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कलेक्टर बनने के लिए निम्नलिखित कदम हैं:
आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा की जिले का प्रशासनिक प्रमुख यानी कलेक्टर कैसे बने? इस ब्लॉग में आपको जानकारी मिलेगी की कलेक्टर कौन होते हैं, Collector kaise bane, कलेक्टर बनने के लिए योग्यता, यूपीएससी क्या है, कलेक्टर की कार्यप्रणाली तथा चुनौतियां और सफल कलेक्टर की कहानियां तथा उनके अनुभव के बारे में।
कलेक्टर, जिन्हें जिलाधिकारी या डीएम (District Magistrate) के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी होते हैं। वे सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी होते हैं और जिले के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं।
एक कलेक्टर की प्रमुख जिम्मेदारियों में कानून व्यवस्था बनाए रखना, विकास कार्य, राजस्व वसूली, सामाजिक न्याय और आपदा प्रबंधन सामिल है। इसके अलावा वे चुनाव, जनगणना और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यों के आयोजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कलेक्टर बनने के लिए शैक्षिक योग्यता किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक (Bachelors) की डिग्री होनी चाहिए।
आपको सिविल सेवा परीक्षा यानी UPSC परीक्षा की तैयारी कर कलेक्टर बनने के लिए UPSC परीक्षा में उत्तीर्ण होना होता है।
चरण 1: पात्रता जांचें
चरण 2: यूपीएससी परीक्षा के लिए आवेदन करें
चरण 3: प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा दें
चरण 4: साक्षात्कार दें
चरण 5: प्रशिक्षण लें
चरण 6: कलेक्टर बनें
UPSC का मतलब है संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)। यह भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय है जो विभिन्न सरकारी सेवाओं में अधिकारियों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध परीक्षा सिविल सेवा परीक्षा (CSE) है, जिसे IAS परीक्षा के नाम से भी जाना जाता है।
यूपीएससी परीक्षा (कलेक्टर एग्जाम) को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS, जिसके तहत आप कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर बनते हो) और अन्य कई प्रतिष्ठित सेवाओं में नियुक्त किया जाता है।
Collector kaise bane जानने के बाद UPSC की परीक्षा आपको 3 चरणों में देनी होती है। पहला चरण को प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) से जाना जाता है, दूसरी परीक्षा को मुख्य परीक्षा (Mains) और आखरी में साक्षात्कार (Interview) की प्रक्रिया से उम्मीदवारों चयन होता है।
प्रारंभिक परीक्षा:
यह एक वस्तुनिष्ठ परीक्षा है जिसमें दो पेपर होते हैं – सामान्य अध्ययन (General Studies) और सिविल सेवा योग्यता परीक्षा (CSAT) दोनो पेपर की परीक्षा एक दिन में ही होती है।
कलेक्टर एग्जाम का पहला पेपर यानी सामान्य अध्ययन 100 प्रश्नों का होता है जिसके लिए कुल अधिकतम 200 नंबर होते हैं (प्रतेक सही जवाब के लिए 2 नंबर) और हर सवाल गलत होने पर ⅓ यानि -0.66 नंबर काटे जाते हैं। परीक्षा की समय अवधी 2 घंटे की होती है। यह पेपर मेरिट रैंकिंग पर आधारित होती है, यानी इस पेपर में उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीदवारों को कटऑफ नंबर से ज्यादा नंबर लाना होगा, जो हर साल बदलती रहती है, पिछले साल 2023 में यह कटऑफ 75 नंबर के करीब थी।
कलेक्टर बनने के लिए परीक्षा (प्रारंभिक) का दूसरा पेपर जिसे CSAT से जाना जाता है जिसमें 80 प्रश्नों होते हैं जिसके लिए कुल अधिकतम अंक 200 दिए जाते हैं गलत जवाब के लिए ⅓ नंबर काटे जाते हैं। परीक्षा की समय अवधी 2 घंटे की होती है। CSAT पेपर योग्य प्रकृति का होता है, जिसमे उम्मीदवारों को पास होने के लिए न्यूनतम 33% अंक यानि 66 नंबर से अधिक लाना होना।
सामान्य अध्ययन 1 और CSAT पेपर में इन विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं:
पेपर का नाम | विषय |
सामान्य अध्ययन 1 | 1. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की घटनाएं |
2. भारत और विश्व का भूगोल | |
3. भारतीय इतिहास और राष्ट्रीय आंदोलन | |
