Alankar Kise Kahate Hain:अलंकार की परिभाषा भेद उदाहरण

March 28, 2025
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Alankar Kise Kahate Hain:अलंकार की परिभाषा भेद उदाहरण

Published on March 28, 2025
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Quick Summary

  • अलंकार का अर्थ है, जो किसी चीज़ को सजाए या भूषित करे। यह शब्द दो भागों से मिलकर बना है, अलम और कार। अलम का अर्थ होता है आभूषण।
  • काव्य में उन शब्दों को अलंकार कहा जाता है, जो कविता की शोभा को बढ़ाते हैं।
  • अलंकार के माध्यम से कविता की सुंदरता में एक विशेष आकर्षण उत्पन्न होता है, जिससे वह और भी प्रभावशाली बन जाती है।
  • इस प्रकार, अलंकार का उपयोग काव्य में उसकी गहराई और आकर्षण को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

Table of Contents

Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.

हिंदी साहित्य एक विस्तृत क्षेत्र है, जिसे सही तरह से समझने के लिए हिंदी से जुड़ी कई जानकारी का होना बहुत जरूरी है। इनमें अलंकार एक महत्वपूर्ण विषय है। अलंकार किसी काव्य रचना या कविता में सुंदरता और लय का संचार करता है। यह शब्दों और उनके अर्थ के प्रयोग से कविता को और भी प्रभावशाली बना देता है। अलंकार के द्वारा काव्य में अर्थ और ध्वनि का समागम होता है, जो पाठकों और श्रोताओं को आकर्षित करता है। यहां हम alankar kise kahate hain और अलंकार के भेद उदाहरण सहित बता रहे हैं। 

अलंकार किसे कहते हैं? (What is Alankar?)

कई लोग अलंकार सुनकर सोचते हैंं कि alankar kise kahate hain। बता दे अलंकार एक साहित्यिक और काव्यात्मक उपकरण है, जिसका उपयोग कविता या गद्य में भाषा को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से सौंदर्य, भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अलंकारों का उद्देश्य शब्दों को अलंकरणित या सजाना होता है ताकि वे अधिक सुंदर, गहरे या भावपूर्ण लगें। यह कविता या गान के प्रभाव को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो शब्दों या उनके अर्थ से संबंधित हो सकते हैं।

अलंकार के भेद (Types of Alankar in Hindi)

अलंकार के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं – शब्दालंकार और अर्थालंकार। इसके अलावा एक और प्रकार है जिसे उभयालंकार कहा जाता है, जो शब्द और अर्थ दोनों से संबंधित होता है। यहां हम अलंकार के भेद उदाहरण सहित विस्तार से जानेंगे।

शब्दालंकार 

शब्दालंकार वह अलंकार होते हैं जो शब्दों के चयन, ध्वनि और उनके प्रयोग से जुड़े होते हैं। यह कविता के स्वर और लय को बढ़ाने के लिए होते हैं। इसके कुछ प्रमुख भेद हैं:

  • अनुप्रास: किसी विशेष ध्वनि या वर्ण प्रक्रिया को बारबार दोहराना।
  • रूपक: किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना के बिना उसे उस जैसा मान लेना।
  • यमक: एक ही शब्द का दो या दो से अधिक अर्थों में प्रयोग करना।

उदाहरण:

“चमकते चाँद की चाँदनी चुराई।”

“सपने संजोते, सोचते सजग सागर।”

अर्थालंकार 

अर्थालंकार वह अलंकार होते हैं जो शब्दों के अर्थ से संबंधित होते हैं। इसमें किसी विशेष अर्थ का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है, ताकि वह कविता के भाव को और अधिक गहरे तरीके से व्यक्त कर सके। इसके प्रमुख भेद हैं:

  • उत्कर्ष: किसी बात का अत्यधिक या उच्च रूप में व्यक्त होना।
  • व्यतिक्रम: किसी साधारण अर्थ को उलटकर या विकृत करके प्रस्तुत करना।

