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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
क्रिया भाषा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो किसी भी वाक्य को पूरा करती है। kriya kise kahate hain समझने से न केवल आपकी व्याकरण की समझ मजबूत होती है, बल्कि लेखन और बोलचाल में भी सुधार सुधार आता है। अगर आप हिंदी व्याकरण में रुचि रखते हैं और अपने हिंदी व्याकरण को बेहतर बनाना चाहते हैं तो “kriya kise kahate hain” जानना आपके लिए बेहद जरूरी हो जाता है।
इस ब्लॉग में आप kriya kise kahate hain, kriya ke bhed kitne hote hain, क्रिया के उपयोग के कुछ उदाहरण, क्रिया अनुबंध के नियम और अकर्मक क्रिया के 50 उदाहरणों के बारे में जानेंगे, साथ ही आप क्रिया और कारक के कुछ मुख्य अंतर और उपयोगों के बारे में भी जानेंगे।
क्रिया वह शब्द है जो किसी कार्य, घटना, या अवस्था को व्यक्त करता है। आसान भाषा में kriya kise kahate hain का जवाब है कि जो भी शब्द यह बताए कि “क्या हो रहा है”, “क्या किया जा रहा है”, या “क्या स्थिति है”, उसे क्रिया कहते हैं।
क्रिया की कुछ मुख्य विशेषताएं:
भाषा में प्रत्येक क्रिया एक विशिष्ट भूमिका निभाती है। कभी-कभी क्रिया सीधे किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति को प्रभावित करती है, तो कभी वह केवल कर्ता के अपने कार्य को दर्शाती है। इसलिए उन्हें अलग-अलग श्रेणियों में बांटना आवश्यक हो जाता है। यह वर्गीकरण हमें भाषा के विभिन्न रूपों और उनके अर्थ को गहराई से समझने में मदद करता है।
Kriya ke bhed को दो आधार पर बाटा गया है। जिसमें पहले है कर्म के आधार पर और दूसरा प्रयोग के आधार पर। कर्म के आधार पर क्रिया के दो प्रकार होते हैं वहीं प्रयोग के आधार पर kriya ke bhed चार हैं।
क्रिया के भेद | Kriya ke Bhed | |
आधार | भेद |
कर्म | सकर्मक क्रिया |
अकर्मक क्रिया | |
प्रयोग | संयुक्त क्रिया |
नामधातु क्रिया | |
प्रेणार्थक क्रिया | |
पूर्वकालिक क्रिया |
कर्म के आधार पर क्रिया को दो भागों में बांटा गया है पहला है सकर्मक क्रिया और दूसरा है अकर्मक क्रिया।
अगर क्रिया किसी पर असर डालती है, तो वह सकर्मक क्रिया कहलाती है और अगर क्रिया केवल कर्ता तक सीमित है और किसी पर असर नहीं डालती, तो वह अकर्मक क्रिया कहलाती है।
क्रियाओं को कर्म के आधार पर बांटने का महत्व हिंदी भाषा की संरचना और संचार की गहराई में छिपा हुआ है। जब हम बोलते या लिखते हैं, तो हमारी क्रियाएँ वाक्य के भाव और अर्थ को निर्धारित करती हैं। हर क्रिया अलग-अलग तरह से काम करती है – कभी किसी पर सीधा प्रभाव डालती है, कभी बिना किसी को प्रभावित किए केवल कर्ता के कार्य को दर्शाती है। कर्म के आधार पर क्रियाओं को वर्गीकृत करने से भाषा की व्याकरणिक संरचना अधिक व्यवस्थित और स्पष्ट होती है।
सकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जिसका प्रभाव वाक्य में किसी कर्म (object) पर पड़ता है। आसान भाषा में समझें तो, ऐसी क्रिया जो वाक्य में “क्या” या “किसे” का जवाब दे, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। सकर्मक क्रिया के बिना वाक्य अधूरा लगता है। सकर्मक क्रिया हमेशा कर्म के साथ संबंध बनाती है।
1. राम ने किताब पढ़ी।
2. सीता ने गाना गाया।
3. राहुल ने खाना खाया।
अकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जिसका प्रभाव किसी अन्य व्यक्ति, वस्तु या चीज़ पर नहीं पड़ता। आसान भाषा में कहें तो यह क्रिया केवल करने वाले (कर्ता) तक ही सीमित रहती है और इसे पूरा समझने के लिए कर्म (object) की जरूरत नहीं होती। अकर्मक क्रिया वाले वाक्य में “क्या” या “किसे” का सवाल नहीं पूछा जा सकता। यह क्रिया अक्सर किसी कार्य, अवस्था, या स्थिति को व्यक्त करती है।
1. राम सो रहा है।
2. पक्षी उड़ रहे हैं।
3. सूरज चमक रहा है।
प्रयोग के आधार पर क्रिया को चार भागों में बांटा गया है। प्रयोग के आधार पर क्रिया के चार प्रकार संयुक्त क्रिया, नामधातु क्रिया, प्रेणार्थक क्रिया और पूर्वकालिक क्रिया हैं।
प्रयोग के आधार पर क्रियाओं को बांटने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि हर परिस्थिति में भाषा का उपयोग अलग-अलग होता है। जैसे, एक ही क्रिया औपचारिक और अनौपचारिक संदर्भों में अलग-अलग तरह से प्रयुक्त हो सकती है। इससे भाषा की लचीलापन और समृद्धि बढ़ती है और संचार अधिक प्रभावी बनता है।
संयुक्त क्रिया वह क्रिया होती है जो दो या अधिक क्रियाओं के मेल से बनती है और एक ही कार्य को व्यक्त करती है। इसे समझने के लिए यह ध्यान रखें कि वाक्य में एक मुख्य क्रिया होती है और दूसरी सहायक क्रिया होती है। ये दोनों मिलकर क्रिया का पूरा अर्थ स्पष्ट करती हैं।
यह वाक्य को अधिक स्पष्ट और समय के अनुसार सही बनाती है। सहायक क्रिया में “रहा है”, “चुका है”, “लिया है”, “दिया है” आदि का उपयोग होता है।
उदाहरण:
दोनों मिलकर बताते हैं कि राम अभी पढ़ाई कर रहा है।
यहां यह बताया जा रहा है कि सीमा सोने का कार्य पूरा कर चुकी है।
यह बताता है कि मैं दौड़ने की प्रक्रिया में हूँ।
संयुक्त क्रिया के भी 11 प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. आरंभबोधक संयुक्त क्रिया: ये ऐसी क्रियाएं हैं जिनसे किसी काम के शुरू होने का पता चलता है।
2. नित्यताबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी काम के लगातार होने का बोध कराती हैं।
3. निश्चयबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य के निश्चित होने या तय होने को दर्शाती हैं।
4. अवकाशबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य को करने या न करने की अनुमति या मनाही को दर्शाती हैं।
5. आवश्यकताबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य के आवश्यक होने को दर्शाती हैं।
6. अनुमतिबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य को करने की अनुमति देने को दर्शाती हैं। (अवकाशबोधक के समानार्थी)
7. इच्छाबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य की इच्छा या कामना को दर्शाती हैं।
8. अभ्यासबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य के अभ्यास या प्रयास को दर्शाती हैं।
9. शक्तिबोधक संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य को करने की शक्ति या क्षमता को दर्शाती हैं।
10. पुनरुक्त संयुक्त क्रिया: ये क्रियाएं किसी कार्य के बार-बार या पुनरावृत्ति को दर्शाती हैं।
11. समाप्तिबोधक संयुक्त क्रिया: ऐसी क्रिया जो किसी काम के खत्म होने या पूरा हो जाने को बताती है।
