Cyber Crime kya hai: प्रकार, बचाव, नियम और क़ानून

March 26, 2025
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Cyber Crime kya hai: प्रकार, बचाव, नियम और क़ानून

Published on March 26, 2025
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Quick Summary

साइबर अपराध का मतलब है कंप्यूटर या इंटरनेट का इस्तेमाल करके किए जाने वाले किसी भी तरह के अपराध। इसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • हैकिंग: किसी के कंप्यूटर सिस्टम में बिना अनुमति के घुसना।
  • फिशिंग: लोगों को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी चुराना।
  • मैलवेयर: कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना।
  • रैंसमवेयर: कंप्यूटर सिस्टम को लॉक करके फिर उसे खोलने के लिए पैसे मांगना।
  • आइडेंटिटी थेफ्ट: किसी की पहचान चुराकर उसका गलत इस्तेमाल करना।
  • साइबर स्टॉकिंग: किसी को लगातार ऑनलाइन परेशान करना।
  • क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी: चोरी किए गए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके खरीदारी करना।

Table of Contents

Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.

Cyber crime kya hai? साइबर अपराध एक आपराधिक गतिविधि है जो कंप्यूटर, नेटवर्क या डिवाइस को निशाना बनाती है या इनका उपयोग करती है। इसे अक्सर साइबर अपराधी या हैकर पैसों के लिए अंजाम देते हैं, लेकिन कई बार इसका उद्देश्य लाभ से हटकर राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से भी नुकसान पहुंचाना होता है।

हम जिस गति से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, उसी गति से साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। साइबर क्राइम की समझ और उससे बचाव की जानकारी रखना अब सभी के लिए अनिवार्य हो गया है। आज के इस लेख में cyber crime kya hai, साइबर क्राइम एक्ट, साइबर क्राइम की सजा क्या है,साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर, महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

साईबर अपराध क्या है | Cyber Crime Kya Hai?

cyber crime kya hai? साइबर अपराध किसी व्यक्ति, संगठन, या सरकार के खिलाफ किए जाने वाले ऐसे अपराध होते हैं, जिनमें इंटरनेट, कंप्यूटर, या नेटवर्क का उपयोग किया जाता है। ये अपराध कई प्रकार के होते हैं और इसके अंतर्गत संवेदनशील जानकारी की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, इत्यादि जैसे अपराध आते हैं।

साइबर अपराध से खुद को कैसे बचाएं

साइबर अपराध से बचाव के लिए कुछ सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • अपने पासवर्ड को मजबूत और नियमित रूप से बदलें।
  • अज्ञात ईमेल अटैचमेंट या लिंक पर क्लिक करने से बचें।
  • नियमित रूप से अपने कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस पर एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।
  • किसी भी वित्तीय लेन-देन के दौरान सुरक्षित वेबसाइट का ही उपयोग करें।

साईबर अपराध के प्रकार | Types of Cyber Crimes

ऐसे कई तरीके हैं जिनके माध्यम से लोग साइबर अपराध करते हैं जैसे:

  • ईमेल और इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी करना।
  • पहचान की चोरी (व्यक्तिगत जानकारी चुराकर उसका दुरुपयोग करना)।
  • वित्तीय या कार्ड भुगतान डेटा की चोरी।
  • कॉर्पोरेट डेटा को चुराना और बेचना।
  • साइबर एक्सटॉर्शन (धमकी देकर हमले रोकने के लिए फिरौती मांगना)।
  • रैनसमवेयर हमले (साइबर जबरन वसूली का एक रूप)।
  • क्रिप्टोजैकिंग (दूसरों के संसाधनों का उपयोग करके क्रिप्टोकरेंसी माइन करना)।
  • साइबर जासूसी (सरकारी या कंपनी के संवेदनशील डेटा तक पहुंच बनाना)।
  • नेटवर्क में हस्तक्षेप कर उसे खतरे में डालना।
  • कॉपीराइट का उल्लंघन।
  • अवैध जुआ।
  • अवैध वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री।
  • बाल पोर्नोग्राफी का निर्माण, उसका अनुरोध या अपने पास रखना।

Cyber Crime kya hai इसके कुछ विस्तार से उदाहरण इस प्रकार है-

1. हैकिंग | Hacking

हैकिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी सिस्टम, नेटवर्क, या डिवाइस में बिना अनुमति के अवैध तरीके से प्रवेश किया जाता है। हैकर्स सिस्टम की सुरक्षा को तोड़कर व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच सकते हैं या सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हैकिंग का उद्देश्य डेटा चुराना, सिस्टम को क्षति पहुंचाना, या इसका दुरुपयोग करना हो सकता है।

