Quick Summary
भारत के गवर्नर जनरल की सूची और उनका कार्यकाल इस प्रकार है:
भारत के प्रशासन में कई तरह के अधिकारी हुए है, जिनका काम देश में व्यवस्था को बनाए रखना और देश को विकास के राह पर आगे बढ़ाना रहा है। ऐसे ही पदों में गवर्नर जनरल एवं वायसराय शब्द भी शामिल है। यहां हम भारत के गवर्नर जनरल की सूची, स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल और भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
भारत के गवर्नर जनरल और वायसराय के पद की भारत में ब्रिटिश प्रशासन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका थी। भारत का प्रथम गवर्नर जनरल 1773 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने वॉरेन हेस्टिंग्स को बनाया और कंपनी के बारे में जानकारी दी। समय के साथ गवर्नर जनरल और वायसराय के पद का विस्तार हुआ, जो ब्रिटिश-नियंत्रित क्षेत्रों में निजीकरण (Privatization) का काम किया। 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत के शासकों पर नियंत्रण करने के लिए वायसाइन स्थापित कर सारा नियंत्रण अपने हाथ ले लिया। 1947 तक वायस के पास महत्वपूर्ण कार्यकारी शक्तियाँ थीं, जो ब्रिटिश शासन का प्रबंधन करता था।
भारत के गवर्नर जनरल की सूची की शुरुआत 1773 में भारत का प्रथम गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स से हुई, जिसका उद्देश्य शुरू में भारत में कंपनी के क्षेत्रों की देखरेख करना था। प्रथम गवर्नर जनरल के रूप में ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा वॉरेन हेस्टिंग्स को नियुक्त किया गया और वह ब्रिटिश भारत में सर्वोच्च पद के अधिकारी के रूप में कार्य करता था।
भारत का प्रथम गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स को बनाया गया था। समय के साथ गवर्नर जनरल की भूमिका में काफी बदलाव आया, प्रशासनिक अधिकार मजबूत हुए और उपमहाद्वीप में ब्रिटिश नीति और शासन को आकार देने में तेजी से प्रभावशाली होता गया। गवर्नर जनरल का काम भारत के शासकों के साथ संबंध को बेहतर रखने, ब्रिटिश सैनिकों की देखरेख करने और आर्थिक व सामाजिक नीतियों को लागू करना था। गवर्नर जनरल का काम 1858 तक रहा।
भारत में वायसराय का पद की शुरुआत 1858 के भारतीय विद्रोह के बाद हुआ। इससे पहले इस पद को गवर्नर जनरल पद के नाम से जाना जाता था। यह अभी भी गवर्नर जनरल का पद था जिसे शक्ति में बदलाव के कारण वायसराय पद के नाम से बदल दिया गया। ब्रिटिश शासक द्वारा नियुक्त दिए जाने वाले वायसराय, ब्रिटिश भारत के सर्वोच्च अधिकारी के रूप में काम करता था। वायसराय भारत के शासन, कूटनीति, रक्षा और आर्थिक नीतियों की देखरेख करने का काम करता था।
वायसराय का काम ब्रिटिश हितों को बनाए रखना और रियासतों के साथ संबंधों को बनाए रखना था। लॉर्ड कैनिंग और लॉर्ड माउंटबेटन जैसे वायसराय ने 1947 में भारत के स्वतंत्रता के दौरान इतिहास को आकार देने का काम किया, जिसके बाद भारत के एक संप्रभु गणराज्य के रूप में उभरने के साथ ही इस पद को समाप्त कर दिया गया।
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान भारत के गवर्नर जनरल की सूची में उनके नाम, कार्यकाल और उल्लेखनीय घटनाओं के बारे में यहां बता रहे हैं:
भारत के गवर्नर जनरल | कार्यकाल | उल्लेखनीय घटनाओं और योगदान |
वॉरेन हेस्टिंग्स | 1773-1785 | प्रशासनिक ढाँचे की स्थापना; 1770 का बंगाल अकाल। |
लॉर्ड कॉर्नवालिस | 1786-1793 | बंगाल में स्थायी बंदोबस्त की शुरुआत की; दूसरा एंग्लो-मैसूर युद्ध। |
लॉर्ड वेलेस्ली | 1798-1805 | विस्तारवादी नीति, सहायक गठबंधन प्रणाली। |
लॉर्ड विलियम बेंटिक | 1828-1835 | सती प्रथा का उन्मूलन; अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत। |
लॉर्ड डलहौजी | 1848-1856 | टेलीग्राफ और रेलवे की शुरुआत; व्यपगत नीति का सिद्धांत। |
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान भारत के कुछ वायसराय के नाम, कार्यकाल और उल्लेखनीय घटनाओं के बारे में यहां बता रहे हैं:
भारत के वायसराय | कार्यकाल | उल्लेखनीय घटनाओं और योगदान |
लॉर्ड कैनिंग | 1858-1862 | 1858 के बाद पहले वायसराय; भारतीय विद्रोह के बाद की स्थिति का प्रबंधन किया। |
लॉर्ड लिटन | 1876-1880 | 1877 का शाही दरबार; वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट की शुरुआत। |
लॉर्ड कर्जन | 1899-1905 | बंगाल का विभाजन (1905); शैक्षिक सुधार; पुरातत्व सर्वेक्षण। |
लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड | 1916-1921 | मांटेग्यू-चेम्सफ़ोर्ड सुधार; रोलेट एक्ट का रोलबैक। |
लॉर्ड इरविन | 1926-1931 | गोलमेज सम्मेलन, गांधी-इरविन समझौता। |
लुईस माउंटबेटन | 1948-1950 | स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल; भारत के प्रशासनिक काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। |
भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय के पद ब्रिटिश शासन के संदर्भ में समय के साथ विकसित हुए:
भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय के पद ब्रिटिश भारत के शासन और प्रशासन में महत्वपूर्ण थे:
गवर्नर जनरल और वायसराय के कार्य कई मामलों में अलग-अलग होते हैं। दोनों के कार्यों के बारे में आगे विस्तार से जानेंगे।
भारत के गवर्नर जनरल और वायसराय की शक्तियाँ समय के साथ विकसित हुईं और ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के अंदर उनकी भूमिकाएं इस प्रकार थी:
स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल और वायसराय के पद पर ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के अभिन्न अंग थे। मूल रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत स्थापित, गवर्नर जनरल ने कंपनी के क्षेत्रों का प्रबंधन किया और ब्रिटिश प्रभाव का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1857 के भारतीय विद्रोह और उसके बाद ब्रिटिश क्राउन को नियंत्रण हस्तांतरित करने के बाद, वायसराय की उपाधि पेश की गई, जो प्रत्यक्ष क्राउन शासन की ओर एक बदलाव को दर्शाता है। भारत के गवर्नर जनरल की सूची से कब कौन गवर्नर जनरल रहें, इसकी भी जानकारी प्राप्त हो गई होगी।
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भारत के कुल 8(1828 – 1858) गवर्नर जनरल बने।
भारत के प्रथम गवर्नर जनरल विलियम बेंटिक थे। उन्हें 1833 में बंगाल का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया था और बाद में 1835 में भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी आजादी के बाद भारत के पहले स्वतंत्र और अंतिम भारतीय गवर्नर-जनरल थे।
2024 में भारत का कोई गवर्नर जनरल नहीं है।
लॉर्ड माउंटबेटन [1900-1979] भारत के अंतिम वायसराय थे।
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