आर्टिकल 370 क्या है: धारा 370 कब हटाया गया?

February 20, 2025
आर्टिकल 370 क्या है
Quick Summary

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  • अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग एक विशेष दर्जा प्रदान करता था।
  • जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान, ध्वज और कानून बनाने का अधिकार था।
  • भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर पर पूरी तरह लागू नहीं होता था।
  • अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे।
  • केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के मामलों में सीमित अधिकार रखती थी।

Table of Contents

5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जिससे जम्मू और कश्मीर को मिलने वाला विशेष दर्जा समाप्त हो गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। इस विशेष स्थिति के परिणामस्वरूप, जम्मू और कश्मीर की अपनी अलग संविधान, धारा 370 के तहत विशेष अधिकार, और भारतीय संविधान की कुछ धाराएँ राज्य में लागू नहीं होती थीं।

इस अनुच्छेद का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को भारतीय संघ में विलीन होने के बाद भी अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को बनाए रखने में मदद करना था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। इस लेख में हम अनुच्छेद 370, धारा 370 कब हटाई गई (370 Kab Hata), आर्टिकल 370 क्या हैऔर धारा 370 हटने के फायदे के बाद के प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

अनुच्छेद 370 | Article 370 क्या है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा प्रावधान था, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था। संविधान के 21वें भाग में इस अनुच्छेद को “अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान” के रूप में वर्णित किया गया था। जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को यह अधिकार दिया गया था कि वह भारतीय संविधान के उन अनुच्छेदों को राज्य में लागू करने की सिफारिश करें, या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से समाप्त कर दे। बाद में, जम्मू और कश्मीर संविधान सभा ने राज्य का संविधान तैयार किया और अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, जिससे इसे भारतीय संविधान का एक स्थायी हिस्सा माना गया।

भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश किया, जिसमें जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों—जम्मू और कश्मीर, तथा लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा गया। जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र-शासित क्षेत्र होगा।

आइये जान लेते हैं आर्टिकल 370 क्या है और अनुच्छेद 370 का इतिहास क्या हैं, धारा 370 कब हटाई गई (370 Kab Hata):

अनुच्छेद 370 का इतिहास

  • प्रारंभिक उद्देश्य- अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान के निर्माण के समय ही शामिल किया गया, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और भारत के संबंधों को ध्यान में रखते हुए।
  • भारतीय संघ में शामिल होने का निर्णय- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, जम्मू और कश्मीर रियासत ने भारतीय संघ में शामिल होने का निर्णय लिया।
  • शर्तों के साथ विलय- जम्मू और कश्मीर ने भारतीय संघ में शामिल होने के लिए अपनी स्वायत्तता बनाए रखने की शर्त रखी। राज्य ने विशेष अधिकार और स्वायत्तता की मांग की, जो उसकी विशेष स्थिति को बनाए रख सके।
  • Instrument of Accession पर हस्ताक्षर- जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 1947 में “Instrument of Accession” नामक आधिकारिक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके माध्यम से राज्य भारतीय संघ का हिस्सा बना।
  • अनुच्छेद 370 का संविधान में शामिल होना- महाराजा हरि सिंह के हस्ताक्षर के बाद, भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 को जोड़ा गया, जिससे जम्मू और कश्मीर को विशेष स्थिति प्रदान की गई।
  • विशेष अधिकार और स्वायत्तता- अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू और कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दी गई। राज्य पर भारतीय संविधान की अधिकांश धाराएँ लागू नहीं होती थीं।
  • सीमित केंद्रीय अधिकार- केवल तीन क्षेत्रों में भारतीय सरकार को अधिकार दिया गया था: रक्षा, विदेश नीति और संचार। अन्य सभी मामलों में राज्य को स्वतंत्रता थी।
  • भारतीय संसद के कानूनों की सीमित पहुंच- भारतीय संसद के अधिकांश कानून जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होते थे, जब तक कि राज्य की विधानसभा उन्हें स्वीकृति न दे।
  • अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान- संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, लेकिन दशकों तक यह विशेष स्थिति बनाए रखी गई।

