शाहजहाँ का जीवन परिचय

October 14, 2024
शाहजहाँ का जीवन परिचय
Quick Summary

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शाहजहाँ, जिनका असली नाम मिर्ज़ा शाहाब-उद-दीन मुहम्मद खुर्रम था, 1628 से 1658 तक मुग़ल सम्राट रहे। उन्होंने ताजमहल, लाल किला और शाहजहाँ मस्जिद जैसी कई महत्वपूर्ण इमारतों का निर्माण कराया। ताजमहल उनकी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया गया था।

Table of Contents

शाहजहाँ, मुग़ल साम्राज्य के पाँचवे सम्राट, का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर में हुआ था। उनका असली नाम ख़ुर्रम था। 1628 से 1658 तक उनके शासनकाल को मुग़ल साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। शाहजहाँ अपनी न्यायप्रियता और वैभवविलास के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी प्रिय बेगम मुमताज़ महल की याद में ताज महल का निर्माण कराया, जो आज भी प्रेम का प्रतीक है। उनके शासनकाल में स्थापत्य कला ने नई ऊँचाइयों को छुआ, जिसमें लाल किला और जामा मस्जिद जैसे भव्य निर्माण शामिल हैं।

शाहजहाँ का जीवन परिचय

शाहजहाँ मुगल बादशाह जहांगीर और राजपूत राजकुमारी मनमती का तीसरा बेटा था। उनका जन्म 5 जनवरी 1592 को हुआ, तब उनका नाम नाम खुर्रम शिहाब-उद-दीन मुहम्मद शाहजहाँ था। उन्होंने 1612 ने अर्जुमंद बानू बेगम से शादी की। जिससे कि उन्हें नूरजहां गुट की सदस्यता मिल गई। सत्ता की महत्वाकांक्षा रखने वाले खुर्रम ने 1622 में उत्तराधिकार जीतने के लिए विद्रोह कर दिया। पिता जहांगीर के मृत्यु के बाद शाहजहां ने फरवरी 1628 को खुद को आगरा का बादशाह घोषित किया। उन्होंने ने 31 जुलाई 1658 तक शासन किया और बाकि की जिंदगी काल कोठरी में बितायी जहां उनकी मृत्यु हुई।

शाहजहाँ कौन था?

शाहजहाँ का पूरा नाम खुर्रम शिहाब-उद-दीन मुहम्मद शाहजहाँ था, भारत के पांचवें मुगल सम्राट थे। उन्होंने 1628 से 1658 तक शासन किया और उन्हें उनकी स्थापत्य कला की उपलब्धियों, विशेष रूप से अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में ताजमहल के निर्माण के लिए जाना जाता है।

उनका का जन्म 5 जनवरी, 1592 को लाहौर में हुआ था, जो उस समय मुगल साम्राज्य (अब पाकिस्तान में) का हिस्सा था। वह सम्राट जहाँगीर के तीसरे पुत्र थे और अपने पिता की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के लिए एक संक्षिप्त संघर्ष के बाद सम्राट बने। शाहजहाँ का शासनकाल मुगल साम्राज्य के सबसे बड़े विस्तार और अपने पूरे क्षेत्र में कला, संस्कृति और वाणिज्य को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए भी उल्लेखनीय है। उनके बाद के वर्षों में उनके बेटों, विशेष रूप से औरंगजेब के बीच सत्ता संघर्ष हुई, जिसने अंततः सत्ता पर कब्जा कर लिया और शाहजहां को 1666 में उनकी मृत्यु तक नजरबंद रखा।

शाहजहां का इतिहास

शाहजहां का इतिहास की छाप भारत के शहरों में दिखाई देती है, खासकर आगरा में।

शाहजहां के माता-पिता का परिचय

शाहजहाँ किसका पुत्र था इसका जवाब सम्राट जहाँगीर है। जहाँगीर, जिनका जन्म का नाम नूर-उद-दीन मुहम्मद सलीम था, भारत के चौथे मुगल सम्राट थे, जिन्होंने 1605 से 1627 तक शासन किया। उनका जन्म 31 अगस्त, 1569 को हुआ था और वे अपने पिता, सम्राट अकबर महान की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठे थे।

