लिपि किसे कहते हैं?: परिभाषा, अर्थ, भेद और उदाहरण 

December 17, 2024
लिपि किसे कहते हैं
Quick Summary

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  • लिपि एक लेखन प्रणाली है, जिसका उपयोग किसी भाषा को लिखने के लिए किया जाता है।
  • यह अक्षरों और चिह्नों का समूह होती है, जो शब्दों और वाक्यों को व्यक्त करती है।
  • उदाहरण के तौर पर, देवनागरी, रोमन, उर्दू और अरबी लिपियाँ प्रमुख हैं।
  • लिपि के माध्यम से संस्कृतियों, विचारों और ज्ञान का आदान-प्रदान होता है।

Table of Contents

लिपि किसे कहते है? तो “लिपि” को अंग्रेजी में “script” या “writing system” कहते हैं। यह एक व्यक्ति या ग्रुप द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले अक्षरों का समूह होता है जिनका उपयोग भाषा के लिखने और पढ़ने के लिए किया जाता है। विभिन्न भाषाओं के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग होता है, जैसे देवनागरी लिपि का उपयोग हिंदी और संस्कृत के लिए, लैटिन लिपि का उपयोग अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच आदि के लिए होता है। 

अगर आप भी विभिन्न प्रकार की लिपि के बारे में जानना चाहते हैं तो आज के इस ब्लॉग में आपको लिपि किसे कहते हैं हिंदी में बताया जाएगा। 

Lipi ki paribhasha/Lipi kise kahate hain(Lipi ka paribhasha) 

लिपि के प्रकार? यह लिखने का तरीका या लिखाई का विशेष रूप। आइये हम इसे विस्तार से समझते हैं तो जानिए लिपि की परिभाषा (Lipi ka paribhasha) क्या है।

अगर लिपि की परिभाषा (Lipi ka paribhasha) को समझे तो “लिपि” एक भाषा या भाषाओं के लिखने के नियमों और चिह्नों का समूह होता है। इसे स्क्रिप्ट या अक्षरमाला भी कहा जाता है। विभिन्न भाषाओं में विभिन्न लिपियाँ होती हैं। जैसे कि देवनागरी, लैटिन और अन्य। 

हिंदी में, देवनागरी लिपि सबसे आम और प्रचलित है, जो कि संस्कृत, हिंदी, मराठी, नेपाली आदि में प्रयुक्त होती है। अंग्रेजी में, रोमन लिपि उपयुक्त होती है जो कि उनकी भाषा के लिए विशिष्ट रूप से डिज़ाइन की गई है। लिपियों का उपयोग व्यक्ति या समुदाय की भाषा को लिखने, पढ़ने, और संचालन करने के लिए किया जाता है।

लिपि किसे कहते हैं?: लिपि के प्रकार 

लिपि के प्रकार कई सारे होते हैं, जो भाषाओं को लिखने के लिए विकसित किए गए हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लिपि के प्रकार बताये गए हैं।

चित्रलिपि चीन, जापान और कोरिया में इस्तेमाल की जाने वाली लिपि।
ब्राह्मी लिपि देवनागरी, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया में इस्तेमाल की जाने वाली लिपि।
फोनेशियन लिपि उत्तरी अफ्रीका, मध्य एशिया और यूरोप में इस्तेमाल की जाने वाली लिपि।
लिपि के प्रकार 

प्रमुख लिपियों की सूची

इस सूची में आपको विभिन्न तरह की लिपि दी गई हैं जो विविध लिपियों को परिभाषित करते हैं।

खरोष्ठी लिपि 

  • यह लिपि भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्रों में लोकप्रिय है खरोष्ठी लिपि को दायें से बायें लिखा जाता है  
  • कुल 37 वर्ण वाली इस लिपि में स्वरों की कमी है साथ ही मात्राएँ और संयुक्ताक्षर भी इसमें कभी नहीं मिलते।
  • ऐसा माना जाता है की विदेशी उद्गम लिपि अर्थात अरामाइक और सीरियाई लिपि से खरोष्ठी लिपि का विकास हुआ है।
  • खरोष्ठी लिपि के प्रमाण सम्राट अशोक के शहबाज़गढ़ी और मानसेहरा (पाकिस्तान) के रिकार्ड्स में मिलते हैं।

