कैंसर के लक्षण जानिये: कर्क रोग

January 14, 2025
कैंसर के लक्षण

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कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर की कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होती है। कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती चरणों में पहचान में नहीं आते, जिससे इसका निदान और कैंसर का इलाज कठिन हो जाता है। कैंसर के कुछ सामान्य लक्षणों में अचानक वजन कम होना, अत्यधिक थकान, त्वचा पर गांठ या मस्से का होना, और लगातार खांसी या गले में खराश शामिल हैं। इसके अलावा, पेशाब या मल में रक्त आना, पेट में दर्द या सूजन, और भूख में कमी भी कैंसर के संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों की पहचान और समय पर चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है, ताकि कैंसर का प्रारंभिक चरण में ही निदान और कैंसर का इलाज किया जा सके।

कैंसर क्या है?

कर्क रोग या कैंसर शरीर के भागों के असंतुलन होने से होती है। सेल्स का इस तरह का असंतुलनीय विकास नॉर्मल सेल्स को खत्म कर देता है। जो शरीर के कार्यों को अस्त-व्यस्त कर देती है। कैंसर के बहुत से प्रकार होते है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जिनमें शामिल है फेफड़े, मस्तिष्क, मानव प्रणाली, पेट, पेट की अंगभंग, स्तन और अन्य अंग ।

कर्क रोग या कैंसर में शरीर के सेल्स अनियमित रूप से पैदा होने लगते हैं और अनियंत्रित तरीके से बढ़ते रहते हैं। लम्बे समय तक यह बीमारी बनी रही और उपचार ना किये जाये तो यह बढ़ भी सकती है जिससे किसी तरह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 

कैंसर कैसे होता है?

कैंसर तब होता है जब शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। सामान्यतः, शरीर में कोशिकाओं का विभाजन एक नियंत्रित प्रक्रिया होती है, लेकिन जब यह प्रक्रिया गड़बड़ होती है, तो कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक ट्यूमर (गांठ) बना सकती हैं। अगर यह असामान्य कोशिकाएँ आसपास की कोशिकाओं में फैल जाती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगती हैं, तो इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।

कैंसर होने के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

  1. जीन की उत्परिवर्तन (Mutation): कोशिकाओं के जीन में उत्परिवर्तन (mutation) होने के कारण वे अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह उत्परिवर्तन आनुवंशिक, बाहरी या आंतरिक कारणों से हो सकता है।
  2. पर्यावरणीय कारण: जैसे तंबाकू का सेवन, अधिक शराब पीना, सूर्य की हानिकारक यूवी किरणें, और प्रदूषण, ये सभी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  3. आनुवंशिकी (Genetics): कुछ लोग अपने माता-पिता से कैंसर के लिए पूर्वनिर्धारित जीन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है।
  4. वायरस और बैक्टीरिया: कुछ वायरस (जैसे हेपेटाइटिस बी और सी वायरस, या ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) और बैक्टीरिया (जैसे हेलिकोबैक्टर पायलोरी) कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  5. अस्वस्थ जीवनशैली: जैसे अनुशासनहीन आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, तनाव, और खराब मानसिक स्वास्थ्य भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

कैंसर के लक्षण

कैंसर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। लेकिन कुछ मुख्य लक्षण हैं जिसमें महिलाओं में कैंसर के लक्षण भी शामिल है। कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत इस प्रकार है। 

  1. अनियमित खून या रक्ताल्पता: कैंसर बीमारी के लक्षण में महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म या अन्य अनियमित रक्त निकलने की समस्या हो सकती हैं।
  2. खुजली या त्वचा में परिवर्तन: त्वचा में अनियमित खुजली, सूजन या परेशानी हो सकती है।
  3. वजन: बिना कारण वजन कम होना भी कर्क रोग का लक्षण है।
  4. गांठ (लम्प): शरीर के किसी भी अंग में गांठ या लम्प का विकास हो सकता है। वैसे तो यह गांठ दर्दनाक नहीं होती लेकिन कभी-कभी इसमें दर्द या चुभन हो सकती है।
  5. महिलाओं को गर्भाशय कैंसर: इसमें महिलाओं में कैंसर के लक्षण कुछ ऐसे होते है: पेट की सूजन, अनियमित मासिक धर्म, पेट में दर्द आदि। 
  6. अनियमित बुखार: बुखार में अनियमितता हो सकती है बार -बार बुखार आता है।
  7. भूख में कमी: भूख कम लगना भी कर्क रोग का लक्षण है।