उदाहरण:

“भगवान श्री राम का वनवास”

भगवान श्री राम का वनवास केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन के संघर्ष, कर्तव्य और सत्य के पालन की प्रतीक है।

“पंचतंत्र” की कथाएँ”

पंचतंत्र की कथाएँ एक प्रकार से जानवरों के माध्यम से मानव जीवन के व्यवहारिक पहलुओं को समझाने का काम करती हैं।

उभयालंकार

उभयालंकार एक विशेष प्रकार का अलंकार है, जिसमें एक ही काव्य-पंक्ति या वाक्य में दो या दो से अधिक अलंकार एक साथ होते हैं, और वे दोनों एक दूसरे का समर्थन करते हैं। इसे “दोहरी अलंकार” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें दो प्रकार के अलंकार एक साथ प्रयोग होते हैं।

उभयालंकार में दो या दो से अधिक अलंकारों का संयोजन होता है, और वे एक दूसरे के साथ मिलकर अर्थ या सौंदर्य को बढ़ाते हैं। इस प्रकार के अलंकार का उद्देश्य काव्य को और अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाना होता है।

उदाहरण:

“तुम चले आओ तो जैसे बहारें लौट आएं,

तुम चले जाओ तो जैसे सर्दियाँ लौट आईं।”

रूपक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

rupak alankar ki paribhasha काफी स्पष्ट है और rupak alankar ke udaharan से इसे आसानी से समझ जा सकता है। यहां हम rupak alankar ki paribhasha और उदाहरण को विस्तार से बता रहे हैं। 

रूपक अलंकार की परिभाषा

rupak alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति, या विचार को सीधे-सीधे किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति, या विचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, बिना “जैसा” या “की तरह” जैसे शब्दों का प्रयोग किए। इसका उद्देश्य किसी विशेष गुण या स्थिति को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करना होता है। रूपक अलंकार में तुलना की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि एक वस्तु को दूसरी वस्तु के रूप में बिना किसी शर्त के माना जाता है।

रूपक अलंकार के उदाहरण

यहां हम rupak alankar ke udaharan दे रहे हैं, जो इस अंलकार को समझने में मदद करेगा। 

  • वह एक चाँद जैसा सुंदर है।

इस वाक्य में “वह” को “चाँद” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो रूपक अलंकार का उदाहरण है। यहाँ पर “चाँद” शब्द से व्यक्ति की सुंदरता को व्यक्त किया गया है, बिना “जैसा” का प्रयोग किए।

  • जीवन एक यात्रा है।

जीवन को यहाँ पर यात्रा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह रूपक अलंकार है क्योंकि इसमें जीवन को यात्रा की तरह निरूपित किया गया है, और यात्रा के सभी गुण (जैसे यात्रा के विभिन्न चरण और अनुभव) जीवन से जोड़ दिए गए हैं।

  • आप सागर के समान गहरे हो।

यहाँ पर व्यक्ति को “सागर” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे उसकी गहरी सोच या गहराई का संकेत मिलता है। यह रूपक अलंकार है, जिसमें व्यक्ति को सागर के रूप में निरूपित किया गया है।

  • आलिया का दिल सोने जैसा नर्म है।

आलिया के दिल को “सोना” कहा गया है, जो रूपक अलंकार का उदाहरण है। इससे उसकी कोमलता और सौम्यता को व्यक्त किया गया है।

उपमा अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

upma alankar ki paribhasha देते हुए यहां इसके कुछ उदाहरण भी बता रहे हैं, जो इस अलंकार को समझने में मदद करेगी। 

उपमा अलंकार की परिभाषा

upma alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी एक वस्तु, व्यक्ति, या विचार की तुलना “जैसा”, “की तरह” जैसे शब्दों से किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति या विचार से की जाती है। इसका उद्देश्य एक वस्तु की विशेषता को दूसरी वस्तु के संदर्भ में स्पष्ट और प्रभावशाली रूप से व्यक्त करना होता है। उपमा में दोनों चीजों के बीच समानताएँ या समान गुणों को दर्शाया जाता है, जो तुलना द्वारा दिखाई जाती हैं।