उनकी माता का नाम जगत गोसैनी है। जगत गोसैनी, जिन्हें राजकुमारी मनमती या जोधा बाई के नाम से भी जाना जाता है, सम्राट जहाँगीर की राजपूत पत्नी और शाहजहाँ की माँ थी। 

पारिवारिक पृष्ठभूमि

शाहजहां का इतिहास और पारिवारिक संबंध तैमूर राजवंश से था। तैमूर ने मध्य एशियाई को जीता था, जहाँ उनका तैमूर साम्राज्य था। तैमूरियों की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध थी, जिसमें फारसी, मध्य एशियाई और भारतीय प्रभावों का मिश्रण था। शाहजहाँ के कई भाई-बहन थे, जिनमें उनके भाई प्रिंस खुसरो मिर्ज़ा और प्रिंस खुर्रम शामिल थे। 

शाहजहाँ का शासनकाल

शाहजहाँ के शासनकाल का एक सिंहावलोकन दिया गया है, जिसमें उनके राज्याभिषेक और शासन की शुरुआत के साथ-साथ उनकी प्रमुख नीतियों और प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

राज्याभिषेक और शासन की शुरुआत

शाहजहाँ अपने पिता, सम्राट जहाँगीर की मृत्यु के बाद 1628 में मुगल सिंहासन पर चढ़े। उनके सिंहासनारूढ़ होने के बाद उनके भाइयों के बीच सत्ता के संघर्ष हुआ, जिसमें वह विजयी हुए। सम्राट बनने पर खुर्रम शिहाब-उद-दीन मुहम्मद ने “शाहजहाँ” की उपाधि धारण की, जिसका अर्थ है “दुनिया का राजा”। उनका राज्याभिषेक समारोह एक भव्य आयोजन था, जो मुगल शाही अधिकार और वैभव की निरंतरता का प्रतीक था।

प्रमुख नीतियां और प्रशासनिक सुधार

  1. अधिकार का केंद्रीकरण: शाहजहाँ ने शाही अधिकार को केंद्रीकृत करने के उद्देश्य से प्रशासनिक सुधार लागू किए। उन्होंने नौकरशाही को मजबूत किया और मुगल साम्राज्य में शासन की एक अधिक संरचित प्रणाली स्थापित की।
  1. कला और संस्कृति को बढ़ावा: शाहजहाँ कला, वास्तुकला और साहित्य का संरक्षक था। उनके शासनकाल को अक्सर मुगल वास्तुकला के “स्वर्ण युग” के रूप में जाना जाता है, जो ताजमहल, आगरा किला, दिल्ली में जामा मस्जिद और थट्टा में शाहजहां मस्जिद जैसे प्रतिष्ठित स्मारकों का निर्माण किया गया। उन्होंने कलाकारों, कवियों और विद्वानों का समर्थन किया, अपने शासन के दौरान मुगल संस्कृति और कला के उत्कर्ष में योगदान दिया।
  1. आर्थिक नीतियां: शाहजहाँ ने साम्राज्य के भीतर और पड़ोसी क्षेत्रों के साथ व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा दिया। उन्होंने बाजारों और व्यापार मार्गों के विकास को प्रोत्साहित किया, जिससे आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा मिला। उन्होंने शाही खजाने के लिए एक स्थिर राजस्व प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए राजकोषीय नीतियों को लागू किया, जिससे उनकी महत्वाकांक्षी निर्माण परियोजनाओं और सैन्य अभियानों को समर्थन मिला।
  1. सैन्य अभियान और विस्तार: शाहजहां ने मुगल साम्राज्य के क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए सैन्य अभियान चलाए। उन्होंने दौलताबाद के रणनीतिक किले सहित दक्कन क्षेत्र के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया और मुगल अधिकार का दावा करने के लिए क्षेत्रीय शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया।
  1. धार्मिक नीति: शाहजहाँ ने अपने पूर्ववर्तियों अकबर और जहांगीर द्वारा स्थापित धार्मिक रीतियों की मुगल परंपरा को जारी रखा। उन्होंने धार्मिक संस्थाओं को संरक्षण दिया और अपने विषयों की विविध धार्मिक मान्यताओं का सम्मान किया, जिससे धार्मिक सद्भाव का माहौल बना।
  1. कानूनी सुधार: शाहजहाँ ने कानून के प्रशासन में न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कानूनी सुधार पेश किए। उन्होंने कानूनी कार्यवाही में स्पष्टता और स्थिरता प्रदान करने के लिए कानूनों और विनियमों के संहिताकरण का समर्थन किया।