2. फिशिंग | Phishing

फिशिंग में साइबर अपराधी नकली ईमेल, वेबसाइट, या संदेश का उपयोग करके किसी व्यक्ति से उसकी निजी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इस जानकारी में पासवर्ड, बैंक डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी संवेदनशील जानकारियां शामिल होती हैं। फिशिंग आमतौर पर ईमेल या मैसेज के जरिए की जाती है, जो दिखने में बिल्कुल असली लगती है।

3. मैलवेयर | Malware

मैलवेयर एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर है, जैसे कि वायरस, ट्रोजन, वर्म्स, स्पाईवेयर, और रैंसमवेयर, जो कंप्यूटर या नेटवर्क को नुकसान पहुंचा सकता है। ये सॉफ़्टवेयर डिवाइस में प्रवेश कर डेटा को चुराते हैं, नष्ट करते हैं, या सिस्टम की कार्यक्षमता को बाधित करते हैं। रैंसमवेयर में, अपराधी डेटा को एन्क्रिप्ट कर देते हैं और उसे वापस पाने के लिए फिरौती मांगते हैं।

4. पहचान चोरी | Identity Theft

पहचान चोरी में साइबर अपराधी किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी का गलत उपयोग करते हैं, जैसे नाम, पता, बैंक डिटेल्स, आदि। इसका उपयोग अपराधी उस व्यक्ति की पहचान में धोखाधड़ी करने के लिए करते हैं, जैसे कि बैंक खाते से पैसे निकालना, क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग करना, या अन्य वित्तीय लेन-देन करना।

5. चाइल्ड पोर्नोग्राफी | Child Pornography

चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक गंभीर अपराध है जिसमें बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री का निर्माण, प्रसार, और वितरण किया जाता है। यह बच्चों के खिलाफ गंभीर साइबर अपराधों में से एक है, जिसमें इंटरनेट पर अवैध सामग्री का प्रसार किया जाता है। कई देशों में इस पर कड़ी सजा का प्रावधान है।

6. ऑनलाइन उत्पीड़न | Online Harassment

इसमें साइबरबुलिंग, साइबरस्टॉकिंग और किसी व्यक्ति विशेष को डराने, नुकसान पहुँचाने, गुस्सा दिलाने या शर्मिंदा करने के लिए बार-बार किए जाने वाले कार्य शामिल हैं। आज, ऑनलाइन उत्पीड़न सोशल मीडिया साइट्स, डेटिंग ऐप और फ़ोरम/मैसेज बोर्ड पर सबसे ज़्यादा प्रचलित है। ऑनलाइन उत्पीड़न के उदाहरणों में अनुचित और अनचाहे संदेश भेजना, स्पष्ट और जानबूझकर धमकी देना या पीड़ित की संवेदनशील तस्वीरें या वीडियो वितरित करना शामिल है।

7. साइबर आतंकवाद | Cyber Terrorism

आम तौर पर इंटरनेट या कंप्यूटर तकनीक का उपयोग करके ऑनलाइन विनाश के बड़े कार्य, जैसे कि बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचाना और भयावह खराबी पैदा करना, गोपनीय जानकारी चुराना या राजनीतिक या सांस्कृतिक निहितार्थों के साथ प्रचार करना। साइबर आतंकवाद के मामले तेज़ी से जटिल होते जा रहे हैं, जिससे साइबर सुरक्षा और संरक्षण पर अधिक माँग बढ़ रही है।

8. सोशल मीडिया धोखाधड़ी | Social Media Fraud

ऐसे घोटाले जो पीड़ितों को धोखा देने और ठगने के लिए Facebook, Twitter, Instagram और TikTok जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं। उदाहरणों में काल्पनिक ऑनलाइन स्टोर, कैटफ़िशिंग, सोशल इंजीनियरिंग हमले या प्रतिरूपण घोटाले शामिल हैं। सोशल मीडिया धोखाधड़ी अक्सर उपयोगकर्ता के भरोसे, भोलेपन और व्यक्तिगत जानकारी को ऑनलाइन साझा करने की प्रवृत्ति का फायदा उठाती है।

