर लौटाती हैं। यह प्रभाव पृथ्वी के वातावरण को गर्म रखता है।

प्रक्रिया

ग्रीन हाउस प्रभाव, एक ग्रीनहाउस की तरह ही काम करता है। ग्रीनहाउस एक इमारत होती है जिसमें कांच की दीवारें और छत होती हैं, जो सूरज की रोशनी को अंदर आने देती हैं और गर्मी को अंदर ही रोक लेती हैं। इसी कारण, सर्दियों में भी ग्रीनहाउस अंदर से गर्म रहता है।

इसी तरह, पृथ्वी का वायुमंडल भी ग्रीनहाउस की तरह काम करता है। वायुमंडल में मौजूद गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, सूरज की गर्मी को फँसाती हैं। दिन में सूर्य की रोशनी पृथ्वी की सतह को गर्म करती है, और रात में यह गर्मी वापस वायुमंडल में चली जाती है। कुछ गर्मी ग्रीनहाउस गैसों द्वारा फँसी रहती है, जिससे पृथ्वी का तापमान औसतन 14 डिग्री सेल्सियस (58 डिग्री फ़ारेनहाइट) रहता है।

  1. सूर्य की रोशनी का प्रवेश: सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है और पृथ्वी की सतह को गर्म करती है।
  2. इंफ्रारेड विकिरण का उत्सर्जन: पृथ्वी की सतह से अवशोषित ऊर्जा इंफ्रारेड विकिरण के रूप में वापस वायुमंडल में जाती है।
  3. ग्रीन हाउस गैसों द्वारा अवशोषण: ग्रीन हाउस गैसें इस इंफ्रारेड विकिरण को अवशोषित करती हैं और उसे वापस पृथ्वी की सतह पर लौटाती हैं।
  4. तापमान में वृद्धि: इस प्रक्रिया से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है और जीवन के लिए आवश्यक तापमान बनाए रखता है।

ग्रीन हाउस इफेक्ट

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? और इसके प्रभाव को समझने से पहले हमें ग्रीन हाउस इफेक्ट को समझना होगा। ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी के वातावरण को गर्म रखती है। यह प्रभाव ग्रीन हाउस गैसों द्वारा सूर्य से आने वाली ऊर्जा को अवशोषित करके और उसे पृथ्वी की सतह पर लौटाकर उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया के बिना, पृथ्वी का तापमान जीवन के लिए बहुत ठंडा होता।

प्राकृतिक ग्रीन हाउस इफेक्ट

प्राकृतिक ग्रीन हाउस इफेक्ट वह प्रभाव है जो बिना मानव हस्तक्षेप के होता है। यह प्रभाव जीवन के लिए आवश्यक तापमान बनाए रखने में मदद करता है। यदि यह प्रभाव नहीं होता तो पृथ्वी का औसत तापमान -18°C होता, जबकि वर्तमान में यह लगभग 15°C है।

मानव निर्मित ग्रीन हाउस इफेक्ट

मानव गतिविधियों के कारण ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हो रही है, जिससे ग्रीन हाउस प्रभाव भी बढ़ रहा है। यह प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। औद्योगिक गतिविधियाँ, जीवाश्म ईंधन का जलना, और वनों की कटाई इसके प्रमुख कारण हैं।

ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? ये समझने के बाद अब हम इस इफेक्ट के कारणों को समझेंगे। ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण मुख्य रूप से मानव गतिविधियाँ हैं, जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना, वनों की कटाई, और औद्योगिक प्रक्रियाएँ। ये गतिविधियाँ ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि करती हैं, जिससे ग्रीन हाउस प्रभाव भी बढ़ता है।

  1. औद्योगिक क्रांति: औद्योगिक क्रांति के बाद से जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस) के उपयोग में भारी वृद्धि हुई है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ी है।
  2. कृषि गतिविधियाँ: कृषि गतिविधियों में उर्वरकों का उपयोग, पशुपालन, और चावल की खेती से मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होती है।
  3. वनों की कटाई: वनों की कटाई से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करने वाले वृक्षों की संख्या कम हो जाती है, जिससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है।
  4. जीवाश्म ईंधन का उपयोग: जीवाश्म ईंधन का उपयोग बिजली उत्पादन, वाहन चलाने, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में होता है, जिससे ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ती है।