यहां बताये गए कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत को अनदेखा न करें और कोई भी गंभीर लक्षण दिखे तो चिकित्सक से सलाह ले। महिलाओं में कैंसर के लक्षण दिखाई दे तो उसे बिल्कुल नजरअंदाज ना करें। यह सेहत के लिए बहुत जोखिम भरा हो सकता है। 

कैंसर का इलाज

कैंसर का इलाज करने के लिए विभिन्न प्रकार की थेरेपीज़ उपलब्ध हैं। यह थेरेपीज़ रोग के प्रकार, स्थिति और चिकित्सा इतिहास पर निर्भर करती है। यहां कुछ मुख्य कैंसर का इलाज दिए गए हैं:

सर्जरीकीमोथेरेपीरेडियोथेरेपीइम्यूनोथेरपी
इसमें कैंसर के प्रभावित क्षेत्र को हटा दिया जाता है।रेडिएशन ऊर्जा का उपयोग करके कैंसर को नष्ट किया जाता है।इम्यून सिस्टम को मजबूत करके कैंसर को कमजोर करना।यह इलाज दवाओं का उपयोग कर कैंसर को रोकता है। 
कैंसर का इलाज

 आइये इसे विस्तार से समझते हैं : 

1. सर्जरी

कर्क रोग (कैंसर) का पहला इलाज आमतौर पर सर्जरी होता है। इस प्रक्रिया में शरीर के उस हिस्से को हटा दिया जाता है, जो कैंसर से प्रभावित है। सर्जरी का उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को हटा देना है। अगर कैंसर शुरुआती अवस्था में है और किसी एक अंग तक सीमित है, तो सर्जरी प्रभावी हो सकती है। सर्जरी के बाद कभी-कभी कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की जरूरत होती है ताकि कैंसर की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

2. कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी में रोगी को दवाइयाँ दी जाती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने या उनका विस्तार रोकने में मदद करती हैं। ये दवाइयाँ रक्त के जरिए शरीर के हर हिस्से में पहुंचती हैं। कीमोथेरेपी का उपयोग ट्यूमर को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे उल्टी, बालों का झड़ना, और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता।

3. रेडियोथेरेपी

रेडियोथेरेपी में उच्च ऊर्जा वाले विकिरण का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह सर्जरी के बाद कैंसर की पुनरावृत्ति रोकने या पहले ट्यूमर को छोटा करने के लिए किया जा सकता है। रेडियोथेरेपी स्थानीय रूप से काम करती है, जिससे शरीर के बाकी हिस्सों को कम नुकसान होता है। उपचार के बाद रोगी को थकान और त्वचा पर बदलाव हो सकते हैं।

4. इम्यूनोथेरपी

इम्यूनोथेरपी में रोगी की इम्यून सिस्टम को सशक्त किया जाता है ताकि वह कैंसर की कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट कर सके। इस उपचार में इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करने वाली दवाइयाँ दी जाती हैं। इम्यूनोथेरपी कुछ कैंसर जैसे मेलानोमा और फेफड़ों के कैंसर में प्रभावी है। इसके साइड इफेक्ट्स में सूजन, त्वचा पर बदलाव, और इम्यून सिस्टम के अधिक सक्रिय होने से समस्याएं हो सकती हैं।