9. बैंकिंग धोखाधड़ी | Banking Fraud

धोखाधड़ी वाली गतिविधियाँ जो वित्तीय संस्थानों या उनके ग्राहकों और हितधारकों को लक्षित करती हैं। बैंकिंग धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप आमतौर पर महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान या पहचान की चोरी होती है, और हमलावर रणनीतियों में अक्सर परिष्कृत हैकिंग और सोशल इंजीनियरिंग रणनीति शामिल होती है। उदाहरणों में क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, एटीएम स्किमिंग और ऑनलाइन बैंकिंग घोटाले शामिल हैं।

10. DDoS हमले | DDoS Attacks

डिस्ट्रिब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस अटैक या DDoS अटैक को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि नेटवर्क या वेबसाइट पर ट्रैफिक बहुत बढ़ जाए, जिससे वह धीमा हो जाए या पूरी तरह क्रैश हो जाए। DDoS हमले यूक्रेन के खिलाफ रूस की कई विनाशकारी साइबर गतिविधियों में से एक थे, साथ ही सरकारी और निजी संस्थाओं से संबंधित कंप्यूटर डेटा को मिटाने के लिए डिज़ाइन किए गए अन्य हमले भी थे।

साइबर क्राइम की शिकायत कहाँ और कैसे करें?

अगर आपको ऑनलाइन ठगी (Online Fraud) की शिकायत करनी है, तो आप निम्नलिखित चरणों का पालन करके कर सकते हैं:

  1. अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी को सूचित करें-
    • अगर आपके बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से फ्रॉड किया गया है, तो तुरंत अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी को सूचित करें। उन्हें आपकी समस्या के साथ संबंधित विवरण और संदर्भ नंबर जैसी जानकारी देनी होगी।
  2. ऑनलाइन शिकायत करें-
    • आप अपनी शिकायत को भारत सरकार की ऑनलाइन शिकायत पोर्टल या निम्नलिखित वेबसाइटों के माध्यम से भी दर्ज कर सकते हैं:
      • National Cyber Crime Reporting Portal (https://cybercrime.gov.in/)
      • Reserve Bank of India’s Sachet (https://sachet.rbi.org.in/Home/Index)
      • Indian Computer Emergency Response Team (https://www.cert-in.org.in/s2cMainServlet?pageid=PUBHL)
  3. ऑनलाइन अपराध निवारण केंद्र से संपर्क करें-
    • भारत सरकार द्वारा संचालित ऑनलाइन अपराध निवारण केंद्रों से संपर्क करके आप भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
  4. स्थानीय पुलिस से संपर्क करें-
    • अगर आपको किसी अन्य ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत (Online Fraud complaint) है, तो आप अपनी स्थानीय पुलिस (Local police) से संपर्क करके शिकायत कर सकते है।

साइबर क्राइम की सजा क्या है?

भारत में साइबर अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। सजा का प्रकार अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है। जानिए cyber crime kya hai और आईटी अधिनियम के अंतर्गत, साइबर अपराध करने वाले को दो साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है।

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र

जनवरी 2020 में गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4C) की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में साइबर अपराध पर प्रभावी नियंत्रण और समन्वय स्थापित करना है। I4C योजना के तहत साइबर अपराधों से निपटने के लिए इसे सात मुख्य घटकों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

  • नेशनल साइबरक्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट: साइबर खतरों का विश्लेषण करने और उन्हें रोकने के उपाय सुझाने के लिए यह इकाई कार्यरत है।
  • नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल: नागरिकों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल, जहां वे साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  • संयुक्त साइबर अपराध जांच दल के लिए मंच: साइबर अपराधों की गहन जांच के लिए विभिन्न एजेंसियों को एकजुट करने वाला मंच।
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध फोरेंसिक प्रयोगशाला पारिस्थितिकी तंत्र: साइबर अपराध के मामलों में फोरेंसिक जांच की सुविधा प्रदान करने के लिए एक संपूर्ण प्रयोगशाला प्रणाली।
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र: साइबर सुरक्षा और अपराध जांच के क्षेत्र में अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक समर्पित प्रशिक्षण केंद्र।
  • साइबर क्राइम इकोसिस्टम मैनेजमेंट यूनिट: साइबर अपराध से निपटने के लिए विभिन्न संगठनों और संस्थानों के बीच समन्वय स्थापित करना।
  • राष्ट्रीय साइबर अनुसंधान और नवाचार केंद्र: साइबर अपराध के नवीन समाधान और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्र।

I4C का उद्देश्य भारत में साइबर अपराधों को नियंत्रित करना और एक संगठित नेटवर्क बनाकर अपराधियों को रोकना है, जिससे देश की डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

महिलाओं के खिलाफ Cyber Crime Kya Hai?

महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध में उन सभी डिजिटल गतिविधियों को शामिल किया जाता है मुख्य रूप से इस प्रकार की घटनाएँ शामिल होती हैं-

  • अपमानजनक टिप्पणियाँ करना- सोशल मीडिया या अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं को अपमानित करने वाली टिप्पणियाँ करना, उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से भद्दे या अनुचित शब्दों का प्रयोग करना। यह मानसिक उत्पीड़न का एक प्रमुख कारण बनता है, जिससे पीड़िता की आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है।
  • सोशल मीडिया पर छेड़छाड़: साइबर अपराधी सोशल मीडिया पर महिलाओं के प्रोफाइल को निशाना बनाते हैं। वे अनचाहे संदेश भेजते हैं, लगातार फ़्रेंड रिक्वेस्ट करते हैं या उनकी निजी जानकारी को सार्वजनिक करते हैं, जिससे महिलाओं को असुरक्षित महसूस होता है। कई बार फेक प्रोफाइल बनाकर उनकी छवि को भी खराब किया जाता है।
  • बदनामी के उद्देश्य से तस्वीरें या वीडियो साझा करना: साइबर अपराधी कई बार महिलाओं की तस्वीरों या वीडियो को एडिट करके या गलत संदर्भ में पेश करके उन्हें बदनाम करने का प्रयास करते हैं। इस तरह की हरकतें महिलाओं के लिए अत्यंत परेशान करने वाली होती हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती हैं।
  • ऑनलाइन उत्पीड़न (Cyber Stalking): महिलाओं का लगातार ऑनलाइन पीछा करना, उन्हें बार-बार कॉल करना, मेसेज भेजना या अन्य तरीकों से उनकी दिनचर्या में हस्तक्षेप करना। यह गतिविधि अक्सर महिला के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर चिंता का कारण बनती है।
  • प्राइवेट डेटा का दुरुपयोग: महिलाओं की निजी जानकारी जैसे फोन नंबर, ईमेल आईडी, पते आदि का दुरुपयोग करके उन्हें परेशान करना। कई बार यह जानकारी सार्वजनिक कर दी जाती है, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा होता है।
  • रिवेंज पोर्न: इसमें व्यक्तिगत या अंतरंग फोटो और वीडियो को सार्वजनिक करके महिला की छवि को खराब करने का प्रयास किया जाता है। यह अपराध खासकर तब होता है जब कोई संबंध टूटता है, और बदला लेने के लिए ऐसा किया जाता है।

कानूनी प्रावधान-

भारतीय कानून में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के लिए कठोर सजा का प्रावधान है। आईटी अधिनियम की धारा 66ई, 67 और भारतीय दंड संहिता की धारा 354डी (ऑनलाइन पीछा), 499 (बदनामी) आदि के तहत ऐसे अपराधों के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इन अपराधों में शामिल व्यक्ति को कारावास और आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है। साइबर अपराध की शिकायतें साइबर क्राइम सेल, पुलिस स्टेशन, या राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल पर की जा सकती हैं।

सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं, जहां महिलाएं साइबर उत्पीड़न की स्थिति में तुरंत सहायता प्राप्त कर सकती हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक डिजिटल वातावरण प्रदान करना है। यहाँ हमने जाना साइबर क्राइम क्या है(Cyber Crime Kya Hai)? और महिलाओं के खिलाफ cyber crime kya hai और इससे कैसे निपटा जाए?

मैलवेयर कंप्यूटर से कैसे हटाएं

मैलवेयर कंप्यूटर की सुरक्षा और डेटा को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए इसे जल्द से जल्द हटाना आवश्यक है। नीचे दिए गए कुछ सरल तरीकों से आप अपने कंप्यूटर से मैलवेयर हटा सकते हैं-

