त्वरित परिवहन (आरआरटीएस): दिल्ली–मेरठ रैपिड रेल और नमो भारत

December 11, 2024
त्वरित परिवहन
Quick Summary

Quick Summary

  • त्वरित परिवहन से तात्पर्य है तेज़ और प्रभावी परिवहन प्रणाली, जो यात्रा समय को कम करती है।
  • इसमें हवाई यात्रा, तेज़ ट्रेनें, और सड़क परिवहन शामिल हैं।
  • यह समान्य यातायात से कहीं अधिक तेज़ और सुविधाजनक होता है।
  • त्वरित परिवहन से व्यापार और आर्थ‍िक विकास में भी तेजी आती है।
  • यह समान्य जीवन स्तर में सुधार करता है।

Table of Contents

त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) परियोजनाएं शहरों की यातायात समस्याओं को हल करने और लोगों को बेहतर परिवहन सुविधाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई रैपिड रेल प्रणाली है। भविष्य में इसके द्वारा यात्रा में लिया गया समय और रेल यात्रा करने का बहरीन अनुभव भारतीय रेल प्रणाली में विशेष रूप से बदलाव ला सकता है। ऐसे में, आपको त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) से जुड़ी सभी जानकारी होनी चाहिए।

इस ब्लॉग में आप दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम क्या है, आरआरटीएस के लाभ, मेट्रो और RRTS में अंतर, रैपिड रेल का इतिहास, नमो भारत ट्रेन रूट और त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) के भविष्य के बारे में जानेंगे।

आरआरटीएस क्या है?

आरआरटीएस (Regional Rapid Transit System) एक तेज़ और उच्च गति वाली परिवहन प्रणाली है, जो शहरी और उपनगर क्षेत्रों को जोड़ने के लिए डिजाइन की गई है। इसका उद्देश्य यातायात जाम को कम करना और अधिक सुलभता के साथ यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जल्दी और आराम से पहुंचाना है। आरआरटीएस का नेटवर्क आधुनिक ट्रेन, सिग्नलिंग प्रणाली और समर्पित ट्रैक के साथ काम करता है, जो शहरी क्षेत्र में दूरी और समय बचाता है। यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

दिल्ली मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम क्या है?

रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सेवा के अंदर आने वाली दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम एक महत्वपूर्ण रैपिड रेल परियोजना है।

दिल्ली–मेरठ RRTS का परिचय

दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) एक तेज़ और सुविधाजनक ट्रांसपोर्ट प्रणाली है जिसे दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ के बीच यात्रा को आसान बनाने के लिए विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना देश की पहली रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सेवा होगी, जो यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी।

इस परियोजना के तहत, लगभग 82.15 किलोमीटर लंबा ट्रैक बिछाया जाएगा, जिसमें कई स्टेशन होंगे। इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनें 180 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलेंगी, जिससे दिल्ली से मेरठ की दूरी मात्र 60 मिनट में तय हो सकेगी।

 त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) की विशेषताएँ

  • तेज़ गति: ये परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में बहुत तेज़ गति से चलते हैं। इससे यात्रा का समय कम हो जाता है।
  • निश्चित मार्ग: इनके मार्ग पहले से तय होते हैं और ये निश्चित स्टेशनों पर रुकते हैं। इससे यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुंचने में आसानी होती है।
  • अधिक क्षमता: इनमें एक साथ बहुत सारे लोग यात्रा कर सकते हैं। इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होती है और यातायात जाम कम लगता है।
  • आरामदायक यात्रा: इनमें आरामदायक सीटें, एयर कंडीशनिंग और अन्य सुविधाएं होती हैं, जिससे यात्रा सुखद होती है।
  • पर्यावरण के लिए अच्छा: इनमें डीजल या पेट्रोल का कम इस्तेमाल होता है, जिससे प्रदूषण कम होता है।
  • सुरक्षित यात्रा: इनमें आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं होती हैं, जिससे यात्रा सुरक्षित होती है।

