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भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण और व्यापक हैं। राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य के अंतर्गत, वे न केवल देश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं, बल्कि अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी विशेष भागीदारी होती है। यदि आप राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में जानना चाहते है, तो इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें।
इस ब्लॉग में आपको राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है, राष्ट्रपति पद की योग्यता, राष्ट्रपति का कार्यकाल, राष्ट्रपति पद की विशेषताएं, राष्ट्रपति की शक्तियां और राष्ट्रपति पद से जुड़ी अन्य पहलुओं से बारे में जानकारी मिलेगी।
राष्ट्रपति पद का चुनाव खास प्रक्रियाओं के तहत होता हैं। यह प्रक्रियाएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 और 55 में उल्लिखित हैं।
1 | नागरिकता | राष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए भारत का नागरिक होना अनिवार्य है। |
2 | आयु | राष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। |
3 | शिक्षा | राष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार को किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना चाहिए। |
4 | आपराधिक रिकॉर्ड | राष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार पर कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज होना चाहिए। |
5 | पद | राष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार चुनाव से समय किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए, जैसे सरकारी नौकरी, संसद सदस्य, विधायक, इत्यादि। |
6 | राजनीतिक अनुभव | पिछला राजनीतिक अनुभव होना राष्ट्रपति पद की योग्यता में से एक है नहीं है लेकिन ये उम्मीदवार के लिए लाभकारी हो सकता है, जैसे कि गवर्नर, उपराष्ट्रपति या मंत्री होना। |
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। राष्ट्रपति का कार्यकाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 56 में निर्धारित किया गया है। राष्ट्रपति अधिकतम दो बार चुनाव लड़ सकते हैं, यानी कुल 10 वर्ष तक पद पर रह सकते हैं। हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यरत रहते हुए राष्ट्रपति बनते हैं, तो उनका शेष कार्यकाल राष्ट्रपति का कार्यकाल के रूप में गिना जाता है, मगर नए राष्ट्रपति का कार्यकाल के रूप में नहीं।
राष्ट्रपति पद की कई विशेषताएं और महत्व हैं जिन्हें कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है:
राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य में राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां, कार्यकारी शक्तियां, न्यायिक शक्तियां, आपातकालीन शक्तियां और वित्तीय शक्तियां सामिल हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत, राष्ट्रपति को क्षमादान और दंडात्मक मामलों में कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त हैं। राष्ट्रपति निम्नलिखित अपराधों के लिए व्यक्तियों को क्षमादान दे सकते हैं:
क्षमादान पूर्ण या आंशिक हो सकता है, या सजा को किसी अन्य सजा में बदला जा सकता है। राष्ट्रपति किसी भी मामले में क्षमादान देने से इनकार भी कर सकते हैं। राष्ट्रपति निम्नलिखित मामलों में दंडात्मक शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं:
कोई न्यायालय राष्ट्रपति के इस निर्णय को पुनरीक्षण या चुनौती नहीं दे सकता। राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग न्यायिक सलाह और मंत्रिमंडल की सिफारिशों पर करते हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 के तहत राष्ट्रपति को कुछ विशेष आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई हैं। इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति देश में उत्पन्न गंभीर परिस्थितियों से निपटने के लिए कर सकते हैं।
राष्ट्रपति युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह या राज्य में संवैधानिक व्यवस्था के टूटने की स्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। यह घोषणा आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद तुरंत प्रभावी हो जाती है। आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति की शक्तियां कुछ इस प्रकार हैं:
राष्ट्रपति किसी भी समय आपातकाल की समाप्ति की घोषणा कर सकते हैं। यदि संसद आपातकाल की अवधि को बढ़ाने से इनकार करती है, तो आपातकाल स्वतः समाप्त हो जाता है।
1. धन विधेयकों पर सहमति: कोई भी धन विधेयक (जो सरकार के खर्च से संबंधित होता है) राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के बिना लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति धन विधेयक को स्वीकार कर सकते हैं, अस्वीकार कर सकते हैं या उस पर संशोधन के लिए वापस भेज सकते हैं।
2. अनुदान की मांग: मंत्रिमंडल राष्ट्रपति से अनुदान की मांग कर सकता है जो सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के लिए धन प्रदान करता है। राष्ट्रपति इन मांगों पर विचार करते हैं और उनके अनुसार अनुमोदन करते हैं।