मैलवेयर को कंप्यूटर से हटाने के तरीके

  • एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें- एक विश्वसनीय एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करें और नियमित रूप से स्कैन करें। अधिकतर एंटीवायरस प्रोग्राम में रियल-टाइम सुरक्षा होती है, जो आपके कंप्यूटर में मैलवेयर का पता लगाते हैं और उसे हटाने में मदद करते हैं।
  • सिस्टम को सेफ मोड में चलाएं- मैलवेयर को हटाने के लिए सबसे पहले कंप्यूटर को सेफ मोड में चालू करें। सेफ मोड में केवल आवश्यक फाइलें और ड्राइवर्स लोड होते हैं, जिससे मैलवेयर को निष्क्रिय करना आसान होता है। इसके बाद एंटीवायरस से डीप स्कैन करें।
  • मैलवेयर रिमूवल टूल का उपयोग करें- कई कंपनियां विशेष मैलवेयर रिमूवल टूल प्रदान करती हैं। इन टूल्स को डाउनलोड करके, अपने कंप्यूटर पर स्कैन करें। ये टूल विशेष प्रकार के मैलवेयर को पहचान कर हटाने में अधिक प्रभावी होते हैं।
  • अज्ञात और संदिग्ध सॉफ़्टवेयर को अनइंस्टॉल करें- अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल किए गए सभी सॉफ़्टवेयर की सूची जांचें। यदि कोई अज्ञात या संदिग्ध सॉफ़्टवेयर नजर आए, तो उसे अनइंस्टॉल करें। कई बार ये सॉफ़्टवेयर मैलवेयर होते हैं, जो कंप्यूटर में अनचाहे तरीके से इंस्टॉल हो जाते हैं।
  • ब्राउज़र सेटिंग्स रीसेट करें- मैलवेयर अक्सर ब्राउज़र सेटिंग्स में बदलाव करके एडवेयर या पॉपअप विज्ञापन दिखाता है। ब्राउज़र सेटिंग्स को रीसेट करें, जिससे होमपेज, सर्च इंजन आदि को डिफ़ॉल्ट स्थिति में लाया जा सके। इससे मैलवेयर से जुड़े एक्सटेंशन या प्लगइन्स हट सकते हैं।
  • ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ़्टवेयर को अपडेट रखें- अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और सभी सॉफ़्टवेयर को नियमित रूप से अपडेट करें। सॉफ़्टवेयर अपडेट्स में सुरक्षा पैच होते हैं, जो मैलवेयर से बचाने में मदद करते हैं।
  • क्लीनअप टूल का उपयोग करें- सिस्टम में कैशे, कुकीज, और अन्य अनावश्यक फाइल्स को हटाने के लिए क्लीनअप टूल्स का उपयोग करें। इससे संभावित मैलवेयर को हटाने में मदद मिल सकती है।

बुडापेस्ट कन्वेंशन क्या है?

बुडापेस्ट कन्वेंशन, जिसे कंप्यूटर क्राइम पर बुडापेस्ट कन्वेंशन या साइबर क्राइम पर बुडापेस्ट कन्वेंशन भी कहा जाता है, एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो साइबर अपराधों से निपटने के लिए स्थापित की गई है। यह कन्वेंशन नवंबर 2001 में बुडापेस्ट, हंगरी में हस्ताक्षरित हुई थी और 2004 में इसे प्रभाव में लाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य साइबर अपराधों से जुड़े कानूनों और नीतियों को एक समान बनाना और इसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।

मुख्य उद्देश्य और घटक-

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता- गृह मंत्रालय साइबर अपराध और डेटा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर जोर दे रहा है।
  • बुडापेस्ट कन्वेंशन का परिचय- बुडापेस्ट कन्वेंशन, जिसे साइबर अपराध पर बुडापेस्ट कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है, साइबर अपराधों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
  • पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि- यह अपनी तरह की पहली संधि है जो राष्ट्रीय कानूनों को एकरूप बनाने, जांच तकनीकों में सुधार करने और साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देती है।
  • अनुच्छेद 32B- कन्वेंशन का अनुच्छेद 32B डेटा तक पहुँच की अनुमति देता है, जिससे किसी देश की राष्ट्रीय संप्रभुता पर प्रभाव पड़ सकता है।

भारत की भूमिका- भारत ने अभी तक बुडापेस्ट कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन भारत साइबर सुरक्षा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों में भाग लेता है। भारत का मानना है कि साइबर अपराध से निपटने के लिए ऐसी संधियों में अधिक व्यापकता और विकासशील देशों के मुद्दों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

साइबर क्राइम एक्ट – Cyber crime kya hai?