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा

भारतीय संविधान के अनुच्छेद आर्टिकल 370 क्या है जिसमें जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था, जिससे उसे अन्य राज्यों की तुलना में अधिक निर्णय और स्वतंत्रता का अधिकार मिली।

  • अलग संविधान- जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने का अधिकार प्राप्त था। यह भारत का एकमात्र राज्य था, जिसका स्वयं का संविधान था और जिसे 1957 में लागू किया गया।
  • स्वतंत्र संविधान सभा- जम्मू-कश्मीर के पास अपनी स्वतंत्र संविधान सभा थी, जो राज्य के आंतरिक मामलों और कानूनी ढांचे को नियंत्रित करती थी।
  • भारतीय कानूनों की सीमित पहुंच- भारतीय संसद के अधिकतर कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते थे, जब तक कि राज्य की विधानसभा उन्हें स्वीकार न कर ले। इसका मतलब था कि अन्य राज्यों की तुलना में, भारतीय संसद की जम्मू-कश्मीर पर सीमित शक्ति थी।
  • धारा 35A का प्रावधान- अनुच्छेद 370 के साथ धारा 35A को भी लागू किया गया, जो राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करती थी, जैसे कि संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरियों और छात्रवृत्तियों में प्राथमिकता का अधिकार।
  • तीन क्षेत्रों में सीमित केंद्रीय अधिकार- भारतीय सरकार को केवल तीन मामलों – रक्षा, विदेश नीति, और संचार – में हस्तक्षेप का अधिकार था। अन्य सभी मामलों में राज्य की अपनी स्वायत्तता थी।
  • दोहरी नागरिकता का अधिकार नहीं- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के कारण, जम्मू-कश्मीर के निवासियों को भारतीय नागरिकता के साथ ही राज्य की नागरिकता का भी अधिकार प्राप्त था, लेकिन जम्मू-कश्मीर में संपत्ति और नौकरियों का अधिकार केवल स्थायी निवासियों के लिए था।
  • भारत के राष्ट्रध्वज के साथ राज्य का अपना ध्वज- जम्मू-कश्मीर का अपना एक अलग राज्यध्वज था, जो भारत के तिरंगे के साथ राज्य में प्रयोग होता था। यह भारत के किसी अन्य राज्य के लिए मान्य नहीं था।
  • अधिकारों में सीमितता- भारतीय संविधान में प्रदत्त कुछ मौलिक अधिकार जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए सीधे लागू नहीं होते थे। इसके लिए राज्य के संविधान में बदलाव की आवश्यकता होती थी।
  • आर्थिक नीतियों पर स्वतंत्रता- जम्मू-कश्मीर को कई आर्थिक नीतियों में भी स्वतंत्रता प्राप्त थी। राज्य को बाहरी निवेश के संबंध में अपनी नीतियां बनाने का अधिकार था।

इन सभी विशेषाधिकारों के कारण, जम्मू-कश्मीर का दर्जा अन्य राज्यों से अलग और विशेष था, जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल को राज्य के मामलों में केंद्र सरकार से अधिक स्वतंत्रता प्राप्त थी।

धारा 370 कब हटाई गई? | 370 Kab Hata

  • 5 अगस्त 2019 को भारतीय सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया।
  • इस निर्णय से जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया।
  • राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया:
    • जम्मू और कश्मीर
    • लद्दाख
  • इस कदम का उद्देश्य था जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद, अलगाववाद और अस्थिरता को समाप्त करना। इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना।
  • राज्य के विशेष अधिकार समाप्त कर दिए गए और इसे भारतीय संविधान के तहत पूर्ण अधिकार प्रदान किए गए।
  • भारतीय संविधान की सभी धाराएं जम्मू और कश्मीर में भी लागू होंगी।
  • जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिकता के समान अधिकार प्राप्त हुए।

अनुच्छेद 370 को खत्म करना क्यों ज़रूरी था?

