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Quick Summary
साइबर अपराध का मतलब है कंप्यूटर या इंटरनेट का इस्तेमाल करके किए जाने वाले किसी भी तरह के अपराध। इसमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
Cyber crime kya hai? साइबर अपराध एक आपराधिक गतिविधि है जो कंप्यूटर, नेटवर्क या डिवाइस को निशाना बनाती है या इनका उपयोग करती है। इसे अक्सर साइबर अपराधी या हैकर पैसों के लिए अंजाम देते हैं, लेकिन कई बार इसका उद्देश्य लाभ से हटकर राजनीतिक या व्यक्तिगत कारणों से भी नुकसान पहुंचाना होता है।
हम जिस गति से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, उसी गति से साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। साइबर क्राइम की समझ और उससे बचाव की जानकारी रखना अब सभी के लिए अनिवार्य हो गया है। आज के इस लेख में cyber crime kya hai, साइबर क्राइम एक्ट, साइबर क्राइम की सजा क्या है,साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर, महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
cyber crime kya hai? साइबर अपराध किसी व्यक्ति, संगठन, या सरकार के खिलाफ किए जाने वाले ऐसे अपराध होते हैं, जिनमें इंटरनेट, कंप्यूटर, या नेटवर्क का उपयोग किया जाता है। ये अपराध कई प्रकार के होते हैं और इसके अंतर्गत संवेदनशील जानकारी की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, इत्यादि जैसे अपराध आते हैं।
साइबर अपराध से बचाव के लिए कुछ सरल उपाय अपनाए जा सकते हैं:
ऐसे कई तरीके हैं जिनके माध्यम से लोग साइबर अपराध करते हैं जैसे:
Cyber Crime kya hai इसके कुछ विस्तार से उदाहरण इस प्रकार है-
हैकिंग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी सिस्टम, नेटवर्क, या डिवाइस में बिना अनुमति के अवैध तरीके से प्रवेश किया जाता है। हैकर्स सिस्टम की सुरक्षा को तोड़कर व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच सकते हैं या सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हैकिंग का उद्देश्य डेटा चुराना, सिस्टम को क्षति पहुंचाना, या इसका दुरुपयोग करना हो सकता है।
फिशिंग में साइबर अपराधी नकली ईमेल, वेबसाइट, या संदेश का उपयोग करके किसी व्यक्ति से उसकी निजी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इस जानकारी में पासवर्ड, बैंक डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी संवेदनशील जानकारियां शामिल होती हैं। फिशिंग आमतौर पर ईमेल या मैसेज के जरिए की जाती है, जो दिखने में बिल्कुल असली लगती है।
मैलवेयर एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर है, जैसे कि वायरस, ट्रोजन, वर्म्स, स्पाईवेयर, और रैंसमवेयर, जो कंप्यूटर या नेटवर्क को नुकसान पहुंचा सकता है। ये सॉफ़्टवेयर डिवाइस में प्रवेश कर डेटा को चुराते हैं, नष्ट करते हैं, या सिस्टम की कार्यक्षमता को बाधित करते हैं। रैंसमवेयर में, अपराधी डेटा को एन्क्रिप्ट कर देते हैं और उसे वापस पाने के लिए फिरौती मांगते हैं।
पहचान चोरी में साइबर अपराधी किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी का गलत उपयोग करते हैं, जैसे नाम, पता, बैंक डिटेल्स, आदि। इसका उपयोग अपराधी उस व्यक्ति की पहचान में धोखाधड़ी करने के लिए करते हैं, जैसे कि बैंक खाते से पैसे निकालना, क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग करना, या अन्य वित्तीय लेन-देन करना।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी एक गंभीर अपराध है जिसमें बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री का निर्माण, प्रसार, और वितरण किया जाता है। यह बच्चों के खिलाफ गंभीर साइबर अपराधों में से एक है, जिसमें इंटरनेट पर अवैध सामग्री का प्रसार किया जाता है। कई देशों में इस पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
इसमें साइबरबुलिंग, साइबरस्टॉकिंग और किसी व्यक्ति विशेष को डराने, नुकसान पहुँचाने, गुस्सा दिलाने या शर्मिंदा करने के लिए बार-बार किए जाने वाले कार्य शामिल हैं। आज, ऑनलाइन उत्पीड़न सोशल मीडिया साइट्स, डेटिंग ऐप और फ़ोरम/मैसेज बोर्ड पर सबसे ज़्यादा प्रचलित है। ऑनलाइन उत्पीड़न के उदाहरणों में अनुचित और अनचाहे संदेश भेजना, स्पष्ट और जानबूझकर धमकी देना या पीड़ित की संवेदनशील तस्वीरें या वीडियो वितरित करना शामिल है।