ग्रीन हाउस गैसें

ग्रीन हाउस गैसें वे गैसें होती हैं जो वातावरण में ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ावा देती हैं। ये गैसें सूर्य से आने वाली ऊष्मा को अवशोषित करके और उसे वापस पृथ्वी की सतह पर लौटाकर पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करती हैं। इन गैसों का बढ़ता स्तर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।

कार्बन डाइऑक्साइड

कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) सबसे महत्वपूर्ण ग्रीन हाउस गैस है। यह जीवाश्म ईंधन के जलने, वनों की कटाई, और औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न होती है। औसतन, प्रत्येक वर्ष वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है।

कार्बन डाइऑक्साइड की उत्सर्जन स्रोत 

स्रोतउत्सर्जन (मेगाटन)
जीवाश्म ईंधन36,000
वनों की कटाई3,000
औद्योगिक प्रक्रियाएँ2,000
कुल41,000

मीथेन

मीथेन (CH₄) एक शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैस है जो प्राकृतिक गैस की निकासी, पशुपालन, और कचरे के अपघटन से उत्पन्न होती है। मीथेन की गर्मी अवशोषण क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड से 25 गुना अधिक है।

मीथेन की उत्सर्जन स्रोत 

स्रोतउत्सर्जन (मेगाटन)
प्राकृतिक गैस की निकासी2,800
पशुपालन2,500
कचरे का अपघटन1,500
कुल6,800

नाइट्रस ऑक्साइड

नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) उर्वरकों के उपयोग, जीवाश्म ईंधन के जलने, और औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न होती है। यह गैस भी अत्यधिक ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करती है।

नाइट्रस ऑक्साइड की उत्सर्जन स्रोत 

स्रोतउत्सर्जन (मेगाटन)
उर्वरक उपयोग1,200
जीवाश्म ईंधन का जलना800
औद्योगिक प्रक्रियाएँ600
कुल2,600

फ्लूरोकार्बन गैसें

फ्लूरोकार्बन गैसें (जैसे कि सीएफसी, एचएफसी) मानव निर्मित ग्रीन हाउस गैसें हैं जो रेफ्रिजरेशन, एयर कंडीशनिंग, और एरोसोल स्प्रे में उपयोग होती हैं। ये गैसें वातावरण में लंबे समय तक बनी रहती हैं और ओजोन परत को नुकसान पहुँचाती हैं।

फ्लूरोकार्बन गैसों की उत्सर्जन स्रोत 

स्रोतउत्सर्जन (मेगाटन)
रेफ्रिजरेशन900
एयर कंडीशनिंग600
एरोसोल स्प्रे400
कुल1,900

ग्रीन हाउस प्रभाव के प्रभाव

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? और इसके कारण के बाद अब हम इसके कारणों को समझेंगे। ग्रीन हाउस प्रभाव के प्रभाव बहुत गंभीर हैं, जिसमें ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव, और समुद्र स्तर में वृद्धि शामिल हैं। इन प्रभावों का परिणाम पर्यावरण और मानव जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

ग्लोबल वार्मिंग

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघल रही है, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, और मौसम में अप्रत्याशित परिवर्तन हो रहे हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के आंकड़े:

वर्षऔसत तापमान वृद्धि (°C)
19000.0
19500.3
20000.7
20231.1

जलवायु परिवर्तन

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जिससे मौसम के पैटर्न में बदलाव आ रहा है। यह परिवर्तन बाढ़, सूखा, और तूफानों की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा रहा है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:

घटनाप्रभाव
बाढ़कृषि भूमि और संपत्ति का नुकसान
सूखाजल की कमी और फसलों की विफलता
तूफानमानव जीवन और बुनियादी ढांचे का नुकसान

पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

ग्रीन हाउस प्रभाव से पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पौधों और जानवरों की प्रजातियों के जीवन चक्र में परिवर्तन हो रहा है, और कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:

प्रजातिप्रभाव
ध्रुवीय भालूबर्फ के आवास का नुकसान
प्रवालसमुद्र के तापमान में वृद्धि
प्रवासी पक्षीप्रवास के पैटर्न में बदलाव