 RRTS के लाभ

  • तेज़ यात्रा: RRTS ट्रेनें बहुत तेज़ गति से चलती हैं, जिससे आप अपने गंतव्य तक बहुत कम समय में पहुंच सकते हैं।
  • आरामदायक यात्रा: इन ट्रेनों में आरामदायक सीटें, एसी और अन्य सुविधाएं होती हैं, जिससे आपकी यात्रा सुखद हो जाती है।
  • विश्वसनीय सेवा: RRTS ट्रेनें समय पर चलती हैं, जिससे आपको यात्रा के लिए देर करने की चिंता नहीं करनी होती।
  • पर्यावरण के लिए अच्छा: RRTS ट्रेनें बिजली से चलती हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता।
  • यातायात की समस्या का समाधान: RRTS से शहरों में यातायात की समस्या कम होगी, क्योंकि लोग कारों के बजाय ट्रेन से यात्रा करना पसंद करेंगे।
  • शहरों का विकास: RRTS स्टेशनों के आसपास नए शहर और व्यापारिक केंद्र विकसित हो सकते हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

 Metro और RRTS में अंतर

विशेषताएंमेट्रोRRTS
दूरीमेट्रो विशेष रूप से शहर के अंदर छोटी दूरी तय करने के लिए होते हैं।RRTS खास रूप से शहर और आसपास के इलाकों के बीच लंबी दूरी को तय करने के लिए होते हैं।
गतिमेट्रो की औसत गति 45 किमी/घंटा की है, वहीं इसकी अधिकतम गति 120 किमी/घंटा की है।RRTS की औसत गति 160 किमी/घंटा है वहीं इसकी अधिकतम गति 180 किमी/घंटा है।
स्टेशनमेट्रो के स्टेशन छोटे और शहर के अंदर होते हैं।RRTS स्टेशन बड़े होते हैं साथ ही शहर तथा शहर के आसपास के इलाकों में भी होते हैं।
सुविधाएंमेट्रो में यात्रियों को अधिक सुविधाएं नहीं दी जाती।RRTS में यात्रियों को मेट्रो की तुलना में अधिक सुविधाएं मिलती है।
किरायामेट्रो का औसत किराया 2 रुपए/किमी से 5 रुपए/किमी है।RRTS का किराया औसत 5.5 रुपए/किमी से 11 रुपए/किमी तक है।
 Metro और RRTS में अंतर

रैपिड रेल का इतिहास 

रैपिड रेल का विचार बहुत पुराना नहीं है। 20वीं सदी के मध्य में कुछ देशों ने शहरी क्षेत्रों में यातायात की भीड़भाड़ को कम करने के लिए तेज़ रेल सिस्टम विकसित करने की कोशिश शुरू की थी। 

जापान को आधुनिक रैपिड रेल सिस्टम का जनक माना जाता है। उन्होंने 1964 में टोक्यो ओलंपिक के लिए बुलेट ट्रेन शुरू की थी। जापान के बाद कई अन्य देशों ने भी रैपिडरेल सिस्टम विकसित करना शुरू किया। चीन, दक्षिण कोरिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में आजकल कई रैपिड रेल सिस्टम चल रहे हैं। 

भारत के भी कई शहरों में रैपिड रेल सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में रैपिड रेल परियोजनाएं चल रही हैं, दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम उन्हीं में से एक है। 

रैपिड रेल कब से शुरू हुई?

दिल्ली को नजदीकी शहरों से जोड़ने के लिए क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सेवा योजना को 1990 के दशक के आखिर में भारतीय रेलवे द्वारा प्रस्तावित किया गया था। दिल्ली मेट्रो के विस्तार यानी 2006 के समय, रैपिड रेल योजना को दिल्ली मेट्रो के नजदीकी शहरों तक विस्तार के एक हिस्से के रूप में विचाराधीन किया गया। भारत सरकार ने बाद में 2013 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) का गठन किया ताकि आठ नियोजित त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) को शुरू किया जा सके।

दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के प्राथमिक कॉरिडोर का उद्घाटन 20 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था। वहीं, यात्रियों के लिए आंशिक रूप से रैपिडरेल यातायात 21 अक्टूबर 2023 से शुरू की गई। हालाकि, रैपिडरेल सेवा की शुरुआत अभी पूरी तरह से नहीं हुई है, लेकिन इसके निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) का उद्घाटन और सेवा पूरी तरह शुरू होने की संभावित वर्ष 2025 में निर्धारित की गई है। 