उपमा में हमेशा एक स्पष्ट तुलना होती है, जैसे “जैसा”, “की तरह”, “जैसे” आदि शब्दों के माध्यम से। यह अलंकार कविता और शेरों में प्रभावशाली रूप से प्रयोग किया जाता है ताकि वह अधिक आकर्षक और अर्थपूर्ण बन सके।

उपमा के उदाहरण

  • आप आसमान के तारे जैसे चमकते हो।

इस वाक्य में व्यक्ति की चमक को आसमान के तारों से जोड़ा गया है, जो उपमा अलंकार का उदाहरण है। यहाँ पर “जैसे” शब्द से तुलना की गई है।

  • वह शेर की तरह दहाड़ता है।

इस वाक्य में व्यक्ति की शक्ति और आवाज को शेर की दहाड़ से तुलना किया गया है। “की तरह” शब्द द्वारा यह उपमा अलंकार व्यक्त किया गया है।

  • उसकी आँखें नीलम जैसी सुंदर हैं।

यहाँ पर “नीलम” (पत्थर) के रूप में आँखों की सुंदरता की तुलना की गई है, जिससे एक स्पष्ट चित्र उभरता है। यह उपमा अलंकार का उदाहरण है।

  • सपनों की तरह वह उसकी यादों में बसी हुई है।

इस वाक्य में किसी व्यक्ति की यादों को सपनों से जोड़ा गया है, जो उपमा अलंकार का एक अच्छा उदाहरण है, क्योंकि “की तरह” शब्द से तुलना की गई है।

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

आगे हम anupras alankar ki paribhasha और उदाहरण पर प्रकाश डाल रहे हैं, जिससे यह अलंकार स्पष्ट हो जाएगा।

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा

anupras alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी कविता या ग़ज़ल में किसी विशेष ध्वनि या ध्वनियों को दोहराना होता है। इसे अंग्रेजी में “Alliteration” कहा जाता है। अनुप्रास अलंकार में किसी विशेष वर्ण (स्वर या व्यंजन) का दोहराव होता है, जिससे कविता में लय, ताल और एक विशिष्ट ध्वनि का प्रभाव पैदा होता है। इसका उद्देश्य काव्य में संगीतात्मकता (musicality) और आकर्षण बढ़ाना होता है।

उदाहरण के तौर पर, किसी कविता में एक ही ध्वनि का कई बार प्रयोग करना, जैसे कि “स” ध्वनि का बार-बार आना, अनुप्रास अलंकार के उदाहरण होते हैं। यह अलंकार कविता को सुनने में मधुर और आकर्षक बनाता है।

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण

  • सरस्वती सागर सों सजीव सावन।

यहाँ “स” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है। इससे काव्य में एक लयात्मकता उत्पन्न होती है।

  • मनमोहक मूरत मेरी माँ की।

इस वाक्य में “म” ध्वनि का बार-बार प्रयोग किया गया है, जिससे अनुप्रास अलंकार का प्रभाव उत्पन्न होता है। यह वाक्य सुनने में आकर्षक और लयबद्ध लगता है।

  • कभी कभी लगता है कुछ खो गया है।

यहाँ “क” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का एक और उदाहरण है। इससे कविता में ताल और लय का संचार होता है।

  • झील की झिलमिलाहट जादू जैसी।

यहाँ पर “झ” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है और यह कविता में एक संगीतात्मक प्रभाव डालता है।

श्लेष अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

shlesh alankar ki paribhasha देते हुए श्लेष अलंकार के कुछ उदाहरण बता रहे हैं, जो इस अलंकार को स्पष्ट कर देगा।