समुद्र स्तर में वृद्धि

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ग्लेशियर और ध्रुवीय बर्फ पिघल रही है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। यह तटीय क्षेत्रों और द्वीपों के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

वर्षसमुद्र स्तर वृद्धि (सेमी)
19000.0
19508.0
200016.0
202321.0

ग्रीन हाउस इफेक्ट और ग्लोबल वार्मिंग में अंतर

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है और ग्लोबल वार्मिंग क्या होता है? और दोनों के बीच के अंतर् को कई लोग अक्सर समझ नहीं पाते हैं। ग्रीन हाउस प्रभाव और ग्लोबल में अंतर निम्न हैं-

ग्रीन हाउस इफेक्ट

ग्रीन हाउस प्रभाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी के वातावरण को गर्म रखती है। यह प्रभाव ग्रीन हाउस गैसों द्वारा सूर्य से आने वाली ऊर्जा को अवशोषित करके और उसे पृथ्वी की सतह पर लौटाकर उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया के बिना, पृथ्वी का तापमान जीवन के लिए बहुत ठंडा होता।

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि को दर्शाता है, जो मुख्य रूप से मानव गतिविधियों के कारण होता है। यह ग्रीन हाउस गैसों की उत्सर्जन में वृद्धि के कारण होता है, जो ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ाता है और पृथ्वी के वातावरण को अधिक गर्म करता है।

ग्रीन हाउस इफेक्ट और ग्लोबल वार्मिंग में अंतर-

मापदंडग्रीन हाउस इफेक्टग्लोबल वार्मिंग
प्रकृतिप्राकृतिक प्रक्रियामानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप होता है
उद्देश्यपृथ्वी के वातावरण को गर्म रखनापृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि
कारणग्रीन हाउस गैसों का प्राकृतिक अवशोषण और उत्सर्जनजीवाश्म ईंधन का जलना, औद्योगिक गतिविधियाँ, वनों की कटाई
प्रभावजीवन के लिए आवश्यक तापमान बनाए रखनापृथ्वी के तापमान में हानिकारक वृद्धि
मुख्य गैसेंकार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, फ्लूरोकार्बन गैसेंबढ़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा
समस्याएँप्राकृतिक संतुलन बनाए रखता हैजलवायु परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि, ग्लेशियर का पिघलना
मानव हस्तक्षेपमानव हस्तक्षेप नहीं, प्राकृतिक प्रक्रियामानव गतिविधियों का सीधा परिणाम
लक्ष्यपृथ्वी पर जीवन को संभव बनानाजलवायु परिवर्तन और इसके नकारात्मक प्रभावों से लड़ना

ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के उपाय

ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे ऊर्जा दक्षता में सुधार, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, वनों की सुरक्षा और पुनः वनरोपण, और अपशिष्ट प्रबंधन। ये उपाय ग्रीन हाउस गैसों की उत्सर्जन को कम करके वातावरण को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

ऊर्जा एफिसिएंसी 

ऊर्जा दक्षता (एफिशिएंसी) को बढ़ाकर ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा को कम किया जा सकता है। ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग, इमारतों की ऊर्जा दक्ष डिजाइन, और वाहन की ईंधन दक्षता में सुधार से यह संभव है।

नवीकरणीय ऊर्जा

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा) का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। इससे ग्रीन हाउस गैसों की उत्सर्जन में कमी होती है।

नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग 

ऊर्जा स्रोतउपयोग (GW)
सौर ऊर्जा600
पवन ऊर्जा500
जल ऊर्जा400

वनों की सुरक्षा और पुनः वनरोपण

वनों की सुरक्षा और पुनः वनरोपण से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और वातावरण को शुद्ध करते हैं।

मापदंडमूल्य
संरक्षित वन क्षेत्र25%
पुनः वनरोपण क्षेत्र10%

अपशिष्ट प्रबंधन

अपशिष्ट प्रबंधन के उचित तरीकों का पालन करके ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा को कम किया जा सकता है। जैविक अपशिष्ट का कंपोस्टिंग, कचरे का पुनर्चक्रण, और मीथेन कब्जा प्रौद्योगिकियों का उपयोग इसमें सहायक होता है।

