राष्ट्रीय गीत: भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्

October 14, 2024
राष्ट्रीय गीत
Quick Summary

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भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है। इसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था और यह भारत की मातृभूमि के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है। वंदे मातरम राष्ट्रीय आंदोलन का एक प्रतीक बन गया और देशवासियों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रगान में मुख्य अंतर यह है कि राष्ट्रगान को आधिकारिक समारोहों में गाया जाता है जबकि राष्ट्रीय गीत को किसी भी राष्ट्रीय अवसर पर गाया जा सकता है।

Table of Contents

भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ न केवल एक गीत है, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीयता और संस्कृति का प्रतीक है। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रेरणा स्रोत था और आज भी हर भारतीय के दिल में एक विशेष स्थान रखता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे राष्ट्रीय गीत किसने लिखा, राष्ट्रीय गीत क्या है, राष्ट्रीय गीत कौन सा है, राष्ट्रीय गीत कब अपनाया गया और राष्ट्रीय गीत का इतिहास| 

राष्ट्रीय गीत क्या है?

राष्ट्रीय गीत का अर्थ जानने से पहले हम समझेंगे कि हमारा राष्ट्रीय गीत क्या है? और हमारे देश का राष्ट्रीय गीत कौन सा है| दरअसल किसी भी देश का राष्ट्रीय गीत, उस देश की पहचान और उसकी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक होता है। भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ है, जो हमारे देश की गरिमा और उसकी महानता का उद्घोष करता है। यह गीत हमारे देश की सुंदरता और शक्ति का बखान करता है और हमें हमारी मातृभूमि के प्रति गर्व और समर्पण की भावना से भर देता है।

वन्दे मातरम् का अर्थ

राष्ट्रगीत का अर्थ समझने से पहले हम समझेंगे कि राष्ट्रीय गीत किसने लिखा था| राष्ट्रीय गीत को बंकिम चंद्र चटर्जी ने मूल रूप से बांग्ला में लिखा था| अगर हम इस बांग्ला काव्य को हिंदी में काव्य में बदले तो कुछ इस तरह होगा|

“वन्दे मातरम्” संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “मां, मैं आपको नमन करता हूं”। यह गीत मातृभूमि की वंदना और सम्मान का प्रतीक है। “वन्दे” का अर्थ है नमन करना और “मातरम्” का अर्थ है मां। इस गीत में भारत माता की स्तुति की गई है और उसकी सुंदरता, शक्ति और कृपा का वर्णन किया गया है।

राष्ट्रगीत का हिंदी अर्थ –

मैं आपके सामने नतमस्‍तक होता हूँ। 
ओ माता, पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्‍त,
कटाई की फ़सलों के साथ गहरा नाता, 
ओ माता!

उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी ज़मीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।
ओ माता!

वन्दे मातरम् की विशेषताएँ

भारत के राष्ट्रगान, वन्दे मातरम की विशेषताएं निम्न है-

विशेषताविवरण
देशभक्ति की भावना‘वन्दे मातरम्’ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा का स्रोत बना और आज भी देशभक्ति की भावना को प्रबल करता है।
संस्कृत भाषायह गीत संस्कृत में लिखा गया है, जो भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण भाषा है और इसकी साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाता है।
राष्ट्रीय गीत कब अपनाया गया ‘वन्दे मातरम्’ को 24 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था।
प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णनइस गीत में भारत के प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्धि का वर्णन किया गया है।
राष्ट्रीय गीत के लेखक राष्ट्रीय गीत को बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के एक उपन्यास “आनंदमठ” से लिया गया है| 
सामाजिक एकता का प्रतीक‘वन्दे मातरम्’ ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों को एकजुट किया।
राष्ट्रीय पहचान‘वन्दे मातरम्’ भारत की राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है, जो हर भारतीय के दिल में देशप्रेम की भावना को जगाता है।
साहित्यिक महत्त्वबंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित इस गीत का भारतीय साहित्य में विशेष स्थान है।
सांस्कृतिक धरोहरयह गीत भारतीय संस्कृति की धरोहर है, जिसमें हमारी परंपराओं और मूल्यों का वर्णन है।
संगीतबद्धतारवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा संगीतबद्ध किया गया ‘वन्दे मातरम्’ अपने मधुर संगीत के कारण भी प्रसिद्ध है।
वन्दे मातरम् की विशेषताएँ

राष्ट्रीय गीत का इतिहास: राष्ट्रीय गीत किसने लिखा?

