Quick Summary
वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, भारत की सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। यह शहर गंगा नदी के किनारे स्थित है और हिंदू धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वाराणसी का धार्मिक महत्व इतना अधिक है कि इसे “भारत की आध्यात्मिक राजधानी” भी कहा जाता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है, बनारस का पुराना नाम क्या है और बनारस की मशहूर चीज क्या है। अगर आप हाल ही में वाराणसी घूमने का प्लान बना रहें है और जानना चाहते है कि Varanasi me ghumne ki jagah कोनसी है तो यह लेख आपके लिए है।
अगर आप सूचते है कि वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है(varanasi kyon prasiddh hai)? तो इसका एक बाद हिस्सा इसके इतिहास में है। वाराणसी, या बनारस, (जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है) दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक है। अंग्रेजी लेखक और साहित्य के लेखक मार्क ट्वेन, जो बनारस की किंवदंती और पवित्रता से रोमांचित थे, ने एक बार लिखा था: “बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से पुराना है, किंवदंती से भी पुराना है और सभी के साथ दोगुना दिखता है।”
Banaras kyu famous hai? वाराणसी के इतिहास के बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन माना जाता है कि यह शहर सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही आबाद था। महाभारत के अनुसार, वाराणसी को भगवान शिव का शहर माना जाता है और यहां कई पौराणिक घटनाएं हुईं।
उपनिषद काल में वाराणसी ज्ञान और दर्शन का केंद्र बन गया था। महाजनपद युग में वाराणसी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र था।
वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे एक बेहद ही खूबसूरत शहर है, जो कि आज के समय में हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही खास तीर्थ स्थलों में जाना जाता है। वाराणसी कई विशाल मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों से हर साल पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। ये जगह न केवल भारतियों को बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी काफी पसंद आती है।
काफ़ी लोग सूचते है कि varanasi kyon prasiddh hai? तो बता दें कि Varanasi के प्रमुख आकर्षण और टुरिस्ट जगह इसका एक बाड़ा कारण है।
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है और हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर आमतौर पर सुबह 3:00 बजे से शाम 11:00 बजे तक खुला रहता है। यहां प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं है, लेकिन सुरक्षा जांच से गुजरना आवश्यक है। आप वाराणसी रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो-रिक्शा या टैक्सी द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं। अगर आप श्रद्धा भाव से बनारस जाना चाहते है तो काशी विश्वनाथ मंदिर Varanasi me Ghumne ki Jagah का पहला और अच्छा ऑप्शन है।
गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है। यहां पर विभिन्न घाटों पर स्नान और पूजा-पाठ के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। गंगा में नाव की सवारी का अनुभव भी अद्भुत होता है, खासकर सुबह और शाम के समय। नाव की सवारी की कीमत लगभग ₹100 से ₹500 तक होती है, निर्भर करता है कि आप कितने समय के लिए और कितनी दूरी तक जाना चाहते हैं। आप किसी भी प्रमुख घाट से नाव की सवारी शुरू कर सकते हैं। गंगा नदी Varanasi me Ghumne ki Jagah के लिए सबसे मशहूर विकल्प है।
तुलसी मानस मन्दिर, तुलसीदास की महान रचना के सम्मान में बनाया गया है। यह मंदिर वाराणसी के दीनदयाल उपाध्याय गंज में स्थित है। मंदिर आमतौर पर सुबह 6:00 बजे से शाम 9:00 बजे तक खुला रहता है और यहां कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। यह स्थान धार्मिकता और भक्ति का प्रतीक है। आप यहां पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन जैसे ऑटो या टैक्सी का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप श्रद्धा भाव से बनारस जाना चाहते है तो तुलसी मानस मन्दिरर Varanasi me Ghumne ki Jagah का एक अच्छा ऑप्शन है।
अस्सी घाट, वाराणसी का एक प्रमुख घाट है, जो गंगा के किनारे स्थित है। यह घाट मुख्यतः सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। घाट पर कुछ छोटे मंदिर भी हैं और यहां स्नान के लिए लोग आते हैं। अस्सी घाट सुबह से शाम तक खुला रहता है, और यहां कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। आप यहां पहुंचने के लिए स्थानीय ऑटो या रिक्शा ले सकते हैं।
दशाश्वमेध घाट वाराणसी के सबसे व्यस्त घाटों में से एक है और इसे गंगा आरती के लिए जाना जाता है। यह घाट दिनभर खुला रहता है और गंगा आरती शाम को आयोजित की जाती है, जो एक अद्भुत अनुभव है। यहाँ पर कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। आप वाराणसी के अन्य प्रमुख स्थलों से पैदल चलकर या ऑटो-रिक्शा द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
मणिकर्णिका घाट वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध श्मशान घाट है और इसे मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है। यहाँ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया का दृश्य देखना एक गहन अनुभव होता है। घाट दिन-रात खुला रहता है और कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। यह स्थान सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आप स्थानीय परिवहन का उपयोग करके आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।