श्लेष अलंकार की परिभाषा

shlesh alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें एक ही शब्द या वाक्य का दो या दो से अधिक अर्थों में प्रयोग किया जाता है। यह शब्दों या वाक्यों में संयोग की स्थिति उत्पन्न करता है, जिसमें एक ही शब्द एक से अधिक अर्थ व्यक्त करता है। श्लेष अलंकार का उद्देश्य शब्दों के बहुआयामी अर्थों के माध्यम से गहरी विचारधारा या हास्य उत्पन्न करना होता है। यह अलंकार कविता, ग़ज़ल या शेर में प्रभावशाली ढंग से उपयोग किया जाता है, ताकि पाठक या श्रोता को शब्दों के दोनों अर्थों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।

श्लेष अलंकार के उदाहरण

  • वह खुशबू में खो गया।

इस वाक्य में “खो गया” का एक अर्थ है, खुशबू में खो जाना, और दूसरा अर्थ है, किसी व्यक्ति का किसी और में खो जाना। दोनों अर्थों में श्लेष अलंकार छिपा हुआ है।

  • सपनों में ही वह अपना संसार बसाता है।

यहाँ “सपनों” शब्द का एक अर्थ है, नींद में देखे गए विचार, और दूसरा अर्थ है, कल्पनाओं या इच्छाओं का संसार। इस वाक्य में दोनों अर्थों का प्रयोग श्लेष अलंकार के रूप में हुआ है।

  • तुम क्या हो, एक और रत्न की तरह चमकते हो।
  • इस वाक्य में “रत्न” शब्द का एक अर्थ है, मूल्यवान रत्न, और दूसरा अर्थ है, किसी व्यक्ति की विशेषता या मूल्य। यहाँ पर “रत्न” का बहु अर्थी प्रयोग श्लेष अलंकार का उदाहरण है।
  • यह लड़ाई आत्मा और शरीर के बीच की थी।

यहाँ “लड़ाई” शब्द का एक अर्थ शारीरिक संघर्ष हो सकता है, और दूसरा अर्थ मानसिक या आत्मिक संघर्ष। यह श्लेष अलंकार का उदाहरण है, जहां एक ही शब्द दो अलग-अलग अर्थों में उपयोग हुआ है।

अलंकारों के प्रमुख उपयोग

alankar kise kahate hain यह जानने के बात अलंकारों के प्रमुख उपयोग को भी जानना जरूरी होता है। अलंकारों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है, जिसके बारे में हमने ऊपर जाना है। यहां हम अलंकारों के कुछ प्रमुख उपयोग पर नजर डालेंगे। 

साहित्य में अलंकारों का उपयोग

अलंकार साहित्य में शब्दों और उनके अर्थों का प्रभावशाली तरीके से प्रयोग करने के लिए किया जाता है। इनका उद्देश्य न केवल काव्य के सौंदर्य को बढ़ाना है, बल्कि विचारों और भावनाओं को अधिक गहरे और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना भी है। साहित्य में अलंकारों का उपयोग विशेष रूप से कवियों और लेखकों द्वारा किया जाता है ताकि पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव छोड़ा जा सके।

  • काव्य की सुंदरता को बढावा – अलंकारों का मुख्य उद्देश्य काव्य को सुंदर और आकर्षक बनाना है। अनुप्रास, रूपक, उपमा और श्लेष जैसे अलंकार कविता को लयबद्ध और संगीतात्मक बनाते हैं।
  • भावनाओं की गहराई – अलंकार का उपयोग भावनाओं को स्पष्ट और गहरे तरीके से व्यक्त करने के लिए किया जाता है। रूपक और उपमा जैसे अलंकार किसी भावना या विचार को और भी ज्यादा व्यक्तित्व व चित्रात्मकता प्रदान करते हैं।
  • सार्थकता और प्रभाव – अलंकार पाठकों या श्रोताओं को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जिससे वे किसी विषय को एक नई रोशनी में देख सकते हैं। श्लेष अलंकार इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि वह एक ही शब्द में कई अर्थों को छिपाए रखता है।