4. आर्थिक और सामाजिक विकास | |
5. भारतीय राजनीति और शासन | |
6. पर्यावरणीय पारिस्थितिकी | |
7. सामान्य विज्ञान | |
CSAT | 1. तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता | Logical skills and analytical ability |
2. डेटा व्याख्या (चार्ट, ग्राफ, तालिकाएं, डेटा पर्याप्तता आदि – कक्षा X स्तर) | Data Interpretation (charts, graphs, tables, data sufficiency etc. – Class X level) | |
3. सामान्य मानसिक योग्यता | General Mental Ability | |
4. निर्णय लेना और समस्या समाधान | Decision Making and Problem Solving | |
5. संचार कौशल सहित अंतर-व्यक्तिगत कौशल |Inter-personal skills, including communication skills | |
6. बुनियादी संख्यात्मकता (संख्याएं और उनके संबंध, परिमाण के क्रम, आदि – कक्षा X स्तर) | Basic Numeracy (Numbers and their Relations, Orders of Magnitude, etc.- Class X level) |
CSAT पेपर में 33% से अधिक और सामान्य अध्यन पेपर में कटऑफ नंबर से अधिक नंबर तक पहुंचने के बाद उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए योग्य हो जाते हैं। यह एक वर्णनात्मक परीक्षा है जो उम्मीदवारों के ज्ञान, विश्लेषणात्मक क्षमता और लेखन कौशल का आकलन करती है।
इसमें 9 पेपर होते हैं पेपर A तथा B और पेपर 1 से पेपर 7 तक, जिसमे से पेपर A तथा B सिर्फ योग्यता के लिए होता है और पेपर 1 से पेपर 7 तक के अंक आपके अंतिम मेरिट में जुड़ते हैं। दोनों ही पेपर में गलत जवाब के लिए नेगेटिव मार्किंग के रूप में नंबर नहीं काटे जाते। पेपर A तथा B और पेपर 1 से पेपर 7 तक की परीक्षा कुछ इस प्रकार हैं:
पेपर | पेपर का नाम | अधिकतम अंक | समय अवधी | पेपर की प्रकृति |
A | अनिवार्य भाषा परीक्षा | 300 | 3 घंटे | योग्यता न्यूनतम 25% |
B | अंग्रेजी | 300 | 3 घंटे | |
1 | निबंध | 250 | 3 घंटे | मेरिट रैंकिंग |
2 | सामान्य अध्ययन 1 | 250 | 3 घंटे | |
3 | सामान्य अध्ययन 2 | 250 | 3 घंटे | |
4 | सामान्य अध्ययन 3 | 250 | 3 घंटे | |
5 | सामान्य अध्ययन 4 | 250 | 3 घंटे | |
6 | वैकल्पिक 1 | 250 | 3 घंटे | |
7 | वैकल्पिक 2 | 250 | 3 घंटे | |
कुल अंक | 1750 |
यह अंतिम चरण है जिसमें उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और बुद्धिमत्ता का मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए साक्षात्कार (Interview) की प्रक्रिया को अपनाया जाता हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रों से चार विशेषज्ञ और एक अध्यक्ष कुल 5 UPSC के वरिष्ट अधिकारि होते हैं प्रत्येक उम्मीदवारों को नंबर दिया जाता है जो की अधिकतम 275 होता है।
मुख्य परीक्षा (Mains) और साक्षात्कार (Interview) के अंको को जोड़कर कुल 2025 अंको के आधार पर आखरी मेरिट में उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।
हर साल लगभग 11 से 15 लाख उम्मीदवार जिन्हे पता है की कलेक्टर कैसे बने UPSC का फॉर्म भरते हैं जिसमे से करीब 1000-1200 ही सफल हो पाते हैं।
कई सारी चुनौतियों के बावजूद और Collector kaise bane जानने के बाद, UPSC परीक्षा को क्रैक करना असंभव नहीं है। यह भी याद रखें कि सफलता रातोंरात नहीं मिलती। यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत, लगन, धैर्य, अनुसाशन और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। धैर्य और अनुशासन के साथ आप परीक्षा को क्रैक करने के योग्य तो बनते ही हो साथ ही आप एक सफल व्यक्तित्व के तरह भी उभरते हो।
स्तर | बेसिक पे (रुपये में) | पद |
10 | 56,100 | प्रारंभिक स्तर कलेक्टर |
11 | 67,700 | अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट |
12 | 78,800 | जिला मजिस्ट्रेट |
13 | 1,18,500 | विशेष सचिव |
14 | 1,44,200 | संभागीय आयुक्त |
15 | 1,82,200 | प्रधान सचिव |
16 | 2,05,400 | अतिरिक्त मुख्य सचिव |
17 | 2,25,000 | मुख्य सचिव |
18 | 2,50,000 | कैबिनेट सचिव |
विशेषता | कलेक्टर | डिप्टी कलेक्टर |
---|---|---|
पद | जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी | कलेक्टर के अधीनस्थ अधिकारी |