कर्क  रोग के रिस्क फैक्टर 

  • तंबाकू का सेवन (Tobacco Use)
    • तंबाकू (सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला) का सेवन कर्क रोग, विशेषकर फेफड़ों का कैंसर, मुंह, गले, पेट और गुर्दे के कैंसर का प्रमुख कारण है।
    • तंबाकू में पाए जाने वाले हानिकारक रसायन कोशिकाओं के डीएनए में उत्परिवर्तन (mutation) कर सकते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है।
  • आनुवंशिक कारण (Genetic Factors)
    • कुछ व्यक्तियों में कर्क रोग का खतरा आनुवंशिक रूप से अधिक हो सकता है।
    • अगर परिवार में कर्क रोग के मामले रहे हों, तो किसी को भी यह जोखिम हो सकता है।
    • कुछ विशेष जीन उत्परिवर्तित होने पर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जैसे BRCA1 और BRCA2 जीन स्तन और अंडकोष कैंसर से जुड़े होते हैं।
  • अत्यधिक शराब का सेवन (Excessive Alcohol Consumption)
    • शराब का अत्यधिक सेवन मुंह, गले, यकृत (लिवर), और आंत्र कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
    • शराब और तंबाकू का संयोजन इन जोखिमों को और भी अधिक बढ़ा सकता है।
  • आहार और जीवनशैली (Diet and Lifestyle)
    • अस्वस्थ आहार (ज्यादा फैट, शक्कर, और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन) और शारीरिक गतिविधि की कमी कर्क रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
    • विशेष रूप से, रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का अत्यधिक सेवन कोलोरेक्टल कैंसर (आंत्र कैंसर) के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  • सूर्य की हानिकारक यूवी किरणें (Ultraviolet Radiation)
    • अधिक समय तक सूरज की हानिकारक यूवी किरणों के संपर्क में आना त्वचा कैंसर (विशेष रूप से मेलानोमा) का कारण बन सकता है।
    • सूरज की किरणों से बचाव के उपाय जैसे सनस्क्रीन का उपयोग, धूप से बचाव, और सही कपड़े पहनना जरूरी हैं।
  • वायरस और बैक्टीरिया (Viruses and Bacteria)
    • कुछ वायरस और बैक्टीरिया कर्क रोग का कारण बन सकते हैं:
      • एचपीवी (HPV): ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, जो गर्भाशय ग्रीवा, गला, और अन्य अंगों के कैंसर का कारण बन सकता है।
      • हेपेटाइटिस बी और सी (Hepatitis B and C): यह यकृत (लिवर) कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
      • एच. पायलोरी बैक्टीरिया (Helicobacter pylori): यह पेट के कैंसर का कारण बन सकता है।
  • वातावरणीय और प्रदूषण (Environmental and Air Pollution)
    • वायु प्रदूषण, रासायनिक पदार्थों का संपर्क (जैसे एस्बेस्टस, बेंजीन, आर्सेनिक), और औद्योगिक रसायन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
    • कार्यस्थल पर होने वाले रसायनिक प्रदूषण (जैसे आर्सेनिक, बेंजीन, और एसीटोन) भी जोखिम बढ़ाते हैं।
  • वृद्धावस्था (Age)
    • जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, वैसे-वैसे कर्क रोग का खतरा भी बढ़ता है, क्योंकि कोशिकाओं में उत्परिवर्तन (mutation) का जोखिम बढ़ता है और शरीर की प्राकृतिक मरम्मत प्रणाली कमजोर होती है।
  • हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
    • महिलाओं में, अधिक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का सेवन (जैसे कि हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी) कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, जैसे स्तन और गर्भाशय का कैंसर।
  • स्ट्रेस और मानसिक स्वास्थ्य (Stress and Mental Health)
    • लंबे समय तक मानसिक तनाव और चिंता भी शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं, जो प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर सकते हैं और कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

कर्क रोग की रोकथाम

कैंसर बीमारी के लक्षण महसूस होने पर ही उसकी रोकथाम कर लेनी चाहिए नहीं तो यह शरीर में  फैलकर मृत्यु का कारण बन सकता है। कर्क रोग की रोकथाम के मुख्य उपाय हैं जो इस प्रकार हो सकते हैं:

  • नियमित जाँच: आपको नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाकर जांच करवाना होगी और स्क्रीनिंग टेस्ट जरूर कराएं।
  • स्वस्थ आहार: अपने आहार को स्वस्थ आहार में बदलें। एक संतुलित और पोषण से भरपूर आहार लें जिसमें फल, सब्जियाँ, अनाज, और पर्याप्त पानी को शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करें जैसे कि चलना, दौड़ना, योग या एक्सरसाइज अच्छे स्वास्थ्य में सहायक है।
  • धूम्रपान छोड़ें: तंबाकू और धूम्रपान के सेवन से बचें।
  • शराब का सेवन न करें: अधिक शराब शरीर के लिए हानिकारक है। यह शरीर को बिमारियों से ग्रसित कर देती है।
  • संतुलित वजन: ज्यादा वजन भी बिमारियों को आमंत्रण देता है। स्वस्थ वजन बनाये रखें।
  • स्क्रीनिंग और जागरूकता: कैंसर स्क्रीनिंग के लिए जागरूक रहें और समय-समय पर जाँच कराएं।
  • स्वस्थ जीवनशैली: एक अच्छी जीवनशैली आपको बिमारियों से बचाती है। जिसमें नियमित नींद, स्ट्रेस मैनेजमेंट और अवसाद को दूर रखने की कोशिश करें।

सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाएं 

कर्क रोग का इलाज बहुत महंगा इलाज है जो हर व्यक्ति और परिवार के बस की बात नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ योजनाओं की शुरुआत की है जिसका लाभ लेकर गरीब परिवार के सदस्य इलाज करा सकते हैं इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:

1. आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)

PM-JAY इस योजना को उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनकी आय कम है। जिसमें आते हैं वंचित ग्रामीण परिवार, गरीब और निर्दिष्ट व्यवसायों के शहरी श्रमिक परिवार। माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रत्येक परिवार को हर साल  5 लाख रुपये तक का इसमें लाभ दिया जाता है। अस्पताल में निर्धारित आईडी जमा करवाना होती है।

2. स्वास्थ्य मंत्री का विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी)

कैंसर का इलाज का खर्चा उठाने के लिए सरकारी अस्पतालों में 1,25,000 रुपये और उससे कम पारिवारिक वार्षिक आय वाले मरीजों को एचएमडीजी योजना में 75,000 से 1,25,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है।

3. कैंसर रोगियों को हवाई यात्रा के लिए रियायत

यह योजना एयर इंडिया द्वारा उन व्यक्तियों के लिए बनाई गई है जो भारत के निवासी हैं और कैंसर से पीड़ित हैं। जो चिकित्सा जांच/उपचार करवाने के यात्रा लिए कर रहे हैं। इस योजना के तहत इकोनॉमी किराये पर 50% की छूट लागू होगी।

विभिन्न संगठनों के द्वारा चलाई जा रही योजनाएं 

ऐसे बहुत से संगठन है जो कैंसर से निपटने के उद्देश्य से कई योजनाएं चलाते हैं। जिससे कर्क रोग  का इलाज करने के लिए उन मरीजों को मदद मिलती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है। यह संगठन इस प्रकार है:

  • कैंसर रोगी सहायता एसोसिएशन
  • मुख्यमंत्री राहत कोष
  • स्वास्थ्य मंत्री का कैंसर रोगी कोष
  • इंडियन कैंसर सोसायटी
  • केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना  (CGHS)
  • कैंसर सहायता और अनुसंधान फाउंडेशन (CARF)
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष
  • वी केयर कैंसर
  • भारतीय कैंसर सोसायटी (ICS) का कैंसर चिकित्सा कोष
  • सर रतन टाटा ट्रस्ट एंड एलाइड ट्रस्ट्स
  • ग्लोबल कैंसर कंसर्न इंडिया (GCCI)
  • कैंसर केयर ट्रस्ट
  • स्वास्थ्य मंत्री के विवेकाधीन अनुदान

कर्क रोग के साथ जीवन

कर्क रोग के साथ जीना जरूर कठिन हो सकता है, लेकिन इससे पीड़ित व्यक्तियों को इसे सकारात्मक और प्रेरणादायक तरीके से देखना चाहिए। 

  • आदतें और आहार: आपको स्वस्थ रखने में अच्छी आदत और पोषण आपकी मदद करेगा। नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ खानपान आपकी शक्ति बढ़ा सकते हैं।
  • चिकित्सा सलाह: अपने चिकित्सक से जुड़े रहे। उनसे सलाह लें और उसका पालन करें। यदि इलाज के बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से पूछें।
  • जागरूकता और शिक्षा: कर्क रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सही जानकारी होना बहुत जरुरी है। इससे रोग के लक्षणों को पहचानने और समय पर उपचार लेने में मदद मिलती है।
  • आशा और आत्मविश्वास: इस मुश्किल समय में आशा और आत्मविश्वास बनाये रखना बहुत जरुरी है। सकारात्मक रहे अच्छा सोचें, किताबें पढ़े और अपने इलाज पर विश्वास रखें।
  • परिवार और समर्थन: मानसिक स्थिति अच्छी रखने के लिए कर्क रोग के मरीज को अपने परिवार और मित्रों का समर्थन मिलना चाहिए।