3. आकस्मिक निधि: राष्ट्रपति के पास आकस्मिक निधि होती है, जिसका उपयोग अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाता है। वे इस निधि से एडवांस फंड भी मंजूर कर सकते हैं।
4. वित्तीय आपातकाल: यदि राष्ट्रपति यह मानते हैं कि देश में वित्तीय संकट की स्थिति है, तो वे वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। इस स्थिति में, वे मौद्रिक नीति से संबंधित कुछ शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।
5. ऋण और उधार: राष्ट्रपति भारत सरकार की ओर से ऋण लेने और उधार देने के लिए अधिकृत हैं। वे विदेशी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने के लिए समझौते भी कर सकते हैं।
6. लेखा परीक्षा और जवाबदेही: राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति करते हैं, जो सरकारी खर्चों का लेखा परीक्षण करता है। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार वित्तीय मामलों में जवाबदेह हो।
प्रमुख राष्ट्रपति की विशेषताओं के अलावा राष्ट्रपति की कई अन्य विशेषताएं और सुविधाएं भी हैं।
वे राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रतीक हैं, जो विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, और भाषाई समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करते हैं। संकट के समय, जैसे कि आपातकाल, राष्ट्रपति की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि वे विशेष शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। उनके हस्ताक्षर सभी विधेयकों और आदेशों को वैधानिकता प्रदान करते हैं, जिससे सरकार के कार्यों में निरंतरता बनी रहती है।
राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा अत्यधिक कड़ी होती है। राष्ट्रपति की सुरक्षा का जिम्मा राष्ट्रपति अंगरक्षक (PBG) और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) पर होता है। ये दोनों सुरक्षा बल अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस होते हैं।
राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के लिए कई चरणों की जांच होती है, जिसमें CCTV, बायोमेट्रिक स्कैन, और अन्य सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति भवन के आस-पास का क्षेत्र भी हमेशा कड़ी निगरानी में रहता है। इन सुरक्षा प्रबंधों का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति और उनके आवास को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाना है।
राष्ट्रपति को निम्नलिखित सुविधाएँ मिलती हैं:
राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो सरकार के सुचारू संचालन और देश के विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। इन शक्तियों के सही और संतुलित उपयोग से न केवल शासन प्रणाली में स्थिरता बनी रहती है, बल्कि नागरिकों का विश्वास भी कायम रहता है। राष्ट्रपति की कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और वित्तीय शक्तियाँ संविधान द्वारा निर्धारित हैं, जो उन्हें देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद बनाती हैं।
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राष्ट्रपति की शक्तियां है कार्यकारी, विधायी, न्यायिक, सैन्य और विवेकाधीश शक्ति शामिल हैं। वह संसद की बैठक बुला सकते हैं, विधेयकों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, न्यायाधीशों की नियुक्ति कर सकते हैं, रक्षा बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं और कुछ मामलों में दया की शक्ति रखते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति को अपील पर फैसले करने, आपातकाल की घोषणा करने और विदेशी मामलों में निर्णय लेने का भी अधिकार होता है।
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों के बारे में यह सत्य नहीं है कि वे किसी बिल को निरस्त कर सकते हैं। राष्ट्रपति के पास केवल बिल को वापस संसद में विचार के लिए भेजने का अधिकार होता है, जिससे संसद फिर से उसे संशोधित या पुनः पारित कर सकती है। राष्ट्रपति को किसी बिल को पूरी तरह से निरस्त करने का अधिकार नहीं है। वे केवल उस पर अपनी सहमति दे सकते हैं, या उसे वापस भेज सकते हैं।
राष्ट्रपति की विवेकाधीन शक्तियां:
किसी बिल को वापस करना
प्रधानमंत्री की नियुक्ति
सैन्य बलों का कमांड
राज्यपाल की नियुक्ति
उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं:
– राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करना और कार्यवाही की अध्यक्षता करना।
– राज्यसभा के चुनावों की देखरेख और सदस्यों की योग्यताओं की समीक्षा करना।
– राष्ट्रपति की अस्थायी भूमिका निभाना यदि राष्ट्रपति की मृत्यु या अयोग्यता हो।
– संसद के दोनों सदनों के बीच समन्वय रखना।
राष्ट्रपति की वीटो पावर का मतलब है कि वे संसद द्वारा पारित विधेयकों को अस्वीकार या संशोधित कर सकते हैं। इसके तीन प्रकार होते हैं: सस्पेंशिव, पार्लियामेंट्री, और पोस्टपोनमेंट वीटो। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी विधेयक संविधान के खिलाफ न हो और देशहित में हो।
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