लोकगीतों और भजनों में अलंकार

लोकगीतों और भजनों में अलंकार का उपयोग विशेष रूप से भावनाओं, श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इन रचनाओं में अलंकारों का प्रयोग भावनाओं को तेज़ी से और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने में मदद करता है।

  • आस्था और भक्ति में गहराई – भजनों में रूपक, उपमा और अनुप्रास जैसे अलंकारों का प्रयोग ईश्वर या देवी-देवताओं की महिमा और भक्ति को भावनात्मक रूप से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के रूप में, “आप मेरे आँखों का तारा हो” जैसे वाक्य में अनुप्रास और रूपक का मिश्रण होता है।
  • संगीतात्मकता का निर्माण – लोकगीतों में अनुप्रास का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है, जिससे गीतों की ध्वनि और लय को बढ़ावा मिलता है। इस तरह से लोकगीतों का संगीतात्मक प्रभाव और भी बढ़ जाता है।
  • सामाजिक संदेश – लोकगीतों में अलंकार का प्रयोग समाज की समस्याओं और उनके समाधान को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करने के लिए भी किया जाता है। यहां पर उपमा, रूपक, और श्लेष अलंकार समाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों को बेहतर तरीके से दर्शाते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

अलंकार हिंदी साहित्य का अभिन्न हिस्सा हैं, जो किसी भी रचना में सौंदर्य, गहराई और प्रभाव को बढ़ाने का काम करते हैं। ये शब्दों के चयन, उनके ध्वन्यात्मक और अर्थगामी गुणों के माध्यम से कविता, ग़ज़ल, और गीतों को अधिक आकर्षक और अर्थपूर्ण बनाते हैं। अलंकारों का उपयोग काव्य रचनाओं में भावनाओं, विचारों और आस्थाओं को प्रभावशाली और सजीव रूप से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।

यहां दिए गए alankar kise kahate hain और अलंकार के भेद उदाहरण सहित की सभी जानकारी को विशेष रिसर्च के द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर दिया गया हैं। आप ऐसे ही जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे वेबसाइट पर दिए गए आर्टिकस को पढ़ते रहें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

अलंकार क्या है class 9th?

अलंकार शब्दों और वाक्यों को सजाने का एक तरीका है, जिससे भाषा अधिक सुंदर और प्रभावशाली बन जाती है। जब हम किसी कविता या कहानी को पढ़ते हैं, तो अलंकारों के कारण हमें वह अधिक रोचक लगती है।
उदाहरण के लिए:
“चाँदनी रात में तारे टिमटिमा रहे हैं।”
इस वाक्य में ‘टिमटिमा रहे हैं’ शब्द चाँदनी रात के दृश्य को और अधिक सुंदर बनाने में मदद करता है।

अलंकार के जनक कौन थे?

आचार्य भामह को अलंकार शास्त्र का जनक माना जाता है।

रूपक अलंकार को कैसे पहचानें?

रूपक अलंकार को पहचानने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा:
1. रूपक अलंकार में उपमेय (जिसकी तुलना की जाती है) और उपमान (जिससे तुलना की जाती है) के बीच का अंतर मिट जाता है। दोनों को एक ही समझ लिया जाता है।
2. रूपक अलंकार में ‘जैसा’, ‘सा’, ‘सी’ जैसे वाचक शब्द नहीं होते हैं।
3. रूपक अलंकार में उपमेय का वर्णन किया जाता है, लेकिन उपमान का सीधा उल्लेख नहीं होता है।
उदाहरण के लिए:
“चाँदनी रात में आकाश मोती बिछा हुआ लग रहा है।” यहां ‘आकाश’ (उपमेय) को ‘मोती बिछा हुआ’ (उपमान) कहा गया है।

जल्दी-जल्दी में कौन सा अलंकार है?

“जल्दी-जल्दी” वाक्यांश में अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार: जब किसी वाक्य में एक ही वर्ण या वर्ण समूह बार-बार आता है, तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।

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