कर्क रोग पर रिसर्च

कर्क रोग पर रिसर्च करना जरुरी है क्योंकि इससे उसका रोकथाम करने, बिमारियों का पता लगाने, जांच करने में मदद मिलती है। जितना इसके बारे में रिसर्च करेंगे उतना ही कर्क रोग से निपटने और कर्क रोग का उपचार करने में आसानी होगी। 

कर्क रोग पर विदेशों में रिसर्च 

विदेशों में कैंसर रिसर्च का मुख्य उद्देश्य है कैंसर की उत्पत्ति, उसके लक्षणों की समझ और नए उपचार को विकसित करना। विदेशों में ये सभी क्षेत्र एक समृद्ध और गहराई से अध्ययन कर रहे हैं ताकि नए और प्रभावी उपचार कैंसर के खिलाफ उपलब्ध किए जा सकें। 

यहां कुछ विदेशों के रिसर्च संस्थान हैं जो कैंसर रिसर्च में काम कर रहे हैं:

  1. मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर (Memorial Sloan Kettering Cancer Center),यूएसए
  2. डेन फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट (Dana-Farber Cancer Institute), यूएसए
  3. एंडर्सन कैंसर सेंटर (MD Anderson Cancer Center), यूएसए
  4. इंस्टीट्यूट क्लॉरी रिसर्च सेंटर (Institut Curie Research Center), फ्रांस
  5. रॉयल मार्सडन राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट (Royal Marsden NHS Foundation Trust), यूके

कर्क रोग पर भारत में रिसर्च 

भारत में कैंसर पर विभिन्न रिसर्च और अध्ययन चल रहे हैं जो कैंसर के प्रकोप को समझने और इसके इलाज में सुधार करने के उद्देश्य से किये जाते हैं। यह संस्थान भारत में कैंसर रिसर्च में नवाचार और उपचार के विकास पर गहरा ध्यान देते है।  

यहां कुछ प्रमुख भारतीय कैंसर रिसर्च संस्थान हैं:

  • भारतीय कैंसर अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
  • टाटा मेमोरियल कैंसर अनुसंधान संस्थान, मुंबई 
  • अड्वांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर, पटना 

निष्कर्ष

कर्क रोग विशेषकर कैंसर को कहते हैं। कैंसर त्वचा, फेफड़ों, मस्तिष्क, प्रोस्टेट, स्तन आदि जैसे अंगों में होता है। कर्क रोग बहुत से कारणों से होता है जैसे: आयु, वातावरणीय कारक, आहार और आदतें, रसायनों और इंफेक्शन के कारण।  कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत सबसे मुख्य है। जिसे समय पर पहचान लेना बहुत जरुरी है। इसके इलाज की विधियों में सिर्जरी, रेडिएशन, और दवाओं का उपयोग होता है। आज के इस ब्लॉग में आपने जाना कर्क रोग क्या होता है, कर्क रोग का इलाज, कर्क रोग क्यों होता है आदि। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या अचानक वजन घटना कैंसर का संकेत हो सकता है?

हाँ, अचानक और अनजाने में वजन घटना कैंसर का एक संभावित संकेत हो सकता है।

कैंसर के लक्षणों की पहचान के लिए कौन-कौन से टेस्ट होते हैं?

बायोप्सी, सीटी स्कैन, और एमआरआई जैसे टेस्ट कैंसर के लक्षणों की पहचान में मदद करते हैं।

क्या कैंसर के लक्षण इलाज के बाद भी बने रह सकते हैं?

इलाज के बाद भी कुछ लक्षण बने रह सकते हैं, लेकिन उनका प्रबंधन और राहत संभव हो सकती है।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या होते हैं और इसका उपचार कैसे किया जाता है?

सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों में असामान्य योनि रक्तस्राव, दर्द, और योनि स्राव शामिल हो सकते हैं। इसका उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी, और रेडियोथेरेपी से किया जाता है, जो कैंसर की स्टेज और अवस्था पर निर्भर करता है।

फाइब्रॉएड कैंसर के लक्षण क्या होते हैं?

फाइब्रॉएड कैंसर के लक्षणों में सामान्यतः पेट में दर्द, गांठें, और अत्यधिक मासिक धर्म स्राव शामिल हो सकते हैं।

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