नामधातु क्रिया वह क्रिया है जो संज्ञा या विशेषण के रूप में प्रयुक्त होकर किसी कार्य या अवस्था को व्यक्त करती है। इसे सरल भाषा में समझें तो जब क्रिया का उपयोग नाम (संज्ञा) की तरह होता है, तो उसे नामधातु क्रिया कहते हैं। नामधातु क्रिया में ना जोड़कर क्रिया को नाम के रूप में बदल दिया जाता है। नामधातु क्रियाएं हमेशा किसी संज्ञा या विशेषण से बनती हैं। इनमें कोई मूल क्रिया नहीं होती है।
उदाहरण:
प्रेणार्थक क्रिया वह क्रिया होती है, जो यह दर्शाती है कि किसी कार्य को करवाया जा रहा है। सरल भाषा में कहें तो जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे से वह कार्य करवाए, तो उस वाक्य में प्रेणार्थक क्रिया का प्रयोग होता है। आमतौर पर किसी भी क्रिया के अंत में ‘वाना’ या ‘आना’ जोड़कर हम प्रेरणार्थक क्रिया बना सकते हैं।
उदाहरण:
पूर्वकालिक क्रिया वह क्रिया होती है, जो किसी ऐसे कार्य या घटना को व्यक्त करती है, जो अतीत में पहले ही पूरी हो चुकी हो। आसान भाषा में कहें, तो यह क्रिया यह बताती है कि कोई काम पहले हो चुका था, लेकिन अब वह खत्म हो गया है। पूर्वकालिक क्रिया वाले वाक्य में अक्सर “था”, “थी”, “थे” जैसे शब्दों का प्रयोग होता है।
उदाहरण:
वाक्यों के साथ क्रिया के उपयोग के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
kriya examples in hindi | ||
वाक्य | क्रिया | क्रिया का उद्देश्य |
राम दौड़ रहा है। | दौड़ रहा है | कार्य को व्यक्त कर रही है। |
सीता गाना गा रही है। | गा रही है | सीता के कार्य को बता रही है। |
सूरज उगता है। | उगता है | घटना को दर्शा रही है। |
बच्चे खेल रहे हैं। | खेल रहे हैं | बच्चों के कार्य को व्यक्त कर रही है। |
पक्षी उड़ रहे हैं। | उड़ रहे हैं | पक्षियों की गतिविधि को दिखा रही है। |
मैंने खाना खाया। | खाया | भूतकाल के कार्य को व्यक्त कर रही है। |
वह स्कूल जाएगा। | जाएगा | भविष्य में होने वाले कार्य को बता रही है। |
पिता अखबार पढ़ रहे हैं। | पढ़ रहे हैं | वर्तमान क्रिया को व्यक्त कर रही है। |
वाक्य में क्रिया का कर्ता, कर्म और अन्य शब्दों के साथ सही तालमेल और संबंध के लिए क्रिया अनुबंध के कुछ नियमों का पालन किया जाता है। यह नियम सुनिश्चित करते हैं कि वाक्य का अर्थ स्पष्ट और सही हो। क्रिया अनुबंध के इन नियमों का पालन करने से वाक्य सही, प्रभावशाली और अर्थपूर्ण बनता है। यह भाषा की शुद्धता और प्रभाव को बनाए रखने में मदद करते हैं।
1. कर्ता और क्रिया का मेल:
राम स्कूल गया। (सही)
राम स्कूल गई। (गलत, क्योंकि “राम” पुल्लिंग है।)
2. क्रिया और काल का मेल:
मैं कल बाजार गया था।
वह अभी खाना खा रहा है।
3. कर्म और क्रिया का मेल:
उसने किताब पढ़ी।
उसने पानी पिया।
4. सहायक क्रिया का सही उपयोग:
मैं घर जाने वाला हूं।
वह काम कर चुका है।
प्रकृति आधारित क्रिया,भावनात्मक क्रिया और दैनिक जीवन क्रिया के आधार पर बांटते हुएं अकर्मक क्रिया के 50 उदाहरण नीचे दिए गए हैं।
प्राकृतिक क्रिया | |
1 | बरसना |
2 | झरना |
3 | गड़गड़ाना |
4 | चमकना |
5 | टिमटिमाना |
6 | गरजना |
7 | निकलना |
8 | होना |
9 | जमना |
10 | ढलना |
11 | खिलना |
12 | बहना |
13 | बिखरना |
14 | सूखना |
15 | जलना |
भावनात्मक क्रिया | |
16 | हँसना |
17 | रोना |
18 | मुस्कुराना |
19 | गुस्सा होना |
20 | दुखी होना |
21 | चौंकना |
22 | डरना |
23 | शांत होना |
24 | शर्माना |
25 | पछताना |
26 | घबराना |
27 | हैरान होना |
28 | चिढ़ना |
29 | थकना |
30 | सोचना |
दैनिक जीवन क्रिया | |
31 | सोना |
32 | जागना |
33 | दौड़ना |