राष्ट्रीय गीत का इतिहास भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा हुआ है। बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत सबसे पहले उनके उपन्यास ‘आनन्दमठ’ में प्रकाशित हुआ था। इस गीत की रचना 1870 के दशक में हुई थी और यह 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार गाया गया था। इस गीत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और यह देशभक्ति का प्रतीक बन गया।

घटनावर्षविवरण
रचना1870 के दशक में बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा ‘वन्दे मातरम्’ की रचना
प्रकाशित1882‘आनन्दमठ’ उपन्यास में ‘वन्दे मातरम्’ का प्रकाशन
पहली बार गायी गई 1896भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में
संविधान सभा द्वारा स्वीकृति195024 जनवरी 1950 को ‘वन्दे मातरम्’ को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया
राष्ट्रीय गीत का इतिहास

राष्ट्रीय गीत कब लिखा गया

“वन्दे मातरम्” 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखा गया था। हालांकि, इसे पहली बार 1882 में उनके उपन्यास “आनंदमठ” में प्रकाशित किया गया था। यह गीत तब से ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रेरणास्रोत बन गया और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक संकल्प गीत के रूप में उभर कर आया। 

‘वन्दे मातरम्’ के बोल और संगीत का विकास समय के साथ हुआ। रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने इसके संगीत को सजाया, जिससे यह और भी प्रभावशाली बन गया। यह गीत 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार गाया गया था और तब से यह राष्ट्रीय गीत के रूप में प्रसिद्ध हुआ। अगर हम बात करें कि राष्ट्रीय गीत को कब अपनाया गया था, तो 24 जनवरी 1950 को, भारतीय संविधान सभा ने इसे भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया।

राष्ट्रीय गीत के बोल

‘वन्दे मातरम्’ के बोल भारतीय संस्कृति और प्रकृति की सुंदरता का वर्णन करते हैं। इस गीत में हमारी मातृभूमि की महानता और उसकी प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा की गई है। इसके बोल हर भारतीय के दिल को छू जाते हैं और देशप्रेम की भावना को जागृत करते हैं। 

राष्ट्रीय गीत लिखा हुआ

वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्॥१॥

सप्तकोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
द्विसप्तकोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले।
बहुबलधारिणीं
नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं
मातरम् ॥२॥

तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वम् हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे ॥३॥

त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम्
नमामि कमलाम्
अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलाम्
मातरम् ॥४॥

वन्दे मातरम्
श्यामलाम् सरलाम्
सुस्मिताम् भूषिताम्
धरणीं भरणीं
मातरम् ॥५॥

आज के समय में राष्ट्रीय गीत का महत्व 

वर्तमान में वन्दे मातरम् का महत्व 

‘वन्दे मातरम्’ का महत्त्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि स्वतंत्रता संग्राम के समय था। यह गीत भारत के हर नागरिक के दिल में देशभक्ति और गर्व की भावना को जगाता है। यहाँ वन्दे मातरम् के वर्तमान में महत्त्व की कुछ मुख्य बातें दी जा रही हैं:

  1. राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक: ‘वन्दे मातरम्’ आज भी भारत के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। इसे गाते ही भारतीयों के दिलों में अपने देश के प्रति गर्व और सम्मान की भावना जागृत होती है।
  1. सांस्कृतिक पहचान: यह गीत भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। इसके माध्यम से भारतीय समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखता है और नई पीढ़ियों को भी इसके महत्व से अवगत कराता है।
  1. शैक्षिक संस्थानों में उपयोग: आज भी ‘वन्दे मातरम्’ का उपयोग विभिन्न शैक्षिक संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, और अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों में किया जाता है। यह नई पीढ़ियों में देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  1. राष्ट्रीय एकता: ‘वन्दे मातरम्’ का गायन विभिन्न अवसरों पर भारतीयों को एकजुट करता है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है। यह गीत विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को एक साथ लाने में मदद करता है।
  1. समारोहों और आयोजनों में: राष्ट्रीय पर्वों, जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर ‘वन्दे मातरम्’ का गायन एक प्रमुख हिस्सा होता है। यह गीत उन पलों में राष्ट्रीय एकता और गर्व को और भी प्रबल बनाता है।
  1. प्रेरणा का स्रोत: यह गीत आज भी देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। ‘वन्दे मातरम्’ की भावना युवा पीढ़ी को देश के प्रति समर्पित और प्रेरित करती है।
  1. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर: ‘वन्दे मातरम्’ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की पहचान को प्रकट करता है। जब भी यह गीत किसी अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में बजता है, यह भारत की महानता और उसकी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन जाता है।