आम तौर पर इंटरनेट या कंप्यूटर तकनीक का उपयोग करके ऑनलाइन विनाश के बड़े कार्य, जैसे कि बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुँचाना और भयावह खराबी पैदा करना, गोपनीय जानकारी चुराना या राजनीतिक या सांस्कृतिक निहितार्थों के साथ प्रचार करना। साइबर आतंकवाद के मामले तेज़ी से जटिल होते जा रहे हैं, जिससे साइबर सुरक्षा और संरक्षण पर अधिक माँग बढ़ रही है।
ऐसे घोटाले जो पीड़ितों को धोखा देने और ठगने के लिए Facebook, Twitter, Instagram और TikTok जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं। उदाहरणों में काल्पनिक ऑनलाइन स्टोर, कैटफ़िशिंग, सोशल इंजीनियरिंग हमले या प्रतिरूपण घोटाले शामिल हैं। सोशल मीडिया धोखाधड़ी अक्सर उपयोगकर्ता के भरोसे, भोलेपन और व्यक्तिगत जानकारी को ऑनलाइन साझा करने की प्रवृत्ति का फायदा उठाती है।
धोखाधड़ी वाली गतिविधियाँ जो वित्तीय संस्थानों या उनके ग्राहकों और हितधारकों को लक्षित करती हैं। बैंकिंग धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप आमतौर पर महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान या पहचान की चोरी होती है, और हमलावर रणनीतियों में अक्सर परिष्कृत हैकिंग और सोशल इंजीनियरिंग रणनीति शामिल होती है। उदाहरणों में क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, एटीएम स्किमिंग और ऑनलाइन बैंकिंग घोटाले शामिल हैं।
डिस्ट्रिब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस अटैक या DDoS अटैक को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि नेटवर्क या वेबसाइट पर ट्रैफिक बहुत बढ़ जाए, जिससे वह धीमा हो जाए या पूरी तरह क्रैश हो जाए। DDoS हमले यूक्रेन के खिलाफ रूस की कई विनाशकारी साइबर गतिविधियों में से एक थे, साथ ही सरकारी और निजी संस्थाओं से संबंधित कंप्यूटर डेटा को मिटाने के लिए डिज़ाइन किए गए अन्य हमले भी थे।
अगर आपको ऑनलाइन ठगी (Online Fraud) की शिकायत करनी है, तो आप निम्नलिखित चरणों का पालन करके कर सकते हैं:
भारत में साइबर अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। सजा का प्रकार अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है। जानिए cyber crime kya hai और आईटी अधिनियम के अंतर्गत, साइबर अपराध करने वाले को दो साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दी जा सकती है।
जनवरी 2020 में गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (I4C) की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में साइबर अपराध पर प्रभावी नियंत्रण और समन्वय स्थापित करना है। I4C योजना के तहत साइबर अपराधों से निपटने के लिए इसे सात मुख्य घटकों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:
I4C का उद्देश्य भारत में साइबर अपराधों को नियंत्रित करना और एक संगठित नेटवर्क बनाकर अपराधियों को रोकना है, जिससे देश की डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध में उन सभी डिजिटल गतिविधियों को शामिल किया जाता है मुख्य रूप से इस प्रकार की घटनाएँ शामिल होती हैं-
भारतीय कानून में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के लिए कठोर सजा का प्रावधान है। आईटी अधिनियम की धारा 66ई, 67 और भारतीय दंड संहिता की धारा 354डी (ऑनलाइन पीछा), 499 (बदनामी) आदि के तहत ऐसे अपराधों के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इन अपराधों में शामिल व्यक्ति को कारावास और आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है। साइबर अपराध की शिकायतें साइबर क्राइम सेल, पुलिस स्टेशन, या राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल पर की जा सकती हैं।
सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं, जहां महिलाएं साइबर उत्पीड़न की स्थिति में तुरंत सहायता प्राप्त कर सकती हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक डिजिटल वातावरण प्रदान करना है। यहाँ हमने जाना साइबर क्राइम क्या है(Cyber Crime Kya Hai)? और महिलाओं के खिलाफ cyber crime kya hai और इससे कैसे निपटा जाए?