34 | डूबना |
35 | चढ़ना |
36 | बैठना |
37 | टहलना |
38 | उठना |
39 | चलना |
40 | रुकना |
41 | गिरना |
42 | नहाना |
43 | लेटना |
44 | कूदना |
45 | खाना |
46 | खांसना |
47 | छींकना |
48 | पीना |
49 | पढ़ना |
50 | लिखना |
1. क्रिया (Verb):
क्रिया वह शब्द है जो किसी कार्य, अवस्था या घटना को व्यक्त करता है। यह वाक्य में यह बताती है कि कौन सा कार्य हो रहा है।
उदाहरण:
2. कारक (Case):
कारक का मतलब है कर्त्ता, कर्म, साधन आदि के बीच संबंध। यह वाक्य के अलग-अलग शब्दों को क्रिया से जोड़ने का काम करता है।
उदाहरण:
क्रिया और कारक की मुख्य विशेषता:
विशेषता | क्रिया | कारक |
परिभाषा | कार्य, अवस्था या घटना को व्यक्त करता है | संज्ञा या सर्वनाम की व्याकरणिक भूमिका को इंगित करता है |
कार्य | वाक्य का मुख्य हिस्सा | संज्ञा और सर्वनाम को संशोधित करता है |
प्रकार | कर्म के आधार पर दो – सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया प्रयोग के आधार पर चार – संयुक्त क्रिया, नामधातु क्रिया, प्रेणार्थक क्रिया और पूर्वकालिक क्रिया | कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण, संबोधन |
उदाहरण | खेलता, लिखता, पढ़ता | ने, को, के, की, के लिए |
क्रिया न केवल वाक्य का मुख्य आधार होती है, बल्कि यह भाषा को प्रभावी और अर्थपूर्ण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। kriya kise kahate hain जानने के बाद सही ढंग से क्रिया का उपयोग करने से आपकी हिंदी भाषा की समझ और भी मजबूत होगी।
इस ब्लॉग में आपने गहराई से जाना कि kriya kise kahate hain और kriya ke bhed kitne hote hain? साथ ही अपने kriya examples in hindi और अकर्मक क्रिया के 50 उदाहरणों को भी देखा।
क्रिया वाक्य का वह मुख्य अंग है जो किसी कार्य, भाव या स्थिति को व्यक्त करता है। यह बताता है कि वाक्य में क्या हो रहा है या क्या हुआ है।
क्रिया के प्रकार
क्रिया को कई आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है। कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
कर्म के आधार पर–
सकर्मक क्रिया: ऐसी क्रिया जिसके साथ कर्म अनिवार्य होता है, जैसे – राम सेब खाता है।
अकर्मक क्रिया: ऐसी क्रिया जिसके साथ कर्म की आवश्यकता नहीं होती, जैसे – राम सोता है।
संरचना के आधार पर–
सामान्य क्रिया: एक शब्द से बनी क्रिया, जैसे – पढ़ना, लिखना।
संयुक्त क्रिया: दो या दो से अधिक क्रियाओं से मिलकर बनी क्रिया, जैसे – खाना खा रहा है।
नामधातु क्रिया: किसी संज्ञा या सर्वनाम के साथ ‘करना’ या ‘होना’ जुड़कर बनती है, जैसे – पढ़ाई करना।
प्रेरणार्थक क्रिया: किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु से काम करवाना, जैसे – मैंने उसे काम करवाया।
पूर्वकालिक क्रिया: कोई कार्य पहले ही हो चुका हो, जैसे – खाना खाकर सो गया।
सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं –
(1) एक कर्मक क्रिया और (2) द्विकर्मक क्रिया
“चिड़िया उड़ रही है” में ‘उड़ रही है’ एक अकर्मक क्रिया है क्योंकि यहां कोई कर्म नहीं है।
संयुक्त क्रिया का उदाहरण:
खाना खा रहा है
गाना गा रही है
किताब पढ़ रहा था
अकर्मक क्रिया की पहचान करने के लिए आप यह देख सकते हैं कि क्रिया के साथ कोई कर्म है या नहीं। अगर कर्म नहीं है, तो क्रिया अकर्मक होगी।
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