विश्वेश्वरिया संग्रहालय वाराणसी का एक प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी संग्रहालय है। यहाँ पर विभिन्न प्रदर्शनी और शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध है। संग्रहालय आमतौर पर सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है, और प्रवेश शुल्क लगभग ₹20 है। आप वाराणसी शहर के किसी भी हिस्से से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
रामनगर किला, वाराणसी के निकट स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला रामनगर राजाओं का निवास स्थान था और यहां एक संग्रहालय भी है, जिसमें पुराने शस्त्र और ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। किला आमतौर पर सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है, और प्रवेश शुल्क लगभग ₹15 है। आप किले तक पहुंचने के लिए वाराणसी से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा का उपयोग कर सकते हैं।
बनारसी साड़ी, भारतीय कपड़ा उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे वाराणसी की पहचान माना जाता है। इन साड़ियों का निर्माण बुनाई के अद्भुत कौशल और समृद्ध डिजाइनिंग से होता है। इन पर सोने-चांदी के धागों से बनी बुनाई, जरी काम, और विभिन्न पारंपरिक motifs होते हैं। बनारसी साड़ी विशेष अवसरों जैसे शादी, त्योहारों और समारोहों के लिए पहनी जाती है। इसकी विशेषताएं इसे न केवल सुंदर बनाती हैं, बल्कि इसे एक प्रतिष्ठित वस्त्र भी बनाती हैं। इन साड़ियों की कीमत उनके डिजाइन और बुनाई के आधार पर भिन्न होती है, लेकिन ये हमेशा उच्च गुणवत्ता की होती हैं। यह बनारस की मशहूर चीजों में से एक है।
बनारसी पान, बनारस की मशहूर चीजों की लिस्ट में सबसे ऊपर आता है, बॉलीवुड के गानों में भी इसका वर्णन है। यह पान, ताजगी और स्वाद का प्रतीक है, जिसे पान के पत्तों में सुपारी, चूना, और विभिन्न सुगंधित मसालों के साथ लपेटा जाता है। बनारसी पान खासतौर पर अपने अनोखे स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है, जो इसे खाने के बाद एक ताजगी का अनुभव देता है। इसे अक्सर भोजन के बाद या चाय के साथ परोसा जाता है। वाराणसी में कई प्रसिद्ध पान की दुकानें हैं, जहां आप विभिन्न प्रकार के पान का आनंद ले सकते हैं।
बनारसी मिठाई, खासतौर पर अपनी मिठास और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की सबसे मशहूर मिठाइयों में गुलाब जामुन, रसगुल्ला, और लड्डू शामिल हैं। विशेष रूप से, “बनारसी पेठा” अपनी अनोखी रेसिपी और स्वाद के लिए जाना जाता है। ये मिठाइयाँ त्योहारों और खास अवसरों पर प्रमुखता से बनाई जाती हैं। बनारसी मिठाइयाँ केवल स्वाद में ही नहीं, बल्कि अपनी खूबसूरत प्रस्तुति में भी बेहतरीन होती हैं, जो हर उत्सव का हिस्सा बनती हैं।
बनारसी कला और शिल्प, वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। यहाँ की कारीगरों द्वारा बनाई जाने वाली कढ़ाई, बुनाई, और मिट्टी के बर्तन अद्वितीय हैं। बनारसी कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके कलाकृतियों को तैयार करते हैं, जिसमें टेराकोटा, हस्तशिल्प और हाथ से बनी चीजें शामिल हैं। इन कला रूपों में न केवल स्थानीय संस्कृति का समावेश है, बल्कि यह वाराणसी के समाज की समृद्धि और जीवंतता को भी दर्शाता है। वाराणसी में आयोजित विभिन्न शिल्प मेले और प्रदर्शनियाँ इन कला रूपों को देखने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करती हैं।
वाराणसी में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं:
वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, भारत की आध्यात्मिक राजधानी है। यह शहर अपनी प्राचीन संस्कृति, धार्मिक महत्व और गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है इस प्रश्न का उत्तर इन सभी तत्वों में निहित है।
बनारस का पुराना नाम काशी है, जो हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। वाराणसी में कई ऐतिहासिक मंदिर, घाट और अन्य धार्मिक स्थल हैं, जिनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, गंगा नदी, रामचरितमानस मंदिर और अस्सी घाट शामिल हैं। Varanasi me ghumne ki jagah के रूप में ये स्थान पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं।
बनारस, जिसे काशी भी कहा जाता है, भारत के सबसे पुराने और पवित्र शहरों में से एक है। यह शहर अपनी धार्मिक विरासत, सांस्कृतिक समृद्धि और गंगा नदी के किनारे बसे होने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
बनारस में पान के अलावा बाटी चोखा, पूरी कचौड़ी, जलेबी, लस्सी, चाट, गोलगप्पे भी मशहूर है।
वाराणसी अपनी गलियों, गंगा घाट, साड़ी और विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
काशी विश्वनाथ मंदिर
अस्सी घाट
दशाश्वमेध घाट
मणिकर्णिका घाट
रामनगर किला
भारत माता मंदिर
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
संगीत कला केंद्र
तुर्की मोहम्मदी मस्जिद
बनारस की सबसे फेमस मिठाई में मलईयो, कचौड़ी, लिट्टी-चोखा और ठंडाई शामिल हैं। इनके अलावा, यहां की पेड़ा और लड्डू भी बहुत स्वादिष्ट होते हैं।
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