मैलवेयर कंप्यूटर की सुरक्षा और डेटा को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए इसे जल्द से जल्द हटाना आवश्यक है। नीचे दिए गए कुछ सरल तरीकों से आप अपने कंप्यूटर से मैलवेयर हटा सकते हैं-
बुडापेस्ट कन्वेंशन, जिसे कंप्यूटर क्राइम पर बुडापेस्ट कन्वेंशन या साइबर क्राइम पर बुडापेस्ट कन्वेंशन भी कहा जाता है, एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो साइबर अपराधों से निपटने के लिए स्थापित की गई है। यह कन्वेंशन नवंबर 2001 में बुडापेस्ट, हंगरी में हस्ताक्षरित हुई थी और 2004 में इसे प्रभाव में लाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य साइबर अपराधों से जुड़े कानूनों और नीतियों को एक समान बनाना और इसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
भारत की भूमिका- भारत ने अभी तक बुडापेस्ट कन्वेंशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लेकिन भारत साइबर सुरक्षा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों में भाग लेता है। भारत का मानना है कि साइबर अपराध से निपटने के लिए ऐसी संधियों में अधिक व्यापकता और विकासशील देशों के मुद्दों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
भारत में साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जो डिजिटल दुनिया को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। आईटी एक्ट 2000 (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम) भारत में साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रमुख कानून है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के तहत साइबर अपराधों को रोकने के कई प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा IPC की धारा 463, 465, 468, 469, 470, और 471 जैसे प्रावधान भी लागू होते हैं।
आइये थोड़ा जान लेते हैं साइबर क्राइम एक्ट क्या है?और साइबर अपराधों से निपटने के लिए सरकार के प्रयास:
अगर आप किसी साइबर अपराध का शिकार होते हैं, तो आप इसके लिए साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन पोर्टल पर भी शिकायत की सुविधा उपलब्ध है, जैसे कि साईबर अपराध इंडिया की वेबसाइट।
भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 भी जारी किया है, जहां आप तुरंत सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा हमारे समाज के लिए एक चुनौती है। लेकिन थोड़ी सी जागरूकता और सतर्कता से हम साइबर अपराधों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। आवश्यक है कि सभी लोग साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत रिपोर्ट करें। इस ब्लॉग में cyber crime kya hai, साइबर क्राइम एक्ट,साइबर क्राइम की सजा क्या है, महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध,साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर पूरी जानकारी दी गई है।
साइबर अपराध का मतलब है कंप्यूटर या मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके किया गया कोई भी अपराध। जैसे कि:
– पैसे चुराना
– जानकारी चुराना
– फेक प्रोफाइल बनाना
– वायरस फैलाना
– धमकी देना
साइबर क्राइम के कई प्रकार हैं और ये लगातार बदलते रहते हैं क्योंकि तकनीक विकसित होती रहती है। कुछ प्रमुख प्रकारों में शामिल हैं:
– हैकिंग
– फिशिंग
– मैलवेयर
– रैंसमवेयर
– डेनियल-ऑफ़-सर्विस (DoS) हमले
– आइडेंटिटी थेफ्ट
– चाइल्ड पोर्नोग्राफी
– साइबर स्टॉकिंग
– क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी
अपराध साबित होने पर तीन साल तक की जेल और/या पांच लाख रुपये तक जुर्माना।
ये कानून इंटरनेट तक पहुँचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों पर लागू होते हैं, जिनमें कंप्यूटर, सेल फ़ोन, ईमेल, वेबसाइट, डेटा स्टोरेज डिवाइस, सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर शामिल हैं। इस प्रकार, साइबर कानून इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के संचार, गोपनीयता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बौद्धिक संपदा को नियंत्रित करते हैं।
1. इलेक्ट्रॉनिक हैकिंग
2. फ़िशिंग
3. बोटनेट
4. साइबर आतंकवाद
5. साइबर स्टॉकिंग
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