ब्राह्मी लिपि

  • ब्राह्मी लिपि को भारत की ज्यादातर लिपियों की माँ मानते हैं सम्राट अशोक के लेखों में ब्राह्मी लिपि का इस्तेमाल किया गया है।
  • ब्राह्मी लिपि की उत्तरी धारा के अंतर्गत कुटिल लिपि, देवनागरी, गुप्त लिपि और शारदा लिपि आती है।
  • 5वीं सदी ईसा पूर्व से 350 ईसा पूर्व तक ब्राह्मी लिपि एक ही रूप मिलती है लेकिन बाद में यह दो भागों में पाई गई उत्तरी धारा व दक्षिणी धारा।
  • ब्राह्मी लिपि को भी बायें से दायें लिखा जाता था।
  • इसकी दक्षिणी धारा में कन्नड़, तेलुगु, तमिल, ग्रंथ, कलिंग, मध्य देशी और पश्चिमी लिपि मौजूद हैं।

शारदा लिपि

  • इस लिपि का विकास आठवीं शताब्दी में कश्मीर में ‘सिद्ध मातृका लिपि’ से हुआ है शारदा लिपि के बहुत से रिकॉर्ड पंजाब, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि में मिले हैं।

ग्रंथ लिपि

  • धर्मराज रथ जो महाबलीपुरम् में स्थित है उस पर ग्रंथ लिपि में विवरण उकेरे हुए हैं।
  • ग्रंथ लिपि का दक्षिण भारत (तमिलनाडु) के पल्लव, पांड्य एवं चोल शासकों ने किया।
  • राजसिंह द्वारा जो कैलाश मंदिर बनवाया गया है उस पर ग्रंथ लिपि में अभिलेख गढ़े हुए हैं।

देवनागरी लिपि

  • देवनागरी लिपि एक व्यवस्थित तथा वैज्ञानिक लिपि है।
  • देवनागरी लिपि में ध्वनि और अक्षरों का तालमेल बेहतरीन होता है।
  • यह लिपि बायें से दायें लिखी जाती है 
  • उत्तर भारत में 8वीं शताब्दी से अब तक कई भाषाओं में देवनागरी का प्रयोग हुआ है जैसे: हिन्दी, मराठी, संस्कृत,भोजपुरी, कोंकणी, नेपाली, मैथिली, गढ़वाली आदि।
  • भारत के संविधान (अनुच्छेद 1) में देवनागरी लिपि को मान्यता प्रदान की गई है।

मोडी लिपि

  • इस लिपि के अक्षरों में तोड़-मोड़ होती है इस वजह से इसे मोडी लिपि कहा गया है।
  • मोडी लिपि को यदुवंशी महामंत्री हेमात्रि ने शुरू किया था।
  • सन1950 से पहले मराठी को मोडी लिपि में लिखा जाता था।

कुटिल लिपि

  • कुटिल लिपि में अक्षरों के सिर ठोस त्रिकोण की तरह हैं और कहीं-कहीं ये टेढ़े-मेढ़े, आड़े-तिरछे या कुटिल तरह के भी हैं।
  • इसे गुप्त लिपि का बदला हुआ रूप माना जाता है कुटिल लिपि को ‘न्यूनकोणीय लिपि’ तथा ‘सिद्ध मातृका’ लिपि भी कहते हैं।
  • कुटिल लिपि छठी शताब्दी से 9वीं शताब्दी तक चली।

लिपि किसे कहते हैं?: उदाहरण सहित लिखिए?