प्रमुख जिम्मेदारियाँ | जिले के सभी प्रशासनिक कार्यों की देखरेख, सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन | कलेक्टर की सहायता करना, विशिष्ट विभागों की जिम्मेदारी निभाना |
पद की नियुक्ति | यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से आईएएस अधिकारी के रूप में नियुक्ति | राज्य लोक सेवा आयोग (एसपीएससी) परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति |
प्रशासनिक अधिकार | जिले के सभी विभागों पर नियंत्रण, कानून और व्यवस्था बनाए रखना | विशिष्ट विभागों का प्रबंधन, कलेक्टर के निर्देशों का पालन करना |
रिपोर्टिंग | राज्य सरकार को सीधे रिपोर्टिंग | कलेक्टर को रिपोर्टिंग |
प्रशिक्षण | लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में प्रशिक्षण | राज्य प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण |
पद की वरिष्ठता | उच्चतम प्रशासनिक पद | डिप्टी कलेक्टर दूसरा महत्वपूर्ण पद |
कार्य क्षेत्र | पूरे जिले का प्रशासनिक कार्य | विशिष्ट विभागों और क्षेत्रों का प्रशासनिक कार्य |
Collector kaise bane और कलेक्टर बनने के लिए शैक्षिक योग्यता जानने के बाद कई लोग UPSC की तैयारी कर कलेक्टर बनना चाहते हैं। लेकिन, कलेक्टर कैसे बने जानने के बाद कलेक्टर बनने में केवल वे ही लोग सफल हो पाएंगे जिनके अंदर आत्मविश्वास है, जो मेहनत करने के लिए तैयार हैं और जो खुदको 0.08% में ले जा सकते हैं।
इस ब्लॉग में आपने जाना कलेक्टर कैसे बने(Collector kaise bane), कलेक्टर बनने के लिए योग्यता, UPSC की परीक्षा, कलेक्टर की कार्यप्रणाली और कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर में अंतर के बारे में।
कलेक्टर बनने के लिए यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से, उम्मीदवारों को पहले सिविल सेवा परीक्षा पास करके आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी बनना होगा। जिला कलेक्टर बनने के लिए, एक आईएएस अधिकारी को पहले 6 साल सेवा करनी होगी और 3 पदोन्नतियाँ प्राप्त करनी होंगी।
सिविल सेवा परीक्षा के लिए CSE का फॉर्म भरें। यूपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करें। प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू दें और उसे भी उत्तीर्ण करें। इंटरव्यू पास करने के बाद, मेरिट लिस्ट के आधार पर कलेक्टर की नियुक्ति होती है।
कलेक्टर बनने के लिए UPSC द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) पास करनी होती है। UPSC की स्थापना 1 अक्टूबर, 1926 को यूनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा की गई थी। वर्तमान में UPSC में एक अध्यक्ष और 10 अतिरिक्त सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
कर्नाटक के डीसी जिला कलेक्टर बनने के दो तरीके हैं: आप संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास कर सकते हैं और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए चुने जा सकते हैं। यह कर्नाटक के डीसी जिला कलेक्टर बनने का एक सीधा और तेज़ तरीका है।
कलेक्टर बनने में आमतौर पर 8 से 10 साल लग सकते हैं। इसमें निम्नलिखित प्रमुख चरण होते हैं:
शिक्षा और तैयारी:
स्नातक की डिग्री प्राप्त करने में 3-4 साल लगते हैं।
UPSC की परीक्षा की तैयारी में 1-2 साल लग सकते हैं।
IAS परीक्षा:
IAS परीक्षा पास करने में 1-2 साल लग सकते हैं।
प्रशिक्षण:
मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (LBSNAA) में 1-2 साल का प्रशिक्षण होता है।
पदस्थापन:
प्रशिक्षण के बाद, आमतौर पर 5-7 साल तक जूनियर पदों पर काम करने के बाद कलेक्टर बनने का अवसर मिलता है।
इस प्रकार, कुल मिलाकर कलेक्टर बनने में लगभग 8-10 साल का समय लग सकता है, अगर आप सीधे रास्ते पर चलते हैं।
डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए आपको UPSC द्वारा आयोजित IAS परीक्षा पास करनी होती है। इसके लिए स्नातक डिग्री, निर्धारित उम्र सीमा, और UPSC के तीन चरण (प्रारंभिक, मुख्य, साक्षात्कार) को उत्तीर्ण करना होता है। सफल उम्मीदवारों को प्रशिक्षण के बाद डिप्टी कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया जाता है।
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