  • 5 अगस्त 2019 को संसद ने अनुच्छेद 370 और 35ए के जरिए जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने को मंजूरी दी थी।
  • तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे – ‘ऐतिहासिक गलती को सुधारने का ऐतिहासिक कदम’ बताया था।
  • नरेंद्र मोदी सरकार की इसी दूरगामी सोच का नतीजा है कि आज कश्मीर भी देश के साथ-साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है।
  • बाल विवाह अधिनियम, शिक्षा का अधिकार और भूमि सुधार जैसे कानून अब यहां भी प्रभावी हैं। दशकों से राज्य में रह रहे वाल्मीकि, दलित और गोरखा को भी राज्य के अन्य निवासियों की तरह समान अधिकार मिल रहे हैं।
  • 15वें वित्त आयोग की वर्ष 2020-21 की सिफारिशों के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का बजट क्रमश: 30757 करोड़ रुपये है। और 5959 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 5300 किलोमीटर सड़क बनाई जा रही है। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के जरिए 13,732 करोड़ रुपये के एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 7 नवंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और विकास के लिए करीब 80,000 करोड़ रुपये की पुनर्निर्माण योजना की घोषणा की थी। पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए 58,477 करोड़ रुपये की 53 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जबकि लद्दाख के लिए 21,441 करोड़ रुपये की 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

सरकार ने अनुच्छेद 370 को किस प्रकार निरस्त किया?

  • राष्ट्रपति का आदेश (Presidential Order)– 5 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के तहत एक नया आदेश जारी किया, जिसे ‘The Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019’ कहा गया। इस आदेश ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का रास्ता खोला।
  • अनुच्छेद 367 में संशोधन- इस नए आदेश के जरिए अनुच्छेद 367 में एक संशोधन किया गया, जिसमें अनुच्छेद 370 की व्याख्या बदल दी गई। इस संशोधन में कहा गया कि “जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा” का मतलब “जम्मू-कश्मीर की विधान सभा” होगा। इस बदलाव के कारण, राज्य की विधानसभा के बिना भी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की प्रक्रिया संभव हो गई।
  • संसद में प्रस्ताव पारित- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में प्रस्तुत किया, जो 5 अगस्त 2019 को पारित हुआ। इसके बाद इसे लोकसभा में भी पेश किया गया, जहाँ 6 अगस्त 2019 को बहुमत से इसे पारित कर दिया गया।
  • अनुच्छेद 35A का निष्कासन- अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही अनुच्छेद 35A भी स्वतः निरस्त हो गया। अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता था, जो अब समाप्त हो गए।
  • राज्य का पुनर्गठन- संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 पारित किया गया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर (विधानसभा के साथ) और लद्दाख (विधानसभा के बिना) – में विभाजित कर दिया गया।
  • अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान होना- चूंकि अनुच्छेद 370 को संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में शामिल किया गया था, इसलिए इसे हटाना संभव था। सरकार ने इसे “अस्थायी” मानकर निरस्त करने का निर्णय लिया।
  • नए आदेश का तुरंत प्रभाव- राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए आदेश का तुरंत प्रभाव हुआ, जिससे जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान के सभी प्रावधान पूरी तरह लागू हो गए और राज्य की विशेष स्थिति समाप्त हो गई।
  • राष्ट्रीय एकीकरण का उद्देश्य- अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के पीछे मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह भारत का अभिन्न अंग बनाना और वहां समान कानून, अधिकार, और विकास की संभावनाओं को बढ़ावा देना था।

धारा 370 के फायदे और नुकसान

आर्टिकल 370 क्या है इसके फायदे और नुकसान क्या हैं जान लेते है:

धारा 370 हटने के फायदे:

  • राष्ट्रीय एकीकरण- अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को भारत के साथ एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विशेष स्थिति के बावजूद, यह अनुच्छेद भारतीय संघ का हिस्सा बने रहने में जम्मू और कश्मीर की मदद करता था, ताकि राज्य की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित किया जा सके, जबकि भारतीय संघ का हिस्सा बने रहने से राष्ट्रीय एकता बनी रहती थी।
  • विकास और निवेश- जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू रहने के कारण राज्य में बाहरी निवेश में कमी थी। इससे राज्य का आर्थिक विकास धीमा हो गया। हालांकि, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, सरकार ने राज्य में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिससे राज्य के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
  • सुरक्षा और स्थिरता- अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को जटिल बना दिया था, विशेष रूप से आतंकवाद और अलगाववाद के कारण। इसके निरस्त होने से राज्य में सुरक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि अब राज्य के नीति-निर्माण में केंद्र सरकार का अधिक प्रभाव रहेगा।
  • नागरिक अधिकार- जम्मू और कश्मीर में विशेष अधिकारों के कारण, अन्य भारतीय नागरिकों को वहां के संपत्ति और नौकरी के अधिकारों में सीमितता थी। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, अन्य भारतीय नागरिकों को भी समान अधिकार मिल गए हैं।
  • संघीय कानूनों का विस्तार- धारा 370 हटने के बाद भारतीय संसद द्वारा पारित सभी संघीय कानून अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो गए हैं। इससे लोगों को विभिन्न योजनाओं, अधिकारों और न्यायिक संरक्षण का लाभ मिल रहा है।
  • महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा- पहले, जम्मू-कश्मीर की महिला अगर राज्य के बाहर किसी से शादी करती थी, तो उसके संपत्ति के अधिकार खत्म हो जाते थे। धारा 370 हटने के बाद, अब महिलाओं के संपत्ति के अधिकार सुरक्षित हो गए हैं और उन्हें समान अधिकार मिल रहे हैं।
  • शिक्षा और रोजगार में अवसरों का विस्तार- अनुच्छेद 370 हटने के बाद, केंद्र सरकार की योजनाओं और स्कीमों का लाभ जम्मू-कश्मीर में भी आसानी से पहुंच सकता है। इससे छात्रों और युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
  • भ्रष्टाचार पर नियंत्रण- धारा 370 हटने से राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है। अब केंद्र सरकार की सीधी निगरानी में जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक कार्य किए जा रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।

इन सभी फायदों के साथ, धारा 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के साथ एकीकृत करने और वहां विकास के नए रास्ते खोलने में मदद मिली है।

धारा 370 के नुकसान:

  • राष्ट्रीय एकीकरण में बाधा– हालांकि अनुच्छेद 370 ने एकता को बनाए रखने में मदद की, लेकिन लंबे समय तक इसके अस्तित्व ने राज्य और भारतीय संघ के बीच एक अंतर बनाए रखा। कई लोग महसूस करते थे कि यह विशेष दर्जा राष्ट्रीय एकता और अखंडता के खिलाफ था।
  • आर्थिक विकास की कमी– विशेष स्थिति के कारण जम्मू और कश्मीर में औद्योगिक विकास में भारी कमी आई थी। बाहरी निवेशक राज्य में निवेश करने से कतराते थे। अब अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यह स्थिति बदल सकती है, और राज्य में विकास के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
  • भ्रष्टाचार और अलगाववाद– अनुच्छेद 370 के तहत राज्य में स्वायत्तता मिली हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार और अलगाववाद की घटनाएं बढ़ीं। इस कारण से, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती थी। अनुच्छेद 370 के हटने से उम्मीद की जा रही है कि अब राज्य में अधिक राजनीतिक स्थिरता होगी और आतंकवाद और अलगाववाद को समाप्त करने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
  • संवेदनशीलता और सुरक्षा खतरे– धारा 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति में कुछ अस्थिरता आई है। शुरुआत में विरोध और हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे राज्य में तनावपूर्ण स्थिति बन गई। अलगाववादी और आतंकवादी समूहों ने इस बदलाव का विरोध किया।
  • सांस्कृतिक पहचान की चिंता कुछ स्थानीय निवासियों को धारा 370 हटने के बाद अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं के कमजोर होने का डर है। उन्हें लगता है कि बाहरी लोगों के आने से उनकी संस्कृति और रीति-रिवाजों पर असर पड़ेगा।
  • स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व पर प्रभाव– धारा 370 हटने से जम्मू-कश्मीर की स्थानीय राजनीतिक पार्टियों का प्रभाव घटा है। उनके पास पहले जो विशेष अधिकार और स्वायत्तता थी, वह अब समाप्त हो गई है, जिससे स्थानीय राजनीति पर केंद्र सरकार का प्रभाव बढ़ा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय आलोचना- धारा 370 के निरस्तीकरण पर कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और देशों ने भारत की आलोचना की है। पाकिस्तान ने भी इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाया, जिससे भारत को वैश्विक मंच पर इस निर्णय का बचाव करना पड़ा।
  • आर्थिक असंतुलन- जम्मू-कश्मीर में कई सालों से व्यापार और व्यवसाय को विशेष सब्सिडी और रियायतें मिलती थीं, जो अब समाप्त हो गई हैं। इससे स्थानीय व्यापारियों को नुकसान होने की संभावना है, क्योंकि उन्हें बाहरी व्यापारियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है।
  • पर्यावरण और संसाधन प्रबंधन- बाहरी निवेश और भूमि की बिक्री बढ़ने के कारण जम्मू-कश्मीर के पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है। इससे स्थानीय पर्यावरण को नुकसान हो सकता है, और भूमि से जुड़े विवादों का भी खतरा है।