शाहजहाँ बेगम

शाहजहां की कई बेगम थी, उनमें कुछ खास महत्वपूर्ण बेगमों के बारे में आगे विस्तार से जानेंगे।  

शाहजहां की कितनी पत्नी थी?

मुगल सम्राट शाहजहाँ की कई पत्नियां थी। हालांकि, उनकी सबसे प्रिय पत्नी मुमताज महल थीं। यहाँ शाहजहाँ की नौ प्रसिद्ध पत्नियों के बारे में सूची के माध्यम से बता रहे हैं। 

नामविवरण
मुमताज महल (अर्जुमंद बानू बेगम)वह शाहजहाँ की पसंदीदा पत्नी थीं, जो अपनी सुंदरता और उनके प्रति गहरे प्रेम के लिए जानी जाती थीं। दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल उनकी याद में बनाया गया था। 
कंधारी बेगमवह शाहजहाँ की पहली पत्नी और कंधार की राजकुमारी थीं। उनकी शादी ने मुगल साम्राज्य और फारस के बीच संबंधों को मजबूत किया।
इज़्ज़-उन-निसा बेगम (अकबराबादी महल)वह शाहजहाँ की पत्नियों में से एक थीं और शाही घराने में महत्वपूर्ण स्थान रखती थीं।
मुमताज महल (ख़ास महल)अर्जुमंद बानो बेगम के समान उपाधि वाली एक और पत्नी, वह अपनी सुंदरता और बुद्धिमत्ता के लिए जानी जाती थी।
फतेहपुरी बेगमदिल्ली में फतेहपुरी मस्जिद का नाम उनके नाम पर रखा गया था।
साहिबा महलउनके बारे में बहुत कुछ ज्ञात नहीं है। 
ज़ैनाबादी महलवह एक उपपत्नी थीं, जो बाद में शाहजहाँ की पत्नी बनीं। वह अपनी सुंदरता और आकर्षण के लिए जानी जाती थीं।
नादिरा बेगमइन्होनें शाही दरबार में भूमिका निभाई थी।
सती-उन-निसा बेगमवह अपनी धर्मपरायणता और भक्ति के लिए जानी जाती थीं, शाही घराने में एक सम्मानित स्थान रखती थीं।

मुमताज महल और ताजमहल का निर्माण

मुमताज महल

मुमताज महल, जिसका मूल नाम अर्जुमंद बानू बेगम था। उनका जन्म 1593 में एक कुलीन फारसी परिवार में हुआ था। उसने अपने परिवार के घर की यात्रा के दौरान राजकुमार खुर्रम (शाहजहाँ) का ध्यान आकर्षित किया। उनकी शादी 1612 में हुई। वह सैन्य अभियानों में उनके साथ जाती थी और दरबारी मामलों में भी भाग लेती थी।

मुमताज महल की 1631 में अपने चौदहवें बच्चे को जन्म देते समय दुखद मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु ने शाहजहां को बहुत प्रभावित किया और उन्होंने एक भव्य मकबरे के साथ उनकी स्मृति का सम्मान करने की कसम खाई।