ऐतिहासिक तथ्य

  • देश के पहले रैपिड रेल सेवा दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम परियोजना की लागत ₹30,274 करोड़ है।
  • दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम में 24 स्टेशन होंगे, जिसमें दुहाई और मोदीपुरम दो डिपो शामिल हैं।
  • अक्टूबर 2023 में, NCRTS ने त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) सेवाओं को RapidX और ट्रेनसेट को नमो भारत के रूप में ब्रांडेड किया।

नमो भारत ट्रेन

नमो भारत, भारत की एक नई पीढ़ी की इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (EMU) ट्रेन है जिसे यात्रियों को आरामदायक और तेज गति से यात्रा का अनुभव देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नमो भारत की अधिकतम गति 180 किमी/घंटा है और इसे 160 किमी/घंटा की गति से चलाया जाता है। नमोभारत ट्रेन अपनी आधुनिक सुविधाओं, तेज रफ्तार और डिजाइन के लिए जानी जाती है। नमो भारत ट्रेनसेट को 20 अक्टूबर 2023 को दिल्ली–मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) लाइन के उद्घाटन के बाद सेवा में लाया गया।

रूट और विशेषताएँ

वर्तमान में, नमो भारत ट्रेन रूट साहिबाबाद से मोदी नगर उत्तर तक फैला हुआ है जो 34 किलोमीटर का रूट है। जल्द ही, नमोभारत ट्रेन रूट में 8 किलोमीटर की बढ़ोतरी की जानी है, जिससे नमो भारत ट्रेन रूट मेरठ साउथ स्टेशन तक जाएगी। इससे नमो भारत ट्रेन रूट 42 किलोमीटर लंबी हो जाएगी। 

विशेषताएं:

  1. तेज़ गति: नमोभारत ट्रेनें पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में बहुत तेज़ गति से चलती हैं, जिससे यात्री कम समय में अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।
  2. आधुनिक सुविधाएं: इन ट्रेनों में वाई-फाई, चार्जिंग पोर्ट्स, LED डिस्प्ले और बायो-वैक्यूम टॉयलेट जैसी कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
  3. बेहतर सुरक्षा: इन ट्रेनों में सुरक्षा के लिए कई तरह के उपाय किए गए हैं, जैसे कि सीसीटीवी कैमरे, LTE सुरक्षा, फायर अलार्म सिस्टम और आपातकालीन ब्रेक।
  4. आरामदायक सीटें: इन ट्रेनों में यात्रियों को बेहद आरामदायक सीटें मिलती हैं, जिससे लंबी यात्राएं भी सुखद हो जाती हैं।
  5. स्वच्छता: नमोभारत ट्रेनें बेहद साफ-सुथरी होती हैं और इनमें नियमित रूप से सफाई की जाती है।

लाभ

नमो भारत ट्रेन, जिसे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के तहत चलाया जा रहा है, कई लाभ प्रदान करती है जिनमें सामिल हैं:

  1. तेज़ यात्रा: यह ट्रेनें 160 किमी प्रति घंटे की गति से चलेंगी, जिससे यात्रा का समय बहुत कम हो जाएगा। दिल्ली से मेरठ की दूरी केवल 60 मिनट में तय की जा सकेगी।
  2. पर्यावरण के अनुकूल: यह ट्रेनें इलेक्ट्रिक होंगी, जिससे प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण को लाभ मिलेगा।
  3. आर्थिक विकास: इस परियोजना से क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि लोगों की आवाजाही आसान और तेज़ हो जाएगी।

त्वरित परिवहन से जुड़ी खबरें

त्वरित परिवहन यानी रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों में काफी विकास हुआ है। भारत में कई शहरों में रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरटीएस) परियोजनाएं तेजी से चल रही हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य शहरों में यात्रा को अधिक तेज़, आरामदायक और कुशल बनाना है।

अगस्त और सितंबर 2024 में हुई कुछ प्रमुख खबरें:

  • दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस का विस्तार: दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर को और आगे बढ़ाने की योजनाओं पर काम चल रहा है। इस विस्तार से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के अधिक लोगों को इसका लाभ मिलेगा।
  • मुंबई मेट्रो का विस्तार: मुंबई मेट्रो को शहर के विभिन्न हिस्सों में जोड़ने के लिए इसका विस्तार किया जा रहा है। इससे मुंबई में यातायात की समस्याओं का समाधान होगा।
  • बेंगलुरु मेट्रो का उद्घाटन: बेंगलुरु मेट्रो के नए कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया है। इससे बेंगलुरु के लोगों को यात्रा करने में आसानी होगी।
  • चेन्नई मेट्रो का विस्तार: चेन्नई मेट्रो को शहर के बाहरी इलाकों तक जोड़ने की योजना पर काम चल रहा है।
  • नई तकनीक का उपयोग: आरटीएस परियोजनाओं में नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। जैसे कि स्वचालित ट्रेन संचालन, यात्री सूचना प्रणाली और ऊर्जा दक्षता।

त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) के लाभ और चुनौतियाँ

त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) के कई लाभ हैं जो रेल यातायात के अनुभव को और बेहतर बना सकता है साथ ही इसको लेकर कई चुनौतियाँ भी हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है।

लाभ

  1. समय की बचत: तेज गति से यात्रा करने के कारण यात्रा का समय कम होता है, जिससे रोज़मर्रा के यात्रियों को समय की बचत होती है।
  2. सुविधाजनक यात्रा: आरआरटीएस में कम भीड़-भाड़ और आरामदायक यात्रा के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
  3. प्रदूषण में कमी: यह प्रणाली इलेक्ट्रिक आधारित होती है, जो वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करती है।
  4. सार्वजनिक परिवहन का विकास: अधिक लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे निजी वाहनों की संख्या घटती है।
  5. समृद्धि में वृद्धि: त्वरित परिवहन के माध्यम से विभिन्न इलाकों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित होती है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।
  6. भ्रष्टाचार में कमी: आरआरटीएस के द्वारा पारदर्शी और उचित तरीकों से संचालन होता है, जिससे भ्रष्टाचार कम होता है।
  7. ट्रैफिक में कमी: अधिक लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से सड़क पर ट्रैफिक की भीड़ घटती है।
  8. जलवायु परिवर्तन में मदद: इलेक्ट्रिक और पर्यावरण-friendly ऑपरेशन से जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान मिलता है।

चुनौतियाँ

  1. उच्च लागत: त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) परियोजनाओं के निर्माण और संचालन में बड़ी लागत शामिल होती है, जो सरकारी बजट पर दबाव डालती है।
  2. तकनीकी चुनौतियाँ: उच्च गति पर चलने वाली ट्रेनों के लिए अत्याधुनिक तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है, जिसे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है।
  3. भू-अधिग्रहण: ट्रैक और स्टेशन बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करना कभी-कभी मुश्किल हो सकता है, खासकर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में।
  4. रखरखाव और संचालन: उच्च गति की ट्रेनों के रखरखाव और संचालन के लिए स्किल्ड इंजीनियर्स और आधुनिक तकनीक की आवश्यकता होती है।
  5. सुरक्षा चिंताएँ: तेज गति से यात्रा करने के कारण सुरक्षा सुनिश्चित करना एक चुनौती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा कम हो सके।

त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) का भविष्य

त्वरित परिवहन प्रणाली (आरआरटीएस), जिसे क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम भी कहा जाता है, भारत में शहरी परिवहन का भविष्य माना जा रहा है। भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) का विस्तार देखने को मिल सकता है, तकनीकी विकास हो सकता है साथ ही ये पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभकारी हो सकता है।

विस्तार योजनाएँ

योजना सुचारू रूप से चलने पर आने वाले समय में भारत के कई अन्य शहरों में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। जिससे अधिक शहरों में इस परियोजना का विस्तार होगा। अधिक लोग त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) का लाभ उठा पाएंगे जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रो में भीड़-भाड़ की समस्या कम होगी। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है की भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) प्रणाली भारतीय रेल को एक अलग दिशा में लेकर जायेगी और वर्तमान रेल प्रणाली को बदलेगी।

