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भारतीय राजनीति को पूरी तरह से समझने के लिए “अविश्वास प्रस्ताव क्या है” जानना बेहद जरूरी हो जाता है। Avishwas Prastav देश में सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह प्रक्रिया सरकारों को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाती है और लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करती है। ऐसे में, आपको “अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है” के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
इस ब्लॉग में आपको अविश्वास प्रस्ताव क्या है, अविश्वास प्रस्ताव के नियम, इसकी प्रक्रिया, अविश्वास प्रस्ताव भारत में तथा अन्य देशों में कितनी बार पारित हुआ है और इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
“अविश्वास प्रस्ताव क्या है” और “अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है” ये अक्सर पूछे जाने वाले सवाल हैं। Avishwas Prastav लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो सरकार की शक्ति और उत्तरदायित्व को संतुलित रखने में मदद करती है। यह एक प्रकार का संसदीय प्रस्ताव होता है जिसे विपक्षी दल या संसद सदस्य सरकार के खिलाफ पेश करते हैं।
लोकसभा में अगर किसी भी प्रतिपक्ष की पार्टी को ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ दल या सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है और देश में सरकार की नीतियां ठीक नहीं हैं तो ऐसे में यह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे नो कांफिडेंस मोशन कहा जाता है। विपक्ष यह दावा करता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है, ऐसे में सरकार को इसे साबित भी करना होता है। इस प्रस्ताव का प्रावधान संविधान के आर्टिकल 75 में किया गया है। अनुच्छेद 75 में कहा गया है कि:
यह प्रक्रिया लोकतंत्र की नींव को मजबूत बनाती है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि सरकार जनता और उनके प्रतिनिधियों के प्रति उत्तरदायी रहे। यदि सरकार जनता के हित में काम नहीं कर रही हो, तो उसे हटाया जा सके।
Avishwas Prastav का मुख्य उद्देश्य सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना होता है। यह संसदीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हथियार है जो विपक्ष को सत्तारूढ़ सरकार पर नियंत्रण रखने का अवसर देता है।
जब विपक्षी दल या सांसद महसूस करते हैं कि वर्तमान सरकार जनता के हितों की रक्षा नहीं कर रही है या उसकी नीतियां देश के लिए हानिकारक हैं, तो वे अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं। इसका उद्देश्य होता है:
अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। इस तरह यह प्रस्ताव लोकतंत्र में चेक एंड बैलेंस का काम करता है और सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाए रखने में मदद करता है।
अविश्वास प्रस्ताव लाना एक गंभीर मामला होता है। इस प्रस्ताव को लाने और पास होने की एक पूरी प्रक्रिया होती है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं:
लोकसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमवाली के नियम 198(1) से 198(5) तक अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख है। यह प्रस्ताव महज एक लाइन का है। इसमें कहा गया है कि ‘यह सदन मंत्रिपरिषद में अविश्वास व्यक्त करता है’
अविश्वास प्रस्ताव के नियमों में प्रस्ताव पेश करना, चर्चा, मतदान और परिणाम शामिल होते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव के नियमों में सबसे पहला है प्रस्ताव पेश करना इसमें निम्न नियमों का पालन करना होता है:
अगर कोई प्रस्ताव इन नियमों के अधीन है तो संसद में आगे चर्चा और मतदान की प्रक्रिया होती है।
अविश्वास प्रस्ताव के नियमों में चर्चा और मतदान की प्रक्रिया सामिल हैं। मतदान की प्रक्रिया को पूरा करने पर ही Avishwas Prastav पारित हो सकता है। चर्चा और मतदान की प्रक्रियाएं इस प्रकार हैं:
अगर प्रस्ताव पास होता है तो, Avishwas Prastav पास होने एक बाद प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है, और नई सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है या नए चुनाव हो सकते हैं। राष्ट्रपति एक नए व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं जिसके पास लोकसभा में बहुमत हो। अगर प्रस्ताव पास नही होता तो, सरकार बनी रहती है। इससे लोकतंत्र में जनता की आवाज को महत्व मिलता है।
Avishwas Prastav लाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। ये कारण अक्सर सरकार के कामकाज, नीतियों और फैसलों से जुड़े होते हैं। आइए कुछ प्रमुख कारणों को समझते हैं:
भारतीय संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र स्पष्ट रूप से नहीं है, लेकिन यह संसदीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे संविधान की भावना और संसदीय परंपराओं के तहत स्वीकार किया गया है। इसकी संवैधानिक स्थिति इस प्रकार हैं:
“अविश्वास प्रस्ताव क्या है” और “अविश्वास प्रस्ताव के कानून” जानने के बाद ये जानना जरूरी हो जाता है की Avishwas Prastav भारत में तथा अन्य देशों में कितनी बार पारित हुए हैं।
भारत में लगभग 28 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ दो बार ही पारित हुए हैं। वो दोनों महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:
अविश्वास प्रस्ताव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों में भी लोकतंत्र का हिस्सा है। यह जानना दिलचस्प है कि विभिन्न देशों में इस प्रक्रिया का उपयोग कितनी बार किया गया है।
कुछ प्रमुख अविश्वास प्रस्ताव घटनाएं इस प्रकार हैं:
अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है—इसका स्पष्ट उत्तर यही है कि यह लोकतंत्र की वह महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करती है। Avishwas Prastav से सरकार को यह संदेश मिलता है कि वह जनता के प्रति उत्तरदायी रहे और उनके हितों के अनुसार कार्य करें। विभिन्न देशों के उदाहरण यह साबित करते हैं कि यह प्रक्रिया न केवल सरकारों को बदलने का एक साधन है, बल्कि यह लोकतंत्र की पारदर्शिता और मजबूती का प्रतीक भी है।
इस ब्लॉग में आपने अविश्वास प्रस्ताव क्या है, इसकी प्रक्रिया, अविश्वास प्रस्ताव के नियम और Avishwas Prastav भारत में तथा अन्य देशों में कितनी बार पारित हुआ के बारे में विस्तार से जाना।
अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विपक्षी दल या विपक्षी सदस्य सरकार के खिलाफ अविश्वास व्यक्त करते हैं। यह एक तरह का मतदान होता है जिसमें यह तय किया जाता है कि सदन में मौजूद सदस्यों का बहुमत सरकार के पक्ष में है या विपक्ष के पक्ष में। अगर बहुमत विपक्ष के पक्ष में होता है तो सरकार गिर जाती है और नए सिरे से चुनाव करवाए जाते हैं।
प्रस्ताव पेश करना: विपक्ष का कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है।
चर्चा: प्रस्ताव पर सदन में चर्चा होती है।
मतदान: चर्चा के बाद मतदान होता है।
परिणाम: अगर बहुमत विपक्ष के पक्ष में होता है तो प्रस्ताव पारित हो जाता है और सरकार गिर जाती है।
भारत में कई प्रधानमंत्री Avishwas Prastav के कारण अपने पद से हटे हैं। कुछ उल्लेखनीय उदाहरण हैं:
मोरारजी देसाई: 1979 में जनता पार्टी की सरकार अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिर गई थी।
वी.पी. सिंह: 1990 में जनता दल की सरकार अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिर गई थी।
अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए सदन में मौजूद सदस्यों का आधा से अधिक बहुमत आवश्यक होता है।
लोकसभा नियम 377 के तहत, कोई भी सांसद किसी भी महत्वपूर्ण लोक महत्व के मुद्दे को सदन के पटल पर रख सकता है। हालांकि, इस नियम के तहत लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं होती है और सरकार को इस पर कोई कार्रवाई करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। यह नियम सांसदों को सरकार का ध्यान महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर आकर्षित करने का एक माध्यम प्रदान करता है।
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