ताजमहल का निर्माण

ताज महल दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और मान्यता प्राप्त स्मारकों में से एक है, जो अपनी लुभावनी सुंदरता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। मुमताज महल की मृत्यु के एक साल बाद 1632 में ताज महल का निर्माण शुरू हुआ और इसे पूरा होने में 20 साल से ज्यादा का समय लगा। इस परिसर में मुख्य मकबरा, एक मस्जिद, एक गेस्ट हाउस, उद्यान और प्रतिबिंबित पूल शामिल हैं।

शाहजहाँ ने इस परियोजना पर काम करने के लिए साम्राज्य के हजारों कारीगरों, शिल्पकारों और मजदूरों को काम पर रखा था। स्मारक की भव्यता के लिए भारत और एशिया के कई हिस्सों से बेहतरीन सामग्री मंगवाई गई थी। ताज महल पूरी तरह से सफ़ेद संगमरमर से बना है, जो कीमती पत्थरों की जड़ाई की गई है। इसे मुगल वास्तुकला की एक उत्कृष्ट कृति और शाश्वत प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जो मुमताज महल की स्मृति को समर्पित है।

शाहजहाँ के पुत्र

यहाँ हम शाहजहाँ के पुत्र के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। 

शाहजहाँ के पुत्रशाहजहाँ की बेटियाँ
दारा शिकोहजहाँआरा बेगम
शाह शुजारोशनआरा बेगम
औरंगजेबजुबदत-उन-निसा
मुराद बख्शबादशाह बेगम
शुजा-उद-दीन मुहम्मदगौहर-उन-निसा बेगम

प्रमुख पुत्रों के नाम और उनके योगदान

शाहजहाँ के पुत्र दारा शिकोह उनका सबसे बड़ा और प्रिय पुत्र था। वह एक विद्वान, रहस्यवादी और कला और साहित्य का संरक्षक था। दारा शिकोह अपनी बौद्धिक खोजों के लिए जाना जाता था और उसने कई हिंदू ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया, जिसका उद्देश्य इस्लाम और हिंदू धर्म के बीच सांस्कृतिक संवाद और समझ को बढ़ावा देना था।

औरंगजेब आलमगीर, जिसे मुही-उद-दीन मुहम्मद औरंगजेब के नाम से भी जाना जाता है, शाहजहाँ का तीसरा पुत्र था। वह एक कुशल सैन्य कमांडर और प्रशासक थे, जो इस्लामी कानून और नीतियों के सख्त पालन के लिए जाने जाते थे। उनके शुजा और मुराद जैसे अन्य बेटे भी थे, जिन्होंने अपने पिता के शासनकाल के दौरान उत्तराधिकार की गतिशीलता और सैन्य अभियानों में भी भूमिका निभाई।

उत्तराधिकार का संघर्ष

दारा शिकोह को शुरू में शाहजहां ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना था। हालांकि, शाहजहां के बेटों के बीच उत्तराधिकार को लेकर विवाद हो गया, जिससे शाहजहाँ के बीमार होने के बाद सत्ता संघर्ष शुरू हो गया।

औरंगजेब अपने भाइयों के खिलाफ उत्तराधिकार संघर्ष में विजयी हुआ। उसने दारा शिकोह और अन्य प्रतिद्वंद्वियों को हराकर खुद को सम्राट घोषित किया और शाहजहां को कैद कर लिया जहाँ उन्होंने 8 साल कैद में बिताया। 

शुजा और मुराद ने उत्तराधिकार के संघर्ष के दौरान खुद को अलग-अलग गुटों के साथ जोड़ लिया। शुजा ने औरंगजेब से हारने से पहले बंगाल में खुद को कुछ समय के लिए सम्राट घोषित किया। 

शाहजहां का मकबरा कहाँ है?