भारत में साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जो डिजिटल दुनिया को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। आईटी एक्ट 2000 (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम) भारत में साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रमुख कानून है।

साईबर अपराध पर कानून

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के तहत साइबर अपराधों को रोकने के कई प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा IPC की धारा 463, 465, 468, 469, 470, और 471 जैसे प्रावधान भी लागू होते हैं।

आइये थोड़ा जान लेते हैं साइबर क्राइम एक्ट क्या है?और साइबर अपराधों से निपटने के लिए सरकार के प्रयास:

  • भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। इसके तहत वर्ष 2000 में ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम’ पारित किया गया, जिसमें भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है ताकि साइबर अपराधों पर कड़ा नियंत्रण रखा जा सके। अधिनियम की धाराएँ 43, 43ए, 66, 66बी, 66सी, 66डी, 66ई, 66एफ, 67, 67ए, 67बी, 70, 72, 72ए और 74 मुख्य रूप से हैकिंग और अन्य साइबर अपराधों से संबंधित हैं।
  • 2013 में सरकार ने ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति’ जारी की, जिसके तहत ‘राष्ट्रीय अति संवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC)’ का गठन किया गया, ताकि महत्वपूर्ण सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साइबर अपराधों के गंभीर मामलों में 2 साल से लेकर उम्रकैद और आर्थिक जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
  • सरकार ने सूचना सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता’ (ISEA) परियोजना भी शुरू की है। साथ ही ‘कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In)’ की स्थापना की गई है, जो कंप्यूटर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • देश में साइबर अपराधों से लड़ने के लिए ‘साइबर स्वच्छता केंद्र’ भी स्थापित किया गया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत कार्यरत है और डिजिटल इंडिया मुहिम का हिस्सा है। भारत साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
  • साइबर अपराधों पर नियंत्रण और समन्वय के लिए सरकार ने ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)’ की स्थापना भी की है, ताकि एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल से प्रभावी रूप से साइबर अपराधों का मुकाबला किया जा सके।

साईबर अपराध की शिकायत कहाँ और कैसे करें?

अगर आप किसी साइबर अपराध का शिकार होते हैं, तो आप इसके लिए साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन पोर्टल पर भी शिकायत की सुविधा उपलब्ध है, जैसे कि साईबर अपराध इंडिया की वेबसाइट।

साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930

भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 भी जारी किया है, जहां आप तुरंत सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

निष्कर्ष

साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा हमारे समाज के लिए एक चुनौती है। लेकिन थोड़ी सी जागरूकता और सतर्कता से हम साइबर अपराधों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। आवश्यक है कि सभी लोग साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत रिपोर्ट करें। इस ब्लॉग में cyber crime kya hai, साइबर क्राइम एक्ट,साइबर क्राइम की सजा क्या है, महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध,साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पूरी जानकारी दी गई है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. साइबर क्राइम क्य है(cyber crime kya hai)?

साइबर अपराध का मतलब है कंप्यूटर या मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके किया गया कोई भी अपराध। जैसे कि:
– पैसे चुराना
– जानकारी चुराना
– फेक प्रोफाइल बनाना
– वायरस फैलाना
– धमकी देना

2. साइबर क्राइम के कितने प्रकार होते हैं?

साइबर क्राइम के कई प्रकार हैं और ये लगातार बदलते रहते हैं क्योंकि तकनीक विकसित होती रहती है। कुछ प्रमुख प्रकारों में शामिल हैं:
– हैकिंग
– फिशिंग
– मैलवेयर
– रैंसमवेयर
– डेनियल-ऑफ़-सर्विस (DoS) हमले
– आइडेंटिटी थेफ्ट
– चाइल्ड पोर्नोग्राफी
– साइबर स्टॉकिंग
– क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी

3. भारत में साइबर अपराध की सजा क्या है?

अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल और/या पांच लाख रुपये तक जुर्माना।

4. साइबर कानून क्या है विस्तार से समझाइए?

ये कानून इंटरनेट तक पहुँचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों पर लागू होते हैं, जिनमें कंप्यूटर, सेल फ़ोन, ईमेल, वेबसाइट, डेटा स्टोरेज डिवाइस, सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर शामिल हैं। इस प्रकार, साइबर कानून इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के संचार, गोपनीयता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बौद्धिक संपदा को नियंत्रित करते हैं।

5. Top 5 साइबर क्राइम क्या है(Cyber Crime Kya Hai)?

1. इलेक्ट्रॉनिक हैकिंग
2. फ़िशिंग
3. बोटनेट
4. साइबर आतंकवाद
5. साइबर स्टॉकिंग

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