वन्दे मातरम् की रोचक जानकारी

  1. ‘वन्दे मातरम्’ का संगीत रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचा गया था।
  2. यह गीत 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार गाया गया था।
  3. ‘वन्दे मातरम्’ को भारतीय संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया।
  4. इस गीत का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है और यह विभिन्न संस्कृतियों में समान रूप से प्रिय है।
  5. ‘वन्दे मातरम्’ का मूल संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था, जो भारतीय संस्कृति और धरोहर को दर्शाता है।

स्वतंत्रता संग्राम में वन्दे मातरम्

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ‘वन्दे मातरम्’ ने स्वतंत्रता सेनानियों को एकजुट किया और उन्हें प्रेरित किया। यह गीत हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की ज्वाला जलाने में सफल रहा। इसके माध्यम से लोगों में जोश और उत्साह भरता था और वे अंग्रेजों के खिलाफ मजबूती से खड़े हो सके।

स्वतंत्रता संग्राम में वन्दे मातरम् की भूमिका

बंगाल में आज़ादी के आंदोलन के दौरान, विभिन्न रैलियों में जोश और ऊर्जा भरने के लिए ‘वन्दे मातरम्’ का गीत गाया जाने लगा। धीरे-धीरे, यह गीत लोगों में बेहद लोकप्रिय हो गया। ब्रिटिश हुकूमत इसकी बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित हो गई और इस पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने लगी।

1896 में ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के ‘कलकत्ता अधिवेशन’ में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘वन्दे मातरम्’ गाया। इसके पाँच साल बाद, 1901 में कलकत्ता में हुए एक और अधिवेशन में चरन दास ने यह गीत फिर से गाया। 1905 में बनारस में हुए अधिवेशन में सरला देवी ने इस गीत को स्वर दिया, जिससे यह गीत और भी व्यापक रूप से फैल गया।

कांग्रेस के अधिवेशनों के अलावा भी, आज़ादी के आंदोलन के दौरान ‘वन्दे मातरम्’ का प्रयोग कई महत्वपूर्ण अवसरों पर हुआ। लाला लाजपत राय ने लाहौर से जिस जर्नल का प्रकाशन शुरू किया, उसका नाम ‘वंदे मातरम्’ रखा। अंग्रेज़ों की गोली का शिकार बनकर दम तोड़ने वाली आज़ादी की दीवानी मातंगिनी हज़ारा की जुबान पर आख़िरी शब्द ‘वन्दे मातरम्’ ही थे। सन 1907 में, मैडम भीकाजी कामा ने जब जर्मनी के स्टटगार्ट में तिरंगा फहराया, तो उसके मध्य में ‘वन्दे मातरम्’ ही लिखा हुआ था।

निष्कर्ष

‘वन्दे मातरम्’ भारत का राष्ट्रीय गीत है और यह हमारे देश की महानता और उसकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस ब्लॉग में हमनें राष्ट्रीय गीत किसने लिखा, राष्ट्रीय गीत क्या है, राष्ट्रीय गीत कौन सा है, राष्ट्रीय गीत कब अपनाया गया और राष्ट्रीय गीत का इतिहास समझने की कोशिश की है| 

यह गीत हमें हमारी मातृभूमि के प्रति सम्मान और समर्पण की भावना सिखाता है। ‘वन्दे मातरम्’ ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारी एकता और देशभक्ति को मजबूत किया और आज भी यह गीत हमारे दिलों में वही भावनाएं जगाता है। इस गीत का महत्व और इसकी प्रेरणादायक शक्ति हमें हमेशा याद दिलाती है कि हम अपने देश के प्रति समर्पित और गर्वित रहें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भारत का राष्ट्रीय गीत कौन सा है?

भारत का राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” है। इसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था और यह भारत की मातृभूमि के प्रति प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है।

भारत का पहला गाना कौन सा है?

पहला भारतीय गाना ‘ दे दे खुदा के नाम पर प्यारे ‘ है, जो 1931 में आई पहली बोलती फिल्म आलम आरा में थी।

भारत का राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रगान में क्या अंतर है?

राष्ट्रगान, जैसे कि “जन गण मन”, 52 सेकंड का होता है और देश की एकता का प्रतीक है। राष्ट्रगीत, जैसे कि “वन्दे मातरम्”, लगभग 1 मिनट 9 सेकंड का होता है और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।

वंदे मातरम कितने सेकंड में गाया जाता है?

“वन्दे मातरम्”, लगभग 1 मिनट 9 सेकंड का है।

राष्ट्रगान कहाँ से लिया गया है?

भारत का राष्ट्र-गान, ‘जन गण मन’, कवि और नाटककार रवींद्रनाथ टैगोर के लेखन से लिया गया है। भारत के राष्ट्र-गान की पंक्तियां रवींद्रनाथ टैगोर के गीत ‘भारतो भाग्यो बिधाता’ से ली गई हैं।

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