शाहजहां का मकबरा, जिसे ताजमहल के नाम से जाना जाता है, आगरा में स्थित है। यह मकबरा शाहजहां ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। सफेद संगमरमर से निर्मित ताजमहल मुग़ल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। 22 जनवरी 1666 को शाहजहां की मृत्यु के बाद उन्हें भी ताजमहल में मुमताज महल के पास दफनाया गया। ताजमहल आज भी प्रेम और समर्पण का प्रतीक बना हुआ है।

शाहजहाँ के अन्य प्रमुख निर्माण कार्य

अन्य महत्वपूर्ण इमारतें और स्मारक

  • अन्य महत्वपूर्ण इमारतें और स्मारक में दिल्ली के जामा मस्जिद भी शामिल है, जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है, जो 1656 में बनवाया गया था।
  • शालीमार बाग लाहौर, पाकिस्तान में एक मुगल उद्यान है, जिसे शाहजहां ने 1641 में बनवाया था।
  • उन्होंने दिल्ली में चहारबाग एवेन्यू बनवाया था, जो एक चौड़ा बुलेवार्ड था जो लाल किले को उसके आसपास के औपचारिक द्वारों और उद्योग से जोड़ने वाले मुख्य मार्ग में है।

शाहजहाँ का पतन और अंतिम दिन

अपनी भव्य स्थापत्य परियोजनाओं के लिए प्रसिद्ध मुगल सम्राट शाहजहाँ को अपने अंतिम वर्षों में राजनीतिक साजिश और पारिवारिक कलह के कारण दुखद पतन का सामना करना पड़ा।

अंतिम दिन और मृत्यु

शाहजहाँ की मृत्यु 22 जनवरी, 1666 को 74 वर्ष की आयु में कई सप्ताह तक चली बीमारी के बाद हुई। उनके पार्थिव शरीर को आगरा किले से ताजमहल ले जाया गया, जहाँ उन्हें मुमताज महल के बगल में संगमरमर की कब्र में दफनाया गया, जिसे उन्होंने मुमताज महल के लिए बनवाया था।

शाहजहाँ की विरासत

भारत के पांचवें मुगल सम्राट शाहजहाँ ने एक स्थायी विरासत छोड़ी, जिसमें भारतीय संस्कृति और इतिहास पर उनका गहरा प्रभाव, साथ ही उनकी अद्वितीय स्थापत्य उपलब्धियाँ शामिल हैं।

भारतीय संस्कृति और इतिहास में शाहजहां का योगदान

  1. वास्तुशिल्प संरक्षण: ताजमहल, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और दुनिया के सात अजूबों में से एक है। उन्होंने दिल्ली में लाल किला बनवाया, जो मुगल सम्राटों के मुख्य निवास के रूप में कार्य करता था और मुगल भव्यता और शक्ति का प्रतीक बना हुआ है। शाहजहां ने भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद का भी निर्माण किया।
  1. सांस्कृतिक संरक्षण: वह साहित्य, कला और संगीत का महान संरक्षक था। उसका दरबार अपनी सांस्कृतिक जीवंतता के लिए प्रसिद्ध था, जो पूरे साम्राज्य और उससे परे से कवियों, विद्वानों और कलाकारों को आकर्षित करता था।
  1. प्रशासनिक और कानूनी सुधार: उन्होंने ने सत्ता को केंद्रीकृत करने और शासन में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रशासनिक सुधार लागू किए। उन्होंने वजन और माप को मानकीकृत किया, व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा दिया।