लिपि को उदाहरण के साथ समझे तो इसे समझना ज्यादा आसान हो जाता है। तो चलिए जानते हैं लिपि किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए।

“लिपि” एक भाषा के लिखने या बोलने के विशेष ढंग को कहते हैं। इसे अक्षरों या वर्णों का समूह भी कहा जाता है, जिनका उपयोग किसी भाषा में विचारों और अभिव्यक्ति को लिखने के लिए किया जाता है। लिपि संबंधित भाषा की ध्वनियों और शब्दों को दर्शाने का एक माध्यम भी होती है। इसलिए, लिपि भाषा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भाषा लिपि उदाहरण
हिंदी देवनागरी बच्चे खेल रहे हैं
संस्कृत देवनागरी बालकः क्रीड़न्ति  
अंग्रेजी रोमन The boys are playing 
मराठी देवनागरी मुळे खेळत आहेत 
उर्दू फ़ारसी لڑکے کھیل رہے ہیں۔
पंजाबी गुरमुखी ਮੁੰਡੇ ਖੇਡ ਰਹੇ ਹਨ
रुसी रुसी Мальчики играют
लिपि किसे कहते हैं

लिपि किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए के अंतर्गत अब आपको समझ आ गया होगा। इस तरह लिपि को उदाहरण के साथ समझना सरल हो जाता है जिसमें प्रत्येक लिपि के उदाहरण से उसे आसानी से पढ़ा जा सकता है की यह कौन सी लिपि है।

लिपि किसे कहते हैं?: भाषाओँ की लिपि का संक्षिप्त परिचय और विशेषताएँ

भाषा की लिपि उस विशेष प्रणाली को कहते हैं जिसका उपयोग किसी भाषा के व्यक्त करने के लिए किया जाता है। यह लिपि उस भाषा के ध्वनियों या शब्दों को लिखने के लिए विकसित की जाती है। लिपियों की स्थिति, स्वरूप, और विकास का इतिहास विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में अलग-अलग हो सकता है।

देवनागरी लिपि में हिंदी भाषा 

देवनागरी लिपि हिंदी, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं के लिए प्रचलित है। यह लिपि वर्णमाला पर आधारित है जिसमें क्षेत्रीय और व्यांजन वर्ण होते हैं।

विशेषता: 

  • इसमें 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं।
  • एक प्रकार की खड़ी लेखन पद्धति होती है।

रोमन लिपि में अंग्रेज़ी भाषा

यह लिपि विश्वभर में बहुत अधिक प्रचलित है और अनेक भाषाओं के लिए इसका उपयोग होता है। यह सम्मिलित लेखन पद्धति होती है।

विशेषता: 

  • अंग्रेज़ी भाषा का लिखावट रोमन लिपि में होता है।
  • इसमें लगभग 26 अक्षर होते हैं। जिनमें स्वर और व्यंजन शामिल हैं।

अरबी लिपि में उर्दू और अरबी भाषा

अरबी लिपि उर्दू और अरबी भाषाओं के लिए प्रचलित है। यह लिपि उच्चारण की विविधता को व्यक्त करने के लिए विशेष अक्षरों का उपयोग करती है।

विशेषता: 

  • इसमें 28 अक्षर होते हैं।
  • यह लिपि दाएं से बाएं की ओर लिखी जाती है।

चीनी लिपि में चीनी भाषा

चीनी भाषा के लिए चीनी लिपि का उपयोग होता है। इसमें अलग-अलग अंकों का सम्मिश्रण होता है जो शब्दों और ध्वनियों को दर्शाता है।

विशेषता:

  • इसमें हर अक्षर एक लकड़ी या पत्थर के खंड पर आधारित है, जिसे बोल्ट हांगुल कहा जाता है।
  • व्यंजनों और आवाज़ों की समानता को दर्शाता है जिससे व्याकरण में सुधार आता है।

जापानी लिपि में जापानी भाषा

जापानी भाषा के लिए हिरागाना, काटाकाना और कन्जी तीन प्रमुख लिपियां हैं।

विशेषता:

हिरागाना और काटाकाना लिपियाँ फोनेटिक हैं, जबकि कन्जी लिपि में चीनी से उद्धृत अक्षर होते हैं जिनका अर्थ होता है।

lipi kya hai? लिपि किसे कहते हैं?: लिपि का इतिहास और विकास

लिपि का इतिहास और विकास बहुत ही रोमांचक और महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लिपि का विकास भी मानव सोच और समाज के स्वरूप में बदलाव को दर्शाता है।

लिपि का इतिहास

  • प्राचीनता में लिपि का उदय: लिपि का प्रारंभ संकेतलिपि (Pictographic script) से हुआ जिसमें चित्रों का प्रयोग अक्षरों के रूप में होता था। यह ब्राह्मी लिपि और हिरोग्लिफ्स (Hieroglyphs) जैसी प्राचीन लिपियों का उदाहरण है।
  • फोनेटिक लिपियाँ: फिर आयी फोनेटिक लिपियाँ जैसे ग्रीक, जो ध्वनि के आधार पर अक्षर बनाती हैं और इसका प्रयोग व्याकरण और बोली को लिखने में किया जाता है।
  • मध्ययुगीन और आधुनिक लिपियाँ: मध्ययुगीन अवधि में लिपि का विकास और विशेषकर इस्लामी संस्कृति में अरबी और उर्दू लिपि का प्रशिक्षण के लिए प्रयोग किया गया। विशेषकर रोमन लिपि भी यूरोप में विकसित हुई।

लिपि का विकास

  • कला और सांस्कृतिक प्रभाव: लिपि का विकास कला, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावों के साथ हुआ है। उदाहरण के लिए संस्कृत लिपि के विकास में भारतीय धार्मिक और दार्शनिक संस्कृति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
  • तकनीकी प्रगति: लिपि के विकास में तकनीकी उन्नति भी महत्वपूर्ण रही है। प्रारंभिक लिपियाँ हाथ से लिखी जाती थीं लेकिन आधुनिक समय में टाइपिंग और कंप्यूटरीकृत लिपियाँ हुई हैं।
  • भाषाओं के उपयोग: लिपि का विकास भाषाओं के उपयोग में भी सुधार लाता है। विभिन्न भाषाओं के लिए विशेष लिपियाँ विकसित की गईं हैं जो उनकी स्वाभाविक बोली को लिखने में मदद करती हैं।

लिपि का इतिहास और विकास विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और समाजों के संबंध में गहराई से जुड़ा हुआ है और हमारे समय में भी उसका महत्व अब भी बरकरार है।

प्राचीन लिपियाँ और उनका महत्व

प्राचीन लिपियों का महत्व विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं से जुड़ा है। ये लिपियाँ विभिन्न भाषाओं और साहित्यिक परंपराओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहां कुछ प्रमुख प्राचीन लिपियाँ और उनका महत्व दिया गया है

  • संस्कृत लिपि (देवनागरी): यह लिपि संस्कृत भाषा के लिए प्रमुख है और भारतीय साहित्य और धर्मग्रंथों को लिखने में उपयोग की जाती है। देवनागरी लिपि ने हिन्दी, मराठी, गुजराती, नेपाली आदि के लिए भी लिखने का माध्यम प्रदान किया है।
  • ब्राह्मी लिपि: यह प्राचीन भारतीय लिपि का एक प्राचीन रूप है, जिसने भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ब्राह्मी लिपि से संस्कृति, धर्म, विज्ञान, और साहित्य के ग्रंथ लिखे गए हैं।
  • हड़प्पा सील संग्रह: यह हड़प्पा सभ्यता की लिपि का प्रमुख उदाहरण है, जो इस सभ्यता के समय में उपयोग में था। यह सील संग्रह व्यापार, लेखा-किताब, और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
  • माया लिपि: यह लिपि माया सभ्यता के लिए प्रमुख थी और माया भाषा में लेखन में उपयोग किया जाता था।
  • ग्रीक लिपि: यह प्राचीन यूनानी सभ्यता की लिपि थी और विज्ञान, दर्शन, और कला में लेखन के लिए प्रयुक्त हुई। इसका प्रयोग ग्रीक साहित्य और दार्शनिक ग्रंथों के लिए भी हुआ।