तकनीकी उन्नति

भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) में तकनीकी उन्नति से यात्रा और भी तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक होगी। स्वचालित ट्रेन नियंत्रण, उच्च गति वाले इलेक्ट्रिक इंजन, और उन्नत सिग्नलिंग प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, स्मार्ट टिकटिंग सिस्टम और रीयल-टाइम ट्रैकिंग से यात्रा अनुभव में सुधार होगा। ये तकनीकी प्रगति आरआरटीएस को अधिक प्रभावी बनाएंगी।

पर्यावरण संरक्षण

भविष्य में त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इलेक्ट्रिक ट्रेनों के उपयोग से प्रदूषण कम होगा, जिससे हवा की गुणवत्ता सुधरेगी। इसके अलावा, सड़कों पर वाहनों की संख्या घटने से ट्रैफिक जाम और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। हरी पट्टियाँ और ऊर्जा-संवर्धन तकनीकों का उपयोग करके आरआरटीएस पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा। यह परिवहन प्रणाली भविष्य में न केवल यात्रा को तेज और आरामदायक बनाएगी, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगी।

निष्कर्ष

त्वरित परिवहन (आरआरटीएस) आने वाले समय में हमारे यात्रा के अनुभव को पूरी तरह से बदलने वाला है। इसकी तेज गति, आधुनिक सुविधाएँ और पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन न केवल यात्रा को अधिक सुविधाजनक बनाएंगे, बल्कि हमारे शहरों को भी अधिक जुड़ा हुआ और विकसित बनाएंगी।

जैसे-जैसे हम भविष्य की ओर बढ़ते हैं, त्वरित परिवहन प्रणाली हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाएगी। इसके माध्यम से हम न केवल समय की बचत करेंगे बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित रख सकेंगे। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

RRTS प्रोजेक्ट क्या है?

RRTS सार्वजनिक परिवहन का एक नया तरीका है जिसे विशेष रूप से NCR के लिये डिज़ाइन किया गया है। दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर RRTS एक रेल-आधारित, अर्द्ध-उच्च गति, उच्च आवृत्ति वाली कम्यूटर ट्रांज़िट प्रणाली है। दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर की कुल लंबाई 82 किलोमीटर है, जिसमें 22 स्टेशन हैं।

आरआरटीएस परियोजना क्या है?

180 किमी प्रति घंटे की डिजाइन गति के साथ, आरआरटीएस एक परिवर्तनकारी, क्षेत्रीय विकास पहल है, जिसे हर 15 मिनट में अंतर-शहर आवागमन के लिए हाई-स्पीड ट्रेनें उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आवश्यकतानुसार हर 5 मिनट की आवृत्ति तक जा सकती है।

8 आरआरटीएस मार्ग क्या हैं?

दिल्ली-मेरठ: यह भारत का पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है।
दिल्ली-आगरा: यह कॉरिडोर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को आगरा से जोड़ेगा।
दिल्ली-अलवर: यह कॉरिडोर दिल्ली को राजस्थान के अलवर से जोड़ेगा।
मुंबई-अहमदाबाद: यह कॉरिडोर मुंबई और अहमदाबाद के बीच एक उच्च गति वाला रेल कनेक्शन प्रदान करेगा।
चेन्नई-बेंगलुरु: यह कॉरिडोर दक्षिण भारत के दो प्रमुख शहरों को जोड़ेगा।

भारत में कितने रैपिड रेल हैं?

वर्तमान में भारत भर के सत्रह शहरों में 17 परिचालन रैपिड ट्रांजिट (आधिकारिक और लोकप्रिय रूप से ‘मेट्रो’ के रूप में जाना जाता है) प्रणालियाँ हैं, जिनमें दिल्ली मेट्रो सबसे बड़ी है। जुलाई 2024 तक, भारत में 17 शहरों में 945 किलोमीटर (587 मील) परिचालन मेट्रो लाइनें हैं।

भारत की पहली रैपिडेक्स ट्रेन का क्या नाम है?

भारत की पहली रैपिडएक्स ट्रेन ‘नमो भारत (NaMo Bharat)’ के नाम से जानी जाती है।

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