साहित्यिक संरक्षक के रूप में शाहजहाँ

  1. फ़ारसी और उर्दू साहित्य को बढ़ावा: शाहजहाँ फारसी और उर्दू साहित्य का संरक्षक था, जिसने अपने दरबार में सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा दिया। फारसी मुगल दरबार की आधिकारिक भाषा थी, और उन्होंने महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों के फारसी में अनुवाद का समर्थन किया।
  1. विद्वता को प्रोत्साहन: शाहजहाँ ने अपने दरबार में विद्वानों, कवियों और बुद्धिजीवियों को आकर्षित किया, जिससे एक जीवंत बौद्धिक वातावरण बना। अब्दुल हक देहलवी, इनायत खान और मिर्ज़ा मुहम्मद कुरो जैसे कवि भी उनके शासनकाल के दौरान उर्दू कविता और साहित्य के विकास में योगदान दिया।
  1. साहित्य में व्यक्तिगत रुचि: वह स्वयं एक कवि थे और उन्होंने “खुर्रम” उपनाम से कविताएं लिखीं। उनकी कविताओं में प्रेम, लालसा और भक्ति के विषय होते थे।

कला और संस्कृति में योगदान

शाहजहाँ का कला और संस्कृति में सबसे बड़ा योगदान निस्संदेह ताजमहल है। उन्होंने दिल्ली में लाल किला और जामा मस्जिद का भी निर्माण करवाया, जो दोनों ही भव्य वास्तुकला और सांस्कृतिक को दर्शाते हैं। वह मुगल लघु चित्रकला का संरक्षक था, जो उसके शासनकाल के दौरान जीवंत रंगों की विशेषता थी।

निष्कर्ष 

शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में एक अद्वितीय और प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने अपने शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया और स्थापत्य कला में अद्वितीय योगदान दिया। ताजमहल, लाल किला, और जामा मस्जिद जैसी भव्य इमारतें उनकी कला प्रेम और वास्तुकला के प्रति समर्पण का प्रतीक हैं। शाहजहाँ का जीवन न्यायप्रियता, वैभव और प्रेम की मिसाल है। उनकी पत्नी मुमताज़ महल के प्रति उनका अटूट प्रेम ताजमहल के रूप में अमर हो गया। उनके शासनकाल को मुग़ल साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है, जिसमें सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि चरम पर थी। शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में हमें उनके महान योगदान और अद्वितीय व्यक्तित्व की झलक देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

शाहजहाँ ने कौन-सी महत्वपूर्ण दरगाह का पुनर्निर्माण करवाया था? 

शाहजहाँ ने अजमेर शरीफ की दरगाह का पुनर्निर्माण करवाया था, जो ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की समाधि है और एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। 

शाहजहाँ के शासनकाल में किस प्रकार की कला का विकास हुआ जो ताजमहल जैसी इमारतों में देखी जाती है? 

शाहजहाँ के शासनकाल में जड़ाऊ कला (Pietra Dura) का विकास हुआ, जिसमें संगमरमर में कीमती पत्थरों की जड़ाई की जाती थी। यह कला ताजमहल जैसी इमारतों में प्रमुख रूप से देखी जा सकती है। 

शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल के लिए ताजमहल बनाने के अलावा कौन-सी अन्य इमारत उनके नाम पर बनवाई थी? 

शाहजहाँ ने मुमताज़ महल के नाम पर आगरा में एक और इमारत बनवाई थी, जिसे ‘मुमताज़ महल’ के नाम से जाना जाता है और जो अब लाल किले का हिस्सा है। 

शाहजहाँ के शासनकाल में किस प्रकार की मुद्राएँ (सिक्के) प्रचलित थीं, और उन पर कौन-सी भाषा में लेखन होता था?   

शाहजहाँ के शासनकाल में सोने, चाँदी, और ताँबे के सिक्के प्रचलित थे, और उन पर फारसी भाषा में लेखन होता था, जिसमें राजा का नाम और तारीख अंकित होती थी।

शाहजहाँ ने अपनी किस पुत्री के लिए ‘नूर महल’ बनवाया था? 

शाहजहाँ ने अपनी बेटी जहाँआरा बेगम के लिए ‘नूर महल’ बनवाया था, जो मुग़ल स्थापत्य का एक और उत्कृष्ट उदाहरण है। 

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