अपशिष्ट प्रबंधन (2023):

मापदंडमूल्य
पुनर्चक्रण दर35%
कंपोस्टिंग दर20%

जागरूकता और शिक्षा

ग्रीन हाउस प्रभाव और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाकर और शिक्षा के माध्यम से लोगों को इसके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देकर उनकी आदतों में परिवर्तन लाया जा सकता है।

रनवे ग्रीन हाउस इफेक्ट | Runaway Greenhouse Effect

रनवे ग्रीन हाउस इफेक्ट एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी ग्रह का तापमान लगातार बढ़ता रहता है और इस प्रक्रिया को रोकना लगभग असंभव हो जाता है। यह एक प्रकार का ग्रीनहाउस प्रभाव है, लेकिन बहुत अधिक तीव्र और अपरिवर्तनीय। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह घटना अरबों साल पहले शुक्र की सतह पर हुई थी।

यह कैसे होता है?

सूर्य से ग्रह की सतह पर लगातार ऊर्जा आती रहती है। ग्रह के वायुमंडल में मौजूद ग्रीनहाउस गैसें (जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन) सूर्य की गर्मी को सोख लेती हैं और उसे ग्रह की सतह पर वापस भेज देती हैं। इस प्रक्रिया के कारण ग्रह का तापमान बढ़ जाता है। बढ़ते तापमान के कारण समुद्र का पानी तेजी से वाष्पित होता है। वाष्प भी एक ग्रीनहाउस गैस है, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव और बढ़ जाता है। बढ़ी हुई वाष्प के कारण तापमान और अधिक बढ़ जाता है। यह प्रक्रिया लगातार दोहराई जाती है, जिससे तापमान लगातार बढ़ता जाता है और एक ऐसा बिंदु आ जाता है जहां इसे रोकना लगभग असंभव हो जाता है।

निष्कर्ष

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? ब्लॉग में हमने ग्रीन हाउस क्या है, ग्रीन हाउस इफेक्ट और ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारणों को समझने की कोशिश की है। 

हाउस प्रभाव एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन मानव गतिविधियों के कारण इसमें वृद्धि हो रही है, जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे रही है। इसे नियंत्रित करने के लिए ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा, वनों की सुरक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन, और जागरूकता बढ़ाने जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक है। हम सभी को मिलकर अपने वातावरण को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस सुंदर ग्रह पर जीवन का आनंद ले सकें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

ग्रीन हाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं?

ग्रीनहाउस प्रभाव एक ऐसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद कुछ गैसें सूर्य से आने वाली गर्मी को सोख लेती हैं और फिर इसे पृथ्वी की सतह पर वापस भेज देती हैं। यह प्रक्रिया पृथ्वी को गर्म रखने में मदद करती है और इसे रहने योग्य बनाती है।

ग्रीन हाउस इफेक्ट का मुख्य कारक क्या है?

ग्रीनहाउस प्रभाव का मुख्य कारक है ग्रीनहाउस गैसें। ये गैसें वायुमंडल में सूर्य की गर्मी को फंसा लेती हैं।

ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करने वाली 4 गैसें कौन सी हैं?

मुख्य ग्रीनहाउस गैसें हैं: कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs)

ग्रीनहाउस के 4 प्रकार क्या हैं?

• प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव: यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी को गर्म रखती है।
• मानवजनित ग्रीनहाउस प्रभाव: यह मानवीय गतिविधियों जैसे कि जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण होता है और यह ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है।
• सकारात्मक और नकारात्मक फीडबैक लूप: ये वे प्रक्रियाएं हैं जो ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ा या कम कर सकती हैं।

ग्रीन हाउस कैसे चलाते हैं?

ग्रीन हाउस में उचीत तापक्रम पर पुष्पों को उगाया जाता है। यह ग्रीष्म ऋतु में शीतल एवं शीत ऋतु में गर्म रखा जाता है। इसे ऐसी दिशा में बनाया जाता है जिससे अधिकतम सूर्य प्रकाश मिले। बहुविस्तार या मल्टी स्पान में यह दिशा उत्तर से स्क्धीन रखी जाती है।

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