ये लिपियाँ संस्कृति, समाज और शैक्षिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण रही हैं और इनके माध्यम से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ज्ञान का संचार किया गया।

लिपि किसे कहते हैं?: लिपि और भाषा में अंतर

भाषालिपि 
भाषा एक सांकेतिक प्रणाली है जिसमें शब्दों और ध्वनियों का उपयोग किया जाता है व्यक्तित्व, विचार, और भावनाओं को साझा करने के लिए।लिपि एक वाणी को लिखने के लिए उपयुक्त चिन्हों का समूह होता है। 
भाषा एक व्यक्ति या समुदाय की वाणी और लेखन का प्रणाली होती है। यह चिन्हों का सिस्टम होता है जिससे वाक्य और शब्दों को लिखा जा सकता है। 
यह वाक्य, शब्द, और व्याकरण के रूप में प्रकट होती है।लिपि वाचन को संरक्षित करने, सांविधिकरण करने और साझा करने में मदद करती है।
भाषा ध्वन्यात्मक होती है लिपि दृश्यात्मक होती है। 
यह व्यक्तित्व, समाज, संस्कृति, और समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है।विभिन्न भाषाओं के लिए विभिन्न प्रकार की लिपियां होती हैं, जो उनकी ध्वनि और व्याकरण को प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग तरीकों से डिजाइन की गई हैं।
भाषा के द्वारा मनुष्य अपने विचारों, अनुभवों और ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करता है।लिपि उसे लिखने और संरक्षित करने के लिए एक साधन प्रदान करती है। 
भाषा का प्रभाव तुरंत होता है। लिपि के प्रभाव में थोड़ा समय लगता है। 
लिपि और भाषा में अंतर

निष्कर्ष

इस लेख में लिपि किसे कहते हैं इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। लिपि एक ऐसी प्रणाली होती है, जिसके माध्यम से हम अपने विचारों, भावनाओं और ज्ञान को लिखित रूप में व्यक्त करते हैं। लेख में विभिन्न लिपि के प्रकार जैसे देवनागरी, अंग्रेजी, अरबी, उर्दू आदि के बारे में जानकारी दी गई है। लिपि मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे भाषा के विकास और संस्कृति के संरक्षण में मदद मिलती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

लिपि की परिभाषा क्या है?

लिपि किसी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग है। यह ध्वनियों को लिखने के लिए उपयोग किए जाने वाले चिह्नों का समूह है। उदाहरण के लिए, हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।

लिपि किसे कहते हैं, इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी?

लिपि किसी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग है। इसकी आवश्यकता इसलिए पड़ी ताकि ध्वनियों को लिखित रूप में व्यक्त किया जा सके और विचारों, ज्ञान और संस्कृति को संरक्षित और संप्रेषित किया जा सके। उदाहरण: हिंदी की देवनागरी लिपि।

विश्व में कुल कितनी लिपियां हैं?

विश्व में लगभग 100 प्रमुख लिपियां हैं, जिनमें से लगभग दो दर्जन का व्यापक रूप से उपयोग होता है। इनमें देवनागरी, रोमन, अरबी, और चीनी लिपियां प्रमुख हैं।

लिपि क्या होती है, लिपि ना होती तो क्या होता?

लिपि किसी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग होती है। लिपि ना होती तो विचारों और ज्ञान का संप्रेषण मौखिक रूप से ही होता, जिससे इतिहास, साहित्य और विज्ञान का लिखित रिकॉर्ड नहीं होता और संस्कृति का संरक्षण कठिन हो जाता।

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