धारा 370 के हटने के बाद इन सभी नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, राज्य में स्थिरता और विकास के लिए समुचित योजना और सतर्कता की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्थिति दी थी, लेकिन इसके निरस्त होने के बाद राज्य में कई बदलाव आ सकते हैं। यह निर्णय भारतीय एकता, सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इसके परिणाम भी समय के साथ स्पष्ट होंगे।

अंत में, अनुच्छेद 370 की निरस्तीकरण की प्रक्रिया एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा था, जिसे देश के लिए जरूरी समझा गया। हालांकि, इसने जम्मू और कश्मीर के लोगों और अन्य भारतीय नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित किया, और राज्य में विकास और शांति की दिशा में कदम उठाए गए। इस ब्लॉग में आर्टिकल 370 क्या है? धारा 370 कब हटाई गई (370 Kab Hata), धारा 370 हटने के फायदे के बारे में विस्तार से जाना।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कश्मीर में 370 का क्या मतलब है?

अनुच्छेद 370 भारत के संविधान का एक विशेष प्रावधान था, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था। यह अनुच्छेद भारत के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू-कश्मीर को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता था। जम्मू-कश्मीर को अपने स्वयं के संविधान, ध्वज और कानून बनाने का अधिकार था।

आर्टिकल 370 हटाने से क्या होता है?

1. अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग एक विशेष दर्जा प्रदान करता था। इसे हटाने से यह दर्जा समाप्त हो गया है और अब जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग बन गया है।
2. अनुच्छेद 370 के कारण भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर पर पूरी तरह से लागू नहीं होता था। अब यह लागू हो गया है, जिसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के लोग भी अन्य भारतीय नागरिकों की तरह ही अधिकारों और कर्तव्यों का आनंद लेंगे।
3. जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया है।
4. पहले केवल स्थायी निवासी ही जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकते थे। अब अन्य राज्यों के लोग भी यहां संपत्ति खरीद सकते हैं।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में क्या है?

अनुच्छेद 370 के प्रमुख बिंदु:

1. स्वायत्तता: जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान, ध्वज और कानून बनाने का अधिकार था।
2. भारतीय संविधान की सीमितता: भारत के संविधान का अधिकांश भाग जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था।
3. अन्य राज्यों के नागरिकों के लिए प्रतिबंध: अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे और वहां के स्थायी निवासी ही राज्य की विधानसभा के चुनाव में भाग ले सकते थे।
4. केंद्र सरकार का सीमित अधिकार: केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के मामलों में सीमित अधिकार रखती थी।

भारत में कितने राज्यों में धारा 370 है?

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाए जाने की जानकारी दी। लेकिन देश के 11 राज्यों में एक ऐसी ही धारा लागू है जो केंद्र सरकार को विशेष अधिकार देती है।

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